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मदद-अपील

भड़ास4मीडिया फिर फंसा संकट में

जनसत्ता अखबार जब अपने चरम पर था, सरकुलेशन इतना ज्यादा दिल्ली में हुआ करता था कि मशीनें छापते-छापते हांफ जाया करती थीं तब प्रभाष जोशी जी ने अपने पाठकों से अखबार में संपादकीय लिखकर अपील की थी कि ”जनसत्ता को मिल-बांट कर पढ़ें, अपन की क्षमता अब और ज्यादा छापने की नहीं है”. तब दौर कुछ और था. अब दौर बदल गया है. अखबारों के सरोकार, संपादक व मालिक सब के सब बदल गए हैं. और तो और, पाठक तक बदल गए हैं. या यूं कहें कि भरी जेब वालों को ही सिर्फ पाठक – दर्शक माने जाना लगा है.

<p style="text-align: justify;">जनसत्ता अखबार जब अपने चरम पर था, सरकुलेशन इतना ज्यादा दिल्ली में हुआ करता था कि मशीनें छापते-छापते हांफ जाया करती थीं तब प्रभाष जोशी जी ने अपने पाठकों से अखबार में संपादकीय लिखकर अपील की थी कि ''जनसत्ता को मिल-बांट कर पढ़ें, अपन की क्षमता अब और ज्यादा छापने की नहीं है''. तब दौर कुछ और था. अब दौर बदल गया है. अखबारों के सरोकार, संपादक व मालिक सब के सब बदल गए हैं. और तो और, पाठक तक बदल गए हैं. या यूं कहें कि भरी जेब वालों को ही सिर्फ पाठक - दर्शक माने जाना लगा है.</p>

जनसत्ता अखबार जब अपने चरम पर था, सरकुलेशन इतना ज्यादा दिल्ली में हुआ करता था कि मशीनें छापते-छापते हांफ जाया करती थीं तब प्रभाष जोशी जी ने अपने पाठकों से अखबार में संपादकीय लिखकर अपील की थी कि ”जनसत्ता को मिल-बांट कर पढ़ें, अपन की क्षमता अब और ज्यादा छापने की नहीं है”. तब दौर कुछ और था. अब दौर बदल गया है. अखबारों के सरोकार, संपादक व मालिक सब के सब बदल गए हैं. और तो और, पाठक तक बदल गए हैं. या यूं कहें कि भरी जेब वालों को ही सिर्फ पाठक – दर्शक माने जाना लगा है.

जो बीपीएल वाले घुरहू-कतवारू हैं, वे बाजार के लिहाज से अवांछनीय हो गए हैं. हालांकि मीडिया की अवधारणा व सरोकार इन्हीं बीपीएल वाले घुरहू-कतवारू के सुखों-दुखों से शुरू होकर राष्ट्र की नीतियों तक पहुंची थी ताकि उन नीतियों के कुप्रभाव-सुप्रभाव से बीपीएल वाले घुरहू-कतवारू को बचाया-सिखाया जा सके. लेकिन बाजार ने अब सबकुछ को मुद्रा मुद्रित बना रखा है.

ऐसे में नए जमाने की सच्ची पत्रकारिता की झलक वेब-ब्लागों में नजर आने लगी है. कम पूंजी और कहने-लिखने की आजादी ने वेब-ब्लाग को नए जमाने का सबसे तेजी से लोकप्रिय होता व पसंदीदा माध्यम बना दिया है. हिंदी फांट के यूनीकोडेड होने, हिंदी ब्लागिंग के तेजी से फैलने, वेब-पोर्टलों के बनने-लांच होने और इंटरनेट व ब्रांडबैंड के तेजी से विस्तार ने वेब-ब्लाग पत्रकारिता को कई पंख लगाए हैं. बेहद विनम्रता से मैं कुबूल करता हूं कि नशे-नशे में शुरू किया गया भड़ास4मीडिया मेरी उम्मीदों से बेहद अधिक विस्तार कर गया है. इसके पोर्टल के साथ मैं खुद भी हर रोज कुछ न कुछ सीखता रहा. संसाधन व कंटेंट जुटाने के लिए लड़ता-भिड़ता-जूझता रहा. दुनियादारों व समझदारों के आरोपों और शक की निगाहों से जूझता हुआ मैं बड़े-बड़े मीडिया हाउसों के दबावों-धमकियों से टकराता-जूझता रहा. पर हारा नहीं. यह वेबसाइट कई बार अटैक की शिकार हुई, कम संसाधन के कारण इसका संचालन बाधित हुआ लेकिन हर रोज सीखने, नया कुछ करने के जुनून व नए मिले अजीज दोस्तों की मदद से इसे उबारकर, बढ़ाकर आगे ले जाता रहा.

