Connect with us

Hi, what are you looking for?

कहिन

शरद पवार सबसे भ्रष्ट मंत्री!

[caption id="attachment_16785" align="alignleft" width="215"]आम जनता के खलनायक शरद पवार से क्या मीडिया वाले डरते हैं?आम जनता के खलनायक शरद पवार से क्या मीडिया वाले डरते हैं?[/caption]क्या मीडिया के लोग सोए हैं? क्या मीडिया के लोग शरद पवार से डरते हैं? अगर जगे होते और न डर रहे होते तो शरद पवार को रात में न तो शांति से नींद आती और न खुद को ताकतवर समझ रहे होते. महंगाई का खलनायक अगर कोई इस देश में है तो वे हैं शरद पवार. इनके बयान, हावभाव, चालढाल, कामकाज से जगजाहिर हो रहा है कि महंगाई यूं ही नहीं बढ़ रही. इसे इन मंत्री जी और इनके अफसरों का प्रश्रय मिला हुआ है. जमाखोर, नेता, अफसर… सब मिले हुए लग रहे हैं. एक बयान आता है और जमाखोरी शुरू हो जाती है. दाम बढ़ने लगता है. आखिर कब तक मीडिया शरद पवार से डरता रहेगा? कब तक मीडिया वाले शरद पवार के आगे झुके रहेंगे?? शेष नारायण सिंह का यह आलेख आंख खोलने वाला है. संपादकों से अनुरोध है कि वे ‘महंगाई’ पर इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग शुरू कराएं. दोषियों की शिनाख्त करें. -एडिटर


आम जनता के खलनायक शरद पवार से क्या मीडिया वाले डरते हैं?

आम जनता के खलनायक शरद पवार से क्या मीडिया वाले डरते हैं?

आम जनता के खलनायक शरद पवार से क्या मीडिया वाले डरते हैं?

क्या मीडिया के लोग सोए हैं? क्या मीडिया के लोग शरद पवार से डरते हैं? अगर जगे होते और न डर रहे होते तो शरद पवार को रात में न तो शांति से नींद आती और न खुद को ताकतवर समझ रहे होते. महंगाई का खलनायक अगर कोई इस देश में है तो वे हैं शरद पवार. इनके बयान, हावभाव, चालढाल, कामकाज से जगजाहिर हो रहा है कि महंगाई यूं ही नहीं बढ़ रही. इसे इन मंत्री जी और इनके अफसरों का प्रश्रय मिला हुआ है. जमाखोर, नेता, अफसर… सब मिले हुए लग रहे हैं. एक बयान आता है और जमाखोरी शुरू हो जाती है. दाम बढ़ने लगता है. आखिर कब तक मीडिया शरद पवार से डरता रहेगा? कब तक मीडिया वाले शरद पवार के आगे झुके रहेंगे?? शेष नारायण सिंह का यह आलेख आंख खोलने वाला है. संपादकों से अनुरोध है कि वे ‘महंगाई’ पर इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग शुरू कराएं. दोषियों की शिनाख्त करें. -एडिटर


ताज भी उछलेंगे और तख़्त भी उछाले जायेंगे

केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार ने एक बार फिर वह काम किया है जिसके लिए उन्हें गरीब आदमी कभी माफ़ नहीं करेगा. एक बार फिर उन्होंने सरकार के संभावित फैसले को लीक कर के महंगाई के नीचे पिस रही जनता को भूख से मरने वालों की अगली कतार में झोंक दिया है. उन्होंने एक बयान दे दिया है कि आने वाले कुछ दिनों में दूध की कीमतें भी बढ़ने वाली हैं. उनके इस बयान का असर यह हुआ है कि अभी सरकार तो पता नहीं कब दूध की कीमतें बढायेगी, लेकिन आज सुबह से ही दूध वालों ने निरीह मिडिल क्लास के लोगों से दूध की ज्यादा कीमतें वसूलना शुरू कर दिया है. अभी कुछ हफ्ते पहले उन्होंने चीनी की कीमतें बढ़ने की चेतावनी दे कर चीनी के जमाखोरों को आगाह कर दिया था कि चीनी की मूल्यवृद्धि के बहाने आम आदमी की जेब पर हमला बोलने का वक़्त आ गया है. जमाखोरों और मुनाफाखोरों ने उनकी उस सूचना का फायदा भी उठाया और चीनी की कीमतें आसमान तक पंहुच गयीं. चीनी के जमाखोरों को फायदा पहुंचाने की बात समझ में आती है क्योंकि शरद पवार को आम तौर पर शुगर लॉबी का एजेंट माना जाता है और वे खुद भी कई चीनी मिलों में हिस्सेदार हैं. इस देश में इस बात का इतिहास रहा है कि शुगर लॉबी वाले और चीन मिल मालिक सरकार में शामिल अपने बन्दों की मदद से मुनाफाखोरी करते रहे हैं. शरद पवार तो पहले से ही शुगर लॉबी के आदमी माने जाते हैं. इसलिए जब उन्होंने चीनी की कीमतों को बढाने की चीनी मिल मालिकों और जमाखोरों की साज़िश में सरगना के रूप में हिस्सा लेना शुरू किया तो लोगों को लगा कि एक भ्रष्ट मंत्री को जो करना चाहिए, कर रहा है. जनता चीनी की बढ़ती कीमतों का तमाशा देखती रही और त्राहि-त्राहि करती रही.

