: क्या है bhadas online solutions : क्या-क्या लाभ ले सकते हैं इस सेवा से : वेब मीडिया के बढ़ते असर को देखते हुए और इस राह में आने वाली मुश्किलों को समझते हुए भड़ास4मीडिया की तरफ से एक नई सेवा ‘भड़ास आनलाइन सोल्यूशन्स’ (BOS) शुरू किया जा रहा है. यह सेवा उन लोगों के लिए है जो स्तरीय और क्वालिटी साइट, लेआउट, वर्किंग, टेक्नालोजी और सर्वर को प्रीफर करते हैं.
ब्लाग या वेबसाइट बनाना बेहद आसान काम है. यह किसी के लिए फ्री, तो किसी के लिए कुछ सौ रुपये या फिर किसी के लिए कुछ हजार रुपये का काम है. पर देखा जाता है कि छह महीने साल भर बीतने के बाद भी ब्लाग या वेबसाइट को वो लोकप्रियता, रैंकिंग, चर्चा हासिल नहीं हो पाती, जिसकी वह हकदार है. इसके पीछे कई कारण है. कमजोर कंटेंट, स्तरहीन कंटेंट और कापी-पेस्ट किया हुआ कंटेंट तो जिम्मेदार है ही, साइट की घटिया कोडिंग और घटिया डिजाइन, घटिया सर्वर, ब्रांडिंग और प्रमोशन का अभाव, ज्यादा ट्रैफिक आने पर सर्वर व साइट का बैठ जाना, अटैक्स और वायरस का शिकार हो जाना, रेगुलर अपडेट न होना, नए साफ्टवेयर का अपलोड न होना… भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.
कुछ ऐसे लोग होते हैं जो शुरुआती दौर में वेब / ब्लाग को बनाकर चला ले जाते हैं पर सेकेंड फेज में, जहां उन्हें बेहतर सर्वर, बेहतर टेक सपोर्ट आदि की जरूरत होती है, वे चूक जाते हैं और नए दौर में साइट को नई उंचाई नहीं दे पाते. कई बार इस काम में उनका माइंडसेट भी बाधक बन जाता है. जैसे कि.. फिलहाल इतने सस्ते में वेबसाइट चल रही है, इसे महंगा करने की क्या जरूरत. या फिर ये कि सब कुछ तो ठीक है, इसलिए टेंपलेट-लेआउट बदलने की क्या जरूरत, आडियो-वीडियो-चैटिंग आदि जैसी सेवाएं पोर्टल पर शुरू करने की क्या जरूरत, ब्रांडिंग-प्रमोशन की क्या आवश्यकता… यह संतुष्टिदायक और आत्ममुग्ध सोच वेबसाइट को सफलता के नए लेवल पर ले जाने में रोड़ा पैदा करती है.
इन सेकेंड फेज वाले लोगों के लिए ‘भड़ास आनलाइन’ ज्यादा मददगार साबित होगा. हम लोगों का मानना है कि फर्स्ट फेज में डोमेन नेम बुक करा लेना, एक साइट बना लेना और उसको चलते हुए देख लेने जैसा सुख हर कोई अपने संपर्कों संबंधों और जानकारियों के आधार पर संभव करा लेता है पर जहां प्रोफेशनली, कंपनी की तरह रन करने, आपरेट करने की बात आती है तब एक उचित सलाहकार, उचित टेक्नाल्जी और सर्वर की जरूरत होती है. ऐसे ही समय में ‘भड़ास आनलाइन सोल्यूशन्स’ आपकी मदद कर सकता है. वैसे, हम लोग डो़मेन नेम बुक कराने, साइट बनाने, साइट होस्ट करने, सर्वर उपलब्ध कराने जैसे काम भी कराएंगे लेकिन यह उनके लिए नहीं होगा जो सबसे सस्ते की तलाश में हो.
