: जेठमलानी अपनी सनकमिजाजी के लिये कुख्यात हैं : आश्चर्यजनक है कि पूरी घटना पर चौरसिया ने भी मौन साध रखा है : ”…तुम मीडिया वालों को कांग्रेस ने खरीद रखा है… तुम अनएज्युकेटेड हो… अंग्रेजी नहीं जानते… बदतमीज हो… गेट आउट… निकल जाओ यहाँ से!” ये अशिष्ट, आक्रामक शब्द हैं भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य, जाने-माने ज्येष्ठ वकील राम जेठमलानी के। जेठमलानी ने मीडिया को कांग्रेस का जरखरीद गुलाम व अशिक्षित बताया।
यह सब उल्टा-सीधा कहते हुए जेठमलानी ने स्टार न्यूज चैनल के वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी दीपक चौरसिया को अपने घर से निकाल बाहर कर दिया। जेठमलानी यह टिप्पणी करने से नहीं चूके कि तुम मेरी मेहमाननवाजी का बेजा इस्तेमाल कर रहे हो। चौरसिया चैनल के एक कार्यक्रम के लिये रामजेठमलानी का साक्षात्कार लेने पूर्व निर्धारित समय पर गये थे। जेठमलानी अपनी सनकमिजाजी के लिये कुख्यात हैं।
चौरसिया के पहले अन्य कुछ चैनलों के कार्यक्रम में भी वे बदतमीजी से पेश आ चुके हैं। सनकमिजाजी ऐसी कि 1990 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया था और चंद्रशेखर कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने की जुगत कर रहे थे (जो बाद में बनी भी) तब विरोध स्वरूप जेठमलानी चंद्रशेखर के घर के बाहर धरने पर बैठ गये थे। कहते हैं कि धरने पर बैठे जेठमलानी की कुछ बातों से चंद्रशेखर उग्र हो उठे थे। उन्होंने इशारा किया और फिर उनके एक समर्थक पहलवान नेता ने रामजेठमलानी की पिटाई कर डाली थी।
लगता है जेठमलानी की आदतें गई नहीं हैं, सो उन्होंने दीपक चौरसिया के जरिये मीडिया को निशाने पर ले लिया। कांग्रेस सरकार को भ्रष्ट, चोर, बेईमान बतानेवाले जेठमलानी को भारतीय जनता पार्टी सहन करती रहे, हमें आपत्ति नहीं! किंतु जब वे मीडिया के साथ राज ठाकरे या शिवसैनिकों की तरह बदतमीजी ने पेश आते हैं, तब उन्हें उनकी हैसियत बताई जानी चाहिए। फिर दीपक चौरसिया और उनका चैनल स्टार न्यूज जेठमलानी की बदतमीजी पर तटस्थ क्यों बने रहे? अन्य मौकों पर अपने ऊपर कोई आक्रमण का हमेशा प्रतिवाद करनेवाला मीडिया जेठमलानी मुद्दे पर शांत क्यों? अगर यह रवैया उपेक्षा की श्रेष्ठ नीति की तहत अपनाया गया है, तब भी आसानी से यह किसी के गले से उतरनेवाली नहीं।
जेठमलानी के द्वारा चौरसिया का अपमान किसी बंद कमरे में नहीं हुआ था। बल्कि सब कुछ कैमरे के सामने और लाखों लोगों ने पूरी घटना को टेलीविजन पर देखा भी। ऐसे में घटना की उपेक्षा सहज नहीं। ऐसे ”मौन” को मीडिया ही स्वीकारोक्ति निरूपित करता आया है। तो क्या राम जेठमलानी के आरोप को स्टार न्यूज ने स्वीकार कर लिया है? विश्वास नहीं होता कि जेठमलानी के निहायत घटिया शब्दों को स्टार न्यूज जैसा प्रतिष्ठित चैनल स्वीकार कर ले। दीपक चौरसिया की पहचान एक निडर, लब्धप्रतिष्ठित पत्रकार के रूप में है। सटीक राजनीतिक विश्लेषण के लिये वे पहचाने जाते हैं। यह आश्चर्यजनक है कि पूरी घटना पर चौरसिया ने भी मौन साध रखा है।
जेठमलानी जब उनके प्रश्न पर आपा खो बदतमीजी पर उतर आये थे, तब शांत रहकर चौरसिया ने अपनी शिष्टता का परिचय दिया था, यह तो ठीक है। किंतु जब जेठमलानी ने पूरे मीडिया को बिकाऊ बेईमान, अशिष्ट, गैरजिम्मेदार और अशिक्षित करार दिया, तब घटना के बाद किसी अन्य कार्यक्र्रम या मंच से विरोध तो होना ही चाहिए था। मैं पहले बता चुका हूं कि उपेक्षा की नीति यहां स्वीकार नहीं की जा सकती। जिन लाखों दर्शकों ने जेठमलानी को चौरसिया और मीडिया पर आरोप लगाते, गरजते-बरसते देखा, वे भी मीडिया के इस मौन पर अचंभित हैं। इस मौन को स्वीकारोक्ति माननेवालों की भी कमी नहीं है। कोई करेगा इनका प्रतिकार!