दुनिया जानती है कि चीनी की कीमत बढ़ने से बहुत सारी चीज़ों की कीमतें अपने आप बढ़ जाती हैं. शरद पवार को कोई फर्क नहीं पड़ा. वे नीरो की तरह अपने काम में लगे रहे. जिस तरह जब रोम में आग लगी थी तो नीरो बांसुरी बजा रहा था उसी तरह जब चौतरफा राजनीतिक दबाव के बाद बुरी तरह घिर चुकी सरकार ने कुछ करने की कोशिश की तो सरकारी सख्ती को बिलकुल बेकार करने की गरज से शरद पवार ने कहा कि मैं ज्योतिषी नहीं हूँ जो चीनी की कीमतों को कम करने के बारे में कोई तारीख बता सकूं. इसका सीधा मतलब यह था कि शरद पवार ने चीनी के जमाखोरों को आश्वस्त कर दिया था कि घबड़ाओ मत अभी कुछ नहीं होने वाला है. लूटमार बदस्तूर जारी रही और जब केंद्र सरकार ने लोकलाज से बचने के लिए खाद्यमंत्री को टाईट किया तो उन्होंने फरमाया कि अभी चीनी की कीमतें कम होने में दस दिन लगेंगे. इसका मतलब यह हुआ कि उन्होंने साफ़ भरोसा दे दिया चीनी के जमाखोरों और मुनाफाखोरों को कि अभी दस दिन तक का समय है अपना सारा हिसाब किताब दुरुस्त कर लो.

स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक से एक भ्रष्ट और गैर ज़िम्मेदार मंत्री हुए है लेकिन लगता है कि शरद पवार उस लिस्ट में सबसे ऊपर पाए जायेंगे. शरद पवार को एक और काम में भी महारत हासिल है. अपनी शातिराना साजिशों के असर का ज़िम्मा किसी और के ऊपर मढ़ देने में भी उनका जवाब नहीं है. जब पिछले दिनों चौतरफा महंगाई के लिए उनसे मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि राशन की दुकानों और गरीबी के रेखा के नीचे के लोगों का काम राज्य सरकारों के जिम्मे है और राज्य सरकारें अपना काम सही तरीके से नहीं कर रही हैं इसलिए महंगाई पर काबू पाने में दिक्क़त हो रही है. चीनी की कीमतें बढाने के साज़िश में शरद पवार के शामिल होने की बात में आम तौर किसी शक की गुंजाइश नहीं है. लेकिन केंद्रीय सरकार में विभिन्न व्यापारिक हितों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की वजह से भी खाने पीने की चीज़ों के दाम आसमान छू रहे हैं. महंगाई का एक बड़ा कारण यह भी है कि अनाज के वायदा कारोबार का काम भी शुरू हो गया है. यानी जमाखोरों को इस बात की छूट है कि वे जितना चाहें, उतना अनाज जमा कर के कीमतें बढ़ने पर बेचें. इसकी वजह से बहुत बड़े पैमाने पर आनाज जमाखोरों के गोदामों में जमा है.

