: मास्टर कहें मीडिया काहें बैंड बजात है, पीपली लाइव मार जात है : भोपाल से 70 किलोमीटर दूर रायसेन जिले का एक गाँव बड़बई इन दिनों खासी शोहरत बटोर रहा है. सारा मीडिया इस गांव की ओर भाग रहा है पिछले दो तीन दिन से. मैं भी वहां चक्कर मार कर लौटा हूं. गांव की लोकप्रियता बढ़ने की वजह भी बड़ी माकूल है. आमिर खान की आने वाली फिल्म “पीपली लाइव” इसी गांव में शूट हुई है. ‘लगान’ के बाद ठेठ देसी अंदाज़ की फिल्म बनाने का जोखिम आमिर खान ही इस दौर में ले सकते हैं. इस फिल्म का एक गाना भी ख़ासा चर्चित हो रहा है….. सखी सैंया तो खूबई कमात हैं, महंगाई डायन खाई जात है…. इसे लिखा है इसी गांव के एक सरकारी स्कूल के मास्साब गया प्रसाद प्रजापति ने. इस गाने को फिल्म में रघुवीर यादव ने गाया है.
इस फिल्म में आमिर ने समाज के नेता, पत्रकार, अधिकारी सहित कई सारे प्रभावशाली वर्ग पर प्रहार किया है. ख़ासतौर से मीडिया पर जमकर हमला है. फिल्म में एक किसान क़र्ज़ और सरकारी दबाव से तंग आकर आत्मह्त्या करने की घोषणा करता है और पूरा मीडिया ओवी वैन के साथ गांव में जमा हो जाता है और नत्था नाम के किसान की पल-पल की खबर बहुत हास्यास्पद अंदाज़ में कवर करता है, यहां तक कि नत्था लोटा ले के “निस्तार” के लिए जाता है तो रिपोर्टर कैमरामैन से कहता है- “अबे शूट कर, वो लोटा ले के जा रहा है”. यानि कब क्या हो जाए और लाइव शाट चूक न जाए, का भाव है.
आमिर ने इस फिल्म में किसी घटना को कवर करने गए रिपोर्टर और कैमरामैन के मनोभावों को बेहद उम्दा तरीके से प्रस्तुत किया है. टीवी के पत्रकारों की दिनचर्या और आपस की संवाद आदायगी तो रिसर्च से उन्हें मिल गई होगी लेकिन ये प्लाट कहां से आया…? मैं सोचता रहा कि ये प्लाट आमिर को कहां से मिला होगा. तभी याद आई 2005 की मध्य प्रदेश के ही बैतूल की एक घटना जिसमें कुंजीलाल नाम के युवक ने भविष्यवाणी की थी कि कल शाम तक मैं अपने प्राण त्याग दूंगा. उस वक्त इसी तरह सारा मीडिया ओवी वैन लेकर बैतूल की और दौड़ पड़ा था और बड़े कहे जाने स्टार रिपोर्टरों ने पल-पल घड़ी की सरकती सुइओं के साथ लाइव कवरेज किया था. आखिर कुंजीलाल मरा नहीं. फिर शुरू हुआ सिलसिला स्टूडियो में बहस का. उसके बाद कुंजीलालों की पत्रकारिता पर ही बड़ी बहस छिड़ गई थी और विद्वानों को मसाला मिल गया था. आमिर को ये आयडिया वहीं से मिला होगा.
खैर, इस फिल्म में आमिर ने एक हज़ार की आबादी वाले गांव के अधिकतर लोगों से काम करवा लिया जबकि इन लोगों ने कभी नाटक मण्डली का मुंह तक नहीं देखा. नत्था का बेटा बना है पवन जो बहुत धड़ल्ले से फिल्म का डायलाग बोलता है…. बाबू, बाबू तुम कब मरोगे..? ज्यादा मुश्किल बेचारे प्रजापति जी की हो गई. हर दिन कोई न कोई चैनल वाला उनके गांव पहुंचता है और उन्हें 24 किलोमीटर दूर स्कूल से वापस गांव बुलाता है. बेचारे प्रिंसपल से हाथ पैर जोड़ कर गांव आ जाते हैं. फिर चबूतरे में उनकी मण्डली बैठा कर फिर उसी गाने को तरन्नुम में शूट किया जाता है.
गांव में वाद्य यंत्रों के नाम पर सिर्फ ढोलक और हारमोनियम है. ढोलक फूट गई है तो टीवी वाले अपने साथ खुद ढोल मंजीरे लेकर जा रहे हैं. मास्साब अब कहने लगे हैं कि भोपाल से जब भी आप निकलो प्लीज़ फोन करके चला करो. गांव में चार महीने शूटिंग हुई तब उन्हें जो नहीं झेलना पड़ा जो वे अब भोग रहे हैं. नए सिरे से मीडिया शूटिंग के प्लाट तैयार करके अपने चैनल को बेच रहा है. हालांकि पूरे गांव को इंतज़ार है 13 अगस्त का जब ये फिल्म रिलीज़ होगी. गांव वालों ने तय किया है पूरा गांव ट्रैक्टर में बैठकर जुलूस की शक्ल में भोपाल आकर फिल्म देखेगा. तब फिर हम लोगों को लाइव का मौका मिलेगा. जय हो ‘पीपली लाइव’!!
लेखक प्रवीण दुबे न्यूज चैनल ‘न्यूज़24’ के भोपाल में विशेष संवाददाता हैं.
Comments on “कुंजीलालों की पत्रकारिता और पीपली लाइव”
SAB KUCHH TO THEEK HAI .. PER KUNJI LAL KOI YUVAK NAHEE … WO EK 65-70 SAAL KE BUJURG KA NAAM THA. AUR JAISA UN DINO, “ANGOOTHA CHHAP PATRAKARITA KARNE WALE ” , PATRAKARON KE ANUSAAR WO EK JYOTHISHI AUR PANDIT BHI THHE.
PANDEY SAHAB MAIN AAPKI BAAT SE SAHMAT HON MAINE VAYKTI LIKHAA THAA JO SHAYD PROOF KE MISTAKE KE KARAN YUVAK PUBLISH HO GAYA
बाबु प्रवीण, यह तो एक गाँव में बनी फिल्म और उससे उपजे सवाल कोलेकर मीडिया का तमाशा था. लेकिन उसका क्या करोगे जो ये मीडिया वाले जानवरों से भी लाइव की उम्मीद करते हैं और अपने रिपोर्टर को मदारी की भूमिका में देखना चाहते हैं. नंदी बाबा का लाइव तो आप ही कर रहे थे .
kashinath
amir khan ne media per to is film ke sahare taan mara hoga lekin amir ji isi film ke sahare pipali walo ko bhi thag rahe hai gaowalo ko kaam ka pesa bhi nahi de rahe hai
आमिर खान का कुजी लाल से मिले आईडिया के कारण उसका नाम भी फिल्म के साथ जोड़ना चाहिये