Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

विचार.भड़ास4मीडिया.कॉम के एक लेख पर पत्रकार राहुल के खिलाफ आईटी एक्ट में मुकदमा

बात पुरानी हो चली है. पत्रकार राहुल कुमार ने गरीबों-आदिवासियों-निरीहों के सरकारी दमन से आक्रोशित होकर गृहमंत्री पी. चिदंबरम को संबोधित एक पद्य-गद्य युक्त तीखा आलेख भावावेश में लिख दिया. और उसे हम लोगों ने भड़ास4मीडिया के विचार सेक्शन में प्रकाशित भी कर दिया.

<p style="text-align: justify;">बात पुरानी हो चली है. पत्रकार राहुल कुमार ने गरीबों-आदिवासियों-निरीहों के सरकारी दमन से आक्रोशित होकर गृहमंत्री पी. चिदंबरम को संबोधित एक पद्य-गद्य युक्त तीखा आलेख भावावेश में लिख दिया. और उसे हम लोगों ने भड़ास4मीडिया के विचार सेक्शन में प्रकाशित भी कर दिया.</p>

बात पुरानी हो चली है. पत्रकार राहुल कुमार ने गरीबों-आदिवासियों-निरीहों के सरकारी दमन से आक्रोशित होकर गृहमंत्री पी. चिदंबरम को संबोधित एक पद्य-गद्य युक्त तीखा आलेख भावावेश में लिख दिया. और उसे हम लोगों ने भड़ास4मीडिया के विचार सेक्शन में प्रकाशित भी कर दिया.

बाद में जब दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने पूछताछ के लिए नोटिस भेजा तो मैंने राहुल के उस लिखे को ध्यान से दुबारा पढ़ा. तब समझ में आया कि कुछ चीजें आपत्तिजनक हैं, उस आलेख व कविता में भावुकता की भारी मात्रा है, तार्किक तरीके से अपनी बात कहने की कोशिश बेहद कम है. हालांकि कविताई भावुकता से युक्त ही होती है लेकिन जब आप सीधे-सीधे किसी से निपटने लेने, किसी को उड़ा देने की बात करते हैं तो उसके मायने बदल जाते हैं. ऐसे में मैंने बिना इफ बट किए आर्टिकल को हटा दिया.

राहुल के साथ मैं दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के आफिस पहुंचा था. शायद ये पिछली सर्दियों की बात है. संबंधित इंस्पेक्टर से विस्तार से बातचीत हुई. उन्होंने भी समझ लिया कि नौजवान खून है, जोश में ज्यादा तीखा लिख दिया. इंस्पेक्टर समझाने की मुद्रा में रहे और मैं सुनने की. बात आई गई हो गई. पर आज अचानक पता चला कि राहुल के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत एफआईआर लिख दिया है.

इस बाबत खबर दैनिक भास्कर के दिल्ली एडिशन में पेज नंबर चार पर छपी है. भास्कर में अभिषेक रावत की बाइलाइन खबर पुलिसिया ब्रीफिंग पर आधारित है, और, इस खबर को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे राहुल कुमार कोई सिरफिरा आतंकवादी है. खबर लेखक से संवेदनशीलता की उम्मीद थी. दूसरे पक्ष से भी बातचीत किए जाने की अपेक्षा थी. पर ब्रेकिंग के चक्कर में अब ऐसा कुछ कहां हो पाता है. भास्कर में प्रकाशित पूरी खबर हम नीचे दे रहे हैं.

मेरा इस पूरे प्रकरण पर साफ-साफ कहना है कि राहुल कुमार ने नक्सलियों को कुचलने और आपरेशन ग्रीन हंट के नाम पर आम आदिवासियों, आम जनता को शासन-सत्ता, पुलिस-फौज द्वारा प्रताड़ित किए जाने की परिघटना से आक्रोशित होकर भावावेश में जो लिखा, उसे गैर जमानती अपराध (बताया जा रहा है कि आईटी एक्ट की धारा 66 नान बैलेबल है) मानना कतई सही नहीं है. वह भी तब जब दिल्ली पुलिस द्वारा बुलाए जाने पर राहुल खुद मेरे साथ पुलिस आफिस गए हों. और, अभी तक जो पुलिस ने राहुल के बैकग्राउंड के बारे में जो जांच-पड़ताल की, दिल्ली से लेकर बेगूसराय तक, उसमें कहीं भी राहुल के प्रतिबंधित नक्सली संगठनों से जुड़े होने का कोई प्रमाण नहीं मिला हो.

