‘हिंदुस्तान’ और ‘एचटी’ से उड़ती-उड़ती आ रही एक खबर मीडिया के वरिष्ठों के बीच कानोंकान बड़ी तेजी से फैल रही है। खबर उड़ती-उड़ती आ रही है, इसलिए इसके सौ फीसदी सच होने की गारंटी नहीं है। संभव है, भाई लोगों ने निहित उद्देश्य के तहत फैलाया हो। बावजूद इसके, खबर में शुरुआती दम तो है। एचटी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, खबर यह है कि शशि शेखर के स्टाइल, तौर-तरीके, वाणी, चाल-ढाल को देखकर प्रबंधन ने बिना देरी किए अब ब्रांड मैनेजर के अप्वायंटमेंट का फैसला कर लिया है। ब्रांड मैनेजर बोले तो पूरे अखबार के लिए सर्वाधिक रिस्पांसिबल प्राणी। नवभारत टाइम्स का उदाहरण सामने है जहां ब्रांड मैनेजर ही सर्वेसर्वा होता है। नभाटा में तो कई दफे संपादक लोग भी चिरौरी-विनती करते दिख जाते हैं। एचटी ग्रुप की मालकिन शोभना भरतिया तक हिंदुस्तान के कई लोगों ने लगातार शिकायत भेजी है। इन शिकायतों में कई बातें कही गई हैं।
एचटी की परंपराओं का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब कोई एडिटर मवालियों की भाषा में, गाली-गलौज की भाषा में अपने अधीनस्थों से बात करता हो। शशि शेखर लगातार ऐसा कर रहे हैं। इनका अतीत ऐसा रहा है। कुछ शिकायतें इस बात की भी थीं कि शशि शेखर हिंदुस्तान में अपना गैंग लाना चाहते हैं। अपने लोगों को शीर्ष पदों पर बिठाना चाहते हैं। इसी कारण इरादन कई पुराने अच्छे लोगों को परेशान किया जा रहा है। एडिटोरियल, एचआर, मार्केटिंग आदि विभागों के अलग-अलग फीडबैक, तरह-तरह की शिकायतों आदि को ध्यान में रखकर प्रबंधन ने अखबार के सभी विभागों के उपर ब्रांड डिपार्टमेंट को करने का फैसला किया है। इसके लिए ब्रांड मैनेजर की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कुछ लोग तो नाम भी बता रहे हैं। महिंद्रा में कार्यरत शाद अहमद को ब्रांड मैनेजर के रूप में एप्वाइंट किया गया है। उनके एक फरवरी को ज्वाइन करने का कयास लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि शाद अभी महिंद्रा से रिलीव नहीं हुए है।
भड़ास4मीडिया को कई स्रोतों से मिली जानकारी के अनुसार हिंदुस्तान में शशि शेखर को सीमित करने की कवायद जोरों पर है। मार्केटिंग और एचआर के लोग भी एडिटोरियल के कुछ लोगों के साथ मिलकर प्रबंधन को शशि शेखर के खिलाफ लगातार फीडबैक दे रहे हैं। इसकी वजह ये है कि सभी विभाग इस बात से आशंकित हैं कि अगर शशि शेखर को अमर उजाला की ही तरह यहां भी हर मोर्चे पर फतह करने की छूट प्रबंधन देता रहा तो बाकी विभागों का भी वही हाल होगा जो अमर उजाला में हुआ। सूत्रों के मुताबिक शशि शेखर को प्रबंधन ने शुरुआती कुछ महीनों तक अपने मन-मुताबिक करने का मौका तो दिया लेकिन लगातार लगाम भी लगाए रखा। अब ब्रांड मैनेजर की नियुक्त की चर्चा से स्पष्ट है कि एचटी ग्रुप किसी भी व्यक्ति को ब्रांड से बड़ा बनने देने के मूड में नहीं है। हालांकि इस खबर की सच्चाई की पुष्टि अभी बाकी है लेकिन जो सूत्र हैं, वे दावे से कह रहे हैं कि ब्रांड मैनेजर की नियुक्ति का मामला लगभग तय है।
अगर आपके पास भी कोई फीडबैक है तो हम तक पहुंचाएं, नीचे कमेंट के जरिए या फिर [email protected] पर मेल के जरिए.
krishan murari
January 17, 2010 at 7:50 am
by kmsingh journalist
bhrat desh me prachlit koi bhi kahavat jhuth nahi hai. un khawato me se ek hai ki oot(camil) ko apni okaat ke baare jab pata chlta hai ki jab wah pahar ke neeche nahi aa ja aata .
media ka madhav
January 17, 2010 at 10:52 am
brand ka to vahan sirf ek agent hai jis par informer ka thappa lag chuka hai.bujho to jane???
sagar
January 17, 2010 at 5:23 pm
………………
………………..???
