Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

जनता से दूर हो रहे बड़े अखबार और उनके पत्रकार

: बड़े अखबारों के पत्रकारों की हर पल पैसे पर होती है निगाह : पैसे के लिए खबरों को मैनेज और मेनूपुलेट करते हैं वे : छोटे अखबारों के पत्रकारों को ‘खेल’ में शामिल करने के लिए बनाते हैं दबाव : ‘सुप्रीम न्यूज’ की तरफ से बादलपुर में सेमिनार का आयोजन :

: बड़े अखबारों के पत्रकारों की हर पल पैसे पर होती है निगाह : पैसे के लिए खबरों को मैनेज और मेनूपुलेट करते हैं वे : छोटे अखबारों के पत्रकारों को ‘खेल’ में शामिल करने के लिए बनाते हैं दबाव : ‘सुप्रीम न्यूज’ की तरफ से बादलपुर में सेमिनार का आयोजन :

दिल्‍ली आने के बाद पहली बार पत्रकारों के किसी आयोजन में सम्मिलित होने का मौका मिला. रविवार का दिन था, इसलिये समय का कोई बंधन न था. यशवंत जी के साथ मैं भी हो लिया. रास्‍ते भर सोचता रहा कि बादलपुर (ग्रेटर नोएडा) में पत्रकारों का सम्‍मेलन है तो काफी कुछ पत्रकारिता पर बातें होंगी. मन में तरह-तरह के विचार आते रहे. मुख्‍यमंत्री मायावती का गांव देखने की भी उत्‍सुकता थी. हम बादलपुर पहुंचे तो दस बज चुका था. आश्‍यर्च हुआ कि आसपास के ही नहीं बल्कि दूरदराज से आये पत्रकार भी यहां मौजूद थे.

सम्‍मेलन की औपचारिक शुरुआत हुई. सबने अपने-अपने अनुभव सुनाना शुरू किया. सबने ईमानदारी से पत्रकारिता करने के दौरान आने वाली कठिनाइयों को बयान किया. बड़े अखबारों के पत्रकारों के खेल-तमाशे गिनाए. सुनकर लगा कि आखिर क्‍या हो गया है लोकतंत्र के इस चौथे स्‍तम्‍भ को? क्‍या आम जनता की आवाज उठाने वाले चौथे स्‍तम्‍भ को भ्रष्‍टाचार का दीमक लग चुका है? क्‍या अपराधियों, नेताओं और अधिकारियों के साथ पत्रकारों का भी एक अलोकतांत्रिक गठजोड़ हो चुका है? क्‍या पत्रकारिता में भी एक अभिजात्‍य और दलित वर्ग पनप चुका है? क्‍या संवेदनशील माने जाने वाले पत्रकारों के आंख का पानी मर चुका है? क्‍या यहां भी साजिशों का खुला खेल चालू हो चुका है? इस बारे में मेरे अपने भी कुछ कटु अनुभव हैं, मगर पत्रकारिता में इस हद तक नंगई और दबंगई हो सकती है, इसका अंदाजा तो इन ग्रामीण, छोटे बैनरों वाले पत्रकारों के बीच आकर ही लगा.

सेमिनार का विषय था- ‘जनहित में पत्रकारिता कैसे हो?’ सवाल बिल्‍कुल प्रासंगिक और सम-सामयिक था. पिछले दिनों अखबारों और टीवी चैनलों पर पैसे लेकर खबर छापने और दिखाने का सच सामने आया था. जिस तरह से महात्‍मा गांधी, गणेश शंकर विद्यार्थी, विष्‍णुराव पराडकर की मिशन पत्रकारिता को बड़े बड़े मीडिया घरानों के मालिकों ने कमीशन पत्रकारिता में बदल दिया है, उसमें तो चुनौतियां और भी ज्‍यादा बड़ी हो जाती हैं. जनता की आवाज स्थापित मीडिया ब्रांडों-बैनरों से दूर होते जाने के दौर में संवदेनशीन पत्रकार बन पाना और मुश्किल हो चुका है.