साथ ही, संबंधित आर्टिकल वेबसाइट से, लेखक की सहमति से, हटाया जा चुका हो. ऐसे में दिल्ली पुलिस का राहुल को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ एफआईआर लिखना और उन्हें फरार घोषित करना चिंताजनक है. अगर वाकई लेखक के रूप में राहुल कुमार दोषी हैं तो प्रकाशक के रूप में मैं खुद भी दोषी हूं, तो दिल्ली पुलिस को मेरे खिलाफ भी उसी एक्ट के तहत एफआईआर लिख लेना चाहिए.

मेरा दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों और इस देश के सत्ता संचालकों से अनुरोध है कि कृपया इस प्रकरण में राहुल कुमार को अपराधी नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि हमने-उनने प्राथमिक तौर पर अपनी गलती स्वीकार कर ली थी, उन्हीं दिनों, उसी कारण उस आर्टिकल को अनपब्लिश भी कर दिया. इसके बावजूद अगर राहुल कुमार को जेल के सलाखों के पीछे डालने की तैयारी है तो इसे साफ-साफ उत्पीड़नात्मक और बदले की कार्रवाई कहा जाएगा. और, इसे इस संदेश के रूप में भी लिया जाएगा कि केंद्र सरकार न्यू मीडिया, खासकर वेब और ब्लाग पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है.

महात्मा गांधी कह गए हैं कि सौ अपराधी भले छूट जाएं पर हम किसी निर्दोष को अपराधी न बनाएं. इसी भावना के तहत मैं दिल्ली पुलिस से अनुरोध करूंगा कि वे लोग राहुल कुमार के प्रकरण पर अतियों में, एक्सट्रीम पर न जाएं. लोकतांत्रिक तरीके से विचार करें. अगर वे भी दूसरी अति पर पहुंच जाएंगे तो वही काम करेंगे जो राहुल कुमार ने एक अति पर पहुंचकर लिखकर और मैंने प्रकाशित करके किया. इस मसले पर मैं देश के (खासकर दिल्ली-एनसीआर के) सभी पत्रकार साथियों से अपील करूंगा कि वे राहुल कुमार को पुलिस द्वारा फंसाए जाने का विरोध करें और अपनी नाराजगी, अपना विरोध, अपना अनुरोध प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी. चिदंबरम तक पहुंचाएं.

अभी मेरे पास कोई मेल आईडी नहीं है गृहमंत्री और प्रधानमंत्री का, तो संभव हो तो आप पी. चिदंबरम व मनमोहन सिंह की मेल आईडी पता करके नीचे कमेंट बाक्स के जरिए सभी तक पहुंचाने का कष्ट करें. साथ ही यह भी बताएं कि राहुल कुमार को कैसे बचाया जा सकता है, क्या क्या किया जा सकता है. नीचे इस प्रकरण से संबंधित वो खबर दो रहे हैं, जो आज के दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित हुई है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

[email protected]

वेबसाइट पर गृहमंत्री को भेजा धमकी भरा मेल, केस दर्ज

अभिषेक रावत, दैनिक भास्कर

नई दिल्ली :  नक्सली संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीन हंट चलाने पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम को एक वेबसाइट के माध्यम से धमकी देने वाले शख्स को दिल्ली पुलिस सरगर्मी से तलाश रही है। हालांकि जांच में यह साफ हो गया है कि आरोपी युवक का किसी नक्सली या आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है, फिर भी उसने अपने लेख में नक्सली संगठनों से सहानुभूति दिखाते हुए न सिर्फ गृहमंत्री को अपशब्द कहे बल्कि उनको जान से मारने की धमकी भी दी।

इतना ही नहीं उसने संसद में आग लगाने जैसी गंभीर बात भी कही है। इस बाबत दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आठ मई 2010 को एक वेबसाइट पर राहुल कुमार नामक व्यक्ति ने एक लेख लिखा, जिसमें नक्सलियों के खिलाफ छेड़े गए ऑपरेशन ग्रीन हंट की निंदा की गई। इसमें धमकी भरे अंदाज में लिखा गया कि चिदंबरम तुम्हारी गोली से तुम्हें ही उड़ाउंगा।