First of all I would like to wish you
for achive a great opportunity
I want to say because I also working as Brand Executive.
so it is really very responsible job
and also give great opportunity in our future.
ok bye
Hemant Tyagi, journalist, ghaziabad
January 18, 2010 at 9:34 am
samajhdar log podha lagate hai magar rojana shaam ko usey ukhad kar dekhte hai kahin poduey ki jad jam to nahi gayi.shayad madam shobhna bhartiya bhi sri,shashi shekhar k saath aisa hi kar rahi hai.Agar Brand manager rakha jaayega to dainik hindustan bach jaayega………yashwant bhai lage raho acchi khabren dete raho.Aap badhai ke paatra hai.Hemant Tyagi, journalist, ghaziabad.
MEDIADIL
January 18, 2010 at 5:44 pm
Sale sab chutia hai
रवि कुमार
January 19, 2010 at 11:14 am
आदरणीय यशवन्त जी, सादर नमस्कार, आपका ध्यान हिन्दुस्तान के बरेली संस्करण की ओर दिलाना चाहूंगा जिसके बारे में आप बहुत कम लिख रहे हैं। स्थानीय संपादक अनिल भास्कर के तबादले के बाद हिन्दुस्तान की बरेली यूनिट का बुरा हाल है। कर्मचारियों को पिछले तीन माह से न वेतन मिल रहा है और न ही खर्चे। यहां तक की सर्वे करने वाले लड़कों को भी अभी तक तय शुदा भुगतान नहीं हुआ है। अखबार पहुंचाने के लिये लगायी गई गाड़ियों को भी किराया नहीं दिया गया जिसके चलते तीन माह में एक दर्जन से अधिक गाड़ियां बदल चुकी हैं। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि कर्मचारियों में विद्रोह की स्थिति है। ऐसा लगता है कि बरेली यूनिट चलाने के लिये बेवकूफ लोगों को बैठाया गया है जिन्हें पत्रकारिता जगत का कोई इल्म नहीं है। उन्हें यह नहीं पता है कि अखबार कैसे चलाया जाता है। हिन्दुस्तान बरेली में आने के बाद अमर उजाला और दैनिक जागरण में दहशत थी लेकिन हिन्दुस्तान के क्रियाकलापों से अब दोनों अखबारों के मालिकान खुश हैं। लगता है बरेली संस्करण भी कुछ दिन चलने के बाद बन्द ही हो जायेगा।
ek shub-chintak
January 21, 2010 at 4:56 pm
HINDUSTHAN ki kismat kharab ho jayegi, YAROOO is SHASHI se ese bachaoo.
harish kohli
January 24, 2010 at 6:22 am
let shashi be given more time he is capable of fighting all competition He is a practical person
rakesh kumar
January 25, 2010 at 10:02 am
manegment kiya dekhta hai amar ujala parivar ko ujarne ke bad ab kiya ………………. ki bari hai. abhi bhi samay hai…………….
kabir
January 26, 2010 at 6:14 am
abe chutiyon chahte kya ho. ek sampadak agar marketing ya brand walo par bhari pad raha hai to bhi tumhe chain nahi hai.
Janmesh Jain
February 14, 2010 at 12:58 pm
कुछ तो इन्फोर्मेर हैं. कुछ मृणाल पांडे के समय के बचे खुचे चमचे हैं. कुछ सुपर एरोगेंट निकम्मे एम बी ए हैं. कुछ मालकिन की बुद्धि पर कुहासा है, ऐसे में कौन सम्हालेगा हिंदुस्तान. वैसे इन दिनों हिंदुस्तान कुछ सुधार पर तो है. लेकिन शनि दृष्टि से कौन बचाएगा ?