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‘इंडिया न्यूज’ में जॉब? ना बाबा ना!

फिर छंटनी शुरू : दर्जन भर मीडियाकर्मी हटाए गए : एसाइनमेंट हेड योगराज ने इस्तीफा दे मारा : नौकरी करने के लिहाज से भारत में मीडिया सेक्टर वाकई सबसे खतरनाक और असुरक्षित सेक्टर है. कब कौन चैनल या अखबार किसको संस्थान से निकाल दे, कोई ठिकाना नहीं.

<p align="justify"><font color="#003366">फिर छंटनी शुरू : दर्जन भर मीडियाकर्मी हटाए गए : एसाइनमेंट हेड योगराज ने इस्तीफा दे मारा : </font>नौकरी करने के लिहाज से भारत में मीडिया सेक्टर वाकई सबसे खतरनाक और असुरक्षित सेक्टर है. कब कौन चैनल या अखबार किसको संस्थान से निकाल दे, कोई ठिकाना नहीं. </p>

फिर छंटनी शुरू : दर्जन भर मीडियाकर्मी हटाए गए : एसाइनमेंट हेड योगराज ने इस्तीफा दे मारा : नौकरी करने के लिहाज से भारत में मीडिया सेक्टर वाकई सबसे खतरनाक और असुरक्षित सेक्टर है. कब कौन चैनल या अखबार किसको संस्थान से निकाल दे, कोई ठिकाना नहीं.

ऐसी असुरक्षा और हीनता की अवस्था में कोई पत्रकार नौकरी करते हुए कलम की बात कर सकेगा, यह कल्पना करना भी मुश्किल है. इन पत्रकारों का ज्यादातर वक्त नौकरी चलाने-बचाने में गुजर जाता है. न्यूज चैनलों की बात करें तो ‘इंडिया न्यूज’ बेहद खतरनाक न्यूज चैनल बनता जा रहा है. यहां पहले भी मनमाने तरीके से दर्जनों लोगों को रखने-हटाने की कवायद होती रही है. यह कवायद एक बार फिर शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि इंडिया न्यूज नेशनल और इंडिया न्यूज हरियाणा से कई लोग कार्यमुक्त किए गए हैं.

इंडिया न्यूज हरियाणा के एसाइनमेंट हेड योगराज शर्मा ने चैनल में खराब होती स्थितियों को देखकर प्रबंधन के मुंह पर अपना इस्तीफा दे मारा. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि उनका एक नए लांच हो रहे नेशनल न्यूज चैनल में सेलेक्शन हो गया है इसिलए वह स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं. पर सूत्रों का कहना है कि योगराज ने इस्तीफा चैनल में लगातार हो रहे उठापटक को देखते हुए दिया है.

बताया जा रहा है कि एचआर ने दर्जन भर से ज्यादा लोगों की लिस्ट बनाई है और इन्हें फोन करके इस्तीफा देने को कहा जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक इंडिया न्यूज नेशनल चैनल के आउटपुट से एक, कैमरा सेक्शन से तीन, क्राइम से एक, रिपोर्टिंग से दो, टिकर से एक पत्रकार को हटाया गया है. हरियाणा न्यूज से दो एसोसिएट प्रोड्यूसर और एक असिस्टेंट प्रोड्यूसर को हटाया गया है. एक सीनियर प्रोड्यूसर का भी नाम छंटनी की लिस्ट में शुमार था पर चर्चा है कि उन्होंने वरिष्ठों से बातचीत कर अपना नाम हटवाने में सफलता हासिल की है. इन सभी लोगों के नाम भड़ास4मीडिया के पास है पर उनके करियर को ध्यान में रखते हुए नाम पब्लिश नहीं किया जा रहा है.

इंडिया न्यूज चैनल लांचिंग से ही राजनीति और बेवकूफी भरे प्रयोगों का अखाड़ा बना हुआ है. कभी हरीश गुप्ता ने अपने हिसाब से चैनल को हांकने-चलाने की कोशिश की तो कभी हरीश गुप्ता के पर कतरने के उद्देश्य से उनके पैरलल लाए गए लोगों ने चैनल को अपनी स्टाइल के अनुरूप ढालने-चलाने की कोशिश की. इन कवायदों में सर्वाधिक नुकसान प्रतिभाशाली स्टाफ का हुआ जिन्हें ‘मेरा आदमी-तेरा आदमी’ के आधार पर छंटनी का शिकार बनाया जाता है.

