: लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने किया खुलासा : पिता-पुत्र ने किया स्टाम्प शुल्क कानून के प्रावधानों का उल्लंघन : इलाहाबाद। क्या आप विश्वास करेंगे कि कोई व्यक्ति 20 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सम्पत्ति अपने किरायेदार को मात्र एक लाख रुपये में ‘एग्रीमेंट टू सेल’ कर देगा। नहीं न, लेकिन यह एक चौंकाने वाली हकीकत है।
इलाहाबाद के सिविल लाइंस जैसे पॉश इलाके में 12 अक्टूबर 2010 को देश के पूर्व कानून मंत्री शान्ति भूषण, उनके वरिष्ठ वकील पुत्र प्रशान्त भूषण, उनके द्वितीय पुत्र जयंत भूषण एवं उनकी पुत्री शेफाली भूषण के नाम बंगला नम्बर 19 (पुराना) 77/29 (नया) तथा 19-ए (पुराना) 79/31 (नया) एल्गिन रोड, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग की कुल भूमि 7818 वर्ग मीटर है। भूमि सहित बने हुए बंगले की ‘एग्रीमेंट टू सेल’ रजिस्ट्री मात्र एक लाख रुपये में की गयी है। यह ‘एग्रीमेंट टू सेल’ हरिमोहन दास टंडन, सुधीर टंडन एवं सतीश टंडन ने 12 अक्टूबर 2010 को दो हजार रुपये के स्टाम्प पेपर पर मात्र पांच हजार रुपये का भुगतान लेकर किया है।
गौरतलब है कि इस बंगले में शांति भूषण वर्षों से किरायेदार हैं और इसका विवाद भी कचहरी में चल रहा था। लेकिन सूट नम्बर 516/2000 में 5 अक्टूबर 2010 को दोनों पक्षों में समझौता दाखिल हुआ तथा प्रथम पक्ष हरिमोहन दास टंडन 7818 वर्गमीटर भूमि जिसमें बंगला निर्मित है, को दूसरे पक्ष शांतिभूषण एवं अन्य को मात्र एक लाख रुपये में बंगले को जमीन सहित बेचने के लिए राजी हो गये। इसके साथ ही दोनों पक्षों में किराये के बकाये और बेदखली के विरुद्घ दायर वाद नम्बर 11/2001 को भी वापस लेने पर सहमति हो गयी जिसकी तारीख 18 अक्टूबर 2010 को नियत थी। दोनों पक्षों ने जब तक सेलडीड न हो तब तक ‘एग्रीमेंट टू सेल’ का पंजीकरण कराने का निर्णय लिया। तदनुसार द्वितीय पक्ष शांतिभूषण ने केवल 5000 रुपये का भुगतान करके एग्रीमेंट टू सेल अपने एवं अपने परिजनों के पक्ष में करा लिया। यह सारा खेल सूट नम्बर 516/2000 में 5 अक्टूबर 2010 को दाखिल समझौते की आड़ में खेला गया जिसमें दोनों पक्ष एक लाख में जमीन व बंगला खरीदने और बेचने पर राजी हो गये।
‘एग्रीमेंट टू सेल’ की प्रति ‘डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट’ अखबार के पास है जिसमें पृष्ठ नौ के बिन्दु दो पर लिखा गया है कि 5000 रुपये एडवांस 2 सितम्बर 1966 को दिये गये तथा शेष 95,000 रुपये सेलडीड एवं उसके क्रियान्वयन के समय देने का करार किया गया है जो 31 दिसम्बर 2010 तक हो जानी थी। अब पता चला है कि सेलडीड की रजिस्ट्री हो गयी है। ‘एग्रीमेंट टू सेल’ में यह भी करार किया गया है कि यदि प्रथम पक्ष यानी हरिमोहन दास टंडन सेलडीड करने में असफल रहते हैं तो दूसरा पक्ष यानी शांतिभूषण एवं उनके परिजन सूट नम्बर 516/2000 में एसीजेएम के कोर्ट से हुई डिक्री के आधार पर सेलडीड कराने के लिए अधिकृत होंगे।
