न्यू मीडिया ने भले ही दुनिया भर में नेताओं, मीडिया मुगलों, नौकरशाहों, हुक्मरानों, गलत करने वालों, तानाशाहों आदि को आइना दिखाया हो, घपलों-घोटालों पर पर्दा ढंकने के सभी चारों स्तंभों की नापाक कोशिशों को नाकाम किया हो पर खुद न्यू मीडिया की अपनी हालत ठीक नहीं है, यह न्यू मीडिया अभी शैशव काल में होने के कारण आर्थिक रूप से खराब दौर से गुजर रहा है.
खासकर उनकी बात करें जो अपने दम पर, अपने डोमेन नेम से, अपने सर्वर से अपनी साइट चलाना चाहते हों ताकि कल को कोई गूगल या कोई फेसबुक या कोई ब्लाग प्रोवाइडर अपने प्लेटफार्म को डिलीट करे, बेच दे, मोडीफाइ करे या पेड करे तो सारा का सारा कंटेंट खत्म होने की नौबत न आ जाए. एक तरह से कहा जाए तो गूगल याहू जैसे वेब के साम्राज्यवादियों के झंडे तले न आने को तैयार न्यू मीडिया के एकला चलो वाले टाइप के लोग सिर्फ अपने बुलंद हौसले के बल पर अपने काम का संचालन कर रहे हैं, उन्हें कहीं से कुछ ऐसा आर्थिक लाभ नहीं मिल पा रहा जिसके कारण उन्हें न्यू मीडिया के अभियान को जारी रखने का उत्साह-उर्जा मिल सके.
यह उत्साह उर्जा बस सच के पक्ष में खड़ा होने की जिद के चलते अंदर से अंकुरित पुष्पित पल्लवित होता है, किसी दुनियावी प्रलोभन या लाभ के आकर्षण से नहीं. खासकर हिंदी पोर्टलों व न्यूज पोर्टलों की बात करें तो ज्यादातर की हालत खस्ता है. पैसे कहीं से न आने के कारण वेबसाइट का संचालन बेहद मुश्किल काम हो जाता है. ऐसे में कोई छह महीने में तो कोई एक साल में तो कोई दो-तीन साल में ढेर हो जाता है. साइट चलाने से तौबा कर लेता है. राकेश कुमार का हाल आजकल यही है. राकेश www.pisuindia.com पिसुइंडिया डॉट कॉम और www.pisuindia.com/hindi पिसुइंडिया डाट काम/हिंदी के संस्थापक हैं.
राकेश के पिता कामरेड हैं, बिहार में, सो इनके भीतर गलत के खिलाफ बोलने और कुछ नया करने का जुनून जज्बा बचपन से ही है. तीन साल पहले जब इन्होंने वेबसाइट शुरू की तो वे खुद दिल्ली के एक कालेज के छात्र थे. शायद आज भी किसी विश्वविद्यालय या कालेज में पढ़ाई कर रहे होंगे. राकेश को राहुल गांधी ने भी बुलाया था मिलने के लिए, युवाओं पर केंद्रित वेबसाइट चलाने से प्रभावित होकर. अब इसी राकेश ने फैसला किया है कि वे वेबसाइट बेच देंगे. क्यों बेच देंगे, इसको लेकर इन्होंने जो कारण बताए हैं वो तीन हैं-
नंबर एक- पिसुइंडिया टीम इस पोर्टल को चलाने में पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा है.
नंबर दो- समचार पोर्टल का विस्तार इतना हो गया है कि इसको संभालना मुश्किल हो रहा है.
नंबर तीन- इस पोर्टल के संस्थापक लंबे अरसे से बीमार चल रहे हैं जिसकी वजह से मार्केटिंग नहीं हो पा रही है और समय की कमी लगातार बढती जा रही है.