चैनल के चेयरमैन और एमडी हमेशा संपादकीय के वरिष्ठों के बीच मतभेद को हवा देकर तमाशा देखने का काम करते रहे. प्रत्येक कार्रवाई के लिए चैनल प्रबंधन संपादकीय के वरिष्ठों को जिम्मेदार बताकर खुद से पल्ला झाड़ता रहा. राजनीतिक बैकग्राउंड वाले इंडिया न्यूज के मालिकों के सैकड़ों धंधे हैं, इसी में एक मीडिया का भी धंधा है. जैसे इनके और धंधे चलते हैं, उसी तरह ये लोग मीडिया के धंधे को भी चलाने की कोशिश करते हैं. इसीलिए यहां हायर और फायर का क्रम अनवरत चलता रहता है.

अगर आप किसी जमे-जमाए न्यूज चैनल में काम कर रहे हैं और इंडिया न्यूज से नौकरी करने का आफर आया हुआ है तो आपको ज्वाइन करने से पहले बार-बार सोचना चाहिए क्योंकि संभव है आपको इंडिया न्यूज में अच्छे पद-पैकेज पर रख लिया जाए लेकिन रखे जाने के कुछ महीनों बाद आपको बिना मतलब फायर किया जा सकता है.

इंडिया न्यूज जैसे न्यूज चैनलों के प्रबंधन को सीएनईबी व पी7न्यूज जैसे नए चैनलों से सबक लेना चाहिए जहां लोगों के फायर किए जाने का प्रतिशत बेहद कम है. सभी स्थापित चैनल जैसे आज तक, स्टार न्यूज, इंडिया टीवी, एनडीटीवी आदि में भी रोज-रोज छंटनी नहीं होती. इन जगहों पर अगर एक बार कोई सेलेक्ट हो जाता है तो वह आमतौर पर लंबे समय तक काम करता रहता है.

इंडिया न्यूज के प्रबंधन को ध्यान रखना चाहिए कि टीम कभी बुरी नहीं होती, हमेशा कप्तान बुरा या अच्छा होता है. बदलना है तो उपर वालों को बदलो जो विजन व इन्नोवेशन के नाम पर तो जीरो हैं लेकिन मूर्खतापूर्ण सलाह देने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये लेते रहते हैं. ऐसे लोग अपनी नौकरी चलाते रहने के लिए छोटे लोगों को हमेशा डांटते-फटकारते रहते हैं और उनकी नौकरियों की बलि लेते रहते हैं.

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अगर प्रबंधन इंडिया न्यूज को एक स्तरीय न्यूज चैनल बनाना चाहता है तो पहले उसे अपने यहां काम की स्थितियों को स्तरीय बनाना होगा.  काम करने वालों को पूरी सुरक्षा व सुविधा देनी होगी ताकि सभी के दिमाग मुक्त, सहज व इन्नोवेटिव होकर सोच-समझ सकें. अगर इंडिया न्यूज चैनल अपना मुकाबला घटिया न्यूज चैनलों से मानता है जहां किसी का काम करना और न करना, दोनों ही बराबर है तो फिर कोई बात नहीं. ऐसे में इंडिया न्यूज प्रबंधन को यही सलाह दी जा सकती है कि यूं ही हलचल मचाए रखें, हायर-फायर की स्पीड बनाए रखें,  गो अहेड बासेज… कीप इट अप बॉस…. वेल डन बॉस… आल इज वेल बॉस…. लगे रहो बॉस!!!!

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0 Comments

  1. jyoti

    April 1, 2010 at 8:24 am

    ये तो होना ही था….कल मेरी बारी थी, आज कुछ की और कल किसी और की….मुझे याद है जब मेरी रूख्सती हुई थी तो कई लोग हंस रहे थें, आज उनका नंबर आ गया….मेरा जो हुआ सो हुआ लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि हंसना छोड़ चैनल में काम कर जो लोग भी हैं उसे इसे अन्याय के खिलाफ एकजुट होना चाहिए…. कम से कम कल ये चीजें दोहराई ना जा सके…प्रवंधन आपकी कमजोरी का फायदा उठा रहा है… सभी लोग एक साथ आए ये समय बेहतर है ये ना सोंचे चलो बच गए इसबार…लेकिन जनाब कल नहीं बच पाएंगे……

  2. anil

    April 1, 2010 at 8:23 am

    theek likha aapne. kamobes yhi haal aaj smaj akhbaar ka hai. haryana sarkar ke gungaan me jute is akhbaar ke 2 vrisht reportro ko cm ke khilaf khabr chapne par delhi bula liya gya tha. rajniti me paith rakhne vaala ek patrkar is akhbaar ko poori trah apni marji se haak rha hai. is paterkar ne kai jagah logo ko sat kiya hua hai, jo sirf uski union se jude hai. patrkarita kee samajh rakhne walo kee yha koi kadar nhi hai.

