: आज अखबार मैनेजमेंट झुका : 28 कर्मचारियों को परमानेंट करने की घोषणा : गांडीव में 32 लोग कार्यरत मिले जिनका पीएफ नहीं कट रहा था : हिंदुस्तान के स्ट्रिंगरों की लिस्ट निकलवाकर देखा : एक साहसी वकील ने बनारस में कार्यरत बड़े मीडिया हाउसों के अंदर की कड़वी हकीकत को सामने ला दिया और प्रशासन को कार्यवाही करने पर मजबूर कर दिया. काशी पत्रकार संघ के सहयोग से समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के सचिव दादा अजय मुखर्जी ने वाराणसी में स्थित कई बड़े मीडिया हाउसों में कार्यरत मीडियाकर्मियों की खराब हालत से संबंधित तथ्यवार शिकायत कई सरकारी महकमों में की थी.
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अंतरिम राहत : तोड़-मरोड़ कर पेश की सूची
पत्रकारों और गैर-पत्रकारों को अंतरिम राहत दिलाने की जो लड़ाई बनारस में चल रही है, उसके संबंध में एक सूचना है। बनारस के ज्यादातर अखबारों ने अपर श्रमायुक्त कार्यालय में वह सूची दाखिल कर दी है जिसमें अंतरिम राहत पाने वाले कर्मचारियों के नाम व अंतरिम राहत दिए जाने के अन्य डिटेल दर्ज हैं। ज्यादातर अखबारों ने तोड़मरोड़ कर और कागजी खानापूरी के मकसद से सूची दाखिल की है। सूत्रों के अनुसार हिंदुस्तान प्रबंधन ने बनारस में केवल आठ कर्मचारियों को स्थायी बताया और इनको अंतरिम राहत दे दिए जाने की बात कही है। हिंदुस्तान की तरफ से कहा गया है कि शेष स्टाफ कांट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं इसलिए वे अंतरिम राहत के दायर में नहीं आते। अमर उजाला ने 50 लोगों की लिस्ट जारी की है जिन्हें अंतरिम राहत दिया गया है। अखबार ने कहा है कि उसने अपने कर्मियों को 15 प्रतिशत अंतरिम राहत दे दी है और शेष राशि आगे दे दिया जाएगा। दैनिक जागरण ने करीब 100 कर्मचारियों की सूची जारी की है।