लेखक एसएन विनोद प्रतिष्ठित पत्रकार हैं. इन दिनों हिंदी दैनिक 1857 के प्रधान संपादक के रूप में नागपुर में कार्यरत हैं.
Comments on “राम जेठमलानी ने दीपक चौरसिया को भगाया!”
दूसरों पर ऊंगली उठाने वाले जेठमलानी को याद रखना चाहिए कि वे एक देशद्रोही को बचाने की पैरवी कर चुके हैं। एक ऐसे अपराधी की जो देश की संसद पर हमला कर चुका है। जिसके पास इतनी सी भी गैरत नहीं, वो दूसरों की समझ की क्या बात करेगा। दरअसल जेठमलानी साहब पर [u]उम्र हावी होने लगी है,[/u] और क्या? >:(
वी पी सिंह की सरकार गिरने के बाद जेठमलानी चंद्रशेखर के घर धरने पर नहीं बैठे थे, बल्कि 1989 में जनता दल की सरकार बनने की तैयारियों के बीच धरने पर बैठे थे। उस समय प्रधानमंत्री पद के लिए वी पी सिंह और चंद्रशेखर दोनों दावेदार माने जा रहे थे। जेठमलानी नहीं चाहते थे कि चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बनें और अपना दावा वापस लें। इसलिए वे धरने पर बैठे थे। लेकिन उनकी ये करतूत चंद्रशेखर के समर्थकों को पसंद नहीं आई और जेठमलानी साहब की पिटाई कर दी थी। लेकिन तब देश के ताकतवर वकील उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाए थे।
जेठमलानी ने बिल्कुल ठीक किया. ख़ुद को तुर्रमखां समझकर देश को बेवकूफ़ बनाने वाले पत्रकारों के लिए कभी-कभी इस तरह सबक बहुत ज़रूरी हैं. जेठमलानी ने आईबीएन सेवन के आशुतोष को भी उसकी औकात बताई थी. कोई तो निकला माई का लाल
Takkar barabar ki hai zanab..jaithmalani sahab khud ko sanvidhan ka pitamah samajhte hai to chourasia apne aap ko t.v patrakarita ka shahanshah…fir apan log kahe tension ke bhayya..
राम जेठमलानी ने दीपक चौरसिया के साथ जो कुछ किया उसे सारे देश ने टेलीविजन के माध्यम से देखा, कैसे रामजेठमलानी ने माइक निकाल फेंका और तो और दीपक चौरसिया को बुराी तरह से डांटते हुए चले जाने को भी कह दिया। रामजेठमलानी की हरकतों से देश कई बार शर्मिंदित हुआ है। रामजेठमलानी जैसे लोग पैसे के लिए अफजल गुरू के मामले की पैरवी करते हैं। मनु शर्मा की पैरवी करते हैं। उन्हें सिर्फ पैसे चाहिए, पैसे के लिए वे किसी की भी पैरवी कर सकते हैं। इन्हें शर्म हया नाम की कोई चीज नहीं। कभी कांग्रेस पार्टी की चापलूसी करते हैं राज्यसभा की सीट पाने के लिए तो कभी अटल बिहारी वाजपेयी की और हिम्मत तो देखिये उसी अटल बिहारी वाजपायी के खिलाफ लखनउ से विरोध में खड़े हो जाते हैं। इनके लिए पैसा ईमान और दीन-धर्म है। देश ऐसे ही जैसे लोगों के चलते बार-बार धोखा खाता है। मीडिया के सामने बड़े-बड़े अपराधी भी दुम दबाए खड़े होते हैं। लेकिन इस तरह का व्यवहार राम जेठमलानी बार-बार करते हैं। काश! उन्हें अक्ल आये।
na payt may aant aur na muh may daant rah gaye hai budhau kay phir bhi garma raha hai ray. es jeth ki garmi may jab deepak bhai malai khanay wah bhi jeth -malaani jaisay vikhayat param h………kay ghar jayengay tou wahi hoga na jo budwa karish baa.don’t worry deepak bhai ap haathi hai aur wah k,,,,,..