यह बात अखबारों में ठीक से प्रचारित नहीं की गयी है लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि अमरीका की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी कारगिल भी पिछले कुछ वर्षों से देश में बहुत बड़े पैमाने पर अनाज की खरीद कर रही है. उसने जिलों में अपने कर्मचारी तैनात कर रखे हैं जो एफसीआई से ज्यादा कीमत पर गेहूं और धान की खरीद कर रहे हैं. इस खरीद का सारा हिस्सा सीधे वायदा कारोबार के हवाले हो जाता है. इसका एक तोला भी राशन की दुकानों या सार्वजनिक वितरण की प्रणाली में नहीं जाता. ज़ाहिर है इसकी वजह से कृत्रिम कमी के हालात बन रहे हैं. यही हाल चीनी का भी है. सवाल उठता है कि कारगिल को तो शरद पवार ने देश में अनाज खरीदने की अनुमति नहीं दी. उसके लिए तो अमरीका परस्ती की केंद्र सरकार की नीतियां ही ज़िम्मेदार मानी जायेंगी. पता लगाने की ज़रूरत है कि अपने देश में इस तरह से खुले आम खरीद करने की अनुमति कारगिल जैसी कंपनी को किसने दी है.

कारगिल की भयावहता के बारे में अभी भारत में जानकारी का अभाव है. यह वही कंपनी है जिसने लातिन अमरीका के कई देशों में खाने पीने की चीज़ों की कृत्रिम कमी का माहौल बनाया और वहां खाद्य दंगे तक करवाए. कारगिल अफ्रीका के कई देशों में सरकारें गिराने का काम भी कर चुका है. दुनिया में कई देशों की सरकारें कारगिल की नाराज़गी झेल चुकी हैं और उन्हें अपदस्थ भी होना पड़ा है. अमरीकी प्रशासन में भी इस कंपनी की तूती बोलती है. इस बात की जांच करना दिलचस्प होगा कि किस राजनेता ने कारगिल को देश में काम करने की अनुमति दी है. खाद्य सामग्री की कमी का ज़िम्मा उस व्यक्ति पर भी डालना पडेगा.

केंद्र सरकार में बैठे लोगों को यह भी ध्यान रखना पड़ेगा कि आम आदमी की पहुंच से खाने-पीने की चीज़ों को हटा कर, संविधान के उस मूल अधिकार का भी उन्ल्लंघन हो रहा है जिसके तहत संविधान से सभी नागरिकों को राईट टू फ़ूड का प्रावधान किया है. जो सरकार दो जून की रोटी के लिए भी आम आदमी को तरसाने की फ़िराक़ में है उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा नहीं है कि नागरिकों के सामने से रोटी का निवाला छीनने के लिए केवल शरद पवार ही ज़िम्मेदार हैं. मौजूदा केंद्र सरकार में और भी ऐसे सूरमा मंत्री हैं जो जनता के पेट पर लात मार कर अपने पूंजीपति आकाओं को खुश करने के लिए तड़प रहे हैं. अभी पिछले हफ्ते एक श्रीमान जी को जनता के गुस्से से घबड़ाई केंद्र सरकार ने रोका वरना वे तो डीज़ल और पेट्रोल की कीमतें भी बढाने जा रहे थे.  सबको मालूम है कि पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ने से चौतरफा महंगाई आती है. लेकिन आज पूंजीपतियों के हुक्म की गुलाम सरकार से कोई उम्मीद करना बिलकुल ठीक नहीं है. हां, यह उम्मीद की जा सकती है कि मौजूदा सरकार अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए ही शेष नारायण सिंहसही, अनाज, चीनी और पेट्रोल की कीमतों के ज़रिये आम आदमी को लूटने के लिए बैठे पूंजीपतियों को थोड़ा बहुत काबू में करेगी क्योंकि अगर ऐसा न हुआ और जनता सड़कों पर आ गयी तो तब तो ताज भी उछलेंगे और तख़्त भी उछाले जायेंगे.

लेखक शेष नारायण सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और कई न्यूज चैनलों व अखबारों में काम कर चुके हैं. उनसे संपर्क करने के लिए  [email protected] का सहारा ले सकते हैं.

Click to comment

0 Comments

  1. B.P.Gautam

    January 21, 2010 at 12:53 pm

    mai bhi sahmat hoon par satta ki bhookh ke chalte kaarrwai na karne bali UPA sarkaar bhi utni hi doshi hai.

  2. surender sharma

    January 21, 2010 at 10:19 am

    sarad pawar ko istifa de dena chaiye.. yada we karshi aur khadya vibag ko nahi sambal sakte to une koi adikhar nahi h is des me mantri bane rahne ka.. jab koi insan apni juban pe kabu nahi paa sakta to uske jivan pe kabu pane ka adhikar hame h.. media ko chaiye ki sarad pawar ko uske gar tak ka rasta dikhane me madad kare……..

