कहिन ‘निशिकांत नहीं, राकेश शांतिदूत ले आए थे’ जागरण और भास्कर पर मेरी टिप्पणी से किसी और को आघात लगा हो या न, लुधियाना में फिर से आये सुशील खन्ना को बहुत... bhadas4media.comOctober 23, 2009
कहिन ‘ऋषि को पत्रकारिता में निशिकांत लेकर आए’ यशवंत जी, मैं उन लोगों का तहदिल से शुक्रगुजार हूं जो आज के युग में भी अपने से ज्यादा दूसरों की चिंता करते हैं।... bhadas4media.comOctober 19, 2009
कहिन Stop package selling in media bhadas4media is a portal which is like a fresh wind in the stinking environment of decaying journalism : I would like to tender my... bhadas4media.comOctober 15, 2009
कहिन ‘आने वाला समय इन लोगों को क्षमा नहीं करेगा’ प्रिय भाई यशवंत जी, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर की हरियाणा चुनाव की कवरेज़ पर टिप्पणी पढने को मिली है. इन दोनों अख़बारों की... bhadas4media.comOctober 15, 2009
कहिन ‘टिप्पणी करना वैचारिक स्वतंत्रता का हिस्सा’ प्रिय चन्दन जी, सादर अभिवादन, आपका पत्र पढ़ा। शायद आप दैनिक जागरण की ही संतति हैं। पहले आपको स्पष्ट कर दूं, अगर नरेन्द्र मोहन... B4MOctober 14, 2009
कहिन ‘उनका हर ऐब भी जमाने को हुनर लगता है’ बहुत महीन है अखबार का मुलाजिम भी : अभी किन्हीं सज्जन की पतिव्रता टाइप टिप्पणी पढ़ी। जो मुझे भाषा की मर्यादा समझाने में लथ-पथ... B4MOctober 14, 2009
कहिन ‘जो चला गया, उस पर टिप्पणी ठीक नहीं’ यशवंत, काफी दिन के बाद किसी बयान पर लिख रहा हूँ. यह अलग बात है कि प्रेस आने के बाद रोजाना के काम निबटाने... bhadas4media.comOctober 13, 2009
कहिन ‘हमारे रिपोर्टर से कोई बड़ाई नहीं लिखवा सकता’ प्रिय यशवंत जी, 'इन अखबारों पर थूकें ना तो क्या करें' पढ़ा। सही कहा है आपने। ये पत्रकारिता के लिए काफी शर्म की बात... bhadas4media.comOctober 12, 2009
कहिन ‘अब खुद मालिक बाजार में खड़ा है’ यशवंत भाई, मीडिया के चारित्रिक पतन के लिए हमें केवल मालिकों पर ही दोष नहीं थोपना चाहिए। इसकी जड़ में जाना होगा। हां, यह... bhadas4media.comOctober 11, 2009
कहिन अरे भइया, ये इज्जत कौन चिड़िया का नाम है? यशवंत भाई, आपसे भलीभांति परिचित हूं। आप भी मुझे बखूबी जानते हैं। एक लेख भेज रहा हूं। पहचान गुप्त रखने की गुजारिश करता हूं।... bhadas4media.comOctober 11, 2009
कहिन ‘बीस बार थूका पर अभी मन नहीं भरा’ प्रिय यशवंत जी, आपकी हरियाणा के अखबार वाली रिपोर्ट पढ़कर मैंने बीस बार थूका. पर अभी मन नहीं भरा है. फिर थूकूंगा. आपको बताना... bhadas4media.comOctober 11, 2009
प्रिंट इन अखबारों पर थूकें ना तो क्या करें! दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसे मीडिया हाउसों ने इमान-धर्म बेचा : देवत्व छोड़ दैत्याकार बने : पैसे के लिए बिक गए और बेच... bhadas4media.comOctober 10, 2009
कहिन तो अखबार मालिक कफन बेच देंगे… 'कली बेच देंगे, चमन बेच देंगे, जमीं बेच देंगे, गगन बेच देंगे, अखबार मालिक में लालच जो होगी, तो श्मशान से ये कफन बेच... bhadas4media.comOctober 10, 2009