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सहारा मीडिया में पुराने आदेश रद, 6 सदस्यीय टीम बनी

संजीव के आने के बाद माहौल सुधरा : बड़े-बड़े लोग भी चेंबर से बाहर निकल कर काम करते दिख रहे : सहारा मीडिया में संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के पहुंचने से कई तरह के बदलाव की खबरें हैं. इनके आने के बाद शीर्ष स्तर से एक आदेश जारी कर पहले जारी किए गए सभी नोटिसों को रद्द किए जाने की सूचना दी गई है. इसका आशय यह लगाया जा रहा है कि यूनिट हेड बनाए गए विजय कौल फिर अपनी खोल में वापस लौटा दिए गए हैं.

<p align="justify"><strong>संजीव के आने के बाद माहौल सुधरा : बड़े-बड़े लोग भी चेंबर से बाहर निकल कर काम करते दिख रहे : </strong>सहारा मीडिया में संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के पहुंचने से कई तरह के बदलाव की खबरें हैं. इनके आने के बाद शीर्ष स्तर से एक आदेश जारी कर पहले जारी किए गए सभी नोटिसों को रद्द किए जाने की सूचना दी गई है. इसका आशय यह लगाया जा रहा है कि यूनिट हेड बनाए गए विजय कौल फिर अपनी खोल में वापस लौटा दिए गए हैं. </p>

संजीव के आने के बाद माहौल सुधरा : बड़े-बड़े लोग भी चेंबर से बाहर निकल कर काम करते दिख रहे : सहारा मीडिया में संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय के पहुंचने से कई तरह के बदलाव की खबरें हैं. इनके आने के बाद शीर्ष स्तर से एक आदेश जारी कर पहले जारी किए गए सभी नोटिसों को रद्द किए जाने की सूचना दी गई है. इसका आशय यह लगाया जा रहा है कि यूनिट हेड बनाए गए विजय कौल फिर अपनी खोल में वापस लौटा दिए गए हैं.

संजीव श्रीवास्तव ने प्रिंट और टीवी के तीन-तीन लोगों की छह सदस्यीय एक विशेष टीम बनाई है जो छह टीवी चैनलों और प्रिंट के छह एडिशनों की खबरों का आपस में आदान-प्रदान करने के साथ-साथ कोआर्डिनेशन का काम कर रही है. संजीव श्रीवास्तव दिन में खुद टीवी, प्रिंट और वेब के लोगों की एक उच्चस्तरीय बैठक लेकर दिन भर की कार्ययोजना को अंतिम रूप प्रदान करते हैं.

संजीव के आने के बाद से रणविजय सिंह समेत सभी वरिष्ठ अपने-अपने केबिनों से बाहर निकल कर कामधाम करते दिखाई पड़ जा रहे हैं. पहले जो केबिन संस्कृति छाई हुई थी, वह अब धीरे-धीरे खत्म होने लगी है. सहारा के लोग भी इस बदलाव को महसूस कर रहे हैं और काम करने वाले लोग इसका स्वागत कर रहे हैं.

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0 Comments

  1. विजय याज्ञिक

    January 15, 2010 at 5:41 am

    ये एक अच्छी बात है ईश्वर से कामना है परिवार एक रहे
    जो लोग परिवार से बाहर किये है सेस्था को उन पर एक बार विचार करना चाहिये
    उन से कई लोग अच्छे काम करने वाले है सिर्फ राजनिती का शिकार हुऐ है
    उनको एक मोका अवश्य देना चाहिये
    मै इस फरमान का स्वागत करता हू

  2. Sanjeev Singh Negi

    January 15, 2010 at 5:56 am

    Thank for Sh. Sanjeev Srivastava & Sh. Upendra Rai.

  3. suraj singh

    January 15, 2010 at 6:07 am

    ye achi baat hai. chalo ab kam se kam kaam karne walo ko apni taquat dikhne ka sahi inaam mil payega.jisse na sirf channal ki saakh badegi balki kartavyogi bhi apna future sudhar sakte hai.

  4. विजय याज्ञिक

    January 15, 2010 at 7:51 am

    माननीय संजीव श्रीवास्तव और उपेंद्र राय जी को बधाई के साथ नम्र निवेदन करना चाहता हूं..कि चैनल की स्थिति सुधारने के नाम पर जिन काबिल लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है उन पर एक बार फिर विचार करना चाहिए….स्थिति सुधारने के नाम पर ग्वालियर जैसे ब्यूरो को पूरी तरह बंद कर स्टाफ रिपोर्टरों को स्ट्रींगर बनाकर जो ट्रीटमेंट दिया गया है…उससे सहारा समय जैसे चैनल की बाजार में बहुत किरकिरी हुई…दोनों महोदयों से निवेदन है कि ग्वालियर की स्थिति पर एक बार फिर विचार करें…और जिन स्टाफरों के साथ गलत हुआ है उनकी स्थिति पर एक बार विचार जरूर करें

  5. ऋचा

    January 15, 2010 at 8:55 am

    यह जानकर बेहद खुशी हुई कि सहारा में भी काम का माहौल बन रहा है। इससे पहले तो वहाँ काम करने वाले लोगों की कोई कद्र नहीं थी। शायद अब हो जाए।

  6. sanindup

    January 15, 2010 at 9:31 am

    acha hai, sahara mai lage jung ko hatane ke liya sabse pahle poltics karne valon ko side kar na chiya bake apnw app theek ho jayega. hame lagta hai sahara mai uppar label par kafi rajneeti ho rahe hai.

