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स्टार न्यूज ने भी पी7 न्यूज की मंदर कंपनी पीएसीएल के खिलाफ खबर दिखाई

नवभारत टाइम्स के बाद अब स्टार न्यूज ने भी पी7 न्यूज चैनल चलाने वाली कंपनी का भंडाफोड़ शुरू कर दिया है। आमतौर पर मीडिया हाउस एक दूसरे की निगेटिव खबरें दिखाने से बचते हैं लेकिन स्टार न्यूज ने शनिवार दोपहर दो बजे के बुलेटिन में पी7 न्यूज चैनल चलाने वाली पीएसीएल के फर्जीवाड़े को लीड स्टोरी बनाया और पांच मिनट तक चैनल पर चलाया।

नवभारत टाइम्स के बाद अब स्टार न्यूज ने भी पी7 न्यूज चैनल चलाने वाली कंपनी का भंडाफोड़ शुरू कर दिया है। आमतौर पर मीडिया हाउस एक दूसरे की निगेटिव खबरें दिखाने से बचते हैं लेकिन स्टार न्यूज ने शनिवार दोपहर दो बजे के बुलेटिन में पी7 न्यूज चैनल चलाने वाली पीएसीएल के फर्जीवाड़े को लीड स्टोरी बनाया और पांच मिनट तक चैनल पर चलाया।

स्टार न्यूज ने अपने चैनल पर बंपर में पी7 न्यूज चैनल का जिक्र भी किया। पीएसीएल, पी7 न्यूज के अलावा समाचार पत्रिका “शुक्रवार”, बिजनेस पत्रिका ”मनी मंत्रा” और महिलाओं पर आधारित पत्रिका “बिंदिया” भी निकालती है। ग्वालियर में पीएसीएल सहित 33 चिटफंड कंपनियों के फर्जीवाड़े का पता लगने के बाद शनिवार को अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की गई है। इन कंपनियों के खाते सील कर दिए गए हैं, बल्कि इनके कामकाज पर भी रोक लगा दी गई है। स्टार न्यूज ने कमिश्नर के हवाले से बताया है कि ये कंपनिया पालतू जानवरों मुर्गी, भेड़ और बकरी पालन के नाम पर भोले भाले निवेशकों को ठग रही थी। इनमें से पीएसीएल पर फर्जी जमीन दिखाकर निवेशकों को चूना लगाने के नाम पर कार्रवाई की गई है।

स्टार न्यूज ने बंपर बनाकर और कमिश्नर की बाइट के आधार पर पीएसीएल का कच्चा चिट्ठा खोला और उसे धोखेबाज, फर्जी और भोले भाले निवेशकों की खून पसीने की कमाई चूसने वाली कंपनी तक करार दिया। दो दिन पहले नवभारत टाइम्स के बिजनेस रिपोर्टर ने सेबी के हवाले से पीएसीएल के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया था और बिजनेस पेज पर लीड स्टोरी बनाया था। पीएसीएल के खिलाफ सेबी का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अपने कथित गड़बड़ कामों को दबाए रखने के लिए पीएसीएल ने सन 2009 में मीडिया में निवेश किया। इसके बाद से पी7 न्यूज में कई ऐसे लोगों की भर्ती हुई जो कंपनी को फायदा पहुंचा सकते थे।

कुछ राजनीतिज्ञों के फोन करवाके कई लोग चैनल में महत्वपूर्ण पद पर आ गए हैं। लेकिन उसके बाद भी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई रुक नहीं रही है। इसको लेकर कंपनी के संचालक खासे नाराज हैं। हालिया घटनाक्रम के बाद चैनल के प्रबंधकों पर सब कुछ मैनेज करवाने का दबाव बढ़ गया है। खबर है कि चैनल के संचालक बड़े बिजनेस रिपोर्टरों से संपर्क साधने में जुटे हैं, जो सेबी से उसे राहत दिलवा सके।

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0 Comments

  1. jagdish verma

    July 2, 2011 at 4:24 pm

    Media me aane ke bad pacl ne isi aadhar par apna karobar or bada liya h, iske nivesako me gramin or kam padhe logo ko jyada target kiya jata h.

  2. श्रीकांत सौरभ

    July 2, 2011 at 4:39 pm

    न्यूज़ चैनल पी7 पर उसकी मदर कंपनी पीएसीएल की आड़ में लोगों को गुमराह कर उनके खून-पसीने की कमाई को हड़पने का लगा आरोप काफी संगीन है.यह पूरे मीडिया जगत के लिए शर्म की बात है.तुरत-फुरत पैसे कमाने की लालच में ऐसे ही नाजायज काम करने वाली कंपनियों के पत्रकारिता कारोबार में आने से मीडिया का साख गिरा है.नवभारत टाइम्स और स्टार न्यूज़ ही क्यों भारत के तमाम मीडिया ग्रुप को ऐसी खबरों को उछालना चाहिए. श्रीकांत सौरभ मो.9473361087

  3. manoj saini

    July 3, 2011 at 5:55 am

    kisi ko bhi ye hak nahi hona chahiye ke garib logo ko sapane ki duniya dikhakar unhe lut lena ye aparadh hai isake khilaf kadi karwahi honi chahite

  4. BIJAY SINGH

    July 3, 2011 at 6:44 am

    HAMMAM ME SABHI NANGE HAIN ,KOYI TODA KOYI JADA…….