yeha jethmelanigalet nahi hai yeha galet hai hemara samaj jo itne buddhe logo ko bhi setta ki kursi tak pahuchata hai in jaso ki kya okkat jo aisa kar jaye . hemain yuvao ko mouka dena chahiye aage aane ka .
ha ha ha…
Jethmalani, tailented hain, par tailent ka durupyog karate hain.
deshdrohiyo aur bharstrachariyo k case ladte hain. rajnetawo ko mukadme se bacha kar fees ke rup me rajysabha ki sadsyata lete hain.
Adwani ko hawala se bachaya eshliye parti ke har virodh ke bad adwani ne jethmalni ka hi nam sahmti di aur parti ko badya kiya.
Lalu yadav ko v chara ghotale se bacha kar pahle v rajya sabha me pahuch juke hain.
media ko jethmalani ka bycote karna chahiye.
:D:D:D
purane log kahte sahi hai ki sath sal ke bad aadmi sathiya jata hai.Ram Jethmalani bhi umra ke takaje ke chalte is padav par pahunch gaye hai.Main to kahunga ki sabhi media person ko Ram Jethmalani ki covrej ki ek bhi line chapna band kar dena chahiya.eisa hone par unki halat jal bin machli jaise hogi From :- Sareen Chandra Goyal (Mandideep) Press Reporter Raj Express Bhopal.
Main to kahunga ki Ram Jethmalani sansad Bhawan main kitni hi badiya Speech de,koi bhi Media Person use prakashit athwa prasarit nahi kare.tab unhe ehsas hoga .iske alawa unki koi bhi covrej Bhi nahi kare From :- Sareen Chandra Goyal (Mandideep) press reporter Raj Express Bhopal
आप कितना भी लिख लें..लेकिन जेठमलानी को शर्म नहीं आने वाली…
rashtriya sahara se nikalne ke bad rajesh vajpeyi ke pas aalochna aur upendra jee ki taareef ke alava koyi kam nahi rah gaya hai kya ? pahale unnav se likhate the, ab kanpur ke nam se pil pade hain. bahi rajeesh____ pahale koyi akhbar paad lo, phir mukhkhanbaji me lago.
wo thali ke baigan ho gaye hai, par media walo ko bhi unki aukaat yaad dilani jaruri hai……
अरे भाई, कोई तो इस बुड्डे को पीटो….
”…तुम मीडिया वालों को कांग्रेस ने खरीद रखा है… तुम अनएज्युकेटेड हो… अंग्रेजी नहीं जानते… बदतमीज हो… गेट आउट… निकल जाओ यहाँ से!” विनोद जी व्यक्तिगत विद्वेष जेठमलानी से हो तो बात अलग है, परन्तु जेठमलानी ने मिडिया के बारे में गलत क्या कहा है. क्या आज की मिडिया चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रोनिक कोंग्रेस की चरण चारण नहीं करती? क्या एक भी राष्ट्रीय चैनल की हिम्मत है सोनिया मनमोहन से उसकी इच्छा के विपरीत सवाल पूछने की या आरोप लगाने की?
क्या आज की मिडिया लोकतंत्र की चौथा स्तम्भ कहलाने लायक है? क्या एक भी मिडिया घराना ऐसा है जिसकी वास्ता जनसरोकार से हो? क्या आज की मिडिया पूंजीपति की रखैल नहीं है ? क्या आज का पत्रकार विज्ञापन एजेंट बनकर नहीं रह गया ? क्या संपादक का काम मुनाफा कमाकर मालिकों का जेब भरना नहीं रह गया? तो ऐसे में जब मिडिया अपने दायित्व से विमुख हो चूका है लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नहीं रहा, संपादक संपादक नहीं रहा पत्रकार पत्रकार नहीं रहा तो फिर आपको जेठमलानी के शब्दों से इतना मिर्ची क्यों लगा? इससे कोई इंकार नहीं कर सकता की आज भी मिडिया में बहुत सारे अच्छे पत्रकार संपादक है, परन्तु उनको कितनी आजादी मिला हुआ है अपनी दायित्व सही से निभाने के लिए.