  7. sanindup

    January 15, 2010 at 9:32 am

    ye dissision kafi pahle le lena chiye tha.

  8. saleem maljk

    January 15, 2010 at 9:39 am

    print ke 6 adisan ka parsar and marketing par kuchch najreonayat bhi ho jaye to hi bedapar samjho…………. varna to ……..

  9. जितेंद्र

    January 15, 2010 at 12:14 pm

    ग्वालियर मे ब्यूरो कार्यालय केवल इसलिए बंद कर दिया कि मेनेजमेन्ट को लग रहा था कि उन्हे घाटा हो रहा है..लेकिन हकीकत ये है कि यहां से लाखों रूपए प्रतिमाह विज्ञापन के नाम पर वसूले जा रहे थे..लेकिन ये पैसा कंपनी तक नही पहुंचा..यही वजह है कि बेहतर काम और विज्ञापन देने वाले ग्वालियर ब्यूरो को निकम्मा मान लिया गया…और उसका खामियाजा स्टाफरों के साथ ही स्ट्रिंगरों को भी भुगतना पडा…लेकिन आरोपी के खिलाफ कोई कारवाई नही हुई..जिससे दूसरों को सबक मिल सके…आप दोनों वरिष्ठों से अनुरोध है कि तत्कालीन व्यवस्थाओं और ब्यूरो चीफ की करनी का खामियाजा जो ग्वालियर ब्यूरो को उठाना पडा है…उस पर पुर्नविचार करें…क्योंकि सहारा में सालों से काम करने वाले कर्तव्ययोगियों को एक साल तक ब्यूरोचीफ की करनी का भुगतान संस्था की हो रही वर्तमान छीछालेदर से भुगतना पड रहा है…

  10. विजय य़ाज्ञिक पूर्व कैमरामैन सहारा समय

    January 15, 2010 at 12:28 pm

    ये एक अच्छी बात है ईश्वर से कामना है परिवार एक रहे
    जो लोग परिवार से बाहर किये है सेस्था को उन पर एक बार विचार करना चाहिये
    उनमे से कई लोग बहुत अच्छे काम करने वाले है सिर्फ राजनिती का शिकार हुऐ है
    उनको एक मोका अवश्य देना चाहिये
    मै इस फरमान का स्वागत करता हू कृपया पहले भेजे गये कमेंट मे संसोधन करने की कृपा कर

  11. ARNAB KATTAKY

    January 15, 2010 at 3:56 pm

    I WISH SAHARA MEDIA GROUP WILL BRING BETTER PERFORMANCE IN THEIR NEWS CHANNELS WITH FULL SUPPORT FROM MR SANJIVE SRIVASTAVA AND MR UPENDRA RAI IN THIS FINANCIAL YR AND ALSO LOOK AFTER THE PAST PERFORMANCE OF THOSE EMPLOYEES WHO STILL WORKS DIDICATEDLY AND MAINTAINING STRONG POSITION OF NEWS CHANNELS IN THEIR RESPECTIVE TERRITORIES.

  12. ambuj

    January 15, 2010 at 4:34 pm

    ;s gqbZ dqN ckr
    oks ekjk ikiM+ okys dks
    vc lgkjk le; esa dqN izxfr vo’; gksxhA

  13. vijay mishra

    January 15, 2010 at 5:13 pm

    best of luck upendera sir

  14. sandeep shrivastava

    January 16, 2010 at 2:45 am

    Respected sanjeev ji
    sahara pranaam
    Rashtriya sahara me work karne ke baad aaj desh ke No-1 dainik me bhi vaisa work culture nahi mila jaisa 10 saal pahle maine Mp mai mahsush kiya tha.
    Bhai sahab – sahara desh ke samman ka prateek hai aap ke
    margdarshan me work karne ki ekchha hai.
    please mujhe ek baar nyaya kijiye halaki maine mataji ke tabiat
    kharab hone ke karan group continue nahi kar paya.
    sandeep shrivastava
    journalist -Durg (chhattishgarh)