  3. Haresh Kumar

    April 1, 2010 at 8:25 am

    हरि अनंत हरि कथा अनंता की तरह ही मीडिया में कुकुरमुत्ते की तरह लोग आ गए हैं। कई लोग अपने दूसरे धंधे को बचाने के लिए मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। उनका मकसद मीडिया की आड़ लेकर अपने दूसरे धंधे को चमकाना है। उनका एक मात्र मकसद पैसा कमाना है और पैसे के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। वे सिर्फ अपना धंधा करने के लिए आए हैं न कि समाज को कुछ देने। इन लोगों से समाज का कोई भला होनो वाला नहीं है। बेचारे पत्रकार इनकी जाल में फंसकर अपना सब कुछ गवां बैठते है।

  4. vimal srivastava

    April 1, 2010 at 10:43 am

    shi me media me kaam krna khatrnaak hai mai bhi isi media ka sikaar hu .. V O I ME TEEN MAHINE KAAM KIYA AUR JB PEMENT MAGA TO KUCH NHI MILA ..

  5. rahulj

    April 1, 2010 at 12:35 pm

    हेडर होना चाहिए इंडिया में “न्यूज’ में जॉब ना बाबा ना क्योंकि कमोबेश सभी जगह यही हाल है

  6. satya prakash azad

    April 1, 2010 at 3:59 pm

    yahan apne hi bhai-bandhu, ek-dusre ka sir kalam karne me lage rahte hain…….dusaron ke haq ke liye kya ye khak ladenge, pahle ye apna haq maang len……

  7. अमान अहमद

    April 1, 2010 at 9:54 pm

    अगर आप इंडिया न्यूज में है तो ऐसा तो होगा ही….ये कोई नई बात नहीं हैं…मैने भी5 करीब 10 महीने इंडिया न्यूज में काम किया था पर नौकरी मांगने पर आशवासन के अलावा कुछ नही मिला…अंत में मैने ही छोड़ दिया…ऐसै नही है की नौकरी नही हुई उनकी पर उनकी हुई जिनके सर पर एक शख्स का हाथ था…और उनकी सत्ता आज भी बरकरार है…

  8. amiya

    April 2, 2010 at 8:29 am

    india news ki yeh har mahina chalata hai aur 1 or 2 mahina lagat nikale ke liya . or yeh channel aise chalta hai 1 or 2 saal main koi nehi hoga tala khole ke liya, amiya

  9. aaryan rajput

    April 2, 2010 at 11:43 am

    इंिडया न्यूज में एेसा होना कोई नहीं बात नहीं, बिल्क वहां की एक परंपराओं में से एक है। ताज्जुब इस बात का है िक िजन लोगों को पहले ही िनकाल देना चािहए था, वह अभी तक उच्च पदों पर आसीन है। इतना ही नहीं न अनुभवी लोगों का नाम अख्बार में साल में दो बार ही िदखाई पड़ता है। अब आपको एक नहीं बात बता देता हूं िक िजन िस्ट्रंगररों को फरवरी में िनकाला गया था, उन्हें अभी तक वेतन भी भी नहीं िदया गया है। चो िक केवल चार हजार रुपये है। महोदय जो ग्रुप करीब ढाई साल पहले एक िशप था, वो अब केवल बोट बनकर रह गया है। अब आप समझ जाइये िक आगे क्या होगा ?

  10. aakash mishra

    April 2, 2010 at 3:49 pm

    bhai yashwant.manu sharma ke bhai ka channel hai.kya umeed kar sakte ho.

  11. aakash mishra

    April 2, 2010 at 3:52 pm

    manu sharma ke chanel se kya umeed karoge.dalali ke siwa ye kar kya sakte hai.