कम लोगों को पता होगा कि भड़ास4मीडिया की शुरुआत मैंने अपनी एक महीने की एडवांस मिली सेलरी से किया था. यह रकम लगभग 45 हजार रुपये के आसपास थी. इसी पैसे में वेबसाइट बनवाया, कुल पांच हजार रुपये में, 24 हजार रुपये में लैपटाप लिया और तीन-चार हजार रुपये में रिलायंस का इंटरनेट डाटा कार्ड. घर से ही शुरू हो गया. छह महीने बेहद मुश्किल में गुजरे. पड़ोस के पान वाले से सौ-दो सौ रुपये उधार लेता था, झूठ बोलकर कि बैंक बंद है. गाड़ी की किश्त भरने के नाम पर कुछ मित्रों से पैसा लिया और उससे घर का खर्च चलाया. पत्नी रोती थीं कि जाने क्या कर रहे हैं, आफिस जाना बंद कर दिया है और पता नहीं क्या करते रहते हैं घर में बैठकर. दिन भर काम करता और रात में एक पव्वा दारू का चढ़ाकर फिर शुरू हो जाता इंटरनेट आन करके. बहुत कम पुराने दोस्त काम आए. ज्यादातर ने एरोगेंट, आफेंसिव व एनार्किस्ट मानकर कन्नी काट लिया था. नए दोस्त मिले. शुभचिंतक सामने आए. थोड़े बहुत पैसे आने लगे तो मैं खुद को दुनिया का बेहद सफल आदमी मानने लगा.

साल भर गुजरने के बाद आर्थिक स्थिति संतोषजनक होने लगी. आफिस मेनटेन किया. एकाध-दो साथी साथ रखे. दो-चार साथी पार्ट टाइम पर रखा. घर-आफिस के खर्च के बाद भी कुछ पैसा बचने लगा. भड़ास4मीडिया ने देखते ही देखते इतना बड़ा पाठक वर्ग तैयार कर लिया कि मैं इस पोर्टल के संचालन के प्रति दिन प्रतिदिन ज्यादा चिंतित रहने लगा. ज्यादा ट्रैफिक के कारण वेबसाइट कई बार बंद होने लगी. तब इसे दूसरे सर्वरों पर ट्रांसफर किया गया. लेकिन हर जगह शेयर्ड होस्टिंग ही थी. शेयर्ड होस्टिंग बोले तो एक सर्वर पर ढेर सारी वेबसाइट्स के बीच भड़ास4मीडिया भी. लेकिन अब वो दिन आ गया है जब मुझे आप सभी से अपील करना पड़ रहा है कि भड़ास4मीडिया को साथ मिलकर देखें-पढ़ें और कम से कम देर तक खोले रखें. आप जितनी देर तक इसे खोले रखते हैं, उतनी ज्यादा बैंडविथ कंज्यूम होती है. उतना ज्यादा शेयर्ड होस्टिंग का सिस्टम गड़बड़ाता है.

पिछले कुछ हफ्तों से भड़ास4मीडिया दिन के पीक आवर में बार-बार बाधित हो रही है, इरर आने लगा है. अभी हम शेयर्ड होस्टिंग पर साढ़े पांच हजार रुपये महीने खर्च करते हैं. सोचिए, कभी पांच हजार में एक साल के लिए साइट बनी भी थी और होस्ट भी हुई थी और अब साढ़े पांच हजार रुपये महीने देने पड़ रहे हैं. 220 जीबी बैंडविथ प्रत्येक महीने इस्तेमाल हो रहा है. 24 घंटे में साढ़े छह लाख हिट्स हो रहे हैं. सपना सरीखा लगता है यह. लेकिन सच है यह. आंकड़े मंगा कर देख सकते हैं. मेरे तकनीकी साथी का कहना है कि ये तो शुरुआत भर है. जो ट्रेंड साइट शो कर रही है उसके मुताबिक अगले छह महीने में यह वर्तमान में जिस औकात में है, लगभग उसकी डबल हो जाएगी. अपने वर्तमान औकात में यह साइट शेयर्ड सर्वर पर चलने की सारी सीमाओं को लांघ चुकी है. शेयर्ड साइट होस्ट करने वाली कंपनी की तरफ से चेतावनी रूपी पत्र आ गया है, एक अक्टूबर से व्यवस्था देख लो. पढ़िए ये दो पत्र-


Dear Yashwant ji,

Please find below the traffic report from 27-Aug-10 to 22-Sep-10) . In approx 25 days traffic usage has been 186 GB against the agreed limit of 125 GB per month. Looking at the trends I calculate that monthly traffic is reaching around 220GB. At this stage, it is important that you look for a VPS or a dedicated server to maintain the status of the site that it is gradually achieving. If you can specify monthly budget that you would want to afford for a VPS/dedicated solution, I may help you with finding something useful.