  15. rajesh sthapak seoni

    January 16, 2010 at 3:27 am

    श्री संजीव जी आप के सहारा ज्वाइन करने के बाद से मेहनती कम करने वाले लोगो में एक उम्मीद जागी है की शायद सहारा श्री के प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सकता है सहारा में काम करने या परिवार में कम देने के पहले यह विचार कर लेवे कि जिस व्यक्ति को हम कम दे रहे है उसके परिवार का भरन पोषण सहारा से मिलने वाली वेतन में हो जायगा तब तो हम उससे ईमानदारी से कम ले सकेगे और वह भी सहारा के प्रति इमानदार हो कर कम कर सकेगा साथ ही किसी को भी सहारा परिवार में जोड़ने से पहले संस्था के कायदे कानून के विषय में पूरी जानकारी भी दे देवे,सहारा समय में ऐसे दर्जनों संवाददाता है जिन्हें महज १५००/- से लेकर २०००/- पारिश्रमिक मिलती है या तो वे काम करने के लायक नही है या उन्हें जानबूझ कर काम नही दिया जाता है क्या इसके वावजूद भी इतना कम वेतन पाने वाला व्यक्ति सहारा के प्रति पूरी ईमानदारी से काम कर पा रहा होगा इस पर भी गंभीरता से विचार किया जा जाना चाहिए

  16. sanjay gupta

    January 16, 2010 at 4:04 am

    Sahara ako sudharne ka jo jimedari sanjeev jee aur upendra jee ne uthaya hai unka mai the dil se shukriya karta hun. aur ummed krta hun ki is kadam se naye kam karne walon ko bhi mauka milega

  17. जाकिर हूसैन

    January 16, 2010 at 7:35 am

    आप दोनो सम्मानिय लोगो से उन लोगो मे भी नई आशा जागी है जिनको चैनल कि विषम परिस्थिया बताकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और उनकी सुनवाई करने वाला कोई नही था कृपया पुन:इस बात पर बिचार करे कि जिन लोगो को ब्यूरो कार्यालय से हटाया गया है उनकी आखिर गलती क्या थी अगर वह वास्तव मे वो गलत थे तो कोई बात नही है अगर उनकी कोई गलती नही थी तो उनको एक बार फिर से मौका देने की कृपा करे क्योकी जो लोग पिछले पांच साल से सहारा जैसे परिवार मे जुडे थे और अपने आप को सुरक्षित मानकर चल रहे थे वहा अब भूखो मरने की स्थिती मे आ गए है कोई बनिया की नौकरी कर रहा है 1500 रुपये की तो कोई चाट पकोडी की दुकान खोलने की सोच रहा है ऐसे मे आप लोग कुछ तो सोचो क्योकी शायद आदर्णीय सहारा श्री को भी नही पता कि कभी जिनके वो मुख्य अभिभावक यानी एक पिता के समान रहने वालो के बच्चे आज कही के नही रहे आखिर हमारी गलती क्या है कृपया एक बार उन सभी लोगो से आप एक बार मीटिंग करके जरूर मिले जिनसे जबरन इस्तीफा लिया गया है क्या हम पांच सालो से इसलिए अपने सीने पर हाथ रखकर सहारा प्रणाम करते रहे कि एक हमारा दिल रोए और को हमारी व्यथा सुनने वाला कोई न नही हो आप दोनो लोगो से यही गुजारिश है कि एक बार उन सभी लोगो की प्रोफाईल देखने की कृपा करे जिनको हटाया गया है कि उन्होने अपने पत्रकारिता के समय सहारा समय मे कौन कौन सी खबरे दी है जिससे चैनल की टीआरपी बढने के साथ साथ चैनल का नाम हुआ है लेकिन आज उन पत्रकारो की क्या माली हालत है और वो क्या कर रहे है माननिय हम सभी सहारा से दिल से जुडे है हम कही भी रहे सहारा हमारे दिल मे बसा है और हम भगवान से यही कामना करते है कि अगर मौत हो जाए और दुवारा जन्म हो तो भी भगवान हमे सहारा मे ही किसी नौकरी पर रखना क्योकी सहारा से हमारी आत्मा जुडी हुई है आप सभी लोगो को प्रणाम …………सहारा प्रणाम …?

  18. Atul Saxena

    January 16, 2010 at 9:40 am

    आदरणीय संजीव जी,

    आपका यह प्रयास तारीफ के काबिल है. बर्शेत आप उस कोकस से सावधान रहे जो आदरणीय सहाराश्री के सपनों को वर्षो से तार-तार करते आ रहे है. ग्वालियर और जबलपुर ब्यूरो तो इसकी बानगी मात्र है,यह के ब्यूरो चीफों ने जो कुछ किया उसकी सजा तो उन्हें नहीं मिली बल्कि मुझ जैसे कई ईमानदार स्ट्रिंगरों को न चाहते हुए भी संस्था से सहारा प्रणाम कहना पड़ा. वर्तामान में कार्यरत स्ट्रिंगरों की योग्याता को पहचान कर उनको प्रोत्साहित और पदोन्नत करने की दिशा में भी विचार करे. जिन्होंने ब्यूरो बंद होने के बाद भी पूरी मेहनत से ब्यूरो की तरह कामो को अंजाम दिया है. उम्मीद करता हू की इमानदारी से काम करने वाले नए और पुराने लोगो की सही पहचान कर आपका यह प्रयास उन्हें शायद एक मौका देगा.