बादलपुर में आकर अच्‍छा लगा. इन जमीनी पत्रकारों के साथ मिल-बैठकर सुखद अनुभूति हुई. महसूस हुआ कि चलो अभी भी संवेदनशील पत्रकारों की जमात खतम नहीं हुई है. छोटा ही सही, एक कारवां इन परिस्थितियों में बदलाव की खातिर अलख जगाने की कोशिश में लगा हुआ है, अपने प्रयास से, अपने सामर्थ्‍य से. सुप्रीम न्‍यूज के संपादक संजय भाटी की कोशिश रंग लाती दिखी. उनकी कोशिश जनता की आवाज बनती जा रही है. किसी मुसीबत में फंसे गरीब के एक फोन काल पर दौड़कर उन तक पहुंचने वाले और उस गरीब की समस्या के हल के लिए सिस्टम से भिड़ जाने वाले संजय भाटी ढेर सारे नए पत्रकारों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं. कई छोटे अखबारों से जुड़े पत्रकार उनकी कारवां के हिस्‍सा बन चुके हैं. इनकी एकता पत्रकारिता की बड़ी मछलियों को रास नहीं आ रही है. इस एकता की कीमत भी कइयों को चुकानी पड़ी है लेकिन हौसला टूटा नहीं, बल्कि और फौलादी बन चुका है. सबके अपने अपने अनुभव हैं, सबने बड़े पत्रकारों के दंश झेले हैं, सबने भ्रष्ट सिस्टम से बड़े बैनर के भ्रष्ट पत्रकारों की मिलीभगत के जख्म पाए हैं. इसलिये उनके भीतर एक आग दिखती है, बदलाव की आग, भ्रष्‍ट व्‍यवस्‍था को जलाने की आग.

सुप्रीम न्‍यूज के संपदक संजय भाटी ने कहा कि अपने को सबसे बड़ा बताने वाले, सच को जिन्‍दा रखने वाले, बदलाव की बात करने वाले अखबार के मालिकों ने पत्रकारिता को धंधा बना दिया है. सिर्फ पेड न्‍यूज या पैकेज न्‍यूज की बात ही नहीं होती. अब तो खबरें भी मैनेज की जाती हैं. बड़े बड़े अखबारों के पत्रकार अब तो कौन सी खबर छापनी है और कौन सी खबर रोकनी है, इसको मैनेज करके आम लोगों से पैसा उगाहते हैं. इस स्थिति में आम लोगों की आवाज उठाना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है. लेकिन हम लोगों के छोटे से प्रयास और एकता ने बड़ी मछलियों की मनमानी पर रोक लगा दी है.

आदर्श न्‍यूज के संपादक सुनील गुप्‍ता ने कहा कि जब हमने इस अखबार की शुरुआत की तो बड़े-बड़े बैनर के लोगों ने हमें कई प्रकार से डराने धमकाने की कोशिश की. अपने साथ जोड़ने की कोशिश की ताकि मैं भी उनके इस गंदे धंधे में शामिल होकर साथ दूं, लेकिन मैंने ऐसा करने के बजाय संघर्ष करना ज्‍यादा जरुरी समझा. कुछ मित्रों के सहयोग से आज हम इस स्थिति में हैं कि जनता की आवाज निडर होकर उठा सकते हैं. वक्‍त की जरुरत है कि हम सभी छोटे अखबार के लोग एकजुट होकर जनता की आवाज को बहरे जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और इस भ्रष्‍ट तंत्र में उनका साथ दे रहे लोगों की कानों तक पहुंचायें.

मुख्‍य अतिथि, भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा कि आज मीडिया पर बाजार हावी हो चुका है. मालिक के लिये अखबार अब जनता की आवाज नहीं बल्कि अपने मुनाफे को बढ़ाने का धंधा बन चुका है. आज अखबार या न्‍यूज चैनल आम या गरीब जनता से जुड़ी खबरों पर फोकस नहीं करते बल्कि उनका फोकस उस वर्ग पर होता है, जिसकी पेट और जेब दोनों भरी हुई है. उन्‍होंने कहा कि अखबार या चैनल अब इससे सरोकार नहीं रखते कि कहां का किसान फांसी लगा रहा है या किसकी भूख से मौत हो चुकी है. उसे तो बस इससे सरोकार है कि राखी सांवत ने क्‍या पहना है या करीना कपूर का किसके साथ डेट चल रहा है. पत्रकारों को सेल्‍स मैनेजर बनाया जा रहा है. यहां पर अब तक अपराधी, भ्रष्‍ट नेता, भ्रष्‍ट अधिकारी और ठेकेदारों का गठजोड़ था किन्‍तु इसमें अब पत्रकारों का भी गठजोड़ शामिल हो चुका है. यह प्रवृत्ति और स्थिति दोनों ही लोकतंत्र के हित में नही हैं. लेकिन यहां आकर महसूस हुआ कि अभी भी समाज के प्रति जिम्‍मेदार और जागरुक लोगों की कमी नही है. निश्‍चय ही यह एक शुरुआत है जो आने वाले समय में इस स्थिति पर लगाम लगाने में सक्षम होगा.

