सूप तो सूप बोले, अब संदीप गुप्त भी बोलें

दैनिक जागरण के एक मालिक हैं संदीप गुप्त. कानपुर में बैठते रहे हैं और अब भी बैठते हैं. वे खुद को संपादकीय से लेकर प्रोडक्शन, प्रिंटिंग, बिजनेस… सबका मास्टर मानते हैं. छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम कर गुजरने में माहिर मानते हैं अपने आपको. अब चूंकि वे मालिक हैं तो उनके सौ दोष माफ. उनके साथ काम करने वाले उनकी सोच, मेंटलिटी और कार्यप्रणाली के बारे अच्छे से जानते हैं लेकिन कोई कैसे कुछ बोल सकता है.

जागरण वालों को मिलेंगे 225 करोड़

ब्रिटेन के इंडिपेंडेंट ने साथ छोड़ा तो अमेरिका के ब्लैकस्टोन ने दामन थामा : जिसके दिन अच्छे हों तो उसे हर तरफ से लाभ ही लाभ मिलता है. देश के 11 राज्यों में 37 संस्करण और 200 से अधिक उप संस्करण प्रकाशित करने वाले दैनिक जागरण  समूह का भी यही हाल है. देश का यह नंबर वन अखबार समूह ब्रिटेन के अंग्रेजी दैनिक इंडिपेंडेंट के नाता तोड़ लेने के बाद नए विदेशी पार्टनर को तलाशने में कामयाब हो गया है. जागरण प्रकाशन लिमिटेड को जो नया पार्टनर मिला है, वह अमेरिका का है.

‘मंथन’ में खबरों के धंधे पर कोई बात नहीं हुई

जागरण समूह के संपादकीय विभाग के वरिष्ठों की सालाना बैठक संपन्न हो गई। यह बैठक दो दिनों तक सूरजकुंड में चली। 30 सितंबर और एक अक्टूबर को चली इस बैठक का नाम दिया गया था- ‘मंथन 2009’। नाम से स्पष्ट है कि बैठक में संपादकीय विभाग के कामकाज को ठीक करने, नए चैलेंजेज पर बात करने, पाठकों से जुड़ाव को मजबूत करने और नई नीतियों पर विचार-विमर्श कर उसे लागू करने का दौर चला। बैठक से पहले ही हर किसी को बता दिया गया था कि उन्हें किन-किन विषयों पर प्रजेंटेशन देना है। किन विषयों पर अपनी बात रखनी है।

हिस्सेदारी बेच यारी खत्म करने की बारी

[caption id="attachment_15160" align="alignleft"]जेपीएन-आईएनएमअब साथ-साथ नहीं : जागरण प्रकाशन के सीएमडी महेंद्र मोहन गुप्ता और इंडिपेंडेंट न्यज एंड मीडिया के सीओओ गेविन ओ रेली.[/caption]जागरण प्रकाशन लिमिटेड और इंडिपेंडेंट मीडिया एंड न्यूज के बीच गठजोड़ खत्म होने की ओर : प्रसार और पाठक संख्या के मामले में देश का नंबर वन अखबार दैनिक जागरण प्रकाशित करने वाली कंपनी जागरण प्रकाशन लिमिटेड (जेपीएल) इन दिनों बेहद दबाव में है। जेपीएल में 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली आयरिश मीडिया कंपनी इंडिपेंडेंट न्यूज एंड मीडिया (आईएनएम) अब अपने सभी शेयरों को बेचने पर उतारू हो गई है। इसके पीछे वजह इंडिडेंटेड ग्रुप का कर्ज के बोझ से दबे होना है।

राष्ट्रीय संस्करण उर्फ जागरण का बड़ा भाई

[caption id="attachment_14990" align="alignnone"]डमीऱाष्ट्रीय संस्करण : लांचिंग से ठीक एक दिन पहले की डमी[/caption]

जागरण समूह का बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय संस्करण आज लांच कर दिया गया लेकिन यह देखने और पढ़ने के लिए सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। अगर आप अपने हाकर से जागरण के राष्ट्रीय संस्करण के बारे में पूछेंगे तो वो कुछ नहीं बताएगा क्योंकि उसे इस बारे में न तो कुछ पता है और न ही बताया गया है। दरअसल, इस ‘प्रीमियम प्रोडक्ट’ को बेचने की अभी स्ट्रेटजी नहीं बनी है।