गौरतलब है कि इस भूमि का फ्रीहोल्ड 8 जून 2000 को कराया गया था जिसके लिए कुल शुल्क 26 लाख 97 हजार 663 रुपये का ट्रेजरी चालान 7 अप्रैल 2000 को सरकारी खजाने में जमा किया गया था। ज्ञातव्य है कि यह ‘एग्रीमेंट टू सेल’ अक्टूबर 2010 में हुआ और उसी समय इसी भूखण्ड के अन्य कई प्लाटों की भी अलग-अलग रजिस्ट्री हुई, जिनका कुल रकबा लगभग चार हजार वर्गमीटर था और इतनी रजिस्ट्री में कुल 12 करोड़ रुपये की मालियत के आधार पर सर्किल रेट केहिसाब से स्टाम्प शुल्क अदा किया गया और 12 करोड़ रुपये का भुगतान भवन स्वामी हरिमोहन दास टंडन को किया भी गया। इस तरह यदि 4,000 वर्गमीटर का सर्किल रेट के अनुसार 12 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य होता है तो फिर जो भूमि एवं बंगला शांति भूषण एवं उनके परिजनों के पक्ष में ‘एग्रीमेंट टू सेल’ करके बेचा जा रहा है उसकी कीमत 20 करोड़ रुपये से अधिक की है। यही नहीं वर्तमान में इस क्षेत्र का सर्किल रेट 31 हजार रुपये प्रतिवर्ग मीटर से अधिक हो गया है। ऐसे में इसकी कीमत 20 करोड़ रुपये से भी काफी अधिक हो गयी है।
‘एग्रीमेंट टू सेल’ में उ.प्र. स्टाम्प एक्ट 2008 के अनुसार स्टाम्प शुल्क या भुगतान नहीं किया गया है। एक्ट की अनुसूची (उ.प्र. स्टाम्प अधिनियम के अधीन लिखतों पर स्टाम्प शुल्क) की धारा 24 स्पष्टीकरण एक में कहा गया है कि इस अनुच्छेद में प्रयोजनों के लिए किसी स्थावर सम्पत्ति के विक्रय के करार के मामलों में जहां निष्पादन के पूर्व या निष्पादन के समय कŽजा दे दिया जाय या हस्तांतरण पत्र का निष्पादन किये बिना कब्जा दे दिये जाने का करार किया गया हो वहां करार को हस्तांतरण पत्र समझा जायेगा और उस पर तदनुसार स्टाम्प शुल्क देय होगा।
चूंकि दोनों पक्षों में किरायेदारी विवाद चल रहा था और शांतिभूषण उक्त संपत्ति व हैसियत किरायेदार कब्जे में है इसलिए ‘एग्रीमेंट टू सेल’ के समय कुल मूल्य का 7 प्रतिशत स्टाम्प शुल्क दिया जाना चाहिए जो कि नहीं दिया गया है। यही नहीं, जिस भूमि के फ्री होल्ड के लिए 26 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया उसके लगभग दो तिहाई हिस्से को महज एक लाख रुपये में शांति भूषण कुनबे को दिया जाना गले से नीचे नहीं उतर रहा है।
जेपी सिंह द्वारा लिखित और डेली न्यूज एक्टिविस्ट में प्रकाशित इस मूल खबर को देखने-पढ़ने के लिए क्लिक करें- डीएनए एक्सक्लूसिव
sudhir pandey
April 12, 2011 at 6:55 pm
her din naya shadyantra ho raha hai janta ko jhuta aur beiman sabit karne ka . ye neta nahi mafia hai . yadi bharat ki janta jhuti aur beiman hai to in shadyantron se chup ho jayegi aur kahi janta ne joota utha liya to in choro ko kahan jagah milegi
Indian citizen
April 12, 2011 at 6:56 pm
काश सबको ऐसी सस्ती प्रापर्टी मिल जाया करे…
Mayank
April 12, 2011 at 8:19 pm
लो हो गयी बंदर बाट, पांच मेरे और पांच तेरे ,,,रिश्ता यहाँ भी निभ रहा है, दो देशभक्त सदस्य तो सिर्फ हम ही है {शांति भूषन और प्रशांत भूषन} … अनशन ख़तम ,,,तीन दिन में महान भ्रष्ट कांग्रेसी मनमोहन सरकार आज घन घोर ईमानदार हो गयी और सारे केंद्रीय मंत्री आदर्श पुरुष हो गए |
बाबा’ की दुकानदारी तो पहले ही बंद हो गयी थी ; आज से ‘अन्ना’ की दुकान भी बंद ..दुकान तो अब खुली है देश के “भूषन परिवार” की .. बाबा का साथ देने वाले “एतिहासिक ईमानदार” आज अन्ना के साथ बैठे थे ….बेचारे कांग्रेसी नेताओ को अपमानित किया फिर जल्दी में उन से ही सौदा पट गया; कांग्रेस्सियो की जान में जान आ गयी की अभी तो बच गए | अन्ना आज बच्ची के हाथ से जूस पी कर बड़े स्वस्थ दिखाई दे रहे है … तमाशा ख़तम | चलो अपने अपने घर जाकर घर में मोमबत्ती जलाओ |
सौदेबाजी नेताओ से ही करनी थी तो मंच पर साथ बैठ कर ही कर लेते ,पारदर्शिता के साथ |
आगे भविष्य में भी अन्ना की दुकान खुलेगी ; पर कब ये पता नहीं | खुलेगी जरूर |
बाबा अपने घर में शीर्सासन कर रहे है …. उनकी जिम्मेदारिया बढ गयी है …और चिंता भी कि….
>>>> क्या “हजारे” कही “करोड़े” तो नहीं हो गए ???
भले ही अन्ना हजारे, अन्ना हजारे ही हो ; पर बाबा को इस विषय पर दुःख तो हुआ होगा की पिछले छह महीने से माहौल मैंने (बाबा) बनाया पर’ परम राष्ट्र भक्त भूषन ब्रदर्स (बाप बेटा कंपनी ) की तो मुफ्त में लाटरी लग गयी!!!
bheem joshi
April 13, 2011 at 3:20 am
yeh to bada ghotawala hai… aana ji jaldi is baiman ko haton…..
rajivji
April 13, 2011 at 5:01 am
yadi yeh sahi hai to desh ko sochna padega ki aanna hazare kinke haath mei lokpal vidheyak ki kaman son rahe hai…
antar sirf etna rahega ki brashtaachar ka swarup badal jayega
rajesh sthapak 09329766651
April 13, 2011 at 5:16 am
yashvant ji arthik kadacharn or bhrstachar me lipt logo ko ho anna hjare ki teem me shamil kiye gye h kya anna ko ek bar fir is bare me vichar nhi karna chahiye
Pradeep Shukla
April 13, 2011 at 6:52 am
यशवंत जी, सदर नमस्कार
आपके पोर्टल के माध्यम से मैंने शांति भूषण से रिलेटेड खबर पढ़ी| मै धन्यवाद देना चाहूँगा श्री जे पी सिंह साहब को की उन्होंने एक और भ्रष्ट आदमी का खुलासा किया| सारे देशवाशी भ्रस्टाचार हटाओ के नारे लगा रहे है और ये शांतिभूषण या यों कहें भू माफिया, लोगो को अपनी हमदर्दी दिखा रहे है| जिससे ये और भी बड़ी प्रोपर्टी बना सके वो भी जनता का विश्वास जीतकर. ऐसे भ्रष्ट लोगों के खिलाफ जाँच कर उचित कार्यवाही करनी चाहिए|
sudhir kumar
April 13, 2011 at 7:13 am
bhrashtachar mudda nahi balki ek jeevan shaili ho gayee hai. nakab hat jaye to sare benaqab hojyenge.
anna beshak gandhiwaadi hai lekin blackmailers ke hato me khel rahe hai.
raaj mishra
April 13, 2011 at 9:22 am
achhi setting kar lete hain ,har aam aadmi ko bhi dila dete to achha hota…..;):):):):):):):):):):):):):):):):):):):):):)
Dr Maharaj singh Parihar
April 13, 2011 at 4:28 pm
आदरणीय यशवंतजी, आपने अपने पोर्टल पर अपने को ईमानदारी का अग्रदूत घोषित करने वाले पिता पुत्र की जो सच्चाई जनता के सामने रखी है, उसके लिए आप बधाई के ही नहीं अपितु अभिवादन के पात्र हैं। आज देश का समूचा मीडिया अन्ना का गुणगान करने में लगा है और शांति-प्रशांत की जोडी क्या गुल खिला रही है, यह हमने आपके पोर्टल के माध्यम से जाना। जहां तक भ्रष्टाचार का सवाल है, इस संदर्भ में जेपी ने भी समग्र क्रान्ति का बिगुल बजाया था। उन्होंने तो सत्ता परिवर्तन भी करा दिया लेकिन उनके अनुयायी ही भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गये। देंश को सच्चाई जाने का हक है और यह हक उन्हें आपका पोर्टल उपलब्ध करा रहा है।