  3. govind goyal,sriganganagar

    January 21, 2010 at 10:56 am

    —-चुटकी—

    हे भगवान
    अब
    दूध पर नजर
    कोई
    लेता क्यूँ नहीं
    इस
    पवार की खबर।

  4. Peter Haddad

    January 21, 2010 at 11:21 am

    I think those who are criticizing Sharad Pawar and asking for his resignation are communal because Sharad Pawar is secular and NCP is secular.
    Therefore we should call Sharad Pawar as Secular Sharad Pawar the way we call communists as comrade Prakash Karat, comrade Sitaram Yechury.
    Extending the same logic whosoever is from Congress or NCP should be called secular Rahul Gandhi, secular Robert Vadera, secular Rahul Gandhi etc. The only idea is that there is nothing wrong if the political ideology is being prefixed to someone’s name.
    We don’t need to go long back, there is NCP member of parliament Shri Padam Singh Patil, who has been accused of murdering his own brother but political rival. CBI inquiry is leading to convict him soon.
    Being elected from NCP he has every reason to be called as secular Padam Singh Patil and after his involvement of murdering Congress leader he is SECULAR MURDERER.
    Now who should be preferred from electorate to vote Secular Murderer, Secular Corrupt like Shard Pawar or Communal Philathropist and Communal Nationalist.

  5. Vikas Ojha

    January 21, 2010 at 12:59 pm

    ye Mantari Kali Juban Hai … Jab Jab Juban Kholta Hai ,,,, Desh Ko Mahgai Ki Taraf Lejaata Hai ……..

  6. braj kishore singh

    January 21, 2010 at 1:13 pm

    शरद पवार भ्रष्ट मंत्रियों में सबसे आगे हैं कि नहीं यह जानने के लिए तो जाँच करवानी पड़ेगी.हाँ उनके जैसे राजनीतिज्ञों का उद्देश्य निश्चित रूप से ज्यादा-से-ज्यादा पैसा कमाना भर है जनसेवा नहीं.महंगाई तो लोकसभा चुनाव के समय भी काफी ज्यादा थी लेकिन फिर भी जनता ने यूपीए को वोट दिया.जनता में अभी भी इस सम्बन्ध में कोई सक्रियता दिखाई नहीं दे रही है जो आश्चर्यजनक है.

  7. randheer

    January 21, 2010 at 1:33 pm

    ye chor mantri hia

  8. saleem malik

    January 21, 2010 at 1:35 pm

    sharad r no. 1 kamina is madar///////// se jitni jaldi is desh ko mukti mile utna badhhiya………………………………………

  9. BHartiya Nagrik

    January 21, 2010 at 1:46 pm

    SABSE BADA CHOR AGAR HINDUSTAN ME KOI HAI TO WOH SHARAD PAWAR HAI ..
    Haal hi Me Hui LOKSABHA chunav samay 3 hazaar Karod rupay paani me bahakar PM ban-ne ka Khaab dekha tha woh 3 Hazaar Karod Vasul Karne ka Kaam Chal Raha hai ! Isiliye aapne Hastak Dalalo ke Zariye Mehengai badhaai Gayi hai Vaastav Me Desh Itni Badi Maatra me Cheeni Uplabdh hai lekin Bahar se Mangwane ka Natak Rachakar Munafa Kamara raha hai yeh Chor . Maharashtra me NCP ke Gurge Vidhan sabha Chunaav me 20 se 25 karod rupaye Kharcha karke VOTE kharid lete hai jiske Balbhute per Saat me Aate hi Chor Machaye Shor. Jara koi Inse Puche ke yeh Jab Maharastra me CM the Use Samay Latur me jo Jordaar Bhuchaal Aaaya tha Us Samay Baki Deshso se Madat ke Rup me Aanaz aur Kapdo ka kya huwa Inho ne woh Aanaz Maharahtra me Rashan Dukano ke zariye Bech diya …. Madam Soniya ko Gramin Rajniti ke Paat Padhanewali Krushi mantri ne 71 Hajar Karod rupyo ki Kisano ko Karz Mafi Dilayi Vaastav me Kisano ko Kuch Nahi Mila Kewal Inke Gurge hi Bade Hui ..
    Aapne Bahtije se Inko Bahut Dar Lagta hai PAWAR pariwaar ke Sampaati ki Jaanch hui to Desh ka Paisa 5 hazar Karod se Adhik inke paas hai . Aapni Putri
    Supriya Sule to Maharashtra ka CM banana inka Aakri Padaav hai Jiske Liye Jald Hi NCP ka Congress me Vilaay Kar diya Jayega PM ka PAD TO Inke Taqdeer me hai hi Nahi Karodo Rupaye Dekar MEDIA aapni Jay Jay kar karvana Inki Aadat ha ! JAI HO JAY HO DESH DROH KA MUKADMA CHALAYE IS CHOR PER .

