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12 लाख रुपये महीने तनख्वाह थी संजीव की

राजेश कुमार सिंह को तीन महीने की सेलरी देकर सहारा से कार्यमुक्त किया गया : आउटपुट हेड विनोद गु्प्ता को एनसीआर न्यूज चैनल का कार्यवाहक चैनल हेड बनाया गया : सहारा मीडिया से तीन खबरें हैं. पहली तो ये कि सहारा मीडिया के सीईओ और एडिटर इन चीफ पद से पिछले दिनों कार्यमुक्त हुए वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने चार महीने में सहारा से लगभग एक करोड़ रुपये सेलरी व ज्वायनिंग रकम के रूप में ले गए. सहारा से जुड़े सूत्रों ने भड़ास4मीडिया को जो दस्तावेज दिखाए हैं, उसके मुताबिक संजीव ने सहारा मीडिया ज्वाइन करने के लिए ज्वायनिंग एमाउंट के रूप में 50 लाख रुपये आते ही लिए थे. उनकी महीने की सेलरी 12 लाख रुपये तय हुई थी. चार महीने में 12 लाख रुपये के हिसाब से 48 लाख रुपये सेलरी के हुए. इस तरह करीब 98 लाख रुपये, जो एक करोड़ से कुछ ही कम है, सहारा मीडिया ने चार महीने में संजीव श्रीवास्तव को दिए. सूत्रों के मुताबिक सहारा में ये परंपरा रही है कि बाहर से जब कोई चर्चित जर्नलिस्ट सहारा में लाया जाता है तो उसे अच्छी खासी रकम पेशगी और सेलरी के रूप में दी जाती है.

<p style="text-align: justify;"><strong>राजेश कुमार सिंह को तीन महीने की सेलरी देकर सहारा से कार्यमुक्त किया गया : आउटपुट हेड विनोद गु्प्ता को एनसीआर न्यूज चैनल का कार्यवाहक चैनल हेड बनाया गया :</strong> सहारा मीडिया से तीन खबरें हैं. पहली तो ये कि सहारा मीडिया के सीईओ और एडिटर इन चीफ पद से पिछले दिनों कार्यमुक्त हुए वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने चार महीने में सहारा से लगभग एक करोड़ रुपये सेलरी व ज्वायनिंग रकम के रूप में ले गए. सहारा से जुड़े सूत्रों ने भड़ास4मीडिया को जो दस्तावेज दिखाए हैं, उसके मुताबिक संजीव ने सहारा मीडिया ज्वाइन करने के लिए ज्वायनिंग एमाउंट के रूप में 50 लाख रुपये आते ही लिए थे. उनकी महीने की सेलरी 12 लाख रुपये तय हुई थी. चार महीने में 12 लाख रुपये के हिसाब से 48 लाख रुपये सेलरी के हुए. इस तरह करीब 98 लाख रुपये, जो एक करोड़ से कुछ ही कम है, सहारा मीडिया ने चार महीने में संजीव श्रीवास्तव को दिए. सूत्रों के मुताबिक सहारा में ये परंपरा रही है कि बाहर से जब कोई चर्चित जर्नलिस्ट सहारा में लाया जाता है तो उसे अच्छी खासी रकम पेशगी और सेलरी के रूप में दी जाती है.</p>

राजेश कुमार सिंह को तीन महीने की सेलरी देकर सहारा से कार्यमुक्त किया गया : आउटपुट हेड विनोद गु्प्ता को एनसीआर न्यूज चैनल का कार्यवाहक चैनल हेड बनाया गया : सहारा मीडिया से तीन खबरें हैं. पहली तो ये कि सहारा मीडिया के सीईओ और एडिटर इन चीफ पद से पिछले दिनों कार्यमुक्त हुए वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने चार महीने में सहारा से लगभग एक करोड़ रुपये सेलरी व ज्वायनिंग रकम के रूप में ले गए. सहारा से जुड़े सूत्रों ने भड़ास4मीडिया को जो दस्तावेज दिखाए हैं, उसके मुताबिक संजीव ने सहारा मीडिया ज्वाइन करने के लिए ज्वायनिंग एमाउंट के रूप में 50 लाख रुपये आते ही लिए थे. उनकी महीने की सेलरी 12 लाख रुपये तय हुई थी. चार महीने में 12 लाख रुपये के हिसाब से 48 लाख रुपये सेलरी के हुए. इस तरह करीब 98 लाख रुपये, जो एक करोड़ से कुछ ही कम है, सहारा मीडिया ने चार महीने में संजीव श्रीवास्तव को दिए. सूत्रों के मुताबिक सहारा में ये परंपरा रही है कि बाहर से जब कोई चर्चित जर्नलिस्ट सहारा में लाया जाता है तो उसे अच्छी खासी रकम पेशगी और सेलरी के रूप में दी जाती है.

अब ये अलग बात है कि कौन कितने दिन सहारा मीडिया की चाल-ढाल समझ कर टिक पाता है. फिलहाल, सहारा के कई लोग यह चर्चा करते घूम रहे हैं कि अगर प्रबंधन इतनी रकम शीर्ष स्तर पर कार्य कर रहे लोगों को देने की जगह अपने निचले स्तर के कर्मचारियों खासकर स्ट्रिंगर्स और संवाद सूत्रों को उचित पारिश्रमिक देता तो कंटेंट का स्तर और सहारा मीडिया का तेवर, दोनों सुधर जाता.

दूसरी खबर ये है कि सहारा समय मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ न्यूज चैनल के हेड पद से हटाए गए राजेश कुमार सिंह को मार्केटिंग का काम दिए जाने के दो महीने भी नहीं बीते कि उन्हें संस्थान से कार्यमुक्त कर दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक राजेश कुमार सिंह को सहारा ने तीन महीने की एडवांस सेलरी देकर कार्यमुक्त कर दिया है. एक जमाने में राजेश कुमार सिंह एनसीआर और एमपी-सीजी दोनों चैनलों के हेड हुआ करते थे. सहारा मीडिया के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के बाद राजेश कुमार सिंह समेत ढेर सारे पुराने दिग्गजों के दिन खराब होने शुरू हुए और एक-एक कर सभी को किनारे करते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

तीसरी खबर ये है कि अभी तक एनसीआर चैनल के आउटपुट हेड विनोद गुप्ता को कार्यवाहक चैनल हेड का दायित्व दे दिया गया है. एमपी-सीजी चैनल की कमान पहले ही मनोज मनु को दी जा चुकी है. इससे संकेत मिलता है कि सहारा में पुराने दिनों के दिग्गजों को बाहर करके सही मायने में काम करने वाले नए लोगों को चैनलों की कमान सौंपी जा रही है. इससे प्रबंधन को दोहरा फायदा हो रहा है. एक तो पुराने दिग्गजों के विदा करने से सेलरी के मद में बचत हो रही है, दूसरे सेकेंड लाइन में काम करने वालों को अपग्रेड कर नई चुनौती दिए जाने से ये लोग नए उत्साह से जी-जान लगाकर चैनल को आगे बढ़ाने के लिए जुट गए हैं.

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0 Comments

  1. rajesh sthapak

    May 9, 2010 at 4:06 am

    sahara samay me jo bahut pahle ho jana tha vh ab ho rha hae vastav me rajesh kumar or unke sath jude kuch log jo aaj bhi sahara samay me bane huye hae sahara samay ke nam pr apna ghar bharne me lage huye hae or inke raste me jo bhi rukavat bante dikha use inki tim ne mil kr nipta diya hae me fir sahara sri se agrh karna chahta hu ki jin logo ko rajesh kumar ne sahara se nikala hae un or ek bar fir se vichar kare sath hi jin logo ko inhone sahara me bharti kiya hae unka aai q bhi dekha jaye ki kya ve vastav me sahara me kam karne ke kabil the ya sirf noto ke dm pr unhe rakh kr in logo ne sirf apni jebe bhari hae