Regards,

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Dear Yashwant Ji

The server is having problems and problems are expected to continue to come in the next week as well. Hence please be aware that there may be periodic downtime for 10-15 minutes every day. But be assured there won’t be any data loss or any unexpected event. It is a well monitored event and we will cause the mysql to stop when we see any serious problem to the server and hence the downtime.

Because of these issues we have to take actions on our server and possibly down it. We will take action on server on 1-Oct-10. As discussed, please ensure that you are able to move your site off from our servers by end of this month.

Regards

xxxxxxxxx


इसी कारण सूचना ये है कि इस साइट को जल्द से जल्द किसी डेडीकेटेड सर्वर पर ले जाना है. इसके लिए बीस हजार से पच्चीस हजार रुपये महीने लगेंगे. अन्यथा यह वेबसाइट अत्यधिक ट्रैफिक के दबाव में नष्ट होने लगेगी. लेकिन सवाल यही है कि बेहद छोटे मीडिया हाउसों के दो, पांच, पंद्रह हजार रुपये महीने के कुछ विज्ञापनों की कमाई से हम लोग भड़ास4मीडिया से जुड़े लोगों का खर्चा निकालें या फिर भड़ास4मीडिया को चलाने में होने वाले सर्वर के खर्च में लगाएं. बिकने के मौके कई बार आए लेकिन हम लोगों ने उस रास्ते को नहीं अपनाया. जिन लोगों ने विज्ञापन दिया, उनकी ओर से आने वाली प्रेस विज्ञप्तियों, सूचानाओं को छापा. और जिन लोगों ने नहीं दिए, उनकी भी विज्ञप्तियों, सूचनाओं को छापा. हां, कुछ साथी जो भड़ास4मीडिया से जुड़े सरोकार व संवेदना को समझ पाए, वे नियमित तौर पर कुछ न कुछ मदद करते रहे जिससे हम लोगों को दिक्कत नहीं आई. पर हम लोग कई फंड इकट्ठा नहीं कर सके हैं. हम लोग कोई बैंक बैलेंस नहीं बना पाए हैं. यह इरादा भी नहीं है.

जिस दिन पूंजी के चक्कर में पड़ जाएंगे उस दिन भड़ास4मीडिया से भड़ास शब्द की प्रासंगिकता गायब हो जाएगी. फिर पीआर4मीडिया टाइप की वेबसाइट हो जाएगी भड़ास4मीडिया. और ऐसी पीआर4मीडिया टाइप वेबसाइटें हिंदी में आने भी लगी हैं. कई ऐसी भी वेबसाइटें आने लगी हैं जो सिर्फ कंटेंट चोरी के दम पर संचालित होती हैं. उनके संपादकों का काम पीआर करना होता है. बेहतर नौकरी हासिल करना होता है. खैर, जाके रही भावना जैसी. खुले बाजार का दौर है. किसी को कुछ भी करने से नहीं रोका-टोका जा सकता. कहना सिर्फ यह चाहता हूं कि अगर आप लोगों में से कुछ ऐसे लोग आगे आ सकें जो प्रत्येक महीने के लिहाज से या वार्षिक लिहाज से कोई रकम हम लोगों को दे सकें ताकि भड़ास4मीडिया के डेडीकेटेड सर्वर पर जाने से आने वाले नए खर्च का भार वहन कर सकें, तो बड़ी कृपा होगी.

यह भी एक तरह का भीख मांगना ही है. लेकिन बड़े संदर्भों में देखें तो मैं उनके पास हाथ फैला रहा हूं जिनकी पक्षधरता के लिए इस साइट का संचालन करता हूं. बड़ा आसान है उनके आगे हाथ फैलाना जो नहीं चाहते कि उनके बिजनेस की बर्बरता के बारे में भड़ास पर कुछ छपे. वे बुलाते रहते हैं, पुचकारते रहते हैं, विज्ञापनों के प्रलोभन देते रहते हैं. लेकिन हम लोग उन्हें दूर से ही नमस्कार करते हैं. विज्ञापन उन्हीं के लिए जिनका लेने का दिल हुआ. या फिर जिन्होंने कंटेंट सपोर्ट नहीं मांगा, सिर्फ और सिर्फ विज्ञापन चलवाया. जिन्हें मैं चाहता हूं, उनकी अच्छाइयों की वजह से, उनके मैं साथ खड़ा हुआ. उन्होंने विज्ञापन दिए तो लेने में हिचका भी नहीं. रेट की कभी किसी से बारगेनिंग नहीं की गई. जिसने जो रेट लगाया, स्वीकार किया. यही कारण है कि हम लोग आर्थिक मोर्चे पर तभी तभी सक्रिय हुए जब-जब पैसे सारे के सारे चुक गए. और, जब कहीं से कुछ आ गया तो तब तक कंटेंट में डूबे रहे जब तक कि वह खर्च न हो जाए. इसी कारण उस जनता के पास हम जाना चाह रहे हैं जिसे लगता है कि भड़ास4मीडिया में उसकी आवाज है, भड़ास4मीडिया में साहस है, भड़ास4मीडिया में तेवर है, भड़ास4मीडिया उसका अप्रत्यक्ष दोस्त, साथी व जिंदगी व दिनचर्या की जरूरत है. ऐसे लोगों से मदद मांगना अगर भीख मांगना है तो समझिए हम भीख ही मांग रहे हैं.

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अगर ऐसा न हुआ तो मेरे पास दो विकल्प हैं. एक यह कि इस वेबसाइट को बेच दिया जाए, जिस भी दाम पर बिके. 50 लाख रुपये तक की इसकी बोली लग चुकी है. न चला पाने की स्थिति में इसे किसी भी औने-पौने दाम पर बेचकर इससे छुटकारा पा सकता हूं. दूसरा विकल्प यह है कि कुछ बड़े मीडिया हाउसों के साथ गठजोड़ करें और उनसे पैसे लें. यहां मैं साफ कर देना चाहता हूं कि भड़ास4मीडिया न तो कोई प्रेस है, न न्यूज चैनल और न पंजीकृत मीडिया संगठन. हम न तो कोई सरकारी लाभ पाते हैं और न ही सरकारी विज्ञापन और न ही पत्रकार व मीडिया होने के लाभ. हम यह सब न लेकर भी खुद को 90 फीसदी ईमानदार घोषित करते हैं. दस प्रतिशत बेइमानी, अगर बेइमानी है तो यह है कि हम अपने यहां जिन कुछ मीडिया हाउसों के विज्ञापन लगाते हैं या उन्हें कंटेंट सपोर्ट देते हैं, उनके खिलाफ आक्रामक नकारात्मक खबरें नहीं छापते, छापते भी हैं तो कम छापते हैं. हालांकि कई बार या अक्सर विज्ञापनदाताओं के यहां होने वाले नकारात्मक घटनाक्रमों को भी प्रमुखता से हम लोगों ने छापा है, वह भी तब, जब उनका विज्ञापन लगा हुआ था. यह मानकर कि अगर वे अपने विज्ञापन हटा लेंगे तो हटा लें, उनके विज्ञापन के दम पर हम लोग जिंदा नहीं हैं.

प्रचंड बाजारवादी दौर में खुद के व इस पोर्टल के सरवाइवल के लिए इतनी बेइमानी हम करते हैं और इसे स्वीकारने में मुझे कोई झिझक नहीं है. मेरा इसके उलट एक बात और कहना है कि जो अपने को सौ फीसदी ईमानदार घोषित करे और वह किसी उद्यम में हो, तो वह बहुत बड़ा झूठ बोल रहा है. अगर किसी प्रोडक्ट पर कमीशन रूपी लाभ लेकर कोई दुकानदार खुद को सौ फीसदी ईमानदार घोषित करता है तो मैं उससे बड़ा ईमानदार हूं. एक पत्रकार के उद्यमी बनने की जब कभी कथा लिखूंगा, उद्यमी के अर्थशास्त्र की व्याख्या करूंगा तो मैं अपने सारे अनुभवों को विस्तार से लिखूंगा ताकि मेरे जैसे दूसरे लोग खुद का कोई काम शुरू करें तो उन्हें कुछ बेसिक अनुभव व जानकारियां मिल सकें. मैं अपने अनुभवों पर हर वक्त चर्चा के लिए तैयार भी रहता हूं. इसी साफगोई व ईमानदारी की ताकत है कि कोई आजतक यह नहीं कह सका कि मैंने उससे पैसे लिए तो लौटाए नहीं या मैंने उससे पैसे हासिल करने के लिए दबाव बनाया.

