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रामचंद्रन – संदीप हरा सकेंगे परवेज – पुष्पेंद्र को?

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) में तलवारें तन चुकी हैं. 13 नवंबर, शनिवार को मतदान होना है. कई बार से कई कई लोग पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ को हराने-हटाने में लगे रहते हैं लेकिन पुष्पेंद्र हैं कि अपनी जगह से टस से मस नही होते. इस बार पुष्पेंद्र हटाओ का नारा दिया जा रहा है. परवेज – पुष्पेंद्र के खिलाफ जो पैनल मैदान में है उसमें अध्यक्ष पद के उम्मीदवार टी आर रामचंद्रन (जी फाइल्स) और महासचिव पद के उम्मीदवार संदीप दीक्षित (द हिन्दू) हैं.

<p style="text-align: justify;">प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) में तलवारें तन चुकी हैं. 13 नवंबर, शनिवार को मतदान होना है. कई बार से कई कई लोग पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ को हराने-हटाने में लगे रहते हैं लेकिन पुष्पेंद्र हैं कि अपनी जगह से टस से मस नही होते. इस बार पुष्पेंद्र हटाओ का नारा दिया जा रहा है. परवेज - पुष्पेंद्र के खिलाफ जो पैनल मैदान में है उसमें अध्यक्ष पद के उम्मीदवार टी आर रामचंद्रन (जी फाइल्स) और महासचिव पद के उम्मीदवार संदीप दीक्षित (द हिन्दू) हैं.</p>

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) में तलवारें तन चुकी हैं. 13 नवंबर, शनिवार को मतदान होना है. कई बार से कई कई लोग पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ को हराने-हटाने में लगे रहते हैं लेकिन पुष्पेंद्र हैं कि अपनी जगह से टस से मस नही होते. इस बार पुष्पेंद्र हटाओ का नारा दिया जा रहा है. परवेज – पुष्पेंद्र के खिलाफ जो पैनल मैदान में है उसमें अध्यक्ष पद के उम्मीदवार टी आर रामचंद्रन (जी फाइल्स) और महासचिव पद के उम्मीदवार संदीप दीक्षित (द हिन्दू) हैं.

इस पैनल में अन्य लोग इस प्रकार हैं- उपाध्यक्ष- अनिल आनन्द (डीएनए), उपाध्यक्ष- विनीता पांडे (डीएनए), कोषाध्यक्ष- नदीम अहमद काजमी (एनडीटीवी इंडिया). पैनल में 16 सदस्यीय कार्यकारिणी सदस्यों के लिए उम्मीदवार निम्नलिखित हैं- 1. आरती धर (द हिन्दू), 2. अदिति निगम (फाईनेंसियल वर्ल्ड, तहलका), 3. अवतार नेगी (डी डी न्यूज), 4. दिनेश कुमार तिवारी (हिन्दुस्तान), 5. जी कृष्ण मोहन राव (ईनाडू), 6. जोमी थामस (मलयालम मनोरमा), 7. एम के तयाल (द डे ऑफ्टर), 8. नितिन ए गोखले (एनडीटीवी), 9. राजीव रंजन( एनडीटीवी इंडिया), 10. संजय सिंह (राष्ट्रीय सहारा), 11. संजीव उपाध्याय (दूरदर्शन), 12. शंभूनाथ चौधरी (ऑल इंडिया रेडियो), 13. सुमीत मिश्रा (आजतक), 14. सुशील शर्मा (हिंदुस्तान), 15. विजय सलूजा (पना इंडिया) और 16. विजय शर्मा (पूर्वांचल सूर्य) उम्मीदवार हैं.

इस पैनल को जिताने के लिए कई पत्रकारों ने संयुक्त रूप से एक अपील जारी की है. मनोहर नायक, अनिल चमड़िया, जसपाल सिंह सिद्धु (अजीत), उपेन्द्र प्रसाद, अविनाश (मोहल्ला लाइव) राजेश कुमार (यूनीवार्ता), जितेन्द्र कुमार (यूएनआई टीवी), अभिषेक श्रीवास्तव (दैनिक भास्कर), कुमार अमिताभ के हस्ताक्षरों से जारी प्रेस नोट में कहा गया है-  ”हम सबकी यह अपेक्षा रहती है कि प्रेस क्लब पत्रकारों के एक मंच के रूप में विकसित हो. हम प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की बनती छवि को लेकर चिंतित भी रहे हैं. अभी जबकि मीडिया के समक्ष कई तरह की गंभीर चुनौतियां हैं, वैसे दौर में पत्रकारों को प्रेस क्लब की भूमिका सुनिश्चित करनी है. पत्रकारों के बीच प्रेस क्लब को नेतृत्व देने की क्षमता है और वे प्रेस क्लब को एक सक्रिय भूमिका में देखना चाहते हैं. इस ताकत के साथ प्रेस क्लब के इस वर्ष के चुनाव को देखना चाहिए. हम तमाम पत्रकार मतदाताओं से अपील करते हैं कि वे प्रेस क्लब के लिए नये पैनल के पक्ष में मतदान करें.”