  10. PAARTH

    January 21, 2010 at 1:47 pm

    AISE LOGON KE KHILAAF KOI AKHBAAR NAHI LIKH SAKTA.
    AISA IS LIYE NAHI HO SAKTA KI AKHBAR SARKAR KE PAISO OR SAHULIYATON KI AVAJ MAIN SHARIR BECHNE OR THUMKE LAGANE WALI VESHYAA HAI AUR HUM PATARKAAR IS VESHYAA KE DALAAL.

  11. नवीन जोशी

    January 21, 2010 at 2:03 pm

    यह देश के लिए बढ़ी किंकर्त्तव्यविमूड़ता की स्थिति है, और अफ़सोस की हम सभी चुप बैठे हैं. एक समय था जब महंगा होने पर केवल एक प्याज ने सरकार गिरा दी थी, और आज …..

    आज कहने को हमारे देश के शीर्ष पदों पर एक-दो नहीं कई “देश के सर्वश्रेष्ठ अर्थशाश्त्री ” आसीन हैं. स्वयं प्रधानमंत्री, पी चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया जी, प्रणव जी तथा और भी कई लोग. लेकिन फिर भी महंगाई केवल कहने भर को नहीं, वास्तव मैं दिन दोगुनी रात चौगुनी गति से बढ़ रही है. और सबसे बढ़ी चिंता की बात यह कि इन सभी को यह कहने मैं लेश मात्र की शर्म नहीं आ रही कि महंगाई को रोकने में वे असमर्थ हैं.

    यानी, संकट केवल महंगाई का ही नहीं वरन देश के सामने “देश के अर्थशाश्त्रियों के सामर्थ्य शून्य होने” का भी है. हांलांकि मानना पड़ेगा की यह सच्चाई नहीं है, नेताओं की देश के बजाये निजी स्वार्थों को प्राथमिकता देने की राजनीतिक से अधिक व्यावसायिक मजबूरी इस समस्या की जड़ में है. शरद पवार और उनके मंत्रिमंडल के अन्य व्यापारी मित्र भी इसी व्य्स्वस्था के अंग लगते हैं.

  12. B N Giri

    January 21, 2010 at 2:36 pm

    Bhai Aap kis Dunia me hai.Aaj Patrakarita Mission Nahi hai Aise me aap kaise Ummid kar sakate hain ki aaj ke Patrakar us Kaddavar neta ke Khilaf lihenge ya dikhayege jinki dukan Netao ke raham o karam par chalti hai.

  13. amit Sharma

    January 21, 2010 at 3:04 pm

    Thik likha hai appne. pawar ke aage hamare Economist P. M. Manmohan Singh kya Kar rehain Hain.

  14. winit

    January 21, 2010 at 5:51 pm

    Agar Pawar ko Desh ki aahat garib janta ki baddua lag gayi to is baar unka pehle se lakwagrast muh ke andar ki kaali juban ko b……………..

    waise bhi bhains poonch uthaye ya pawar muh khole………parinam ek hi niklega.

  15. kumar k

    January 21, 2010 at 6:08 pm

    sharad pawar ko narak me jagah milegi ki nahi bhagwan jane par dalalon ko sharmasaar karne wale patrakaron ko to jagah nahi hi milegi shame but thanks shesh sir and hat’s off sir

  16. gopal

    January 21, 2010 at 6:25 pm

    kisi vicharak ne likha hai….jo raja apni praja ko do waqt ki roti nahi khila sakta us raja ko patthar mar-mar kar apasth kar dena chahiye…
    is sarkar ka ab yahi hashra hona chahiye tabhi lagon ko rahat milegi, kyonki sarkar me baithe log to ameriaca aur bade desho ki ghulami kar rahe hain aur unki khidmat ke liye desh ki janta ko bhookho marne ki taiyari kar rahe hain….zaroori hai ki nai kranti ho

  17. JeetB

    January 22, 2010 at 1:26 am

    “इनका पूरा ध्यान तो क्रिकेट की दलाली करने म लगा रहता हैं,
    पता नहीं इसे हर बार कृषि जैसा अहम मंत्रालय क्यूँ दे दिया जाता हैं?
    इनकी ओकाद तो चपरासी बन्ने की बी नही हैं, हाय रे मेरे देश का राजतन्त्र !!”