ये एक खुला सच है की एक मिडिया संसथान चलाने के लिए बहुत सारे पैसे चाहिए. और पैसा जो लगाएगा ओ मुनाफा भी कमाएगा, मुनाफा कमाएगा विज्ञापन से और विज्ञापन मिलेगा सरकार से और बड़े उद्योगों से, तो फिर हुक्म किसका बजाएगा सरकार और पूंजीपतियों का, सरकार किसका है कोंग्रेस का—————————–.
तो फिर ये थोथा आदर्शवादिता क्यों और किसलिए -“हम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ है”, जब आपके हाथ में कुछ भी नहीं है आप एक कठपुतली मात्र हो जिसकी डोर पूंजीपतियों के हाथ में है, तो फिर अपनी खीज जेठमलानी पर क्यों उतारने की कोशिश कर रहे हो, आप अच्छे पत्रकार हो, आप अच्छे लिखते हो अच्छे बोलते हो, सब ठीक है परन्तु आपको स्पेस कौन मुहैया कराएगा? और जो स्पेस मुहैया करेगा उसके विरुद्ध आप लिख सकते हो? यदि आपने लिख भी दिया तो कितने सेकेण्ड ओ मिडिया संसथान आपको बर्दास्त कर सकता है?
प्रश्न बहुत सारे है विनोदजी परन्तु आज बात होनी चाहिए, आज की मिडिया जिस अंधी सुरंग में फँस चुकी है उससे कैसे निकाले, जिस दलदल में फँस चुकी है उससे कैसे निकाले, परन्तु हम बात कर रहे है की जेठमलानी ने दीपक चौरसिया को कोंग्रेस का एजेंट क्यों कहा? अरे जब दीपक चौरसिया कोंग्रेस का एजेंट बनकर राम जेठमलानी से असुविधा जनक सवाल जवाब करेगा तो जेठमलानी क्या कहेगा? आपको तो जेठमलानी को साधुबाद देना चाहिए जो आज के माहौल में जब एक स्वर से सारे मिडिया जय सोनिया, जय मनमोहन, जय अम्बानी, जय माल्या ————–का गुणगान गा रहा हो, विपक्ष तक सीबीआई के डर से मूक बना हो, ऐसे माहौल में सच बोलने का सहस किया ”…तुम मीडिया वालों को कांग्रेस ने खरीद रखा है”.
राम जेठमलानी ने दीपक चौरसिया के साथ जो कुछ किया उसे सारे देश ने टेलीविजन के माध्यम से देखा, कैसे रामजेठमलानी ने माइक निकाल फेंका और तो और दीपक चौरसिया को बुराी तरह से डांटते हुए चले जाने को भी कह दिया। रामजेठमलानी की हरकतों से देश कई बार शर्मिंदित हुआ है। रामजेठमलानी जैसे लोग पैसे के लिए अफजल गुरू के मामले की पैरवी करते हैं। मनु शर्मा की पैरवी करते हैं। उन्हें सिर्फ पैसे चाहिए, पैसे के लिए वे किसी की भी पैरवी कर सकते हैं। इन्हें शर्म हया नाम की कोई चीज नहीं। कभी कांग्रेस पार्टी की चापलूसी करते हैं राज्यसभा की सीट पाने के लिए तो कभी अटल बिहारी वाजपेयी की और हिम्मत तो देखिये उसी अटल बिहारी वाजपायी के खिलाफ लखनउ से विरोध में खड़े हो जाते हैं। इनके लिए पैसा ईमान और दीन-धर्म है। देश ऐसे ही जैसे लोगों के चलते बार-बार धोखा खाता है। मीडिया के सामने बड़े-बड़े अपराधी भी दुम दबाए खड़े होते हैं।
jethmalani jaise badmizaz byakti ke liye to usi ki bhasha me jabab dena chahiye
jisako is baat ki tameez na ho ki ek media person se kis tarah se pesh ana chahiye .
Ram jethmalani ki is harkat par Bhajpa ko sarwjanik tor par mafi mangni chahiye sath hi wakil sahab ko nasihat deni chahiye ki party ki dubti neya ko aur dubone ki koshish mat karo. party ke paksh men mahol banao na ki aur virodhi khade karo.
JETHMALANI IS RIGHT. MOST OF THE TV JOURNALIST ARE MOUTH PIECES OF CONGRESS.