यदि एक और जंगल जला तो संसद में अबकी आग लगाऊंगा। इसके अलावा कई अन्य तरह की अपमान जनक बातें भी इस लेख में लिखी गईं। आरोपी ने यह भी लिखा था कि वह ओडीशा, बिहार, झारखंड़, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के माओवादियों का समर्थन करता है। इस लेख पर जैसे ही गृहमंत्रालय के अधिकारियों की नजर पड़ी तो उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त को इसकी जानकारी दी। इसके बाद पुलिस आयुक्त ने स्पेशल सेल के डीसीपी को इस मामले की जांच कराने के लिए कहा। पुलिस ने जांच करते हुए वेबसाइट के मालिक से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे लेख ईमेल के माध्यम से मिला था।

पुलिस ने गुगल को उस ईमेल आईडी की जानकारी भेज कर आईपी एड्रेस के बारे में पता लगाने के लिए कहा। गहन जांच के बाद पता चला कि राहुल कुमार मूल रूप से बेगूसराय (बिहार) का रहने वाला है और दिल्ली में मुनिरका गांव में किराए पर रह रहा था। उसने मुनिरका के ही एक साइबर कैफे से यह धमकी भरा लेख वेबसाइट को ईमेल किया था। पुलिस अब राहुल कुमार की तलाश कर रही है। उसके खिलाफ पिछले दिनों तीन अगस्त को साइबर सेल ने आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. navin kumar rai

    August 7, 2011 at 9:02 am

    kalam mey talwar se jyada taqat hoti hai. ey baat chidambaram behatar jante hai aur yahi wajah hai ki chingari ko aag bantey deykh wo bujhane ki firak mey hai. lekin unka mansuba kamyab nahi hoga. sachai ka samna karane ki bajay chidambaram hamesh short cut rasta apnatey hai. is mamale mey bhi wo ey hi kar rahey hai. agar dum hai to apani gireban mey jhanke aur deykhey ki chunav kis tarah jitey hai. agar wo loktantra ki baat karatey hai to us par amal bhi karey. aur rahul ke mamale mey sayam bartey varna ek rahul kya anginat janam lengey kis- kis ko salakho ke pichey band kareyngey?[b][/b]

  2. Harishankar Shahi

    August 7, 2011 at 11:47 am

    जब इस बात की जाँच हो चुकी थी कि यह लेख कैसे लिखा गया और कैसे छपा तब इस पर फिर से मुकदमा दर्ज करने का क्या औचित्य है यह समझ नहीं आता है. या तो सरकार इतना दर गयी है कि वह किसी भी विचार को पुरी तरह कुचलना चाहती है,. परन्तु इस क्रियाकलाप से सरकार लोगों में एक गलत सन्देश दे रही है कि सरकार विचार को मार रही है.
    यशवंत भाई जी आपको इसके लिए पत्रकारों के हस्ताक्षर अभियान या सरकार को चेन ईमेल भेजने का कार्यक्रम चलाना चाहिए. प्रधानमन्त्री और गृह मंत्री के वेब पर तो उनके ईमेल मौजूद हैं. वहां से ले लीजिए.

  3. विनोद भारद्वाज

    August 7, 2011 at 12:09 pm

    ये बहुत गंभीर मसला है . इस पर सभी पत्रकार संगठनो को एक होकर मुकाबला करना चाहिए.गृहमंत्री और दिल्ली पुलिस के आला अफसर इतनी ताकत अपराधियों और आतंकवादी संगठनों से निपटने में लगाएं तो उनका भी भला होगा और देश का भी .जो खुद ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार की कीचड में लिपटे हों क्या उनको महज एक आपत्तिजनक लेख पर इस तरह की दमनात्मक कार्यवाई करने का कोई नैतिक अधिकार है ?