  5. chetan

    July 3, 2011 at 6:54 am

    ye bahut hi vichitra bat hai. log kahte hain ki media samaj ka aina hota hai. lekin aaj aina hi apni surat nahin dekh pa rahe hain. desh me netaon ke brastachar ki bat karne wale media samuhon ko apne andar jhankne ki jarurat hai. dalal kism ke log aaj patrakar kahe ja rahen hain. aur jo sahi me patrakar hain wo hasiye par chale gaye hain. ye meri patrakarita ka anubhaw hai. jabtak aise media walon se chutkara nahin milta hai. samaj ko badrang karne walon ka fehrist jari rahega. hum aur aap gumsum chupchap dekhte rahenge. media me uche post par baithe jyadatar log dalal, ladkibaj, aur ser ki khal pahne bhendiye hain. jinke pas gyan bhale hi na ho. likin is bat ka gyan jarur hai ki kaise logon ko exploit kiya jay.

  6. SANTOSH PATWA

    July 3, 2011 at 9:18 am

    देर से आए लेकिन दुरुस्त आये, जी हां यह कहावत यथार्थ है क्योंकि आज जो कार्रवाई पीसीएल के खिलाफ हुई है यह बहुत पहले ही हो जानी थी। पता नहीं अभी तक क्यों के मामला दबा हूआ था जबकि पीसीएल जैसी चीट कंपनी का भंडाफोड लेमन न्यूज चैनल ने काफी दिनो पहले ही कर दिया था लेकिन उसके बावजूद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। राजीव बजाज ने तो इस खबर को करीब 1 महीने से ही ज्यादा अपने न्यूज चैनल पर चलाया होगा लेकिन तब किसी की नींद नहीं खुली। चलो ठीक है बाकी मीडिया वालो ने भी अब पीसीएल या यू कहें कि p7 News Channel के खिलाफ खबरें दिखानी शुरु कर दी हैं। अमूमन यह देखा गया है कि कोई भी समाचार पत्र या समाचार चैनल एक दूसरे के खिलाफ खबर नहीं दिखाते लेकिन जब मामला ऐसे फर्जीवाडे को हो तो चाहे मीडिया के खिलाफ ही क्यों ना छापना या दिखाना पड़े, इससे किसी को भी गुरेज नहीं होनी चाहिए। अगर अभी पीसीएल पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले दिनो में बड़े-बड़े उद्योगपति भी समाचार चैनल और समाचार पत्र खोलकर अपनी काले धंधे को मीडिया की आड़ में चलाने का काम करते रहेगे।

  7. HARISH DHAKER

    July 3, 2011 at 5:05 pm

    PACL लोगो को लगभग 30 सालो से पैसा वापस दे रही थी अब सरकार कंपनी को फर्जी बता रही है 30 सालो तक क्या सरकार सो रही थी कपनी पर सरकार को पहले ही नियत्रन रखना चाहिए था कपनी की हर साल रिपोर्ट लेनी चाहिए थी ।
    Harish Dhaker
    9929984150

  8. harishankar sen guna

    July 7, 2011 at 9:17 am

    prsashan ke kade rukh ke bad bhi pacl man nahi rahi hai guna me dhra 144 lagi hone ke bad bhi guna ki branch me naya amuont jama kiya jis par guna police ne dhara 144 ka ulanghan karne par compny ke 5 adhikariyo par dhara 188 ke thhad mamla darj kiya hai.sat hi compny ke ajant puri tarha media ko dosi man rahe hai ab unhe kun samjhhe ki media samaj ka aina hai wha samai ko unka aina dikha rahi hai

  9. MANOJ GARG

    July 12, 2011 at 7:20 am

    या होगा लेकिन तब किसी की नींद नहीं खुली। चलो ठीक है बाकी मीडिया वालो ने भी अब पीसीएल या यू कहें कि p7 News Channel के खिलाफ खबरें दिखानी शुरु कर दी हैं। अमूमन यह देखा गया है कि कोई भी समाचार पत्र या समाचार चैनल एक दूसरे के खिलाफ खबर नहीं दिखाते लेकिन जब मामला ऐसे फर्जीवाडे को हो तो चाहे मीडिया के खिलाफ ही क्यों ना छापना या दिखाना पड़े, इससे

  10. kushal pathak

    July 18, 2011 at 11:01 am

    pacl ke bare me jo bhi arop lgaye ja rahe he vo log bahut hi nadan he aur ase logo ko shayad mental hospital me jane ki jarurat he. company ka 30 years ka track record bahut acha he. company ne apne har customer ka pesa time se diya he, aur jo company Jaypur highcourt se mukdma jit chuki ho, aur jiska case supreme court me last 10 year se chal raha ho aur sebi bhi comapny ke against kuch alligation proff nahi kar payi to nasamj log kyon dusprachar kar rahe he. plz fist collect full information then said about company

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