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ये खबर पेड न्यूज है या नहीं?

मेरठ से एक सज्जन का मेल आया है. उन्होंने लिखा है कि दैनिक जागरण, मेरठ एडिशन में ‘पेड न्यूज’ का प्रकाशन हुआ है. पर उन्होंने जो कटिंग भेजी है, उसमें खबर के नीचे साफ-साफ ADVT लिखा हुआ है. जाहिर है, यह पेड न्यूज नहीं है. विज्ञापन है, जिसे खबर की शक्ल में प्रकाशित किया गया है और अंत में ADVT लिख दिया गया है. खबर को अलग रखने के लिए इसे विज्ञापनों के बगल में व बाक्स में प्रकाशित किया गया है. जिन सज्जन ने मेल भेजा है , उन्होंने लंबा-चौड़ा राइटअप भी भेजा है, जागरण को गरियाते हुए. उसमें उन्होंने लिखा है-

मेरठ से एक सज्जन का मेल आया है. उन्होंने लिखा है कि दैनिक जागरण, मेरठ एडिशन में ‘पेड न्यूज’ का प्रकाशन हुआ है. पर उन्होंने जो कटिंग भेजी है, उसमें खबर के नीचे साफ-साफ ADVT लिखा हुआ है. जाहिर है, यह पेड न्यूज नहीं है. विज्ञापन है, जिसे खबर की शक्ल में प्रकाशित किया गया है और अंत में ADVT लिख दिया गया है. खबर को अलग रखने के लिए इसे विज्ञापनों के बगल में व बाक्स में प्रकाशित किया गया है. जिन सज्जन ने मेल भेजा है , उन्होंने लंबा-चौड़ा राइटअप भी भेजा है, जागरण को गरियाते हुए. उसमें उन्होंने लिखा है-

”…पेड न्‍यूज के मामले में चौतरफा हमले के बावजूद जागरण प्रबंधन अभी तक इन पर लगाम नहीं लगा पाया हैं या यूं कहें कि लगाना नहीं चाहता है। इसका ताजा उदाहरण है एक अगस्‍त के मेरठ संस्‍करण के पेज नंबर आठ पर प्रकाशित एक समाचार रूपी विज्ञापन। इस ‘समाचार’ को नीचे बाक्‍स में प्रकाशित किया गया है। जिसमें एएस इंटर कालेज मवाना से संबंधित इस ‘समाचार’ में प्रंबंध समिति के चुनाव में पूरे पैनल की जीत का दावा किया गया है। ‘समाचार’ में साफ लिखा गया है कि इस पैनल को सभी वोटर और कस्‍बेवासियों से अपार समर्थन और प्‍यार मिल रहा है। मुख्‍य समाचारों के साथ पेजीनेट किए गए इस ‘समाचार’ को आम पाठक पहली नजर में खबर के तौर पर ही लेगा। पत्रकारिता की गहरी समझ रखने वाला व्‍यक्ति ही इस खेल के पीछे का गणित समझ सकता है। हैरत की बात है जहां एक ओर केंद्र सरकार पेड न्‍यूज पर लगाम लगाने के लिए सख्‍ती की बात कर रही है और प्रेस परिषद भी इस मामले में सख्‍त रवैया अपनाए हुए है, वहीं दैनिक जागरण की यह हठधर्मिता पत्रकारिता के मूल्‍यों को पूरी तरह ताक पर रखने को अमादा है। पत्रकारों का पेट काटकर अपनी जेबें भरने वाले इन संस्‍थानों का पेट भगवान ही जाने कैसे भरेगा?….”

पर मेरे भाई, अगर एडीवीटी लिख दिया है तब क्या दिक्कत है? इसे कैसे पेड न्यूज माना जा सकता है. मेरे खयाल से अगर इतनी भी ईमानदारी खबर रूपी विज्ञापनों के साथ दिखाई जाए तो अच्छी शुरुआत है. फिलहाल, भड़ास4मीडिया इस खबर को पेड न्यूज नहीं मान रहा है क्योंकि इसमें साफ-साफ ADVT लिखा गया है. हां, बेहतर होता अगर एडीवीटी की जगह विज्ञापन शब्द का प्रयोग कर दिया जाता क्योंकि जो अशिक्षित व कम पढ़े-लिखे लोग हैं वे अंग्रेजी में लिखे एडीवीटी का मतलब न समझ पाएं.

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0 Comments

  1. Mazhar Husain

    August 2, 2010 at 2:12 pm

    sahi kaha yashwant ji aapne …jab ADVT likha hai to ye khabar ped news kaise ho sakti hai lagta hai likhne wale sahab ko ADVT ka matlab nahi pata warna aapko mail na karte unhe thoda sa is baare me ari le leni chahiye thi mujhe lagta hai wah un mahashay ka Patrkarita se koi lena dena nahi hai

  2. धीरज

    August 2, 2010 at 8:07 pm

    हिंदी अखबार में जब सारी खबर हिन्दी में है तो अंग्रेजी का ADVT पाठक को धोखा देने के समान ही माना जाएगा. यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे विज्ञापनों में सिर्फ एक * का निशान बना होता है और सबसे नीचे उस निशान के आगे लिखा होता है — T&C Apply

  3. Ritesh-9015952148

    August 3, 2010 at 12:43 pm

    Yashwant Bhai, aapne bilkul theek likha.. ADVT likhne ka saaf matlab hai Advertisement (yani Add) to isme koi shak nahi ki ye ek Vigyapan hai.. Paid news ka mudda wahan ata jahan kuch menttion nahi hota….. Shayad shikayati patr (letter) bhejne wale shakhs hindi journalism ki bareekiyon se parichit nahi hain.. yahan akhbaar bilkul paak-saaf dikhai deta hai..
    Mudda to ab ye uthtaa hai ki kai choti-badi companies ke Add me * ke nishan dalkar logon ko dhoka diya jata hai or niche chote shabdon me “terms & conditions” ka pulinda hota hai..

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