  4. amrit pal singh

    August 7, 2011 at 12:21 pm

    यह मामला हुए एक साल से ज़्यादा का वक़्त बीत चुका है। लेख 8 मई 2010 को भड़ास के विचार खण्ड में प्रकाशित हुआ था। जिसके बाद साइबर क्राइम की टीम द्वारा राहुल से कुछ दिनों तक पूछताछ की गई थी। सारा मामला तभी ख़त्म हो चुका था। राहुल ने लिखित रूप से इस मामले में क्षमा भी मांगी थी और भविष्य में ऐसा ना लिखने की बात भी स्वीकार की थी। ऐसे में एक साल बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का क्या मतलब?

  5. shravan shukla

    August 7, 2011 at 3:14 pm

    yeh sarasar galat hai.. jab sabkuch pahle hi clear ho chuka tha to is tarah kee karyawaahi ka auchitya samajh me nahi aata… mukadma turant khariz kiya jana chahiye.. aur farar kiss adhar par dikhaya gya yeh to batana chahiye..jabki wah poochtaach ke lie pahle hi pesh ho chuka hai .. yadi jarurat padi to samandhit khabar ke anatargat lekh jarur prakshait kariyega.. jo jaruri ho waisa kadam uthaya jaye.. kya delhi police par iske lie koi kadam uthaya ja sakta hai ?

  6. nagmani pandey

    August 7, 2011 at 4:46 pm

    पहले देश भर के पत्रकारों को एक जुट होने कि जरूरत है उस के बाद पुलिस के प्रेस नोट या पहले प्रकाशित करने के दौड़ से दूर होने कि जरूरत है और रहा बात राहुल कि तो उस ने कोई आपराधिक वारदात को अंजाम नही दिया है अगर गृहमंत्री इतने सही है और दिल्ली पुलिस इतने सही है और कार्यवाई करना है तो पहले जो आतंकवादी और गुंडे घूम रहे है और जिसे पनाह दिए है उसे पकड़कर कार्यवाई करे तब उन्हें समझा जाये गृहमंत्री को मुंबई में २६/११ के आतंकी आजमल कसब को फंसी दे तो असली मन जायेगा

  7. varun rai

    August 7, 2011 at 7:03 pm

    rahul kumar ne jo kiya yo bhale hi aaj galt lage, lakin us parsthit me sahi bhi ho sakta hai. naya ladka hai khun garm hoga. likh diya. lekin aaj
    mera sabhi patrkaro se nivedan hai ki rahul kumar ka sath de. rahul ne himat dikhai hai us samay me jab patrkarita me chatukaro ki bhid hai.

  8. prasoon

    August 8, 2011 at 9:30 am

    इस लेख में बार-बार यह बात समझाई जा रही है कि राहुल ने नादानी में यह किया। इस साइट के मॉडरेटर तो बड़े बुद्धिजीवी हैं क्या उन्हें यह प्रकाशित करना चाहिए था. रोज किसी न किसी के बारे में कुछ न कुछ छाप कर नौकरी पर संकट पैदा किए रहते हैं क्या राहुल कुमार की दशा के लिए ये जिम्मेदार नहीं हैं। दूसरी बात लोग अपील कर रहे हैं कि इन्हें अभियान चला चुके हैं। एक अभियान ये पहले भी चला चुके हैं मां को न्याय. क्या हासिल हुआ इन्हें पता है. अखबार में गलत छप जाता है तो यह संपादक की मां-बहन करने लगते हैं. टीवी में रिपोर्टर गलत खबर चला देता है तो यह एडिटर की मां-बहन करने लगते हैं. अपनी बारी आई है तो बड़े क्रांतिकारी बन रहे हैं. ऐसे फ्रस्टेट लोगों से कोई उम्मीद करना बेमानी है

  9. दमन का विरोध करें

    August 8, 2011 at 11:59 am

    प्रधानमंत्री को इस फॉर्मेट से संदेश भेजा जा सकता है
    http://pmindia.nic.in/feedback.htm

    या सीधे इस पर मेल कर सकते हैं [email protected]

    गृहमंत्री को इस पते पर लिख सकते हैं
    [email protected]

  10. पवन

    September 13, 2011 at 1:15 pm

    यहा क़षि विभाग में आई टी मैनेजर द्वारा सभी ऑपरेटरो को प्रताडित किया जा रहा हैा सारे पदाधिकारी उसी की हा मे हा मिलाते हैा पता नही उसमे ऐसी क्‍या बात है

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

: घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव...

Advertisement