    अतुल सक्सेना
    पूर्व स्ट्रिंगर
    सहारा समय ग्वालियर
    मोबाइल 09826274375

  19. sindhu jha

    January 17, 2010 at 10:36 am

    upendra bhai kafi young or energetic hai aap krantikari badlav lane main sachchamhai

  20. Dev kumar

    January 18, 2010 at 8:55 am

    Warm Welcome to Hon,ble Sh. Sanjeev Srivastava Ji, & Respected Sh. Upendra rai Ji,

    Yeh bilkul sach hai ki Sahara India Pariwar ki Haalat sach mein Market mein bahut kharab hai Iska kuch Reason yeh bi hai ki yahan ke kuch employees to aise hain jinhe marketing ke ABC bi nahi pata or unhe 25000/- 20000/- salary milti hai par mera manna to ye hai ki Sahara mein sirf Kaam krne vale logo ko lena chaiye.

    Sir apse vinaram nivedan hai ki ap please in baaton par vichaar kreein.

    Thanks & Regards

    Dev

  21. Shashwat

    January 18, 2010 at 4:52 pm

    Sahara ko deemak ki tarah chaat jane ke baad jinka media se transfer ho gaya hai… unke Kukarman ka zimmedaar kaun hoga? HRD ke saath milkar raste k pattharon ko hataya gaya, logon ka transfer kiya gaya, Mumbai me Aag lagakar, SAMAY ko barbaad kiya,TRP kahan se kahan gir gayi, Sare galat decesions lekar subordinate staff ko Nikal Diya gaya.Airlines ke chamchon ko Ucch Sthan diya aur TV Media walon ko nikal diya…Mumbai me Apni vyaktigat setting chalane k liye Varshon se karyarat staff ko transfer kar harass kiya ja raha hai taki wo job chhod den aur unki khilafat karnewala koi na bache.Ab bhi waqt hai…ek baar un sabhi ko bulayen jinhe Zabardasti Resign karne ko kaha gaya hai… Khalah Karoti Durvrittam Noonam Phalati Sadhushu….

  22. raghvendra tripathi

    January 19, 2010 at 12:06 pm

    saharashri ko pranam
    der se liya gaya sahi nirnay
    sabko santha ka virodhi batane yale khud santha ke virodhi hai. galt aarop lagakar kam karneyale ko bahar kiya gaya taki dalali chalti rahe. nai teem se bahut ummde hai

  23. vinod jain

    January 20, 2010 at 11:35 am

    सहारा समय कभी नहीं बदलने वाला. यहां हमेशा काम से ज्यादा चापलूसी को तरजीह दी जाती है. अगर मैं कहूं कि सुमित रॉय को सुमति थी ही नहीं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. मैनेजमेंट का आदमी मीटिंग में पत्रकारों को पत्रकारिता सिखाता था साथ ही दूसरे चैनलों के नक्शेकदम पर चलता था.इस व्यक्ति के पास खुद की सोच का सर्वथा अभाव था. जाहिर है ऐसे ही लोगों से सहारा समय भरा पड़ा है और यही वजह है कि इस चैनल का आज तक भला नहीं हो पाया. सुमित रॉय के समय ब्यूरो बंद करने के फैसले से हर जगह चैनल की सिर्फ किरकिरी हुई. ब्यूरो बंद करने के फैसले के पीछे नफा नुकसान का कोई पैमाना नहीं था पैमाना था तो सिर्फ लोगों की छंटनी. उन्हें लगता था कि ऐसा करके वो काफी पैसा खर्च होने से बचा लेंगे. ग्वालियर ब्यूरो की बात करें तो यहां से एक साल में इतना पैसा कंपनी को गया जो पिछले पांच सालों में कभी नहीं पहुंचा था. लेकिन यहां के ब्यूरो चीफ की झूठी शिकायतें और जांच के लिए आई कर्तव्यकाउंसिल की टीम को झूठे बयान देकर और दिलवाकर यहां के स्टाफ ने खुद अपने लिए खाई खोदी. ये वही लोग हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव में ब्यूरोचीफ के नए होने का फायदा उठाकर लाखों रुपए डकारे थे. शहर में इन पत्रकारों की इज्जत के बारे में जानना हो तो ग्वालियर का रुख करना ज्यादा ठीक रहेगा. सहारा से बाहर होने पर नौकरी से ज्यादा अपनी दुकानदारी बंद होने का खतरा था.इसीलिए दिल्ली और लखनऊ इन्होंने एक कर दिया.ब्यूरो चीफ से नाराजगी का आलम ये कि अपनी नौकरी जाने का जिम्मेदार भी उन्हें ही ठहराया और जमकर कोसा जो आज भी जारी है. इन लोगों ने अपने ब्यूरो चीफ को धमकियां भी दिलवाईं और बिहारी होने के वजह से ग्वालियर में काम नहीं करने देने की बात भी जगजाहिर कर दी. यहां के कैमरामैन को इसलिए सहारा प्रबंधन ने नौकरी से निकाल दिया क्योंकि उसने शिक्षा के झूठे सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए थे और पांच साल से नौकरी कर रहा था. ऐसे पत्रकार जो स्टोरी प्लान कर उसे अंजाम देते हैं फिर शूट कर वाहवाही बटोरने की कोशिश करते हैं, ऐसे कैमरामैन जिन्हें कैमरे की एबीसी तक पता नहीं. ये खुद किसी भी संस्थान को खोखला कर सकते हैं सहारा की बिसात ही क्या है. अब नौकरी जाने पर पोर्टल के माध्यम से उनका रोना सिवाय फूहड़ता के और कुछ नहीं है. अगर सामर्थ्य होती तो अब तक किसी और चैनल में नौकरी कर रहे होते यू तलवे चाटने की नौबत तो न आती