इस दौरान दर्जनों पत्रकारों ने अपने अपने अनुभव सुनाये. कुछ तो पत्रकारिता के दंश से आजिज आकर इस मिशन में सम्मिलित हुए. सबके दिल में वर्तमान पत्रकारिता को लेकर एक टीस थी, एक दर्द था, एक नफरत थी और तो और कुछ कर गुजरने का जज्‍बा भी था. कुछ ने तो इस पत्रकारिता की कीमत भी चुकाई है. कुछ को व्‍यवस्‍था से प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी. फिर भी उनकी हिम्‍मत कम नहीं हुई है बल्कि इस भ्रष्‍ट तंत्र से टकराने का हौसला और भी बढ़ा है. सबसे बड़ी बात तो यह थी कि सभी पत्रकार अखबारों के संचालन के लिये स्‍वयं मदद करते हैं, वे इसके लिये अपने मेहनत की कमाई का एक हिस्‍सा अखबार निकालने के लिय देते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

सम्‍मेलन में पवन सिंह नागर, राज सिंह, कृपाल सिंह, अनीस अंसारी, शिवपाल भाटी, नवनीत, नरेन्‍द्र अघाला, रुबी, केपी सिंह, सुन्‍दरलाल, श्‍याम सुन्‍दर, मोनू, किशनपाल, अजब सिंह, बिजेन्‍द्र जोगी, यूसुफ सैफी, जहीर, कुसुम लता, गीता, आरती, मनजीत मलिक समेत कई अन्‍य मौजूद रहे. अध्‍यक्षता ऋषिपाल भाटी एवं संचालन संजय भाटी ने की.

लेखक अनिल सिंह भड़ास4मीडिया के कंटेंट एडिटर हैं. उनसे संपर्क [email protected] या फिर 09717536974 के जरिए किया जा सकता है.

Click to comment

0 Comments

  1. ravishankar vedoriya gwalior

    July 19, 2010 at 10:47 am

    mai ravishankar vedoriya ese sabhi logo ke sath hu jo ki anayay ke khilaph awaj utate hai

  2. Sanjay Bhati Editar SUPREME NEWS

    July 19, 2010 at 1:23 pm

    hum aaj b4m ki khaber ban gaye ye dakhe kar aakho me ashu aa gaye .jab hum patarkar nahi the tab majduro ke liye kam karte the too us samay sabhi Akhbaro or TV chanalo k patarkar hamari khabre khub chhapte or hamare kam ki tarif karte .kuch ghatnao me hume laga ki patarkar bik gay too hum logo ne saptahik SUPREME NEWS nikala is akhbar ke nikalte hi adhik tar patarkar hamare virodhi ho gaye or kuch aaj bhi hamare sath hai. Yeswant bhai aap ne khud dekha hoga ki 7-8 bade banero ke patarkar bhe hamere is mison ka hissa hai lekin apne sinyero ke karan is program ki khabar apne akhbaro me nhi chhapwa sakate. SATHIYO KE YE HE MAJBURI media k ginone sach ko ujagar karti hai or HAMARI AKTA KO KAYAM RAKHNE KA BADA KARAN BHE YE HE HAI .——————— THANK U BHADAS 4 MEDIA ———————————————-ravi sankar je hum logo ko b 4 m hi bada manch de sakti hai aap jase sathiyo ka besabri se intjar hi yadi hum logo ne jaldi bada sangathan nahi kiya too hum khader dye jayage hamara jivan lamba nahi hai . my mobil no -09811291332,09311808705 , MAIL – supreme_news 82@ yahoo.com — hum akhbar ka dhanda nahi karna chhate punjivadi vyastha me pariwartan chhate hai akhbar to virod darj karne or janta tak sach ko phuchane ka ek madham hai .hame akhabar se munafa nahi chahiye vicharik kiranti hi agla parivartan laegi.

  3. shashank pandey

    July 20, 2010 at 6:58 am

    BIKCHUKI HAI MEDIA KARAN HAI SIRF PAISA AUR JANTA BHI ISKAYLIYE DOSHI HAI KYO KI JANTA BHI BADE BRAND KI BIKI HUI KHABAR PADHNA CHAHTI HAI

  4. Alam Khan Editor

    July 23, 2010 at 12:13 pm

    Respt Sanjay Bhati sir, “SOOCHNA KA NIYAM” H/W akhbar nikalne se pahle mai Ambedkar nagar ki media me bahut achcha tha lekin akhbar nikale ke baad mai samajh nahi pa raha hu ki mere andar kya kami ho gai ki mere hi media dost meri burai karne lage. Mai kafi dino se soch raha tha lekin aap ka comment dekh kar sab samajh gya. ‘SOOCHNA TEAM’ Aap logo ke sath hai. Jarorat lage to jaror contac kare. Thank’s.B4M
    Alam Khan Editor Email:[email protected]
    cell:+919839372709

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement