भविष्य निधि की लड़ाई जीत गए कुलदीप

[caption id="attachment_15653" align="alignleft"]कुलदीप शर्माकुलदीप शर्मा[/caption]इंदौर (मध्य प्रदेश) के मीडियाकर्मी हैं कुलदीप शर्मा। जिंदगी की जद्दोजहद में उनके सामने एक-एक कर कई मोरचे खुलते चले गए। वह पहले दैनिक भास्कर, इंदौर में थे। नई दुनिया में वर्ष 1996 से कार्यरत रहे। नई दुनिया प्रबंधन ने उनका स्थानांतरण 7 नवंबर 05 को भोपाल कर दिया। उन्होंने घरेलू स्थितियों की जानकारी देकर इंदौर से बाहर जाने में असमर्थता प्रकरण कर दी। स्थानांतरण प्रकरण श्रम न्यायालय में (प्रकरण क्रमांक 57/07 दिनांक 9/10/07 को) समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन इंदौर ने प्रस्तुत किया लेकिन नई दुनिया प्रबंधन ने श्रम न्यायालय में अभी तक जवाब पेश नहीं किया है। कुलदीप ने अपने भविष्य निधि को लेकर भी एक केस किया जिसमें वह जीत चुके हैं। ये वही कुलदीप शर्मा हैं, जिन्होंने 30 मार्च 2008 को राष्ट्रपति से इच्छा-मृत्यु की गुहार लगाई थी। इस बारे में भड़ास4मीडिया पर विस्तार से खबर प्रकाशित की जा चुकी है।

‘जैसा लिखा, वैसा ही भोगा और भोग रहा हूं’

कुलदीप शर्माश्रीमान् यशवंत सिंह जी,

सादर नमस्कार,

आपके सहयोग का मैं सदैव आभारी रहूंगा। जिस ढंग से आपने मेरे मनोभावों को व्यक्त किया है, वह वाकई अदभुत है। ऐसी अवस्था को केवल ‘स्थितप्रज्ञ’ व्यक्ति ही प्राप्त कर सकता है। मैं अपनी तरफ से वह हर कोशिश कर चुका हूं, जिनके बदौलत मुझे कोई राहत मिल सके पर आपकी इस मदद से मुझे जो सुकून मिला है, उसे शब्दों में बयान करना संभव नहीं है।

मुझे सपरिवार इच्छा मृत्यु की इजाजत दो!

कुलदीप शर्माकुलदीप द्वारा मौत मांगने के एक साल मार्च महीने में पूरे होंगे। उन्हें अब तक न तो ‘मौत’ मिली और न जीने लायक छोड़ा गया।  भारतीय लोकतंत्र के स्तंभों-खंभों ने उन्हें कोमा-सी स्थिति में रख छोड़ा है।  कुलदीप मीडियाकर्मी हैं। इंदौर में हैं। ‘नई दुनिया’ से जुड़े रहे हैं। प्रबंधन ने कुलदीप से इस्तीफा देने को कहा था। उन्होंने नई नौकरी न ढूंढ पाने की मजबूरी बताई थी। प्रबंधन ने उनका तबादला कर दिया। बीमार पिता को छोड़ दूसरे शहर में नौकरी करने जाने में असमर्थ रहे कुलदीप। सो, कुलदीप ने रहम की गुहार लगाई।