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हिंदस्तान, रांची का चीफ रिपोर्टर हुआ बागी

[caption id="attachment_17259" align="alignleft" width="71"]सुधाकरसुधाकर[/caption]शशि शेखर एंड कंपनी के कारण हिंदुस्तान का एक पुराना विकेट बागी हो चुका है. नाम है सुधाकर चौधरी. हिंदुस्तान, रांची में चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे. शशि शेखर के दिल्ली और राजेंद्र तिवारी के रांची पहुंचने के बाद से उन्हें हिट लिस्ट में डाल दिया गया. उन्हें पहले चीफ रिपोर्टर के काम से हटाकर रिपोर्ट बनाने फिर समीक्षा के काम में जोता गया. सुधाकर वही हैं जिन्होंने झारखंड के डीजीपी द्वारा सीक्रेट सर्विस फंड (नक्सली अभियान के सीक्रेट फंड) से करोड़ों रुपये निकाले जाने की खबर ब्रेक की थी.

सुधाकर

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शशि शेखर एंड कंपनी के कारण हिंदुस्तान का एक पुराना विकेट बागी हो चुका है. नाम है सुधाकर चौधरी. हिंदुस्तान, रांची में चीफ रिपोर्टर हुआ करते थे. शशि शेखर के दिल्ली और राजेंद्र तिवारी के रांची पहुंचने के बाद से उन्हें हिट लिस्ट में डाल दिया गया. उन्हें पहले चीफ रिपोर्टर के काम से हटाकर रिपोर्ट बनाने फिर समीक्षा के काम में जोता गया. सुधाकर वही हैं जिन्होंने झारखंड के डीजीपी द्वारा सीक्रेट सर्विस फंड (नक्सली अभियान के सीक्रेट फंड) से करोड़ों रुपये निकाले जाने की खबर ब्रेक की थी.

इस प्रकरण में हिंदुस्तान के नए संपादकीय नेतृ्त्व ने डीजीपी से समझौता कर 35 लाख रुपये का विज्ञापन हिंदुस्तान को देने के रूप में निपटाया. सूत्रों का कहना है कि समझौता होने के बाद सुधाकर की घोटाले की फालोअप रिपोर्ट्स को कूड़ेदान में डाल दिया गया. सुधाकर हिंदुस्तान, रांची के साथ दस वर्षों से थे. उसके पहले वे प्रभात खबर में 12 वर्षों तक रहे. सुधाकर ने हिंदुस्तान में अपनी अतिशय उपेक्षा से नाराज होकर इस्तीफे का नोटिस प्रबंधन को भेज दिया है. सूत्रों के मुताबिक सुधाकर का हिंदुस्तान प्रबंधन ने चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया था जिसे देखते हुए उन्होंने इस्तीफा देना ही उचित समझा.

बताया जाता है कि सुधाकर का शशि शेखर के साथ पहली भिड़ंत तभी हो गई थी जब शशि शेखर एक बार रांची आफिस में संपादकीय विभाग की मीटिंग ले रहे थे. चाय वाले ने जब पुरानी व परंपरागत प्यालियों में चाय वितरित की तो गंदी प्याली देख शशि शेखर बोले- ”एडिटोरियल के प्याले का अंदाज नहीं बदला”. सुधाकर ने जवाब दिया- ”सब वही है, बस, नीचे और उपर के अंदाज का फर्क है”.  शशि शेखर को यह जवाब सुहाया नहीं. जानने वाले बताते हैं कि शशि शेखर कभी भी किसी सबार्डिनेट के जवाब देने, मुंह खोलने को पसंद नहीं करते. जिसने जवाब दिया, समझो, उसकी उल्टी गिनती शुरू.

सूत्रों के मुताबिक उस शुरुआती मीटिंग के बाद से ही सुधाकर का समय चक्र खराब होना शुरू हुआ तो फिर रुका नहीं. बाद में सुधाकर से संपादकीय नेतृत्व कहता रहा- ”आप अपने अंदाज को बदलें, ट्रेड यूनियन नेताओं वाली भाषा न बोलें”. सुधाकर बदलें हो या न बदलें हो पर वे चूंकि संपादकीय नेतृत्व की निगाह में चढ़ चुके थे, सो उन्हें ठिकाने लगना ही था.  वैसे, सुधाकर वाकई ट्रेड यूनियन के हिस्से रहे हैं. वे बिहार वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन के एक जमाने में जनरल सेक्रेट्री रह चुके हैं. इसलिए, सुधाकर की भाषा किसी रीढ़ विहीन यसमैन की बजाय दबंग नेताओं जैसी ही है. सुधाकर फिलहाल नोटिस देकर लुक एंड वाच की स्थिति में हैं. भड़ास4मीडिया ने जब सुधाकर से इस्तीफे के बारे में संपर्क किया तो उन्होंने कहा- ”हां, मैंने संपादकीय नेतृत्व से आजिज आकर इस्तीफे का नोटिस भेज दिया है, जब वे रिलीव करेंगे तो देखूंगा कि मैं आगे क्या-क्या कर सकता हूं.” 

