नई पहल के लिए आप भी सेठी और जैन को शुभकामनाएं दें : ज़िंदगी तो गुरु चलती रहती है. धन्ना सेठों के बिगाड़े नहीं बिगड़ता किसी का नसीब. कुछ दिनों का संकट आ सकता है, थोड़ी परेशानियां आ सकती हैं पर इन मुश्किलों में जो हिम्मत नहीं हारते और कुछ नया रचने-करने की कोशिश करते हैं जमाना उन्हीं के कदमों में होता है. पिछले दिनों छंटनी व बंदी के कारण बेरोजगार हुए दो पत्रकारों ने अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की है. उनकी नई ज़िंदगी का हर क्षण उनका अपना होगा.
एक वकील बनकर पत्रकारों की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर चुका है तो दूसरा खुद का शाम का अखबार शुरू करने जा रहा है. हम बात कर रहे हैं पीयूष जैन और आरके सेठी का. पीयूष जैन आज समाज अखबार के पूर्वी दिल्ली ब्यूरो के ब्यूरो चीफ थे. प्रबंधन ने अचानक फैसला किया कि दिल्ली के जिलेवार ब्यूरो बंद. देखते ही देखते कई सारे मीडियाकर्मी सड़क पर आ गए. पीयूष के पास एलएलबी की डिग्री भी है. वकालत के लिए अधिकृत भी हो चुके हैं. उन्होंने दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी है. पर यह काम करते हुए पीयूष अपने पत्रकारों को नहीं भूले हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि बिना वजह मुकदमों में फंसाए गए पत्रकारों के मुकदमें वे मुफ्त में लड़ेंगे.
पीयूष ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहा- ”अक्सर पत्रकारों को काम करते हुए तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई बार असामाजिक तत्व पत्रकारों के खिलाफ झूठे मुकदमें तक दर्ज करा देते हैं. ऐसे में गरीब पत्रकार कोर्ट के चक्कर लगाते लगाते परेशान हो जाते हैं. मैंने फैसला किया है कि ऐसे सभी पत्रकार जिन पर कार्य के दौरान कोई मुकदमा दर्ज होता है, उन सभी के आपराधिक केस मैं मुफ्त लड़ूंगा. भले ही वह पत्रकार दैनिक समाचार में हो, साप्ताहिक में हो या फिर किसी मासिक पत्र में हो.” पीयूष से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
अब बात करते हैं आरके सेठी की. सेठी उन सैकड़ों मीडियाकर्मियों में से हैं जिन्हें ‘अभी-अभी’ अखबार को अचानक बंद करने के मालिकों के फरमान के कारण सड़क पर आ जाना पड़ा. वे हरियाणा के फतेहाबाद में अभी-अभी के ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत थे. आरके सेठी ने जिंदगी भर दूसरों की नौकरी बजाने से बेहतर अपना काम शुरू करना अच्छा समझा. उन्होंने शाम का अखबार निकालने की तैयारी कर ली है. देश के सबसे विवादास्पद धार्मिक डेरों में एक डेरा सच्चा सौदा के धर्मांध हिंसक प्रेमियों के कारनामों के खिलाफ अपनी कलम चलाने के कारण अपने इलाके में ‘डेरे वाला सेठी पत्रकार’ कहलाने वाले हरियाणा के फतेहाबाद जिले के युवा पत्रकार आरके सेठी जल्द ही सांध्य दैनिक अखबार ‘जन सरोकार’ लांच करने वाले हैं.
सिरसा स्थित धार्मिक डेरे की कारगुजारियों को उजागर करने पर 2002 में उनके अखबार के कार्यालय को डेरे के प्रेमियों ने तहस-नहस कर डाला था और मिट्टी का तेल लेकर वे आरके सेठी को जिंदा जलाने की मंशा से उनके घर भी जा धमके. इस वारदात में आरोपियों के खिलाफ तो केस दर्ज हुआ ही परंतु उनके खिलाफ डेरे के लोगों ने भी धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में पुलिस केस दर्ज करवा दिया था और उनकी गिरफ्तारी की मांग पर डेरा के 10 हजार से ज्यादा लोगों ने 7 जून, 2002 को फतेहाबाद के शहर और सदर थानों के बाहर 48 घंटों तक धरना दिया था. हालांकि, बाद में वो केस खारिज हो गया. हरियाणा के पत्रकारिता जगत में ये हादसा उतना ही अहम माना जाता है जितना कि डेरे के लोगों द्वारा सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या करने का.