  18. Piyush Mishra

    January 22, 2010 at 1:29 am

    लोकतंत्र की बलिहारी

  19. muna baba

    January 22, 2010 at 1:56 am

    भारतीय संस्कृती जहा की मिटटी कभी उपजाओ मानी जाती थी मिटटी सोना उगलटी थी और खायाधा सामग्री की अच्छी उपज के लिए हमें दुसरे देसों में जाना जाता था साथ ही किताबो में मैंने पढ़ा था देश में हरित karnti हुई थी परन्तु सायद ये हमारे बिकाश शील होने का ही प्रमाण है की आज ख्यद सामग्री के भाव आसमान छु रहे है कल चीनी की महगाई मार गई आज दूध के भाव में उबाल आने के संकेत मिल रहे है शुक्र है पेय बिवाग का जहा पेय पदार्थ अवि सस्ते है जैसे कोल्ड्रिंक दारू आदि अब दारू को ही ले लगिए यह आज आसानी से सस्ते दामो पर हर जगह उबलब्ध है सायद तभी तो मध् बिवाग की पो बारह है तभी तबेलों से जयादा भीड़ मयखाने में दिखती है ये सरकार के आय का उत्तम साधन है इसमें कुँलिटी और कुंतिटी दोनों मिल जाते है कृषि विवाग ने मदर देरी वालो को अभी तक पावुआ वाला दूध का पौच नही निकाल का सलाह दिया लेकिन दारू की दुकान पर पावुआ जरुर मिल जाता है साथ ही सरकार ने जिन राज्यों में दूध के मूल में ब्रिधि के जो संकेत दए है वह साराब दूध से सस्ते है खैर ये सब बेकार की बाते है मुख्या बात तो ये है की energy तो दोनों से मिलती है तो फिर हम सस्ते दामो में अच्छी चीज क्यों न ले जो एक घुट में ये जबान बना दे खैर छोड्या हम पैसे वालो का क्या हम तो पिने और पिलाने का सोक रखते है हम कल बी पीते थे आज भी पीते है और कल भी पियेगे क्योकि हमरे पास पैसा है हमारा क्या…………

  20. Chandan Goswami

    January 22, 2010 at 3:45 am

    “krishi mantralaya hi esliea sambhala hei ki OONKI TAAYAR SUGAR LOBBY ko FAYDA punchaya jaye. aur haa enko garibo ki kya padi hei,GAIR JIMEEDARANA JAWAB DENTE HEI . bade tajjub ki baat hei ki CONGRESS HIGHCAMAN BHI CHUP HEI KYA MILI JUL KAR MEHNGAIE badai hei.”

  21. Patrakar Tomar, Gwalior

    January 22, 2010 at 5:08 am

    Bahut Khhob. Mahgai Ki is Ladai Main Hum aapke Saath Hai.

  22. vijay

    January 22, 2010 at 9:13 am

    pawar ek namber k badmash aadmi hai. khudka matlab k liye wo desh ko bech saktehai.pm ka khwab is chunav me pura n honese aglechun k liye paisa jamakarna yehi kam abhise wo kar rahe hai.khud ki karorupee ki sampatti jama ki hai. maharashtra me unone party k namper kuch gunde palrakhe hai.unhe mantrimabdal se nikalna chahie varna 100 rs kg chini hojagi.aam admi isme dam ghutkar marega midia ne ise uthana chahiye.

  23. pankaj

    January 23, 2010 at 6:32 am

    ye to is desh ki vidambna hi rahi hai ki is desh main janta se murkh koi nahi hai, jo janta ek aaloo piyaz ke kimaton ke chalte sarkar gira deti hai, wohi murkh loog tab bhi us party ya gathbhandan ko jitate hain jiske raaj main sab kuch mahanga ho gaya hai , is chootiya desh ke chootia logon ka kuch nahi ho sakta

  24. lucky

    August 5, 2010 at 1:09 pm

    wa ji wa kya baat hai

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

: घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव...

Advertisement