  24. deependra

    January 20, 2010 at 12:35 pm

    मैंने आज अपने एक दोस्त की सलाह पर पहली बार भड़ास मीडिया की साइट देखी है सबसे पहले तो इसके फाउंडर को धन्यवाद कि इतनी बढ़िया वेब साइट बनाई अब मैं भाई विनोद जैन जी के लेख की बात करना चाहूंगा हुआ ये कि मैं ग्वालियर का रहने वाला हूं और यहीं मेरा छोटा सा बिजनेस है एक बार की बात है सहारा के दो पत्रकार मेरी फैक्ट्री पर आए और कहने लगे कि मेरा काम गैरकानूनी है मैने उनसे मिन्नते की तो उन्होंने मुझ्स दस हजार रुपए मांगे मैंने असमर्थता जताई तो कहने लगे कि तुम्हारा काम बंद करा देंगे और फोटो खींच कर चले गए मेरी पड़ोसन जो एक एड्स पीड़ित महिला है उसने मुझे ग्वालियर के सहारा कार्यालय का पता दिया और कहा कि वहां चले जाओ मैं दो हजार रुपए लेकर वहां पहुंचा और वहां के प्रमुख अधिकारी को अपनी तकलीफ बताई तो मुझे हैरानी हुई कि उन्हें मामले का पता ही नहीं था उन्होंने मुझसे कहा कि आपको पैसे देने की कोई जरूरत नहीं है आप जाइए और भविष्य में आपको कोई परेशान नहीं करेगा मैं जब घर पहुंचा तो मेरी पड़ोसन ने मुझे बताया कि जब उसे अपने इलाज के लिए सरकारी मदद नहीं मिल रही थी तो उन्हीं साहब ने व्यक्तिगत पहल पर उसे सरकारी मदद दिलवाई थी और तो अपनी जेब से एक हजार रुपए भी दिए थे सहारा में काम करने वाले ग्वालियर के पत्रकार तो एक नंबर के रिश्पवत खोर हैं बिना पैसे के तो ये किसी गरीब का दुखदर्द भी नहीं चलाते मैं एक बार फिर से भड़ास का शुक्रिया अदा करूंगा कि उसने मुझे मौका दिया अब मैं ग्वालियर के पत्रकारों की पोल खोलने का काम करता रहूंगा

  25. zareensiddiqui

    January 20, 2010 at 1:18 pm

    mai nahi janta ki mai jo kament is blooge par kar raha ho usse sahaea samay channel ke kaam karne ke tarike me kitna badlav aaega ya nahi bhi aasakta hai mane bhi sahara samay raipur bataur stringer join kiya mahino tak meri story ki tareef hoti rahi protsahan ne mujhe aage badne ki prerna mili aur maine raipur ke paas r.t.o. cheak post me ja kar exclusiv story nikali agar story chalti to kai patrkaro ke chare pe pada nakab hat jata lekin mere office wapas aane se pahle hi raipur beuro chief ne mujhe no\aukri se hata aaj tak mere ander yah sawal uth raha hai aakhir meri galti kya thi sayad jada achche ke chakar mai mane apni naukri gawai ya fir sahara se jude kuch patrkaro ka naam se mai wakif ho gaya tha jo bhi ho aaj mujhe apne pariwar ja pet palne ke liye sanghres karna pad raha hai kya yahi hai sahara ja sahara mai upendrji aur sanjeev ji se aagrah karoga beuro chief ko hitler sahi se mukt karwae taki saharsamay ki visvniyata barkaraar rahe aur channel se jude patrkar bekhouf hokar kaam kar sake zareen siddiqui exstringar saharasamay

  26. Ek Sadasya

    January 20, 2010 at 5:01 pm

    Koi Bhi badlav accha hota he, kuch naya pan ata he, Lekin Ashcharya hota he Sahara se hat chuke aur Sahara me kaam kar rahe log, is trah purani vyavasthaon ko kos kar naye logo ko badhaee de rahe hen jese is se pahle kuchh bhi accha nahi tha, Chatukarita Ka Bolbala Batane walon Kya Ye CHAPLUSI Nahi He.. Jo Log Sahara me Kaam Na hone Ya Kaam Karne Walon ki Qadar Na Hone Ki Baat Karte Hen, Wo Khud Bhi to Iske Liye Zimmedar Hen… Sahara Me Kon Kitna Kaam Karta Tha Ya he Ye Apne GIREBAN me Jhank Kar Dekhen.. jinhone Comments Likhe he Inme se Kayee Log Apni Shift se Gayab Ho kar Film Dekhne Nikal Jate The… Desk se zyada Chaye ki dukan par Nazar Aate The, Rajneet Sahara Me Shayed Baqi Tamam Chennelon Se Kam Rahi he, Jinhe Dusri Jagah Naukari Mil gyee he jante honge.. Agar Itne Hi Kam karne wale The to Market me kyun Dhakke Kha rahe hen.. Ese Logon ko men KALIDAS se kam Nahi Samajhta, Usko to Aql Aa Gayee Inko Shayad hi Aye.. Ab to apne aap ko pehchano, Koee Bhi vyavastha ho Kaam Karne wale Log Pehchane jate he, Qabliyat Bhadas ki mohtaj nahi hoti, Sahara me Aaj Bhi time pass log maujud hen, Lekin Kaam Karne wale Bhi he Doston, Warna Chennel Ek Din Bhi Nahi chal Sakta.. Kher Dil Ki Bhadas He Bhadas Par Nikalte Rahiye..