डेरे के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच में आरके सेठी अहम गवाहों की सूची में रहे. अपनी बात पर डटे रहने वाले आरके सेठी ने इसी साल 6 फरवरी को सीबीआई की अंबाला स्थित स्पेशल कोर्ट में डेरे के खिलाफ अपनी गवाही भी दर्ज करवा दी है. इसके अलावा उन्होंने अपने पत्रकारिता कैरियर में दिल्ली के एक और ढोंगी बाबा की करतूतों को जनता के सामने रखा था. सांसदों और विधायकों की आम जनता के प्रति जवाबदेही के मसलों पर उन्होंने बीते सालों में अलग-अलग समाचार-पत्रों में तल्ख रिपोर्टिंग की है.
1996 में सिरसा से पत्रकारिता में अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले आरके सेठी को कई राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों में फील्ड व डेस्क पर काम का अच्छा-खासा तर्जुबा है. उनका कहना है कि अखबार के नाम ‘जन सरोकार’ के अनुसार उनके अखबार का सरोकार और जवाबदेही सिर्फ जनता से ही रहेगी. उन्होंने कहा कि उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि जमीन से जुड़े रहते वे अपने अखबार को वॉइस ऑफ सिटी बना पाएं. कंटेंट के साथ-साथ ले-आउट पर पूरा फोकस रखने के अलावा पत्रकारिता में नए ट्रेंड के प्रयोग करने से भी वे हिचकेंगे नहीं. हरियाणा में सांध्य दैनिक समाचार पत्रों का क्रेज ज्यादातर सिरसा, हिसार और फतेहाबाद में ही है. इन जिलों में सांध्य दैनिक अखबारों के पाठकों की तादाद अच्छी-खासी है. आरके सेठी इससे पहले फतेहाबाद में ही पंजाब केसरी के ब्यूरो चीफ थे. पूर्व में वे दैनिक भास्कर के साथ फरीदाबाद और गुडगांव में भी पारी खेल चुके हैं. हरिभूमि में भी वे प्रादेशिक डेस्क इंचार्ज के रूप में कार्यरत रहे हैं.
इन दोनों पत्रकारों को उनकी कोशिशों, उनकी नई पारियों के लिए दिल से सलाम. वे अपने मिशन, अपने काम में सफल हों, यही हम सभी मीडियाकर्मियों की दुवा है. किसी ने सच कहा है कि मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं. तो, जिंदगी में हार मानना, निराश होना उन्हें शोभा नहीं देता जो अपने अतीत के जीवन में हमेशा जूझते-टकराते आगे बढ़े हों. अगर आपमें हिम्मत है, साहस है, सच बोलने की ताकत है, मेहनत करने का माद्दा है, सपने देख पाने का स्वभाव है तो आपकी राह में कोई चाहे जितने भी कांटे बिछाए, चलते हुए वे कांटे फूल की शक्ल अख्तियार कर लेंगे. ऐसे लोगों की जिंदगी कभी ठहरती नहीं. कभी रुकती नहीं. सागर की लहरों की तरह बलखाते-लहराते हुए आगे बढ़ती रहती है. पीयूष जैन और आरके सेठी को एक बार फिर शुभकामनाएं. भड़ास4मीडिया हमेशा ऐसे पत्रकारों को प्रोत्साहित करता है जो अपने दम पर नया इतिहास रचने के लिए चल पड़ते हों.
Anand
April 16, 2010 at 12:40 pm
My heartiest congratulations to both of these young and energetic persons..
…. Go ahead.. Sky is the limit..
Narender Vats
April 17, 2010 at 3:29 am
ye sab to theek hai. sethi bhai syoran ke jhute sode ke khilaf bhee kuch karo.