खबर है कि विजय राय को सहारा के सभी मीडिया माध्यमों प्रिंट, चैनल और वेब का संयुक्त नेशनल ब्यूरो चीफ बना दिया गया है. वे अभी तक राष्ट्रीय सहारा अखबार के दिल्ली ब्यूरो के हेड हुआ करते थे. इस बारे में एक आंतरिक मेल जारी कर सभी को सूचित किया गया है.
मेल में विजय राय का नया पद ‘एडिटर, सहारा न्यूज ब्यूरो’ का दिया गया है. वे एक तरह से सहारा मीडिया की संपूर्ण रिपोर्टिंग टीम के एडिटर बना दिए गए हैं. प्रिंट, चैनल और वेब, तीनों के रिपोर्टर अब सीधे विजय राय को रिपोर्ट करेंगे. विजय राय अपने काम के लिए सीईओ और एडिटर इन चीफ संजीव श्रीवास्तव के प्रति जवाबदेह होंगे और उन्हीं को रिपोर्ट करेंगे.
kumar singh
February 26, 2010 at 4:25 am
यंशवत जी प्रणाम,भड़ास पर ख़बरे लगातार पढ़ते रहते है। खुशी होती है की सताए जा रहे पत्रकारों के साथ कोई न कोई तो है…निश्चित तौर पर यह एक सराहनीय कार्य कर रहे है आप…लेकिन कई बार आप सच नहीं छापते है…इसकी मुझे आपसे विशेष शिकायत है।
सहारा परिवार से जुड़ी एक ख़बर मैं भी आपको देना चाहता हूं…उम्मीद है…आप इस ख़बर को तमाम पत्रकारों के सामने रखेगें…।
भैया,सहारा में एक के बात एक नयी टीम आए दिन आती रहती है। कहा जाता है…हमारे पास बजट कम है..जो है उसी में काम चलाएं। मुझे यह समझ नहीं आता हैं कि संजीव जी और उपेंद्र जी जिन लोगों को दूसरे चैनलों से मोटी-मोटी तनख्वा पर जिस तरह से ला रहे है। क्या ये बजट कम होने का संकेत है। सहारा में पुराने जो भी पत्रकार काम कर रहे है। मुझे लगता है…यह उनका दुर्भागय ही हैं कि दूसरे चैनलों में काम करने वाले दो टके के आदमी को सहारा में लाकर इनके ऊपर बैठा दिया जाता है। यहां आकर इन्हें पुरस्कार भी मिलने लगते है और यह सब मिलकर सहारा के कर्मचारियों पर रौब भी जमाने लगते है। मैं आपके माध्यम से सहारा के वरिष्ठों को बताना चाहूगा कि देश का कोई बड़ा चैनल ऐसा नहीं है…जिसमें सहारा से गए लोग काम नहीं कर रहे होगे…यहां की कई पत्रकार तो सहारा की देन है। जिनके दम आज कई चैनल खड़े है। खुद सहारा में आज भी कई ऐसे पत्रकार काम कर रहे है…जिनका कोई सानी नहीं है…लेकिन बड़े-बड़े ब्रांडों में धूल खा रहे कुछ चेहरे आकर यहां इन पर खुद की हुक्मत चलाते है और इन्हीं का शोषण भी करते है…यही नहीं खुद के लोगों को लाकर इनके ऊपर बैठा देते है…यह सर्वव्यापी है।
सहारा में माननीय संजीव जी और उपेंद्र जी के माध्यम से जो भी लोग आए हैं या आ रहे है…वह सब बॉस ही है…मजदूर सहारा के वही पुरानी कर्मचारी…ये पत्रकारों के साथ कैसे न्याय है…जिसे सहारा का प्रशासन आंख बंद कर चुपचाप देखता आ रहा है। यहां के एक आदमी के ऊपर चार-चार बॉस है…तो यह एक आदमी किसकी सुने…और क्या करें…यह बहुत बड़ा सवाला है..यंशवंत जी…इस को आप तमाम पत्रकारों के सामने लेकर आएं…हमें खुशी होगी।
वेतन की बात करें तो…नये लोगों निरंतर मोटे वेतन पर आ ही रहे है..तो पुराने कटे हुए वेतन के लिए रो रहे है…क्या इस महगाई में इनका गुजरा होगा…क्या संजीव जी और उपेंद्र जी खुद की और खुद के लोगों की ही जेब भरेगें या गरीबों तक भी कुछ आने देगें…यह सोचिए जनाबा।
यंशवंत यदि आप हमारी बात प्रकाशित नहीं करते है…लगेगा भड़ास निश्चित तौर पर सच नहीं छापता है।
कुमार संजय
sunil vajpee
February 28, 2010 at 7:36 am
patrakrita main aja kal bahute se newspaper asia hai jo salery ke name par paterkero ke seth kehlvede ker rehe hai . jab sarkari nokari kerene wele ek forth
rank karmchari ka vaten kafi adhke hai to asia me paterker apana jiven kaisya bitya sunil vajpee