मतलब, राकेश खुद के खराब स्वास्थ्य, वेब संचालन हेतु पर्याप्त पैसे पाने के लिए मार्केटिंग न हो पाने और टीम के पास साइट चलाने के लिए वक्त न होने की बात कह रहे हैं. साथ में ये भी कि साइट इतनी बड़ी हो गई है कि इसे संभालने का काम अब शौकिया नहीं हो सकता, इसे अब प्रोफेशनली संचालित किए जाने की जरूरत है. राकेश बहादुर हैं. उर्जावान युवा हैं. उन्होंने जिस तेवर से साइट शुरू किया, उसी तेवर से बेच भी रहे हैं. वो कहते भी हैं न, वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा…
कई लोग साइट तो शुरू करते हैं जोरशोर से लेकिन बंद करते हैं इतने चुपके से कि किसी को आहट तक नहीं होती. पर उत्सवधर्मी भारत देश की सही परंपरा तो यही है कि हम जब मुक्त हो रहे हों तो भी उसे इंज्वाय करें. इसी कारण अपन के यहां जन्मने से लेकर मरने तक में उत्सव, आयोजन, भोज शामिल है. साइट शुरू करना बहुत अच्छी बात है, पर जब उसे बंद कर रहे हों या बेच रहे हों तो राकेश की तरह हो जाना बहुत अच्छा. इससे दिल के भीतर कोई कसक या दर्द या टीस शेष न रहेगा. जो होगा वो जनता के सामने होगा, पब्लिक डोमेन में होगा.
राकेश की वो चिट्ठी प्रकाशित कर रहे हैं जो उन्होंने खरीदारों के लिए लिखा है. साथ में राकेश को दिल से बधाई, गले लगकर बधाई और गाल पर एक प्यारा सा किस… इसलिए कि आपने पूरे हौसले के साथ तीन साल तक जोरदार तरीके से बिना डरे युवाओं पर केंद्रित वेबसाइट चलाई. आप जैसे साथी, आप जैसे बहादुर युवक ही नया कुछ रचते गुनते बुनते और समाज को सिखाते बताते समझाते हैं. राकेश, मुझसे जो भी सहयोग चाहिए, खुलकर और खुलेआम बताना, वो मैं जरूर करूंगा. फिलहाल आपकी चिट्ठी आपके कहे अनुसार भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित कर रहा हूं. -यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
3 साल पुराना समाचार पोर्टल आप खरीद सकते हैं
देश की पहली युवा लोकप्रिय समाचार पोर्टल बिकने के लिये तैयार
www.pisuindia.com
www.pisuindia.com/hindi
Professional Intellectual Student’s Umbrella.
पिसुइंडिया पोर्टल नवम्बर 2008 को छात्रों द्वारा शुरु किया गया था। हमारे देश में छात्रों के लिये वेब की दुनिया में ऐसा कोई जगह नहीं था जहाँ छात्र अपनी परेशानियों को रख सकें। आज भारत में कई सारे शिक्षण संस्थान है जहाँ छात्रों से मोटी रकम तो ली जाती है पर शिक्षा रकम के अनुसार नहीं दी जाती है। इसे देखते हुये इसका निर्माण किया गया था। कुछ समय बाद छात्रों के मांग के द्वारा इसमें कई बदलाव हुये जैसे अंग्रेजी माध्यम, राष्ट्रीय समाचार, पर्यावरण, अंतरंग, मनोरंजन समाचार को जोड़ा गया। पिसुइंडिया के खास मुलाकात ने कई सारे ऐसे छात्रों को ढूंढा जो अपने क्षेत्र में स्ट्रगल कर रहे हैं, और उनका साक्षात्कार किया।
पिसुइंडिया की उपलब्धियाँ:
पिसुइंडिया ने देश के कई सारे शहरों जैसे दिल्ली, कोटा, पटना के अंदर शिक्षण संस्थानों में पढ रहे छात्रों की मदद की।
पटना के लव गुरु कहे जाने वाले प्रोफेसर मटुकनाथ ने अपनी किताब मटुक जुली की डायरी भाग-2 में ग्यारह पेज पिसुइंडिया के बारे में लिखा है।
पिसुइंडिया के संस्थापक राकेश कुमार को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने 10 जनपथ पर 23 जुलाई, 2010 को मिलने के लिये बुलाया और इस पोर्टल की काफी तारीफ की।
आज पिसुइंडिया को विदेशों में रह रहे भारतीय सबसे ज्यादा देखा करते हैं और वह वहां से अपने लेख भी हमें भेजा करते हैं। जैसे:- न्यूयार्क, इथोपिया, लंदन, आस्ट्रेलिया इत्यादि।
पिसुइंडिया छात्रों के लिये एक खास सुविधा उपलब्ध कराया जिसमें स्वास्थ से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या का सामाधान हमारे उपलब्ध चिकित्सक द्वारा किया जाता है।
आज के इस बदलते परिवेश में कई सारे ऐसे छात्र व युवा साथी प्यार के बाद कोर्ट मैरिज शादी करना चाहते हैं। इसको ध्यान में रखते हुये पिसुइंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के वकील को नियुक्त किया जो छात्रों के कानून संबंधी समस्याओं का समाधान करते हैं। आपको बता दूँ कि अभी तक पिसुइंडिया ने कई कोर्ट मैरिज शादी कराने का साक्षी रहा है।
पिसुइंडिया के समाचार पोर्टल के रूप में चलते हुये करीब 3 वर्ष पूरा होने जा रहा है और भारत सरकार की डीवीएपी संस्था http://davp.nic.in/writereaddata/announce/terms.htm के तहत यह उन सारे नियमों पर खरा उतरता है जिसमें इसे सरकारी विज्ञापन मिलने की पूरी गुंजाईश है।
क्यों खरीदे?