सैकड़ों अज्ञात नंबरों से फोन आए होंगे मेरे पास, भड़ास4मीडिया पर विज्ञापन लगाने के लिए, रेट की जानकारी के लिए या लाखों रुपये का विज्ञापन देने के लिए, लेकिन उन अज्ञात बंधुओं को रेट बजाने की बजाय गालियां देकर भगाने में ज्यादा मजा आया. कोई लोग पीछे पड़े कि यशवंत का स्टिंग किया जाए पैसा मांगते हुए लेकिन अपन की जुबान व दिल में पैसे की चाह हमेशा से बस उतनी ही रही जितने में दाल-रोटी चल जाए और जब दाल-रोटी चल जाने भर पैसे खुद ब खुद आने लगे हों तो किसी के प्रलोभन में कोई कैसे पड़ सकता है. सो, ढेर सारे लोगों की तमन्ना अधूरी है. अब उन्हें कोई कैसे समझाए कि फक्कड़ व फकीर को जो मजा किसी गाने में मिल सकता है, वो नोटों की गड्डियों में नहीं. महल-हवेली सब यहीं रह जाने हैं. अकेले आए हैं और अकेले चले जाएंगे. यही संदेश है जीवन का. लेकिन दुश्मन हैं कि बूझते नहीं, दोस्ते हैं कि मानते नहीं.

दूसरी तरफ देखिए तो बाजार की जो व्यवस्थाएं हैं, घोषणाएं हैं… एयरकंडीशनर के सुकून, विपरीत सेक्स के साथ जीवन के सुख-दुख, कारों की फर्राटा दौड़, फास्ट फूड के आनंद, ग्लैमर की उत्तेजना, मुद्रा मोचन के बाद मिलने वाले कथित ऐशो-आराम व रोमांच, इंद्रिय जन्य सुखों को सबसे परम सुख बताना… यह सब हम सभी को भ्रष्ट से भ्रष्टतम, निकृष्ट से निकृष्टतम, संवेदनहीन से परम अमानवीय होते जाने के लिए बाध्य कर रहे हैं. और इस दौड़ में हम कब खुद को लूटतंत्र का हिस्सा बना लेते हैं, स्टिंग के शिकार हो जाते हैं, दिल व आत्मा से कमजोर हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. लेकिन संवेदनशील आदमी जहां भी होता है, वहीं से ही अपने दम पर, अपनी सीमाओं में वृहद सोच के साथ कई तरह के काम करता रहता है कि ताकि दुनिया में अच्छे लोगों को अच्छे होने के चलते मिलने वाले बाजारू दुखों से कोफ्त न हो.

आप मदद करें या न करें, दुनिया चलती रहेगी. मैं भी जीता रहूंगा. मन में एक दबी इच्छा थी, सो सोचा साझा कर लूं. जैसे हर मुश्किल वक्त कट गया, यह भी कटेगा. लेकिन किस रूप में कटेगा, मैं नहीं जानता. फिलहाल पिछले दो दिनों से परेशान हूं, दुखी हूं, बात-बात पर भड़क रहा हूं, जिससे बात कर रहा हूं उसको काटने दौड़ रहा हूं, डाक्टर के यहां बीपी चेक कराया तो उसने 140/100 बताया, ब्लड सैंपल लिया है वजह जानने के लिए कि इतना क्यों बढ़ा है, लेकिन वजह मैं जानता हूं. जुनून का हद से गुजरना कई बार पागलपन का रूप लेता है. लेकिन मैं पागल नहीं होना चाहता.

मैं अकेले शहीद नहीं बनना चाहता. लेकिन चोरों की बस्ती में एक और चोर बनने की भी तमन्ना नहीं है. भड़ास4मीडिया से मुक्ति के बारे में सोचने लगा हूं. आगे क्या है, इस बारे में समय-समय पर लिखता रहा हूं. दो साल और काम करने की इच्छा है. 40 के होने तक. फिर सिर्फ घूमने और गाते रहने का आनंद उठाना है. देखते हैं, समय किधर ले जाता है. लेकिन तत्काल तो आंखों के सामने भड़ास4मीडिया को शेयर्ड से डेडीकेटेड सर्वर पर ले जाने का मुद्दा है. कई कंपनियों से प्रपोजल मंगा चुका हूं. महीने के 20 से 30 हजार रुपये का बजट देखकर आंखें बंद कर लेता हूं. आंखें बंद कर लीजिए, फिर तो कोई संकट ही नहीं है. सारे संकट आखें खुलने तक हैं. लेकिन अभी आंखें बंद करने के बाद खोलनी भी पड़ती हैं. फिर वही सवाल सामने होता है. चलिए, तलाश शुरू करते हैं मददगारों, खरीदारों की. वो इस मार्केट इकानामी के लिए कहा भी गया है न, कुछ इसी तरह के शब्दों में कि…

जब तक बिका न था, तो कोई पूछता न था
तूने मुझे खरीद कर अनमोल कर दिया.