  12. Abul bashar khan

    April 3, 2010 at 7:54 am

    अपनी भड़ास निकाल कर हो सकता है की आप लोगों को थोड़ी राहत ज़रूर मिली हो ..लेकिन अगर आप पत्रकारिता कर रहे हैं तो ये उम्मीद करता हूँ की आप की समझ , दुसरे लोगों से अलग ज़रूर होनी चाहिए…इसलिए अभी तक न सही लेकिन आज इस बात को जान ली जिए की जिस भी क्षेत्र या संस्थान में आप नौकरी करने जा रहे हैं तो उस संस्थान को भी आपसे कुछ अपेक्षाए और उम्मीदें होती हैं और अगर आप उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते तो भाई छटनी लिस्ट में अपना नाम होना तय मानिये.. ये अलग बात है की बॉस की जी हुजूरी ,गुड मोर्निंग और गुड ईवनिंग करके आप अपनी नौकरी को कुछ दिनों तक और बचा सकते हैं लेकिन आज नहीं तो कल गाज गिरना तय है और रही बात इंडिया न्यूज़ में छटनी की तो भाई मेरे अपनी जानकारी सुधारिए और ज्ञान बढाईये ,ज्यादा नहीं तो भड़ास 4 मीडिया ही देखा करिए..आये दिन लगभग सभी चैनलों के कर्मचारियों की छटनी की खबर प्रकाशित होती है ..इसलिए केवल इंडिया न्यूज़ को ही कहना गलत होगा …मेरे कहने का मतलब सिर्फ इतना है की किसी भी संस्थान में बने रहने के लिए आपको अपना सौ प्रतिशत तो देना ही होगा साथ ही साथ किसी भी प्रकार के विवाद से भी बचना होगा…अगर आप संस्थान को अपनी ज़रुरत महसूस करा ले जाते हैं तो आप सफल हैं…फिलहाल तो इंडिया न्यूज़ ही निशाना बनाया गया लेकिन इंडिया न्यूज़ के ही ऐसे कई लोगों को मैं जानता हूँ जो शुरुआत से टिके हुए हैं और सहज महसूस कर रहे हैं ..तो ज़रा गौर से सोचिये की आप की छटनी क्यों हुयी ? ये बात आगे किसी दुसरे संस्थान में नौकरी करते समय काम आयेगी…

  13. anup tiwari

    April 3, 2010 at 11:16 am

    VERY VERY THANKS TO YOU JASWANT G INDIA NEWS KI KHABAR DENE KE LIYE . AISA PAHLI BAARNAHI HUA HAI INDIA NEWS ME YE TO AADAT HAI , PAHLE RELATIVES JOIN HOTE HAIN FIR KAAM LIYA JATA HAI KUCH SAMAY BAAD ALVIDA BOL DIYA JAATA HAI . WO BECHARE KAHAN JAYEN JINKO NAUKRI KARKE APNE GHAR WALO KO PALNA HAI, ISKA JAWAB KAUN DEGA?

  14. rahul gaziyabadi

    April 3, 2010 at 3:28 pm

    yashwant ji aapne staff reporter ke hatane par to itna likha, magar kuch un stringer’s ki halat par bhi to gaor kijiye jinka paisa india news ke malikaan maar kar bethe hain. main ghaziyabad se iske liye kaam karta tha. mera karib sawa lakh rupya bakaya hai. jo log hataye ja rahe hain unme se bhi kuch aese hai jo apne namber badhne ke liye us waqt mera paisa dilane ki bajaye mithi goliyan dete rahe. halaki hua galat hai, magar un logon ko kuch to ahsaas hoga ki jo dusre ka bura karta hai ek din unke sath bhi samay bhi dohrata hai.