JEITHMALANI JI jeise insaan ko is tarah ka bartaav shobhaa nahi deta hei.
unko aeisa nahi karna chahiye. DEEPAK JI ke saath to is tarah pesh aana bilkul galat hei. JEITHMALANI JI ko apne gusse par control karna chahiye.
Umra ka dosh nahi… BJP walon se aap aur kya ummid kar sakte ho. Atal ji ko ye sajjan kal tak gaaliyan de rahe the aaj BJP ne ise god me bithaya hai. kam se kam atalji ke jaane tak ka intezar to kar lete.
yashwant bhai yeh mathole maharaj ka asli naam pata bata dijiye phir batau ki mai unnao say pahlay Q aur ab kanpur say Q comment likhta hoo.
maharajji apnay mujhe bhai kaha hai esliye ek sujhau hai mayray bhai mai tou apnay sahi naam patey say likhta hoo aur prayas karta hoo ki such likoo.
upendraji ko es topic par Q LAY AYE YAHA TOU DEEPAKJI -JETHMALANI PRAKRAN CHAL RAHA HAI .VAGAIR TITLE PADHEY DEKHEY LIKH MAARTAY HO BHAI.
jane do bhai……na jathmalani sharif hai na chaurasiya……jaisa sawal waisa jawab……kisi ko media gali deta hai…..koi media ko gali deta hai……accha hua star ne is per vishesh nahi kar diya…..warna hafte bhar ghante me 15 baar promo dekhna padta……waise vakilo kii aadat hoti hai apne ko sabse upar samajh ne ki…..
patrkar aise logo ke pass jate hee kyo hain. inke alava koi or khabar nahi hai kya.
सवाल बीजेपी से भी पूछा जाना चाहिए। शर्म तो उसे भी करना चाहिए। हां आपने कहा कि बोला क्यों नहीं कुछ चैनल ने। तो बोलेंगे कैसे बीजेपी से चौरसिया जी के मधुर रिश्ते रहे हैं और हां ये जो बीजेपी वाले हैं न इनका मीडिया मैनेजमेंट कमाल का है। ये तो जगत विदित है।
जब गैरत बीजेपी में नहीं है तो फिर उनके ये राज्य सभा के सांसद महोदय क्या करें। शायद बीजेपी थूक कर चाटने का आदत हो गई है।
रामजेठमलानी ने जी किया वो शर्मनाक है .मीडिया भी अपने गिरेबान में देखे की आखिर जेठमलानी जैसे लोग उनसे क्यों हाथापाई कर लेते हैं । मीडिया का चेहरा समाज में दलाली का चेहरा बनता जा रहा है .क्या दीपक चौरसिया एक बार खुद ” जो कहूँगा सच कहूँगा ” में चाहेंगे की कोई उनकी आज तक की करतूतों पर सवाल पूछे ..या सिर्फ ये ही क्यों देश के कई और भी नामी पत्रकार से भी उनके करतूतों पे पूछा जाना चाहिए । पता तो चले देश को कि ये कितने बड़े बड़े दलाल हो चुके हैं ..अभी तो शुरुवात है पत्रकार नहीं सुधरे ..इमानदारी की जगह दलाली से पेशा चलाया तो एक दिन भीड़ में पीटेगी ..रामजेठमलानी को कल यही पत्रकारों का एक वर्ग पार्टी भी देता नज़र आएगा .बहुतों ने उनको शाबाशी दे भी दी होगी जो दीपक से खार खाते हैं .इनके यहाँ देबांग ने भी ज्वाइन किया है उनसे पूछिए वो क्या गुल खिला रहे हैं । ..सब दलाली के चोचले हैं ।
मुझे तो पता नहीं क्यों ये मैच फिक्स लगता है। हो सकता है कि इसके लिए जेठमलानी ने स्टार न्यूज से फीस भी लिया हो। टीआरपी का खेल है, इसलिए स्टार न्यूज तैयार भी हो गया होगा। क्योंकि दीपक के साथ ऐसा व्यवहार कोई आसानी से नहीं कर सकता….. आसानी से समझा जा सकता है कि आखिर जेठमलानी को दीपक ने उसी लहजे में जवाब क्यों नहीं दिया। बहरहाल टीवी में कुछ भी हो सकता है। टीआरपी का खेल है।
ham logo ne star me NAYAK film ke shooting dekhi,na depak bhi kam hi na ram jethmalni je,ur media ko bura bhala khane ? ajj har salibrity media ko gali dena appna dharm sammajhta hi ……….
pr ham logo ka kya bigdega ham to QUS. karenge hee,appko bura khahoge,fir to hame malum hi ham bure hue hi na ………kya kare anndhe ko anndha khne ki sapath jo le hi hamne ,ham be appni addat se majboor hi….. [b][/b][u][/u][u][/u][b][/b] sanjay choudhary jabalpur,MEMA
जेठमलानी साहब, ऐसा पहले भी कर चुके हैं.