सबसे सस्ते की तलाश वाले लोग कई जगह जब परेशान हो लेते हैं, थक हार कर काफी एनर्जी-टाइम व धन वेस्ट कर लेते हैं तब किसी क्वालिटी सर्विस प्रोवाइडर के पास पहुंचते हैं. अगर आपको विश्वसनीय सेवा चाहिए, इंटरनेट पर किसी भी तकनीकी या गैर-तकनीकी काम के लिए हेल्प चाहिए तो हमें मेल करें, हमसे संपर्क करें. हमारा मेल से पत्राचार का पता [email protected] है. सभी पत्राचार इसी मेल आईडी के जरिए किए जाएंगे.
इस भड़ास आनलाइन सोल्यूशन्स को शुरू किया है भड़ास4मीडिया के संस्थापक यशवंत सिंह ने. उनका कहना है कि भड़ास की अब तक की यात्रा में जितने उतार चढ़ाव देखे हैं, उसके बाद यही लगा कि आने वाले समय में किसी भी कंटेंट वाले या नए बंदे को वेबसाइट, पोर्टल आदि चलाने को लेकर उस परेशानी का सामना नहीं करना चाहिए, जो उन्होंने खुद भड़ास4मीडिया को चलाते हुए झेला है, भुगता है.
यशवंत के मुताबिक कई बार हमारे लिए पैसे कम कराना या सस्ती सेवा लेना प्रमुख एजेंडा नहीं रहता, हम पैसे देने चाहते हैं पर सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है विश्वसनीय सेवा का मिल पाना, सही आदमी को तलाश पाना. इंटरनेट की दुनिया में कदम-कदम पर लुटेरे हैं. कदम कदम पर धोखेबाज हैं. ऐसे में सही सर्वर, सही साइट, सही कोडिंग, सही ट्रेनिंग, सही सुझाव को तलाश पाना मुश्किल हो जाता है.
भड़ास आनलाइन सोल्यूशंस के जरिए हमारी कोशिश रहेगी कि हिंदी में किसी भी तरह की साइट चलाने के इच्छुक लोगों को विश्व स्तरीय सेवा प्रदान की जाए. साथ ही उन्हें ट्रेंड भी किया जाए जिससे टेकनालजी की इस अबूझ दुनिया को पूरी तरह समझ कर इसे इंज्वाय करते हुए अपने काम को अंजाम दे सकें. यशवंत के मुताबिक भड़ास वेब सोल्यूशंस पर काम काफी पहले शुरू कर दिया गया था. अब जाकर इसे मूर्त रूप दिया जा रहा है क्योंकि इस सोल्यूशन के लिए कई काबिल कंटेंट प्रोवाइडर्स, तकनीकी एक्सपर्ट, वेब विशेषज्ञों, सर्वर प्रोवाइडर्स से संपर्क साध कर उनसे एसोसिएशन किया जा चुका है.
भड़ास आनलाइन सोल्यूशन्स ने हर फील्ड की जानी-मानी कंपनियों से उनकी सेवाएं ली हैं ताकि स्तर व गुणवत्ता को कायम रखते हुए एक ही जगह हर चीज को उपलब्ध कराया जा सके. इस सेवा का नेतृत्व सीधे यशवंत सिंह ही करेंगे. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है. फिर देर क्या, अगर आपके मन में वेबसाइट बनाने से लेकर किसी भी तरह का आनलाइन काम करने को लेकर कोई सोच, विचार, आइडिया पनप रहा है तो हमें फौरन लिख भेजिए [email protected] पर. चाहें तो नीचे के कमेंट बाक्स के जरिए भी आप bhadas online solutions टीम से संपर्क कर सकते हैं.
Bhadas Online का क्या होगा काम…
ब्लाग और वेब से संबंधित सेवाओं के बारे में सलाह देना.
न्यूज या नान-न्यूज साइट डेवलप करना.
आडियो, म्यूजिक, टेप, मोबाइल रिकार्डिंग अपलोड करने वाला पोर्टल बनाना.