  15. mahinder kumar

    April 3, 2010 at 5:00 pm

    इंडिया न्यूज़ हरियाणा के एसाइनमेंट हेड श्री योगराज शर्मा ने इस्तीफा दिया यह उनका बहुत बड़ा कदम है और एक सच्चा पत्रकार जो समाज को दिशा दिखाता है वेह गलत होता हुआ कैसे देख सकता है या कर सकता है इंडिया न्यूज़ चैनल एक राजनीती कुनबे का है जहा राजनीती की तरह सिफारश चलती है यह नहीं देखा जाता की जिस पत्रकार की न्युक्ति हो रही है कया उसे न्यूज़ लिखनी आती है कया उसके पास केमरा है न्यूज़ कैसे बनाई जाती है स्क्रिप्ट कैसे लिखी जाती है उसकी जानकारी है . इन चीजो की सिफारश के आगे कोई पूष नहीं और ऐसे में वेह नाम का पत्रकार दुसरे पत्रकार साथिओं की शरण में जा कर उनकी लिखी स्क्रिप्ट और स्टोरी आपने चैनल पर भेज कर खुद भी खुश होता है और चैनल वालों को न्यूज़ मिलती है लेकिन सच कया है कोई जानने की कोशिश नहीं करता . योगराज जी ने जो किया बहुत बढिया किया हमारी शुभ कामना उनके साथ है जो कलम के सच्चे सिपाही है और ऐसे सिपाही कभी नाकाम नहीं होते ….

  16. Vipul

    April 5, 2010 at 6:02 am

    Yeshwant Ji , Kya Yograj sharma aur Isthifa aap Apene blog Me Bhi accha Majak kar Lete ho … Ye Majak Tha Ki yograj Sharma Se Koi Deal. HA HA HA HA .

    Vipul India News.

  17. farah

    April 7, 2010 at 3:33 pm

    INDIA NEWS KO AB BAND HI HO JANA CHAHIYE….PATA NAHI KIS DIN KE LIYE CHAL RAHA HAI…..ARE APNI DUKAAN BAND KARO YAAR………

  18. jyoti

    April 7, 2010 at 8:32 am

    योगराज शर्मा और सच्चा पत्रकार…छटनी के शिकार लोग कितना भी मायूस हो, आपके इस अज्ञान पर हंस पड़ेंगे…यह संस्थान दरअसल पत्रकारों से बदला लेने के लिए बनाया गया है…मनु तुम चाहे जहां रहो…तुम्हें जेल में पहुचाने वाले पत्रकार विरादरी से बदला तो कम से कम चैनल खोलकर लिया ही जा सकता है…इस चीज को इंडिया न्यूज में काम करने वाले समझें…

  19. sumit sharma

    April 7, 2010 at 8:42 am

    जब मैंने इंडिया न्यूज़ छोड़ा था तो मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आता था…मुझे लगता था कि मैंने इंडिया न्यूज़ छोड़ कर गलत किया…लेकिन लगातार इंडिया न्यूज़ में चल रही छटाई को देख कर ऐसा लगता है कि मैंने सही किया…मैं वहां एक ट्रेनी था…और शायद अब भी वहां जॉब कर रहा होता तो असिस्टेंट प्रोड्यूसर ही बन पाता…अगर नौकरी कर कहा होता तो…और मैं 8000 ही कमा रहा होता…और वहां गाली खा रहा होता…आज बेशक मैं एक छोटे चैनल में काम कर रहा हूं…लेकिन यहां कम से कम नौकरी खोने का डर तो नहीं है…और मैं यहां बतौर एसोसिएट प्रोड्यूसर काम कर रहा हूं…और मैं यहां 14000 कमा रहा हूं…मुझे खुशी है कि मैंने कभी इंडिया न्यूज़ के साथ काम किया…मैंने वहां की सबसे अच्छी टीम के साथ काम किया…राकेश योगी की टीम में…मैंने वहीं बहुत कुछ सीखा…जो मैं आज यहां इस्तेमाल कर रहा हूं…मैं इंडिया न्यूज़ को कभी नहीं भूल पाऊंगा…लेकिन वहां के हालातों को देख कर बहुत दुख होता है…

  20. manoj

    November 14, 2010 at 12:52 pm

    अबुलजी मै आपसे जानना चाहता हु की मध्यप्रदेश के सवाददाताओ ने तो पूरी ईमानदारी से चेनल के प्रति लगातार ३ सालो तक काम करके इंडिया न्यूज़ को उस मुकाम पे पंहुचा दिया था जिसे हर गाव का बच्चा-बच्चा जानने लगा था क्या यही उनकी गलती है जिसके कारण सभी की छटनी कर दी गई और कमान एक ऐसे दलाल के हाथो में सौप दी जिसका अपना कोई चरित्र नहीं है और तो और नौकरों की तरह काम लिया गया और अभी तक मजदूरी भी नहीं दी |तो क्या अब संसथान को दलालों की जरुरत पड़ने लगी है…..या फिर इंडिया न्यूज़ अपने पुराने नौकरों को फिर से काम पर वापसी करेगा………………….?

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