मुलाकात : आनलाइन हिंदी न्यूज पोर्टलों में बेहद प्रतिष्ठित और विश्वसनीय बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम की संपादक सलमा जैदी का आनलाइन जर्नलिज्म के बारे में मानना है कि यह अभी पूरी तरह जमीनी स्तर से नहीं जुड़ पाया है और तकनीक महंगी होना भी इसमें बड़ी बाधा है। जितनी जल्दी ब्रॉडबैंड कनेक्शनों का प्रसार बढ़ेगा और कंप्यूटर सस्ते होंगे, ऑनलाइन जर्नलिज्म उतना अधिक फैलेगा। उनक कहना है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया से ऑनलाइन पत्रकारिता को चुनौती जरूर मिल रही है। न्यूज एजेंसी, अखबार, टीवी, रेडियो और वेबसाइट यानी पत्रकारिता के सभी माध्यमों में वरिष्ठ स्तर पर कार्य कर चुकीं सलमा जैदी हिंदी मीडिया के लिए जानी-मानी नाम हैं। पर घमंड उन्हें कहीं से छू नहीं सका है। वे स्वभाव से बेहद विनम्र और सहयोगी हैं। टीम वर्क को सफलता के लिए जरूरी मानने वाली सलमा से बीबीसी के दिल्ली स्थित आफिस में धीरज टागरा ने कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की।
लखनऊ में पैदा हुई सलमा जैदी ने बचपन दिल्ली में गुजारा तो बीए की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ से पूरी की। जैदी बताती हैं कि उनके पिता अन्सार हरवानी ‘नेशनल हेराल्ड’ में पत्रकार रहे और बाद में संसद सदस्य बने। सलमा के ताऊ मजाज़ अपने वक्त के प्रसिद्ध शायर थे। इस प्रकार पत्रकारिता और साहित्य सलमा को विरासत में मिली। बचपन से ही लिखने-पढ़ने का शौक रहा और लेटर टू एडिटर छपने के बाद उन्हें भी पत्रकारिता का शौक परवान चढ़ा। अपने करियर की शुरुआत ‘समाचार’ (न्यूज एजेंसी) से करने वाली सलमा ने लंबे समय तक ‘समाचार भारती’ में काम किया और पत्रकारिता की बारीकियां सीखीं। ये वो दौर था जब पत्रकारिता के मायने आज से बहुत अलग थे।
उसके बाद स्वतंत्र भारत और दिनमान में भी काफी समय तक काम किया। और फिर 1995 में बीबीसी से जुड़कर ऐसे सफर की शुरुआत की जो आज तक जारी है। बीबीसी हिन्दी सेवा रेडियो में प्रसारक के तौर पर लंबे समय तक लंदन और भारत में काम करने के बाद वे बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम की शुरुआत से ही इस वेबसाइट के साथ जुड़ी रहीं। पत्रकारिता में तीन दशकों तक विभिन्न स्तरों व माध्यमों में काम करने के बाद आज वे पूरी बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम को सबसे विश्वसनीय वेबसाइट बनाने के लिए जुटी हैं। सलमा के शब्दों में- ”इस वेबसाइट का संपादक होना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। मैं अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हूं, दस साल बाद भी मैं बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के साथ इसी ऊर्जा से काम करती रहूंगी।”
बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के बारे में सलमा बताती हैं, हमारी वेबसाइट को हर महीने लगभग डेढ़ करोड़ हिट्स मिलती हैं। विदेशों में बसे भारतीयों की तादाद इनमें बहुत अधिक है। बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम अपनी विश्वसनीयता व ब्रांड वैल्यू के कारण लगातार आगे बढ़ रही है। छह साल पहले शुरू हुई इस वेबसाइट का यूनिकोड तकनीक पर आधारित होना जहां प्लस प्वाइंट साबित हुआ वहीं इस कारण कुछ परेशानी भी हुई। सलमा के अनुसार वेबसाइट की मार्केटिंग पर ज्यादा जोर न दिया जाना एक कमी है जिस वजह से हम और अच्छा परिणाम हासिल नहीं कर पाए। सलमा बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम को अधिक से अधिक पाठकों के साथ जोड़ने और हर समाचार, लेख को एक अलग एंगल से प्रस्तुत करने को ही सबसे बड़ा दबाव मानती हैं। ऑनलाइन जर्नलिज्म में पत्रकार के सफल होने के लिए वह टेक्नोक्रेट होना भी जरूरी मानती हैं। उनके अनुसार यहां न्यूज बेस्ड वेबसाइट, पोर्टल्स, ब्लाग्स पाठकों के लिए ज्यादा विकल्प व सूचनाएं उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका सभी को फायदा मिलता है। सलमा बताती हैं कि आज भी बीबीसी किसी समाचार को प्रकाशित करने से पहले दो अलग-अलग सोर्स से अच्छी तरह कनफर्म करता है।
व्यक्तिगत जीवन में भी सलमा उतनी ही सफल हैं जितनी प्रोफेशनल फ्रंट पर। अपनी दो बेटियों के लिए उन्होंने आठ साल तक खुद को पत्रकारिता से अलग रखा और वे भाग्यशाली रहीं कि आठ साल बाद भी ‘समाचार भारती’ में वहीं से शुरुआत की जहां से छोड़कर गई थीं। कैरियर में प्रिंट से रेडियो, रेडियो से ऑनलाइन जैसे परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रही और हर जगह अच्छी टीम व सहयोग मिलने के कारण वह इसमें सफल रहीं। कई किताबों का अनुवाद कर चुकी सलमा को कविताएं, नज्म लिखने का भी शौक है। मीडिया हस्तियों से अपनी तुलना के सवाल पर वे कहतीं हैं, मैं अपने काम में सौ प्रतिशत प्रयास करती हूं, जिस मुकाम पर हूं, पूरी तरह संतुष्ट हूं, ऐसे में किसी से तुलना बेमानी हो जाती है। महिलाओं को दुनिया की सबसे अच्छी प्रबंधक मानने वाली सलमा कहती हैं कि महिलाएं अपनी क्षमता को अच्छी तरह पहचान लें तो उनकी अधिकांश दिक्कतें आसानी से हल हो जाएंगी। मीडिया के छात्रों और उभरते हुए पत्रकारों के लिए वे संकल्प व इच्छाशक्ति तथा हिम्मत हारे बिना कड़ी मेहनत को ही सफलता का मूल मंत्र मानती हैं।
GOPAL PRASAD
December 8, 2011 at 9:33 pm
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