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मंत्री बोले- नक्सलवादी प्रजातंत्र के विरोधी

: विश्वरंजन बोले- नक्सलवाद और माओवाद एक ही है : पत्रकारों और मीडिया से नक्सलियों की बात न छापने की अपील : छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने राजनांदगांव में ‘नक्सलवाद एक आंतरिक समस्या’ पर आयोजित विचार गोष्ठी में कहा कि नक्सलवादी  प्रजातंत्र के विरोधी हैं।

: विश्वरंजन बोले- नक्सलवाद और माओवाद एक ही है : पत्रकारों और मीडिया से नक्सलियों की बात न छापने की अपील : छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने राजनांदगांव में ‘नक्सलवाद एक आंतरिक समस्या’ पर आयोजित विचार गोष्ठी में कहा कि नक्सलवादी  प्रजातंत्र के विरोधी हैं।

नक्सली हिंसा का रास्ता अपनाकर विकास के मार्ग में बाधक बन गये हैं। इनकी हिंसक गतिविधियों की वजह से आज छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों के लोग पीड़ित हैं। आये दिन इनके द्वारा की जाने वाली बेकसूरों की हत्या से जनमानस उद्वेलित है। यही वजह है कि नक्सलियों के खिलाफ बस्तर में आम जनता का आंदोलन सलवा जुडूम शुरू हुआ है।

विचार गोष्ठी का आयोजन श्रमजीवी पत्रकार संघ की राजनांदगांव इकाई ने किया। जिले के मानपुर, मदनवाड़ा, कोरकोट्टी में बीते वर्ष 12 जुलाई को पुलिस अधीक्षक वी.के. चौबे सहित 29 जवानों की शहादत की प्रथम पुण्यातिथि पर स्थानीय महाराष्ट्र मंडल भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गृहमंत्री श्री कंवर ने आगे कहा कि नक्सली समस्या नि:संदेह एक आंतरिक समस्या है। यह अपने बीच के ऐसे लोगों द्वारा, जो रास्ता भटक गये हैं, पैदा की गई है।

श्री कंवर ने कहा कि भटके हुए लोगों को मुख्य धारा से जोडऩे के लिये जनजागरण जरूरी है। इस मौके पर उन्होंने सलवा जुडूम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विशुद्ध रूप से बस्तर के वनवासियों द्वारा नक्सलियों के हिंसा से त्रस्त होकर शुरू किया गया। यह जन आंदोलन है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे सरकार द्वारा संचालित आंदोलन बताकर भ्रम पैदा कर रहे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लडऩे वालों का मनोबल न गिरे, यह हम सबकी जवाबदारी है।

सांसद श्री मधुसूदन यादव ने विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि नक्सलवाद देश के लिये खतरा बन चुका है। इससे निपटने के लिये शासन-प्रशासन जो कुछ कर रहा है, उसमें जनता की भी भागीदारी जरूरी है। उन्होंने नक्सलवाद को महिमा मंडित करने के बजाए इसकी भर्त्सना करने की अपील की। श्री यादव ने कहा कि पुलिस जवानों की शहादत को सलाम करने के लिये आयोजित इस कार्यक्रम से एक अच्छा संदेश जाएगा और पुलिस का मनोबल बढ़ेगा।

इस मौके पर छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक श्री विश्वरंजन ने नक्सलवाड़ी आंदोलन से लेकर आज तक की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद और माओवाद एक ही है। इसमें किसी भी तरह के शक की गुंजाईश नहीं है। नक्सली बंदूक के बल पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं। आतंक इनका बुनियादी आधार है। हम सबको इनके खिलाफ एकजुट होने का संकल्प लेना होगा। हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि, जो लोग नक्सलियों को उखाड़ फेंकने के लिये लड़ रहे हैं, उन्हें संबल प्रदान करें।

पुलिस महानिदेशक ने नक्सलियों द्वारा अपने प्रभुत्व के लिये अलग-अलग क्षेत्रों में अपनायी गयी रणनीति के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद एक घृणित विचार व सोच है। इस मौके पर उन्होंने राज्य में सीआरपीएफ व पुलिस जवानों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई की तारीफ की।

संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री लीलाराम भोजवानी ने कहा कि नक्सल समस्या देश व राज्य के लिये गहन चिंता का विषय बन गई है। इसके खिलाफ सभी को एकजुट होने की जरूरत है। हिंसा को रोकने के लिये सबको आना होगा। श्री भोजवानी ने कहा कि नक्सलियों के बर्बर कारनामों पर रोक लगाने के लिये जमकर जनता सामने नहीं आएगी। इनके हौसले पस्त नहीं होगे। इस मौके पर उन्होंने शहीद पुलिस अधीक्षक व्ही.के. चौबे की कर्तव्य-निष्ठा व व्यवहार की सराहना की।

महापौर श्री नरेश डाकलिया ने कहा कि नक्सलियों का कृत्य घिनौना व देशद्रोह का है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए जवानों का लहू बेकार नहीं जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि शीघ्र ही नक्सलवाद का खात्मा होगा। मंडी उपाध्यक्ष श्री कोमल सिंह राजपूत ने कहा कि नक्सली नहीं चाहते कि आदिवासी क्षेत्रों का विकास हो और वनवासी शिक्षित हों। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ हर कोई उठ खड़ा हो, ऐसे वातावरण का निर्माण होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मीडिया इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। नक्सली समस्या नासूर बन चुकी है। इसे ठीक करने के लिये आपरेशन जरूरी है। श्री राजपूत ने कहा कि नक्सली भटके हुए लोग नहीं, बल्कि देशद्रोही हैं। इनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा रहम के लायक नहीं होती। नक्सलियों से नरमी दरअसल अपने आप को धोखे में रखना है।

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वरिष्ठ पत्रकार श्री शरद कोठारी ने कहा कि नक्सल समस्या से कमोबेश सभी लोग पीडि़त हैं। रोज नक्सली हिंसा हो रही है। पिछले कुछ वर्षों से इसने भयावह रूप धारण कर लिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस के खिलाफ शुरू हुई यह समस्या आज आम ग्रामीणों की समस्या बन गई है। श्री कोठारी ने कहा कि शुरुआती दौर में नक्सलवाद एक सैद्धांतिक विचारधारा थी। भूमि सुधार का आंदोलन था। यह बाद में माओवाद से जुड़ गया। आज यह विचारधारा विद्रूप हो गई है। नक्सली अब निहत्थों को भी मारने लगे हैं। यह दुखद बात है।

श्री कोठारी ने कहा कि आज तक यह देखने और सुनने में नहीं आया कि नक्सलियों ने जिन क्षेत्रों में अपना आतंक व प्रभुत्व जमाया है उस इलाके में उन्होंने जनसामान्य की भलाई का कोई काम किया हो। इनका उद्देश्य सिर्फ अराजकता उत्पन्न करना है। नक्सली आज आम जनता के जीवन से जुड़े संसाधनों व सुविधाओं को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह पूर्ण अराजकता का आंदोलन है। इनका कोई सिद्धांत नहीं, कोई राजनीति नहीं।

श्री कोठारी ने कहा कि नक्सलवाद के नाम पर कुछ मौका परस्तों ने अपना गिरोह बना लिया है। वह चाहते हैं कि यह राज्य लुटेरों व चंदा वसूलने वालों का राज्य बन जाये। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि कुछ बड़े संत व मुनि शांतिदूत बनकर नक्सलियों की हिमायत करते हैं और शांति वार्ता की बात कहते हैं।

श्री कोठारी ने कहा कि नक्सलवाद की समस्या को लंबा खींचने की जरूरत नहीं है। इससे यह समस्या और जटिल होती जाएगी। उन्होंने श्रीलंका व अफगानिस्तान का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां के आतंक व हिंसा को खत्म करने के लिये सेना का सहारा लिया गया था, तो फिर नक्सली हिंसा को खत्म करने के लिये सेना के उपयोग के बारे में असमंजस की स्थिति क्यों है?

इस मौके पर दुर्ग रेंज के आईजी आरके विज ने कहा कि सलवा जुडूम आंदोलन की वजह से अपनी जमीन खिसकते देख नक्सलियों ने हिंसा का तांडव शुरू कर दिया है। नक्सली वनांचल के विकास में बाधक बन गये हैं, अब तो यह शिक्षा के भी विरोधी हो गये हैं। इन्होंने जिन क्षेत्रों और जिन लोगों के यहां पनाह ली है उनको आंसूओं का सैलाब और लाशों का ढेर दिया है। नक्सलियों ने भ्रम की स्थिति पैदा कर रखी है। इनके मंसूबे ठीक नहीं हैं।