  27. vinod

    January 21, 2010 at 8:12 am

    लगता है श्रीमान अतुल सक्सेना जी को बीपीएन टाइम्स की नौकरी रास नही आ रही तभी वापस सहारा के गुणगाण करने में जुटे हैं क्यों सक्सेना जी…

  28. vinod

    January 21, 2010 at 8:15 am

    और जमकर ग्वालियर और जबलपुर के ब्यूरो चीफों को कोस रहे हैं अजी अपने गिरेबान में झांक कर देखिए आप किस काबिल थे..सहारा छोड़ वाच में गए और वहां भी किसी काम के नहीं रहे तो बीपीएन जैसे अखबार का दामन पकड़ लिया..अरे आपको तो किसी ने नहीं निकाला था..आप तो अपनी मर्जी से गए थे..अब क्या हुआ

  29. आपके भुक्तभोगी

    January 21, 2010 at 10:40 am

    मे भडास का शुक्रिया अदा करता हू कि यहां कुछ लिखने की आजादी है मे यह कहना चहाता हू कि सहारा समय ग्वालियर के कर्चारियो के बारे मे हमारे पुराने ब्यूरो चीफ विहारी बाबू जो विनोद जैन के नाम से भडास निकाल रहे है दरअसल वो अपनी सच्चाई पडकर परेशान है मे ये पूछना चाहता हूं विहारी बाबू यानी ग्वालियर सहारा समय के अंतिम ब्यूरो चीफ से कि जब वो ग्वालियर वो आए थे तो उनके पास कितनी संपत्ति थी और एक साल के कार्यकाल में उन्होने होंडा सिटी जैसी गाडी खरीद थी…पांच पांच एसी घर में थे…म्यूजिक सिस्टम. मंहगा सोफा, कंप्यूटर, लैपटॉप, लाखों के मार्केट से हीरे खरीदे विमल ज्वैलर्स से..गीतांजली से..कोई भी पता कर सकता है..इनके पैसे भी कैसे उन्हे दिए गए…ये भी उन लोगों से पूछा जा सकता है….ज्वैलरी खरीदी..एक गाडी होंडी सिविक तक अपने साले दिलवा दी..एक साल में ऐसा क्या हो गया..जो इतनी संपत्ति आ गई…सहारा ने सैलरी भी इतनी नही बढाई…पैसे की कही से ग्वालियर मे बारिश भी नही हो रही थी कि इतने नोट आ गए…ग्वालियर चंबल संभाग के स्ट्रिंगरों के जिले मे विजिट के नाम पर आपने क्या क्या नही किया..ये उन्ही स्ट्रिंगरों की आत्मा जानती है…आप जब आए थे आपके पास केवल आल्टो गाडी थी…एक साल में खजाना मिल गया क्या….आप और आपके राष्ट्रीय सहारा के मित्र ने ग्वालियर शहर में सहारा के नाम पर क्या खेल खेला है..बच्चा बच्चा वाकिफ है…अपनी आत्म से पूछिए साहब….क्या आप वाकई नही चाहते थे कि ग्वालियर बने रहे..जब आपकी नौकरी नही रही..तो आप ग्वालियर में बार बार क्यों आते है…सीधा सा मतबल है कि आप अब भी अपनी दुकानदारी जमाए हुए है…महीना लेने आते है…आप अब भी अपने आपको सहारा का ब्यूरो चीफ बताते है…इतने ठीट तो मत बनिए..अगर काबिलियत है तो सहारा से बडे ग्रुप में जाकर दिखाईए….केएमजे जैसे चैनल के तलवे तो मत चाटिये….सेठ के आगे झुक गए..पैसे की इतनी ललक है तो भीख मांग लो..अपनी काबिलियत का ढिंढोरा पीटकर आपने आज तक कौनसी ऐसी खबर बनाई है जो सहारा समय का माईल स्टोन बनी हो…केवल अपना ज्ञान झाडकर दूसरो को बेइज्जत करना ही ब्यूरो चीफ का काम नही होता..खैर आप तो आए ही थे अपनी जेब भरने…भर भी ली..अब तो ग्वालियर में भीख मत मांगिए..आपके पिता तो आईएएस है…फिर क्यों…मांगते फिरते है…लोगों से पैसे….झूठ की भी सीमा होती है साहब……हम तो कहते है कि भडास को एक एपिसोड आपके कारनामे पर ही लिखना चाहिए….हिम्मत है तो अपने ही नाम से भडास निकालिए..फर्जी नाम से तो बुजदिल निकालते है