वीडियो, स्टिंग, मोबाइल वीडियो, यूट्यूब वीडियो को अपलोड करने वाला पोर्टल बनाना.
सर्वर प्रोवाइड करना. स्तरीय और स्पीडी सर्वर से साइट को जोड़ना ताकि शीघ्र खुले.
साइट होस्ट करना. साइट के लगातार चलते रहने की गारंटी करना. अटैक से बचाना.
साइट को प्रमोट करना. चर्चा-चलन में लाना.
रैंकिंग बेहतर कराना. नए यूजर्स को साइट से जोड़ना.
साइट के कंटेंट की मानीटरिंग करना और उसे दुरुस्त कराना.
फ्लाप वेबसाइटों को नए सिर से खड़ा कर पाने में मदद देना.
कंटेंट, पिक्चर, आडियो, वीडियो खुद अपलोड करने की ट्रेनिंग देना.
ब्लाग को वेबसाइट में तब्दील करना और सफलता पूर्वक संचालन कराना.
न्यू मीडिया, वेब, ब्लाग की दुनिया को समझने-समझाने में मदद करना.
न्यू मीडिया में सक्रिय होने के लिए ट्रेनिंग देना. कंसल्टेंसी प्रोवाइड करना.
आनलाइन दुनिया की अन्य सेवाओं (डोनेशन सेवा, लाइव टेलीकास्ट सेवा आदि) को प्रोवाइड कराना.
उपरोक्त सभी सेवाएं पेड हैं. इसके बारे में अधिक जानकारी [email protected] पर मेल भेजकर ले सकते हैं.
AKHILESH UPADHYAYA
September 29, 2011 at 12:47 pm
आपका यह प्रयास बहुत अच्छा होगा उन लोगो के लिए जो नेट जौर्नालिसमे में कमजोर है
rishi yadav
October 12, 2011 at 7:15 pm
sir m mass comm ka sudent hu. pr ab mere samajh nahi aaraha m aage kya karun m bahut confused or koi news channel m nahi mil raha h jisme m kaam karun
Daulat bharti
October 16, 2011 at 7:59 am
yaswant ji networking ke madyam se hum apni patrika ki circulation karna chahte hain. india men network marketing abhi matr 3% Hai jabki Dev loped country men yah 35 se 40 % tak hai. kiky aap iska software banane men hamari madad kar sakte ho. please send your contact no.
my no is. 8054310441
kunvar sameer shahi
November 22, 2011 at 9:47 pm
wah sir ji aapne to hamare jaise na jane kitne logo ki muskile aasan kar diya…aasha hai bhdas4media ki trh yeh paryas bhi apni bulandiyo ko cchuyega..
raj
December 1, 2011 at 1:23 pm
kashish news ranchi se sanchalit hota hai…lekin iska input head krishna bihari madar chod hai…karmiyon ko pratadit karta hai…aur muft ki roti khata hai…apne aap ko jharkhand ka pahla electronic media journalist manata hai…kafi ghamand hai use apne aap par…jabki sachchai yah hai ki krishna bihari mishra ko jharkhand ka ek khabar bhi pata nahi hota hai…reporter ke daM PAR HI CHANNEL HEAD KO KHUSH KARNE ME LAGA RAHTA HAI…AUR KHABAR CHUT JAYE TO REPORTERON KE GAND ME BAANSH KARTA HAI…SABHI REPORTER AUR CHANNEL KARMI ISE KAMINA BHOSHDI…MADARCHOD KAHTE HAI…LEKIN KBM KO SARM NAHI
Suresh Kumar
December 25, 2011 at 9:37 pm
Dear Sir,
My name is Suresh, before months i have watch some news about PACL India Ltd., I want to share with some fact regarding this. Its totally fraud company.
After that news more chitfund company have active because no any action taken by administration. Approx 50 more company (KMJ, JKV, Icogreen, Pranam India & more) run on this basis that when PACL run why should we not. Customer have deposit their money on guidance of agents.
PACL India have now change his name third time now it come as PACL Ltd. & Witalsee Marketing P. Ltd.