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0 Comments

  1. manorath mishra

    April 9, 2010 at 1:59 pm

    Sudhkar ko shaheed banaey ka kaam mat kijiye prabhu. aap agar galat aadmi ko Mahapurush batayengey to aapki majboori aur niyat dono taraf ungali uthegi. Yashwant ji aap apni niji dosti dushmani aur pasand naa-pasand ka aujaar bhadas ko na banaye to accha..kabhi aap bhadas ke sanchalak hotey hai,,kabhi maalik..aap sanchalak hi rahey to accha.

  2. Sunit

    April 9, 2010 at 8:32 am

    सुधाकर अपने रिपोर्टरों को प्रताड़ित करने के अलावा किया क्या है….लिखना तो आता नहीं, टाइपिंग भी नहीं आती है….पता नहीं पहले के संपादक की कौन सी कमजोर रग पकड़ रखी थी कि वे कुछ कहते नहीं थे और प्रमोशन तो सुधाकर उनसे जबरदस्ती ले लेते थे…..जब नए संपादक ने काम करने का दबाव बनाया तो सुधाकर तमाम बातें फैलाने लगे कि प्रभात खबर में बात हो गई है, 10 लोगों को लेकर जा रहे हैं….जब पोल खुल गई तो रिपोर्टरों से कहना शुरू किया कि तुम लोग काम क्यों करते हो। जो बात भड़ास पर लिखी है, उनमें से कई गलत हैं। भड़ास विश्वसनीय माना जाता है और इसे कायम रखने के लिए उसे इन बातों को क्रासचेक कर लेना चाहिए था।
    पहली बात तो यह है कि इन्हें काम करने के मौके खूब मिले लेकिन हर बार विफल रहे। जब भाई आप काम नहीं करोगे तो कैसे चलेगा। जो मेरी जानकारी है, उसके हिसाब से इनका चंडीगढ़ ट्रांसफर किया गया था लेकिन जाने की जगह इन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसलिए बागी नहीं बने हैं बल्कि अक्षम होने के नाते मैदान छोड़ने का फैसला किया है।
    झारखंड का एक पत्रकार

  3. surendranath sinha

    April 9, 2010 at 6:22 am

    janab,ye shashishekhar vo chiz hai jo ab tak kai baron ko chutia banakar khud bara ban baitha hai.thora bahut laffazi ke siva ise kuch nahi ata,itihas aur angrezi to dur,samanya hindi bhi nahi.haan,vaise ek no ki chiz hai,chmcho aur cgamchepan ka sultan,hinsak,aur paise
    ka dalal.ye udakar sudhakar kya hain uske samne.

  4. grapeviene

    April 9, 2010 at 5:39 am

    इसे समय की मार ही कहेंगे की संसथान के करीबी होने का फायदा उठा कर के लोगों के लिए मुस्किल पैदा करने वाले सुधाकर आज खुद संसथान के निशाने पर हैं. हिंदुस्तान में काम करने वालों से ये बात छिपी नहीं है की किस तरह सुधाकर पुराने संपादक हरिनारायण के प्रिये होते थे और अपने निचे काम करने वाले रिपोर्टरों को व्यक्तिगत कामों के लिए परेशां करते थे. ये बात अलग है की हरिनारायण के बुरे दिनों में सुधाकर नें भी उनका साथ छोड़ दिया जिसका रंज हरिनारायण जी को भी है. अगर पिछले १० सालों का हिसाब किताब लिया जाये तो ट्रेनों के आगमन प्रस्थान की जानकारी छोड़ कर सुधाकर नें १०० खबरे भी नहीं लिखी होंगी. संपादक के करीबी होने का मजा उन्होंने खूब उठाया है. सुधाकर जी ..जो दूसरों के लिया गड्ढा खोदता है वो उसमे ही गिरता है. और हाँ आप कभी भी ट्रेड उनिओन टाइप नहीं रहे है, अन्यथा आपने उस समय भी आवाज उठाई होती जब आपके प्रिये संपादक लोगों की नौकरिया ले रहे थे. आशा है आप भविष्य में इससे सबक लेंगे.

  5. Suruchi

    April 9, 2010 at 5:12 am

    पूर्ववर्ती संपादक की तुलना में मनीजरों के बीच हरदिल अज़ीज़ बने शशिशेखर को एकाधिक अर्थों में एक चलायमान या चलतापुर्ज़ा संपादक मानने से किसी को इनकार नहीं होगा | दिक्कत यही है कि अपने इस अभियान के दौरान वे सपादकीय दाय निभाने की बजाय मनीजरों के लिये पैसा कमाई का उपक्रम अधिक करते दीख रहे हैं | ताकि डी ए वी पी विज्ञापन मिलते रहें , पटना में दिया जला कर वे नितीश की वंदना गाते हैं और राँची में विज्ञापन दाता सरकारी अफसरों की | वे कहते रहे हैं कि उनके समय में उनके आदीश से अमर उजाला में पैसा लेकर खबरें छापना प्रतिबंधित रहा | पर अभी छपा है कि प्रेस काउंसिल ने पिछले चुनावों में खबरें बेचने के आरोप में अमर उजाला तथा जागरण को दोषी पाया है |

  6. chauthisatta

    April 9, 2010 at 3:40 am

    भाईयो पहाड मे सिर मारोगे तो ऎसा ही होगा….

  7. Rakesh bhartiya

    April 9, 2010 at 2:30 am

    hum kisi ko nahi jantey nispasksh rup sey khas ker upper coments deney waley yeh bataney ka kast karey ki dgp sicret fund wali khaber ka falloup kya motey vigyapan key lalach mey roka gaya ? yadi yeh sahi hai to lanat hai apney apko parkar kehney walo per…rahi baat bhadas 4 media ki parsangikta khoney ki yeh janta bali bhanti janti hi bhadas 4 media nishpsah rup sey kaam kar raha hai iskey liye b4media ko badai….
    Rakesh bhartiya melbourne austraila

  8. yashvendra singh

    April 8, 2010 at 5:48 pm

    Brijesh Bhai,
    esmey aapko pareshan nahi hona chahiye. Hindustan me jo bura ho raha hai wo shashi shekhar kar rahey hai. Ye bhadas ka bhoot hai, mujhe lagta hai koi site kaise pransangita khoti hai ab bhadas bhi uska example banegi, kyonki jab aap ke LOVE AND HATE suniyojit ho jaayen to samjho aapke tabahi ke din aaye. Ye sab per laago hai.

  9. vipnesh

    April 8, 2010 at 5:05 pm

    aap ko shashi ji ki taang khinchai ka mouka chahiye lagta hai. kyon? apna kam kijiye. khabren dijiye bas.

  10. mazmoon

    April 8, 2010 at 4:25 pm

    सुधाकर से संपादकीय नेतृत्व कहता रहा- ”आप अपने अंदाज को बदलें, ट्रेड यूनियन नेताओं वाली भाषा न बोलें”. सुधाकर बदलें हो या न बदलें हो पर वे चूंकि संपादकीय नेतृत्व की निगाह में चढ़ चुके थे, सो उन्हें ठिकाने लगना ही था.
    doosron par nazar rakhne wala media apne logon ke saath kya salook karta hai, ise is udaharan se samjha jaa sakta hai. sudhakar jahan kahin bhee jayenge, unka sooraj chamakta hee rahega, baki logon ka hashra jane kya ho………….lol
    cheer up sudhakar jee, bhagwan sab kuchh bhale ke liye hee karta hai, we r with u

  11. brijesh thakur

    April 8, 2010 at 3:51 pm

    sudhakar khawab bahut lamba dekh rahe, unke khwab hmvl se bhi bara ho gaya tha. iss karana unko jaana he tha. rahi bat shash sekhar and company ki shashi shekhar. un samapadako mean se nahi hea jo delhi mean bathkar kaam karate hea. hundustan ki ex editor mrianl pande delhi se bahar kabhi nilkali he nahi. shashi sekhar amarujala mea jitana movemnet karte the. usase jyada hindustan mea kar rahe hea. shashi sheker khud ek brand hea. sudhakar jaise logo ki vidai mean unkoa naam dalana thik nahi nahi hea. woh to aaku srivastav ke he nishane per pahale se he rahe hea.

  12. rakesh

    April 8, 2010 at 3:40 pm

    every thing is fair in media….. everbody has its own day….

  13. ABC

    April 12, 2010 at 6:37 am

    Are bhai Ranchi ke media me sab chalata hai. ye Sudhakar ya Sudhakar Choudahry vohi hain na, jinke sasuraal vaalon kaa naam pashupalan ghotaala me Aayaa thaa? Vaise Hindustaan ne unhen Chandigarha kyon bheja? NRHM ghotaale me naam badnaam huye sampdak ko bhi to Chandigarh ho bheja gaya tha na?

  14. Kishan singh dhoni

    April 13, 2010 at 9:41 am

    Sudhakar bagi nahi, saathi ha, saach kehna agar bagawat hai too samajho Sudhakar bhi bagi ha….

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