  30. भूक्तभोगी

    January 21, 2010 at 2:12 pm

    हिंमाशु प्रियदर्शी उर्फ विनोद जैन क्या साबित करना चाहते…नए मैनेजमेंट को ये बताना चाहते हो तुम कितने काबिल हो…जिन सहारा समय के कैमरामेनों को तुम निकम्मा बोलते हो…उनके साथ बैठकर क्यो मंहगे होटलों में तुम शराब पीते थे..दरअसल तुम पता करना चाहते थे कि कहां कहां से पैसा बटोरा जा सकता है..तुम लिखते हो कि तुम्हारे खिलाफ स्टाफ ने बयान देकर तुम्है नौकरी से हटवाया…क्या तुम्हे नही पता..कि तुम्हारे जाने से पहले ही वो स्टाफ हटाया जा चुका था..तुमने तो नौकरी बचाने के लिए कर्तव्य काउंसिल के सीनियर लोगों को भी सेट करने की कोशिश की..लेकिन उनकी ईमानदारी के आगे तुम्हारी दाल नही गल पाई…अब तुम सबके सिर ठीकरा भले ही फोडो..लेकिन तुम्राहे कर्म ही तुम्हारे लिए खाई बन गए…तुम्हारे जैसे लोगों ने ही सहारा जैसे चैनल को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया…जब पोल खुलने लगी..तो तुम्हारे तेवर बदल गए..तुम सहारा को निकम्मों की संस्था कहने लगे…याद करो वो दिन जब तुम ग्वालियर के ब्यूरो चीफ बनाए गए..लेकिन तुमसे भी ज्यादा काबिल लोग मौजूद थे…संस्था की यही चूक रही..जिसकी वजह से ग्वालियर ब्यरो बंद हुआ…क्यों नही तुम्हारे आने से पहले तक ऐसी नौबत आई..तुम्हारे आते ही क्यों ग्वालियर ब्यूरो पर संकट के बादल छा गए..अगर तुम केवल संस्था के लिए सोचते तो दावा है कि ग्वालियर ब्यूरो कभी बंद नही होता..तुमने तो संस्था में कार्यरत ड्रायवरों से भी राजनीति करवाई अपने स्वार्थ के लिए…आफिस बॉय को घर का निजी चपरासी बना लिया..संस्था के ड्रायवर को निजी ड्रायवर बनाया….तुमने तो संस्था के संसाधनों का जितना दुरूपयोग किया..उतना तो शायद किसी ने भी कभी नही किया..तुम्हारे लिए खाना भी ड्रायवर 40 किलोंमीटर दूर ससुराल से लेकर आता था…पानी भी ससुराल से आता था…यहां तक कि तुम तो शराब पीने के लिए भी संस्था की गाडी से 125 किलोमीटर दूर तक चले जाते थे..नुकसान तो तुम्हारे जैसे लोगों से ही सहारा का हुआ है…जो खबरों से ज्यादा ये सोचते थे कि पैसा कैसे कमाउं….तुमने तो अपने स्टाफ को भी नौकर जैसा ट्रीटमेंट दिया…और वो बेचारे नौकरी जाने के डर से तुम्हारी गुलामी करते रहे…कभी तुम्हारी शिकायत इसलिए नही की..कि तुम उनके खिलाफ ऊपर गलत शिकायत करके हटवा न दो…..इसलिए श्रीमान अपनी गलतियों को दूसरों पर थोपने से पहले अपने गिरेबां मे झांककर देखो…..

  31. vinod

    January 22, 2010 at 8:11 am

    ताज्जुब है कि मुझे हिमांशु प्रियदर्शी क्यों कह रहे हो जनाब भुक्तभोगी जी. हिमांशु के बारे में तुम्हारी सोच मेरी सोच को सही साबित कर रही है. असल में मैं सहारा का ही मुलाजिम हूं लेकिन हिमांशु नहीं हां उसे उसे और उसके परिवार को इतनी अच्छी तरह जरूर जानता हूं जितना तुम नहीं जानते और मुझे ये भी लगता है कि सही बातें पच नहीं रही तभी इतना उत्तेजित हो रहे हो. जिसे पूरी तरह जानते नहीं उसके बारे जरा सोच-समझ कर बोलो, तुम्हारे कारनामें तो पूरा सहारा जानता है.