Pearls Green Forest – Pearls Agrotech Corporation Limited – PACL India Ltd. – PACL Limted & Witalsee
They have not any registration with NBSC/RBI/SEBI/Society.
MP & Rajsthan have already take action but i can’t understand why UP not publise it… see these links…
http://www.bhaskar.com/article/c-10-1360986-2639681.html
http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-head-of-pisiel-arrested-jaipur-2638313.html
http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1656863-2638226.html
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=12&edition=2011-12-13#
http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-pacl-3-million-from-the-accounts-including-branch-managers-8-arrested-2643774.html
I want to share some attachment regarding this I have collect this after last 2 months labour.
Please share this by your TV channel, Only Media can publish the realty of PACL India Ltd. nhi to bahut sari aur company bindas kam karegi aur aam admi ko ullu bana k baag jayegi.
Check attachment regarding more details of PACL India and save country. Now only media can stop to educate people.
suresh
vikas kumar popli
January 5, 2012 at 5:17 am
sir mee pacl mee SR E E HU AUR DISH TV MEE PRIVATE JOB BHEE KARTA HU MEE APNA MOBILE RECHARGE KA SERVER LAGANA CHATA HU PLEASE GUIDE
dilip
January 17, 2012 at 10:41 pm
Who ever is writing about pacl…either he is an ignorant person or a paid agent by competitors……..
vikas kumar
March 11, 2012 at 8:39 pm
suresh apna mobile no. meri mail id par send kar
[email protected]
ajay
April 5, 2012 at 2:59 am
sir ji kiya news portal chalu karne ke liye koi sarkari karyvahi kani padti hai agar ha to mail karne ki krpa kare ya call kare
mo=9935930825
HARISH
April 24, 2013 at 8:22 pm
good job]
pankaj kumar
July 20, 2013 at 2:26 am
like u
chintu gupta
December 2, 2013 at 12:58 am
स्वतंत्र चेतना के प्रबंधक आर सी गुप्त ने कर्मचारियों को पिटा
rajendra rajak
April 28, 2014 at 4:49 am
एक तरह की चर्चा अखबारों में प्रकाशित खबर को लेकर हो रही है जिसका कि एक पे्रस नोट सभी समाचार पत्रों के दफ्तरों में ई-मेल किया गया था जिसके आधार पर न्यूज अखबारों में छपी और चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। लेकिन कुछ लोग कह रहे हैं जिस ई-मेल आईडी से मेल किया गया है वह ऐसे मेल किये जाने का मना कर रहे हैं। जबकि इस बात पर गौर करना चाहिये कि कोई भी व्यक्ति किसी की भी आईडी उपयोग नहीं कर सकत है यदि करता है तो यह दोष उसी व्यक्ति का होता है।
कहा यह भी जा रहा है कि जिस व्यक्ति ने पत्रकारों को खाने पर बुलाया था वह व्यक्तिगत था। जबकि आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की तरह भी राजनैतिक पार्टियों के जिलाध्यक्ष चौबीसों घंटे जिलाध्यक्ष ही होते हैं और पत्रकार चौबीसी घंटे पत्रकार। कहा जा रहा है कि जिस दल के जिलाध्यक्ष द्वारा यह पार्टी दी गई थी उन्होंने कई पत्रकारों को खाने पर आमंत्रित नहीं किया तो पोल खोल दी। स्वाभाविक भी है।