पिसुइंडिया 3 साल पुराना समाचार पोर्टल है और 2 साल बाद इसे सरकारी विज्ञापन मिल सकता है।
पिसुइंडिया छात्रों के लिये एक विश्वास है जो इस पोर्टल पर लगातार लेख पढने और लिखने के लिये तत्पर रहते हैं।
पिसुइंडिया का डोमेन .com, .in आपको दिया जायेगा।
यह एक ऐसी समाचार पोर्टल है जो कि युवाओं के लिये है। कुछ सालों बाद भारत में युवाओं की जनसंख्या 70% तक हो जायेगी और इस क्रम में उन युवाओं तक बात पहुंचाने में यह काफी मददगार साबित होगा।
यह दो भाषाओं हिन्दी और अंग्रेजी में है।
यह पोर्टल Asp.net में बना हुआ है और इसका control panel है जिसके माध्यम से न्यूज, विज्ञापन या और कोई सूचना बिना किसी परेशानी के upload किया जा सकता है। इस दौरान देश-विदेश में कहीं भी बैठे व्यक्ति यूज़र और पासवर्ड की मदद से इसे संचालित कर सकता है, साथ ही स्वतंत्र रुप से अपनी सामग्री जैसे लेख, वीडियो, फोटोग्राफ इत्यादि भेज सकता है।
सर्च इंजन गूगल पर पिसुइंडिया का नाम डालने से तुरंत प्रथम लिस्ट में यह पोर्टल स्थापित होता दिख जाता है।
इस पोर्टल को संचालित करने के लिये किसी बड़ी टीम की जरूरत नहीं है।
सही तरीके से मार्केटिंग होने से बहुत सारे क्षेत्रों और शिक्षण संस्थानों से विज्ञापन मिल सकता है।
क्यों बेच रहे हैं?
पिसुइंडिया टीम इस पोर्टल को चलाने में पर्याप्त समय नहीं दे पा रही है।
समाचार पोर्टल का विस्तार इतना ज्यादा हो गया है कि इसको संभालना मुश्किल हो रहा है।
इस पोर्टल के संस्थापक लंबे अरसे से बीमार चल रहे हैं जिसकी वजह से मार्केटिंग का काम ठीक से नहीं पा रहा और संचालन हेतु पर्याप्त समय की कमी लगातार बढती जा रही है।
इस समाचार पोर्टल को खरीदने के इच्छुक व्यक्ति नीचे दिये गये मोबाइल नम्बर या मेल के द्वारा संपर्क कर सकते हैं:
राकेश कुमार (संस्थापक)
विकास कुमार (संपादक)
09313195595
ajay
August 1, 2011 at 7:23 am
kitna mang rahe ho deer…….yaha rate v bata do….
editor
August 1, 2011 at 7:50 am
बड़े बड़े अखबारों और न्यूज चैनलों के प्रतिष्ठित लोग भी अपनी खबरें न्यू मीडिया के जरिये ही जुटाते हैं…. अब इंतजार है कि न्यू मीडिया ही जनता की सीधी आवाज आखिर कब बनती है
Umesh Prasad
August 1, 2011 at 8:45 am
No doubt….After visiting this website i came to know that really pisu india team is doing great job and presenting the truth without any fear ….
Good Wishes…….
aman
August 4, 2011 at 1:20 pm
website achchi banai hai. Plz iski kimat batana