  32. भुक्तभोगी

    January 22, 2010 at 9:00 am

    देखो विनोद भाई तुम हो तो हिमांशु प्रियदर्शी लेकिन अपना नाम सामने आ जाने के डर से अब तुम हिमांशु प्रियदर्शी के दोस्त बन रहे हो…लेकिन तुम्हारी हकीकत भी यही है जो ऊपर लिखी है लेकिन अब और भी जानकारी चाहिए तो सुनो कि हम झूठ वोल रहे है या नही इसकी पुष्टी कोई कर सकता है हम भगवान राम और गंगा माई की कसम खाकर कहते है कि जो हमने आपके बारे मे लिखा है वो सही है अगर झूठ है तो इसकी सजा हमे भगवान देगा और हां गीता की तो न्यायालय तक मे कसम खिलाई जाती है हम उसकी भी कसम खाते है इतना ही नही हम अपने मां बाप की भी कसम खाते है कि जो लिखा है वो पूरी तरह से सही है तुम्हारे पूरे कारनामे यही थे हम अपने बच्चो तक की कसम खाते है कि तुम्हारे बारे मे लिखा एक एक वाक्य पूरी तरह से सही है हिम्मत है तो तुम भी कसम खाकर लिखो कि हमने तुम्हारे ऊपर जो आरोप लगाए है वो गलत है लेकिन कसम खीते समय एक बार सोच जरूर लेना कि स्वर्ग और नरक सब यही पर है और झूठी कसम खाने वालो को उसकी सजा जरूर मिलती है यह बात अलग है कि न्याय मिलने मे समय जरूर लग सकता है यानी देर है पर अंधेर नही भगवान महादेव की कसम हिमांशु प्रियदर्शी जी अपने जो किया शायद उतना भ्रस्टाचार तो कभी भी किसी ने किया होगा और तुम ग्वालियर के ब्यूरो चीफ क्या बने अपने आपको सहारा श्री समझने लगे अरे नामुराद तुम जैसे लोग तो सहारा श्री के एक नाखून के बराबर भी नही हो लेकिन तुमने ऑफिस के चपरासी को अपना चपरासी समझकर हमेशा उसका गलत फायदा उठाया अपने घर के कपडे तक उससे धुलवाए खुद कर्तव्यकाउंसिल की टीम जब तुम्हारे घर पर छापामार कार्यवाही करने पहुंची उस समय वही चपरासी तुम्हारे लिए रोटिया बना रहा था क्या सही नही भगवान राम के चरणो की कसम खाकर कहते है कि तुम्हारे बारे मे जो लिखा है वो पूरी तरह से सत्य अगर हिम्मत है तो जितनी कसम हमने खाई है उतनी कसम खाकर तुम कहो कि हमारे द्वारा लगाए गए सभी आरोप गलत है साथ ही हम इतना कहना चहाते है कि अगर वास्तव मे ग्वालियर वाले यानी हमने आपके खिलाफ कोई षणयंत्र किया था और आपको झूठा फसाया तो उसकी भी सजा भगवान महादेव हमको जरूर दे माता दुर्गा की कसम तुमने ग्वालियर रहकर लाखो रुपया सहारा जैसी संस्था मे रहकर भ्रस्टाचार के रुप मे कमाया है लेकिन कहते है कि मन का धन होता है न तो कोई दुनिया मे लेकर कुछ आया था और न ही जब वो दुनिया से जाएगा तो कुछ लेकर जाएगा बस उसके अच्छे और बुरे कर्म ही उसके साथ जाऐंगे भगवान सब जानता है कि हम गलत है या आप बस इससे ज्यादा हम क्या लिख सकते है क्योकी कहा जाता है कि गलत लोगो के बारे मे लिखने से कलम भी गंदी हो जाती है …………………

  33. vinod

    January 22, 2010 at 10:34 am

    भाई भुक्तभोगी तुम अपना नाम क्यों नहीं बताते..हिमांशु ने जो किया वो तो वही भरेगा अगर गलत किया हो तो भी या सही किया हो वो भी तुम इतनी कसम खा रहे तो मान भी लेते हैं कि तुम सही कह रहे हो लेकिन तुम्हारी हकीकत भी ज्यादा जुदा नहीं है

  34. Chandan ( Freelancer Cine Editor,Patna)

    January 26, 2010 at 3:22 am

    Sanjeev Sir Namste
    Maine apke bare mai kapfi kuchh suna hai….lekin chha hi…maine Sahara samay mai Intership kiya tha or phir jab bad mai karna chaha to mujhe ek mobile nor diya gay bat karne ke lie jab maine HR mai bat kiya to unhone bola agar apke sath 3-4 girls hai to apka kam hoga… mai unak anam sayad (Deepk Je)no bhi rakha …ap in sari bato per jarur dhayan de…
    09771298181

  35. BHUKTBHOGI

    March 24, 2010 at 8:44 pm

    SAHARA INDIA PARIWAR IPL TEAM KHAREEDNE KI BAJAAY APNE STAFF KI DEKHBHAAL KARE TO BEHTAR .SAARA STAFF ISS BHAY ME JEE RAHA HAI KI ABHI KOI NAYA HEAD AAYEGA APNE LOG LAYEGA PURANO KO HATAYEGA….AISA HAMESHA HOTA AAYA HAI.IS CHAKKAR ME KAI LOGON KA KAREER BARBAAD KIYA GAYA…IPL LENE AUR IPO LKANE SE PEHLE UN LOGON KA HISAAB KAR DO JINHE ZABARDASTI NIKALA HAI….AISA KAB TAK CHALTA RAHEGA???

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