  2. sushil Gangwar

    May 9, 2010 at 9:24 am

    Sahara TV kabhi kisi journalist Job deta hai to achhi salary deta hai ye ek achhi baat hai . Hum un journalist ki baat karte jo stingership par kam kar rahe hai, vah apni story lagwane or paisa milne ke liye din raat enjaar karte hai. Kub unki story lage or TV par shakal najar aaye . Sahara TV ko apni khabro me thoda sudhaar karna hoga . Eske liye achhe log aaye jo kam betan par bhi kaam karne ko taiyaar ho sake . magar use kaam nahi milega. Agar apne chhote- chhote employ ko achha betan diya jaye to bah bhi achhi News – Content de sakte hai. Sabse jayda chhote employ ko pisna padta hai vah kaam bhi jayda karte hai or betan bhi kam lete hai.

  3. anup

    May 9, 2010 at 9:49 am

    sahi maynon mein agar sahara apne stringron ke uppar paisa kharch karna shuru kar de to channel ek mahine mein kahan se kahan pahunch jayega

  4. ROCKY RANJAN PATNA

    May 9, 2010 at 12:34 pm

    SAHARA ME TO STRINGER 2500-3000 KE BICH RAHE JATE HAI.

  5. raj srivastava

    May 9, 2010 at 1:42 pm

    sahara ab khud besahara ho gaya hai .6-6 mahinon se stringers ko paise nahi diye jaa rahe hain. lekin sirs star ke logon ko lakhon rupeete haraam me diye jaa rahe hain. sahara me in dino jharkhand ke sabhi stringers paise ke abhav me kaam karna band kar diye hain. sirf ranchi bureau ke stff reporters ke dam par channel chal raha hai. fir bhi sahara samay apne aap ko channel no. 1 kah raha hai.

  6. sushil Gangwar

    May 10, 2010 at 2:15 am

    पापा कहते थे कि बेटा बड़ा होकर बड़ा अधिकारी बनेगा -गाडी बंगला नौकर चाकर मुफ्त में मिलेगे ? बेटे ने तो टीवी देखकर देखकर कुछ और बनने का मन बना लिया था। वह भी एक पत्रकार। आज पत्रकारिता जगत में करांति है , हर बंदा लिखना और छपना चाह रहा है । नौकरी की बात करे तो जिसका जुगाड़ है वह नौकरी कर रहा है । अगर नौकरी मिल जाये तो वेतन इतना कम की गुजारा भी न हो सके – आखिर करे तो क्या करे । इसलिए नए पत्रकारों ने नयी राह पकड़ ली है । थोडा सा पैसा और जुगाड़ है तो stingership मिल जाती है . फिर वेतन कहा से आये . कभी कभार स्टोरी टीवी पर लग जाती है तो पैसा मिल जाता है. नहीं तो उलटे सीधे काम करो। इसलिए पत्रकारिता का ग्राफ गिरता जा रहा है । आज १०० लोगो में से १५ के पास ही नौकरी है । जो लोग नौकरी कर रहे तो पेट ही पाल रहे है । मै जीवन में कितने पत्रकारों से मिला, कुछ तो वीकली , मंथली पपेर magazine और केबल चेन्नल के सहारे ही जिन्दगी बसर कर रहे है . हम दूसरे सेक्टर की बात करे तो अच्छी नौकरी और अच्छा पैसा मिल रहा है ।
    Editor – sushil Gangwar
    http://www.sakshatkar.com