आंधी चली तो नक़्शे-कफ़-ए-पा नहीं मिला
दिल जिससे मिल गया वो दुबारा नहीं मिला.

हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे
अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला.

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आवाज को तो कौन समझता की दूर दूर
खामोशियों का दर्द शनासा नहीं मिला

कच्चे घड़े ने जीत ली नदी चढ़ी हुई.
मजबूत कश्तियों को किनारा नहीं मिला.

आभार के साथ

यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

संपर्क : [email protected], 09999330099

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0 Comments

  1. arvind kumar singh

    September 23, 2010 at 3:59 pm

    priya yashwant bhai
    ise padhne ke baad samajh nahi aata ki kya comment karoon. par mera man kahta hai ki ye sankat ke baadal bhi chhatenge. mujhe lagta hai ki samn soch ke ve sathi jo sammanjank vetan paa rahe hain ve ise majboot banane ka prayas karenge. jahan tak niji taur par mera sawal hai main is pariyojan ke liye sabhi star kaa vah sahyog karne ke liye taiaar hoon,jo meri haisiyat me hai.
    arvind kumar singh

  2. satyam

    September 23, 2010 at 4:01 pm

    यशवंत जी]
    यह बात ठीक है कि आने वाला समय और भी चुनौती भरा है, आप हिम्मत बनायें रखें काम अपने आप आसान हो जायेगा. कोई तो रास्ता निकलेगा जरूर. यदि आप अन्यथा न लें तो एक सलाह है, एक आपदा कोष बना लें हम छोटे दर्जे के पत्रकार ही सही कम से कम अपनी सेलरी से तो कुछ अंशदान कर अच्छी रकम इकट्ठी कर सकतें हैं जो इस तरह के आकस्मिक निधि के रूप में कम आये और आने वाला संकट टला जा सके.
    सत्यनारायण पाठक
    जगदलपुर
    🙂

  3. satish singh

    September 23, 2010 at 5:04 pm

    Dear Yashwant Ji

    it is very painful to hear that bhadas4media is facing financial problems.I am very touched with this coz after completing my PG in Hindi Journalism i was struggling for survival and i had to work in a BPO to earn my bread and butter at that time my first break in journalism came through an advertisement of requirements published on your website.i am yet to recieve my first salary but i promise to contribute half of my salary as i recieve.and will try to support after that too.I will request to please delete the lines which quote abt shutting down/selling this bhadas4media web site

  4. RAJESH VAJPAYEE JANSANDESH UNNAO

    September 23, 2010 at 5:04 pm

    yashwant bhai
    ap k naam k agay jaldbazi may bhai nahi likha aur jab bhai ho gaye ho tab swam ko kabhi akela majboor ya mamooli mat samjhana yaha tak ki aisa khayaal tak nahi anay chahiye.
    ap k saath lakho logo ka swabhimaan jinda hai aur jis k saath mehnatkaso va swabhimano ki itni badi fauj ho wah kabhi kisi bhi paristhiti may jhuk nahi sakta.
    ap fauran bhadas media k naam ek kosh banavo bus baki hum sabhi par chod do.
    fauran-………..fauran………….fauran ……..bus
    rajesh vajpayee distict head jansandesh unnao u.p

  5. ajit kumar

    September 23, 2010 at 5:13 pm

    satyamji ke sujhawon se sahmat hun. bhadas4media ko kisi bhi halat me band hota nahin dekh sakta. yashwantji mai bhi aapke sath hun.kandhe se kandhe mila kar.cahe jaise bhi ho iski bulandiyon ko kayam rakhna hai.

  6. Radha saxena

    September 23, 2010 at 5:31 pm

    lage raho yashvant bhai.