मैं यहां पर पूछना चाहता हूं कि जब कभी पत्रकारों के कार्यक्रम होते हैं तब पत्रकारों को ढूँढकर कार्यक्रमों में सम्मिलित किया जाता है लेकिन जब बात अधिकारों और हकों की आती है तो पत्रकार संगठनों के अध्यक्ष क्यों साथी पत्रकारों की बात नहीं रखते हंै। क्यों नहीं कहते आमंत्रित कर्ताओं से कि सभी को बुलाया या नहीं। मुझे भी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन में उपाध्यक्ष का पद दिया गया है हर बार मेरी यह मांग रहती है कि सभी को समान भावनाओं से नवाजा जाये ना कि चंद लोगों को।
मैं यहां पर कहना चाहूता हूं कि पत्रकार के नैतिक दायित्व हजार हैं। लेकिन वह उनको भुलाकर आज व्यवसायिक हो चुके हैं फिर भी हमारे नैतिक कर्तव्यों को हम नहीं छोड़ सकते हंै। आज लोग पत्रकारिता में सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के लिये हैं मैं यह नहीं कहता हूँ लेकिन हम पत्रकारिता के स्तर से सोचना ही नहीं चाहते हैं। यदि पार्टिंयों में कोई भी पत्रकारों को बुलाये तो साफ कहना चाहिये कि पहली बात आप सभी पत्रकारों को आमंत्रित करें नहीं तो किसी को भी नहीं बुलायें दूसरी बात किसी से कोई भेदभाव ना हो। लेकिन आज भेदभाव जारी है। साथ पत्रकारों की यदि व्यक्तिवादी जरूरतें हैं तो वह अपने घर पर भी चुपचाप ढंग से पूरी कर सकता है फिर क्या आवश्यकतायें हैं दूसरों के सामने डंका बजाने की यह पहला अवसर भी नहीं है नपा चुनावों में खूब शाकाहारी भोजन के साथ वाईन का शौक चला था ऐसा क्यों है।
मुझे मप्र श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष
शलभ भदौरिया की एक बात याद आती है जब उन्होंने अशोकनगर में एक कार्यक्रम में यह कहा था कि एक समय जब पत्रकार को लोग चाय पिलाना सौभाग्य समझते थे और उन्हें गर्व होता था कि आज हमने एक पत्रकार को चाय पिलाई लेकिन आज लोग पत्रकारों को अच्छी निगाहों से नहीं देखते हैं।
यहां पर कहना इसलिये है कि आज पत्रकारिता खींचतान की हो गई है पत्रकार एक दूसरे की बात काटते हैं खबरों को लेकर एक दूसरे पर तीर छोड़ते नहीं थकते हैं। ऐसी जरूरत क्यों पड़ रही है कि हम ही पत्रकार जगत के लोगों पर भद्दे कमेंट्स कर रहे हैं। खबरों पर बढ़चढ़कर खबर छापते हैं। नगर की समस्यायें छोड़ हम सिर्फ अपनी मनमर्जी में ही लगे रहते हैं। कृषि उपज मण्डी में आज ढेरों समस्यायें हैं फिर भी लोगों को वहां की समस्यायें नहीं दिख रहीं हैं। सबकुछ ऐसे अखबारों में परोसा जा रहा है कि कुछ समस्या है ही मण्डी में पानी की समस्या विकराल है फिर भी बताया जा रहा है कि आधुनिक प्याऊ का निर्माण हो रहा है। मण्डी में भ्रष्टाचार जारी है नालियों को जमीन में दफन किया जा रहा है लेकिन फिर भी अखबारों में तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं ना कि समस्याओं को उठाया जाये। इस विषय पर कभी पत्रकार संगठनों की कोई बैठक आयोजित नहीं होती है आखिर क्यों?
विजय जैन
May 31, 2014 at 6:26 pm
आज 31 /5/2014 दैनिक भास्कर इंदौर कर्यालय पर भी कर्मचारियों से hr डिपार्टमेंट द्वारा मजेठिया वेज बोडॉ की अनुशंशाये न लागु करने हेतु HR डिपार्टमेंट एवम वरिष्ठ अधिकारियो द्वारा जबरन दबाव बना कर
न साईंन कराइ जा रही है या साईंन न करने की स्तिथि में टर्मिनेट करने का आदेश दिया जा रहा है ।क्रप्या इस आपील पर ध्यान दिया जाये .
rajkumar sathi
December 11, 2014 at 2:12 am
pls tell ur font, because i cant read ur website due to font