डीआईजी श्री तोमर, श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री अरविंद अवस्थी, पत्रकार राशिद जमाल ने भी कहा कि नक्सलवाद एक गंभीर समस्या के रूप में हम सबके सामने हैं। इसके खात्मे के लिये एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने मीडिया से नक्सलियों के खिलाफ वातावरण तैयार करने की अपील की। प्रदेश अध्यक्ष श्री अवस्थी ने कहा कि नक्सली पीठ में छुरा भोंक रहे हैं। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है।

उन्होंने नक्सलियों के समाचार व विज्ञप्ति को, समाचार पत्रों में जगह न दिये जाने की अपील पत्रकार साथियों से की। श्री अवस्थी ने इस आयोजन के लिये श्रमजीवी पत्रकार संघ की राजनांदगांव इकाई को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस मौके पर उन्होंने सर्वश्री किशोर सिल्लेदार, अतुल श्रीवास्तव सहित संघ से जुड़े सभी पत्रकार साथियों की हौसला अफजाई करते हुए उनका धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में समस्त अतिथि वक्ताओं व उपस्थितजनों द्वारा अमर शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

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0 Comments

  1. kamta prasad

    July 13, 2010 at 7:52 am

    बिना जनता को साथ लिए कोई आंदोलन नहीं होता। यह सही है कि माओवाद और नक्‍सलवाद एक ही है और यह मजदूर वर्ग का जीवनदर्शन है।
    जनता माओवादियों का साथ न दे यह तभी होगा जब यह व्‍यवस्‍था उन्‍हें इंसान माने और वह भी करनी में ।

  2. समरेंद्र

    July 13, 2010 at 8:43 am

    [b]क्यों भूल गए रमन सिंह[/b]
    छत्तीसगढ़ में चाऊर वाले बाबा और गरीबों के दुख-दर्द को समझने वाले मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की सरकार से यह भूल कैसी हो गई। 12 जुलाई को मदनवाड़ा नक्सली हमले को एक साल पूरे हो गए। आज के इस काले दिन को याद करते हुए राज्य की करोड़ों नम आंखों ने हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजिल अर्पित की। राज्य सरकार के मुखिया डॉ रमन सिंह ने भी इस हमले में अपनी जान गंवाने वाले शहीद एसपी वीके चौबे के घर जाकर परिवार वालों को सांत्वना दी। एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री ने सालभर पहले शहीद चौबे के परिवार से किए अपने वादे को भी पूरा किया। उन्होंने बिना किसी तामझाम के शहीद चौबे के घर जाकर उनके बेटे को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने का पत्र भी सौंपा। निश्चित ही मुख्यमंत्री ने इस परिवार को आज के दिन सच्ची संवेदन व्यक्त की है। लेकिन मुख्यमंत्रीजी इस हमले में रायपुर का एक और जवान संजय यादव की शहादत भी उतनी महत्वपूर्ण हैं, जितनी किसी आईपीएस अधिकारी की। इस परिवार में संजय ही एक कमाऊ पूत था। राज्य सरकार ने उसकी विधवा को अनुकंपा नियुक्ति और सहायता राशि दी है, लेकिन उसके बूढे और गरीब माता-पिता का संजय के अलावा कुछ और नहीं था और अपने जवान बेटे की बहादुरी के बोल सुनकर उनका सीना गर्व से ऊंचा हो जाता है। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी तरह राज्य का हर व्यक्ति और सरकार को भी उनके लाल पर उतना ही गर्व है। इसी उम्मीद में आज के दिन उन्होंने अपनी झोपड़ी में कुर्सी लगाकर घंटो इंतजार किया कि कोई वीआईपी आएगा और बेटे की शहादत को याद करके सांत्वना के दो बोल कहेगा। लेकिन उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री से यह चूक कैसी हो गई।
    हिंदूस्तान और छत्तीसगढ़ की धरती की रक्षा के लिए अपनी जान गंवाने वाले जवान को नमन- समरेंद्र, रायपुर

  3. Syed Shoaib Ali

    July 14, 2010 at 5:42 am

    We are realy pray to god for Shahid Mr V.K.Choubey..and feeling happy to no about his son he was now dupty collector in chhattisgarh government….All iz well.. but please Dear CM Dr Raman Ji Give batter opportunity to other SHAHID pupil’s families like constable post graduate son brother etc Plz don’t make SHIKSHA KARMIS him..

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