  7. rajesh yadav,nagpur

    September 23, 2010 at 5:38 pm

    yaswant bhai, desh ka har hindi patrakar aap ke saath hai aap ek kosh banaiye ham sab aapki yathasambhav madad karenge

  8. Nutan Thakur

    September 23, 2010 at 5:55 pm

    यशवंत जी,

    ये तो हम सभी जानते हैं कि भड़ास बंद नहीं होगा. कैसे आगे बढेगा इस पर अभी तो बिलकुल ठीक-ठीक नहीं कह सकती पर इतना जरूर जानती हूँ कि किसी भी कीमत में भड़ास बंद नहीं होगा. क्यूंकि भड़ास एक वेबसाईट नहीं है, आप का एक सपना है जो अब हम सभी पाठकों का भी सपना बन गया है. रास्ते तो ऐसे निकालेंगे कि आप भी अचरज में पड़ जायेंगे. जिसके पास हज़ारों लोगों का प्यार और स्नेह हो, उसका काम कभी रुकता है क्या?

    नूतन ठाकुर
    लखनऊ
    94155-34525

  9. chandan srivastava

    September 23, 2010 at 6:33 pm

    bhaiya pranam,
    aapne shayad dhyan diya ho ki aapke is editorial ke aaye lagbhag sadhe 3 ghante beet chuke hain. (maine sham ko hi shirshak padha par ab poora editorial padh rha hu… ayodhya ki vajah se der hui padhne me… )khair 5 cmnt aaye hai jisme 4 shayad stringers ke hai. (5wa stringer cmnt mera)… is achhoot viradaree ko aap b ya bhadas4media understmt to nhi kar rha…thoda dhyan de lijiyega… baki to bhadas4media hamare liye martin loother king hai hee… par agar abhi ise goli lagi to is blackish cmunity me itni taqat nhi aayi ki martin ki maut ke baad wala andolan khada ho sake. is martin loother ki jimmedari aapki hai aap ise abhi to na hee marne denge.

  10. l kumar

    September 23, 2010 at 6:38 pm

    aap ke saath me to jaroor hoon kyonki aap hi meri ya mere jaise patrkaron ki awaz ban sakye ho

  11. Puneet Nigam

    September 23, 2010 at 7:33 pm

    यशवंत भाई ,

    हालात उतने बुरे भी नहीं हैं जितने लग रहे हैं।
    अभी भी कई रास्‍ते हैं । मैं ज्‍यादा तो नहीं जानता पर लोड शिफटिंग से आपकी समस्‍या फिलहाल हल हो जायेगी।

    Puneet Nigam
    09839067621

  12. Abhishek

    September 23, 2010 at 8:04 pm

    सर, पिछले लंबे समय से (अपने पत्रकारिता के समय को देखू तो) इस वेब पेज का पाठक हूँ, यह स्टोरी पढ़ी तो सबसे पहले ख्याल आया की यह दुनिया कैसी हैं? ऐसी वेबसाईट के मालिक का यह हाल? कुछ समझ में नहीं आता सर, इस दुनिया को समझने की लगातार कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन आपसे सहमत तो हूँ पर बात करना चाहता हूँ, मै एक मीडिया स्टूडेंट हूँ, पटना से, अपनी तरफ से पैसे से तो अभी कुछ भी हेल्प नहीं कर सकता लेकिन आगे इससे जुडना चाहूँगा, आगे नहीं बल्कि अभी ही मै जुडना चाह रहा हूँ, अपने करिअर की शुरुआत यही से करना चाहता हूँ, न्यूज़ के प्रति बड़ी भूख हैं वह भी असली न्यूज़, सन्देश का इंतज़ार करूँगा या संपर्क करने की कोशिश भी करूँगा, फेसबुक पर भी आपको अनुरोध भेज दिया हैं…

  13. Rishi Naagar

    September 23, 2010 at 8:10 pm

    Bhai Yashwant,

    1. Aapke order ki wait ho rahi hai…
    2. Ek sujhaav…hum sab maasik shulk bhi dene ko tayyar hain…

    Dhanyawaad!

    Rishi

  14. मदन कुमार तिवा्री

    September 24, 2010 at 2:20 am

    भाई यशवंत जी मैं समझता हुं की अगर २००-२०० महीने वाले २०० मित्र भी समने आ जाएं तो बात बन जाएगी । और यारा मैनें भी जिवन की धारा को देखा है। बीवी के गहने बिके , पति – पत्नि एक दुजे को देखकर खुब रोएं लेकिन जिवन तो चलता है , चलता हीं रहेगा। दुसरी एक सलाह है कि आप बहुत सारी कंपनियों के एफ़लिएटस के रुप में उनके बैनर को अपने साईट पर ला सकते है। इसमे कोई obligation नही होता। ईस स्थित में आप के साईट के माध्यम से कंपनी कोई व्यवसाय होता है तो सकका कमीशन कटकर आपके खाते में आ जाता है। आपका वह २०० रु० महीने वाला पहला सहयोग मेरा है। जो हर माह मै दुंगा ।