जाहिर है, रामचंद्रन और संदीप वाले पैनल के सभी सदस्यों को जिताने की अपील इन पत्रकारों ने की है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि परवेज – पुष्पेंद्र के पास प्रेस क्लब आफ इंडिया की जो चाभी है, उसे किसी दूसरे द्वारा हासिल कर पाना बेहद मुश्किल काम है. प्रेस क्लब के ज्यादातर सदस्य बूढ़े हैं. नए लोगों को मेंबरशिप मिलती नहीं. बैकडोर से जिन लोगों को मेंबरशिप मिलती है, वे बीस हजार रुपये से लेकर 40 हजार रुपये तक मेंबरशिप के लिए खर्च करते हैं और यह पैसा प्रेस क्लब पदाधिकारियों में भी बंट जाता है. इस घटनाक्रम से संबंधित एक स्टिंग वीडियो भड़ास4मीडिया के पास है. इसमें एक जाने-माने पत्रकार एक सज्जन से प्रेस क्लब की मेंबरशिप के लिए नोट लेते – गिनते दिख रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि इस पैसे का बड़ा हिस्सा प्रेस क्लब पदाधिकारियों के पास पहुंच जाएगा. इस स्टिंग को सार्वजनिक न करने का अनुरोध स्टिंग करने वाले सज्जन ने किया है, इसलिए इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है लेकिन अगर कोई सज्जन इस प्रकरण को कोर्ट में ले जाते हैं तो अदालत के सामने वीडियो को पेश कर दिया जाएगा.

तो, बैकडोर से मेंबरशिप पाने वाले भी उन्हीं को वोट करते हैं जिनके कारण उनकी मेंबरशिप बनी है और जिनके कारण उनकी मेंबरशिप बची रहनी है. जो पुराने मेंबर हैं, उन्हें परवेज – पुष्पेंद्र भांति भांति तरीके से खुश रखते हैं, विनम्र व्यवहार के जरिए, उनके काम कराके, उनके सुख-दुख में खड़ा रहके. सो, इन पुराने लोगों को लगता है कि कम से कम उनके आदमी के रूप में तो परवेज – पुष्पेंद्र काम कर रहे हैं, पता नहीं जो नया आए वो उनका आदमी बने या न बने. इसी कारण ज्यादातर पुरानों के वोट परवेज -पुष्पेंद्र को मिल जाते हैं. इस जोड़ी के पास प्रगतिशीलता का भी लाइसेंस है, सो लेफ्ट व डेमोक्रेटिक जर्नलिस्टों का एक बड़ा हिस्सा इन्हें ही अपना पसंद मानता है. बूढ़े प्रेस क्लब आफ इंडिया के बूढ़े सदस्यों के मताधिकार से कोई नया पैनल जीतेगा, इसकी संभावना बहुत कम है. फिर भी, बदलाव व परिवर्तन का हमेशा स्वागत किया जाना चाहिए ताकि किसी भी कितने भी प्रगतिशील व विनम्र को तानाशाह और भ्रष्टाचारी बनने से रोका जा सके.

यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

[email protected]

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0 Comments

  1. Dinesh

    November 10, 2010 at 6:23 am

    Ye baat bilkul sach hai ki Press Club Boode logon ka adda ban chuka hai. Naye Logon ko Dekhte hi inhe aag lag jati hai. Retire aur Khali hone ki wajah se ye boode khusat sara din Press Club main hi pade rehte hain aur ise apni Jagir samajhte hain. Inhe Inki asli jagah dikhani bahut jaroori hai, jo Sirf Pushpendra aur Parvez ko harakar hi ho sakta hai.

  2. irfan sheikh

    November 11, 2010 at 1:25 am

    dear yashwant bhai,

    please avoid articles of people who degrade your website by using words of uncivilized people…one day every f…..g guy has to go thru this process of age people like Rajdeep sardesai,ashutosh and rajat sharma has slogged like a ….whatever you say and they have reached a place to be proud off….the youth should realize that shoots are important but they will wither away without the roots…i admire you for your courage..God bless you brother..Start a movement that UNITE our fellow brothers in journalism…its a challenge but its worth fighting for………..

  3. irfan sheikh

    November 11, 2010 at 1:29 am

    great website

  4. मदन कुमार तिवारी

    November 15, 2010 at 1:58 pm

    यह ईलीट क्लास के खुर्राट पत्रकारों की जगह है। यशवंत भाई इनका कचा चिट्टा खोलो । पी सी आई ने पत्रकारों को मदद पहुंचाने की बजाय क्षति ज्यादा पहुंचाई है। आज पत्रकार सबसे ज्यादा आर्थिक शोषण का शिकार है। क्लब के सदस्य और पदाधिकारी पत्रकारो के हितों के बजाय अपना हित साधने के लिये क्लब का दुरुपयोग करते हैं। उनको संदेश दे दे की सुधर जाये वरना कहीं पत्रकारों ने हल्ला बोल शुरु कर दिया तो बहुत सारे गबन और राशि के गलत इस्तेमाल के मामले में कोर्ट – कचहरी दौडते नजर आयेंगें।

    http://www.madantiwary.blogspot.com

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