  7. पीडित

    May 10, 2010 at 10:11 am

    सहारा समय मे इतनी बुरी हालत कभी नही हुई है आज स्ट्रींगरो को उनका पैसा 6 से 7 माह हो गए लेकिन नही मिला है लोग बदले और समय बदला लेकिन सभी आकर बडी बडी बाते तो कर रहे है लेकिन उन लोगो की किसी को कोई याद नही है जो किसी भी चैनल की छोटी और सबसे मजबूत कडी है यानी स्ट्रींगर आज आलम यह है कि जो स्ट्रींगर लोगो की उस खबर को दिखाते थे कि इनको पैसा नही मिलने से भुखमरी के दौर पर आ गए है उन्ही स्ट्रींगरो को आज दूध वाले दूध देना बंद कर दिया है और राशन वाले ने भी हाथ जोड लिए है और कहते है कि सहारा मे काम करने की बजाए कही गड्ड खोद लेते तो कमसे कम 100 रुपये तो ोरज कमा लेते लेकिन सहारा ने हमे क्या दिया है केवल भुखमरी और जिल्लत अब तो घर वाली भी छोडकर जाने की बात कहने लगी है कि ऐसे पत्रकार के साथ रहने से भी क्या फायदा जो खुद तो भूखा मर रहा है और अपनी बच्चो को भी भूखा मार रहा है है सहारा श्री मे आपके ही एक बडे परिवार का सदस्य हू क्या आपको नही पता कि आपके परिवार के लोग भुखमरी पर खडे है और आपको गलत जानकारी दी जाती है कि सभी कुछ ठीक चल रहा है अगर सभी कुछ ठीक है तो आप अपने लोगो से पूछ कर देखो कि म.प्र ,छत्तीसगढ के क्या हाल है लोगो को पैसा नही दिया जा रहा है और कहा जाता है कि अच्छी खबरे बनाओ ये कहा तक न्याय संगत है किभूखो रहो और काम करो ।

  8. jay sahara

    May 10, 2010 at 5:33 pm

    bura mat manna, manniya sahara shri khud nahi chahte ki ab unki tarriki ho????

  9. ajw1

    May 10, 2010 at 7:02 pm

    sahara me sabse choti cader hai ajw1…chaprasi aur security walo ke saath saath intern level per join karne wale patrkar is cader me aate hai…..aajkal sahara ke desk per zyada tar kaam kar rahe patrkar ajw1 reah chuke kai… khas kar utter pradesh channel ke patrkar……in patrkaro ka designation to badla lekin hasiyat nahi…..aaj bhi up channel ki istithi sab se kharab hai…..yaha tana shahi chal rai hai…..rao virender singh aur unke chamcho ko chod kar sabhi dare dare aur pareshan hai……lekin baki channel ki tarha naye managment ko apna dukh sunane se darte hai……upender ji agar aap janna chahte hai kii up ke logo me kitna aasantosh hai to ek ek kar logo se bula kar baat kare…..hai lekin naam khud tay kare nahi to sirf mulakat chamcho se hogi

  10. sahara premi

    May 12, 2010 at 5:06 pm

    अब संजीव जी चले गए हैं तो उनके महीने की सेलरी के रूपये बारी बारी से बिहार , एम् पी , यु पी, एन सी आर के चेनलो में काम करने वाले फिल्ड रिपोर्टरों को बाँट देने चाहिए , फिर देखिये कमाल , ५-६ महीने पुरानी सेलरी का इंतजार करने वाले रिपोर्टर चैनेल में क्या खाकर दम लगायेंगे ? जबकि असली रीड़ की हड्डी वही लोग हैं . उनको रुलाने का ही नतीजा है कि टी आर पी लगातार गिर रही है . वैसे दुसरे चेनलो और नए नए खुल रहे न्यूज़ चेनलो से सहारा फिर भी अच्छा है, बस स्ट्रिंगरो को वक़्त पे पेमेंट दे दे तो .

  11. vineet kumar

    May 14, 2010 at 7:48 pm

    jab sirf kuch chuney huey logon ki hi comment leni hai to phir sabsey comment mangney ka dikhawa kyon… ‘bhadas’ pey hi agar logon ki bhadas nahin dikhegi to phir ‘bhadas’ naam rakhna bekar hai….

  12. BA - SAHARA

    May 18, 2010 at 12:20 pm

    sumit gaya sanjeev gaya our ub sanjay bhi nup gaye
    ub trivadi ke baare hai,
    sahara ke kesmut kharab hai,
    bhai mera ek mushwara hai
    is organisation mai jeetnai bhe S word hai ya s naam k log hai
    sub ko naap dena chaheya.
    ooooo.ppppppp.sssssss
    SAHARA SHRI ##############no way########################

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