अभी कुछ दिन पहले ही वो करण थापर के प्रोग्राम मे भी बीच में ही उठ कर चले गए थे.
ऐसा लगता है कि उनमें बिल्कुल भी साहस नहीं बचा है जवाब देने का.
लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसमे स्टार या दिपक को कुछ करने की जरुरत है.
जेठमलानी ने जो कुछ किया उसे सारे देश ने टीवी पर देखा.
अब लोगों को और भाजपा को यह तय करना है कि उनका नेता कैसा है
Jis tarah se Deepak chaurasia ne passion rakha wo bakai kabile tareef hai Jethmalani ko uske hi andaaj me jawab milega. iska mujhe pura bharosa hai. Agar us samay deepan aapa kho dete to Jethmalani aur deepan me koi antar nahi rahe jata. Media jethmalani ko iska jawab apne style me jaroor degi
गलत है कि पूरा मीडिया बिक गया है!
उपर प्राप्त प्रतिक्रियाएं वर्तमान के कड़वे सच को रेखांकित कर रही हैं! पूरी की पूरी व्यवस्था का कड़वा सच! प्राप्त अनेक प्रतिक्रियाओं में से एक विजय झा का उल्लेख करना चाहूंगा। विजय बहस चाहते हैं इस पर कि आज मीडिया जिस अंधी सुरंग में फंस चुका है, उससे कैसे निकले…? विजय यह भी जानना चाहते हैं कि जब कोई पत्रकार कांग्रेस का एजेंट बनकर किसी से असुविधाजनक सवाल करे, तब जवाब कैसा मिलेगा? विजय की जिज्ञासा है कि जब पूरा का पूरा मीडिया एक स्वर से जय सोनिया…जय मनमोहन…जय अंबानी…जय माल्या…का राग अलाप रहा हो, विपक्ष सीबीआई के डर से मूक बना हो, तो ऐसे माहौल में रामजेठमलानी ने सच बोलने का साहस कर गलत क्या किया?” रामजेठमलानी के आचरण की आलोचना से इतर जिन लोगों ने मीडिया को आड़े हाथों लिया है उन सभी के विचार कमोबेश विजय के विचार से मिलते-जुलते हैं।
यह ठीक है कि आज मीडिया एक बड़े उद्योग की शक्ल ले चुका है। इसे चलाने के लिये बड़ी पंूजी की जरूरत पड़ती है। अर्थात मीडिया पर आधिपत्य पूंजीपतियों का ही है। किंतु यह पूर्ण सच नहीं कि पूरा का पूरा मीडिया सत्ता के हाथों बिक चुका है या पूंजीपति मालिकों के इशारे पर नाच रहा है। आज भी वैसे प्रकाशन संस्थान और वैसे मीडियाकर्मी, संपादक मौजूद हैं, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की पवित्रता को कायम रखने, उसकी अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य निष्पादन के प्रति प्रतिबद्ध हैं। चाहे राजसत्ता हो या पूंजीपति मालिक, उनके अनुचित अथवा अनैतिक दबाव के सामने झुकने को वे तैयार नहीं। मूल्य आधारित तथ्य व उद्देश्यपरक लेखन इनकी विशेषता है। हां, यह ठीक है कि इनकी संख्या नगण्य है। भ्रष्ट व्यवस्था की व्याधियों ने इस पेशे के अधिकांश लोगों को अपने आगोश में जकड़ लिया है। भ्रष्ट राजनीतिकों और भ्रष्ट उद्योगपतियों, व्यवसायियों की तरह यह वर्ग भी धनपिपासु बन चुका है। पीड़ा तब गहरी हो जाती है जब इन लोगों को धन कमाने की सीमा लांघ सत्ता की सीढिय़ों पर चढ़ते देखता हूं! निश्चय ही इस मुकाम पर ये न केवल पत्रकारीय मूल्यों के साथ समझौता करते हैं, सिद्धांतों का सौदा करते हैं, बल्कि कलम को बेच या गिरवी रख रेंगने लगते हैं, बिलबिलाने लगते हैं! यह अवस्था अपवाद के रूप में मौजूद पत्रकारों के लिये निश्चय ही एक चुनौती है। उनके मार्ग में बाधाएं तो आती हैं। समाज व घर-परिवार के स्तर पर उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, दीन-हीन बन उन्हें तानों-कटाक्षों से भी दो-चार होना पड़ता है, मूर्ख व असफल भी निरूपित कर दिये जाते हैं ये लोग! बावजूद इसके ये धन या राजसत्ता के लोभ-प्रलोभन के जाल में नहीं फंसते! ये लेखन को कर्म मानते हैं। फिर दोहरा दूं कि ऐसे लोगों की संख्या नगण्य है! किंतु इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि निरुत्साहित, हताश हो मीडिया के परचम को पैरों तले रौंदने को छोड़ दिया जाय! पूंजी की जरूरत और महत्व के बीच ही पत्रकारीय मूल्यों की रक्षा और इसकी अपेक्षाओं की पूर्ति की दिशा में ईमानदार कार्यनिष्पादन के मार्ग ढूंढ़े जाने चाहिए। मैं अपने अनुभव के आधार पर यह रेखांकित करने की स्थिति में हूं कि अगर संपादक और पत्रकारीय बिरादरी के अन्य वरिष्ठ, ईमानदारी से प्रयास करें तब संचालक अर्थात मालिक भी बगैर किसी प्रलोभन में फंसे, बगैर किसी दबाव में आये पत्रकारीय मूल्यों की रक्षा कर सकता है, मीडिया संस्थाओं की गरिमा-मर्यादा को कायम रख सकता है। रही बात मुनाफे की तो पाठकीय स्वीकृति से मिली पहचान संस्थान को आर्थिक लाभ भी मिला देगी। सिर्फ संयम रखने की जरूरत है। जिस तरह लोकतंत्र में अंतत: निर्णायक जनता होती है, उसी प्रकार समाचार-पत्रों की दुनिया में निर्णायक पाठक ही होता है। औैर यही विशाल पाठकवर्ग ईमानदार-निडर पत्रकारों का सुरक्षा-कवच भी
एसएन विनोद
मुझे ये समझ नही आ रहा बात बेबात पर हफतो एक जुट हो कर चिल्लाने वाला मीडिया समूह इतनी जल्दी भूल कैसे गया , और चौरसिया जैसे वरिष्ट का हाथ मलते रह जाना हजम नही हो रहा खेल कुछ टी आर पी का ही लगता है जो भी हो दोनो बाते दोनो पक्षो के लिऐ शर्मनाक हैं……. सतीश कुमार चौहान भिलाई
[b]{netao ko do karara jawab} ramajethmalani ka dimag kahrabh ho gaya
aur pata nahi unhone media ko congress ka ghulam waise bhi bjp kuch ache
daur se nahi gujar rahi hai iski ke chalte ye thoda behki behki bate kar rahe hai
lekin ye achi bat nah hai ki media ko ish tarah blame kiya jaye
deepak bhai ,
BJP rajaya sabha sadasaya dosent know any thing about cross thas why they ill get angery ….dont so any think we media people with u …..
[img][/img]:);):D;D:(8):P:'(
Ram jehmalani thali ke baingan hain. Paisa mile to apani maa tak ko bech de. Asal me wo ek bimar aadami hai. Sathiya to pahale hi gaya tha. Fir Deepak ji ne Shalinata ka jo parichay diya wo kabile tareef hai. Mujhe nahin lagata ki is ghatana par deepak ji ya media ko kuch bolane ki jaroorat hai. public ne sab dekha our jaan liya hai.
Jawab to BJP ko dena hai jisane jethmalani jaise mansik rogi ko desh ki uchch sadan ka sadasya banaya. BJP wakai me thook kar chatane waali party hai. isi BJP ke Raaj me Sansad par hamala hua. Is hamale ke master mind Afjal Guru ki pairwi ki is ram jeth malani ne. our aaj wohi jeth malani BJP se Rajya Sabha ka Sadasya hai. Wah re BJP. Wah re Jethmalani.Kash Us di ka Sansad Hamala Safal ho gaya hota.
ram jethamalani ko surkhiyo me lana band karo