  15. neeraj jha

    September 24, 2010 at 3:00 am

    yashwant ji desh bhar ke 300 subhchintko, jinme bhadas 4 media ko jinda rakhne ki chahat hai ,use sadasya banaiye jo salana kam se kam 1000 de sake.phir apni gari chal paregi,

  16. kamta prasad

    September 24, 2010 at 4:06 am

    सत्यनारायण पाठक जी वाले सुझााव पर भी गौर करेंप।

  17. Ravi Shankar Maurya

    September 24, 2010 at 4:41 am

    ye sab kuch aap ki mehnat ka fal aur sabse badi bat pese ke parti imaandari ka fal hai ..ham sabhi bhadas ke sath har samay hai yaswant ji . aur youth journalism – truth journalism ko le kar chalenge …apni masal jalaye rakhe taki ham sabhi ko roshni milti rahe …
    Ravi Shankar maurya
    09313447598

  18. mahandra singh rathore

    September 24, 2010 at 5:34 am

    shri yashwant ji, aapne jansatta ke bere mai billkul thik hi likha. chandigarh mai bhi thik vessa hi hua tha.per aaj… aaj bhi express group ke is hindi dainik jansatta ka naam to hai per woh rutaba kc hua hai. aapne bhadas.com ko jis terah se shru ker iss mukam per pahunchya usske liye aapko badhyi ho. koi bhi kushal netertav kisi bhi company ya sansathan ko charam per bhi le ja sakta hai aur patan ki or bhi. bhadas.com aapke natartav mai isse terah tarkki kerta rehe. dhanywad. sadar

  19. Arpit

    September 24, 2010 at 6:02 am

    प्रिय ब्लोगर. ऐसा लगता है की आप किसी सड़ेली इंडियन वेब होस्टिंग कंपनी के चक्कर मैं पड़ गए हैं. ज्यादातर यु एस बेस्ड होस्टिंग कंपनियां शेयर्ड होस्टिंग पर अनलिमिटेड बन्द्विद्थ ऑफर करती हैं जैसे की ड्रीम्होस्त और ब्लुएहोस्त. वो भी बहुत कम चार्ज में

  20. Neeraj Bhushan

    September 24, 2010 at 6:31 am

    इतना बेबाक सिर्फ यशवंत ही लिख सकते हैं. मुझे आप पर हमेशा गर्व रहा है. मैं आपके एक और सपने को साकार होते देखना चाहता हूँ — भडासी अवार्ड्स. मुझे याद है एक बार आपने इसकी चर्चा मुझसे की थी. उस योजना को जामा पहनाने का वक्त आ गया है.

    जहाँ तक वेबसाईट की बात है, चिंता न करें. मित्रों से अनुरोध है भड़ास का आर्थिक पक्ष सुधरने तक कम-से-कम ५००/- रुपये की सहयोग राशि प्रति माह भड़ास को भेजें. यशवंत जी, अच्छा होगा आप भड़ास का एकाउन्ट डिटेल प्रकाशित करें. मेरे तरफ से प्रति माह १००१/- रुपये की राशि का आश्वाशन समझें. कोई और सहयोग देने में भी मैं पीछे नहीं रहूँगा.

    इस घडी में मैं आपके साथ हूँ. सादर.

  21. Arnav Rajput

    September 24, 2010 at 7:26 am

    krpya aap apna account details bhi den yashavant jee…jo bho ho sakega hum karenge lekin..is awaz ko zinda rakhenge…

  22. prafulla nayak gwalior

    September 24, 2010 at 7:59 am

    yashwant bhai, jo kam nashe me doob kar kiya jai wah kamyab he hota hai bhale he use kamyab banane ke liye thoda nasha he kyo na karna pade. Badhai ho.

  23. bedant

    September 24, 2010 at 8:33 am

    yaswant ji
    media ko loktantra ka chautha stambh kaha jata hai. jo samaj ko jagane ke kaam karta hai.lekin bhadas 4 media sramjiwi patrakaro ke liye chautha stambh hai. isme jo khbre chhapti hai usse bade bade editoro ki fatti hai isliye aap ise chalaiye. mere se jo ban padega aapki aarthik sahayta karoonga.. aur behtar hoga ki patrakar dosto ko iska sadsya banaye……

  24. [email protected]

    September 24, 2010 at 9:11 am

    Dear yashwantji, Don’t worry everything will be all right, you r not alone we all r with you, will do our best for this website.
    Thanx
    Mamta Malik

  25. ayush kumar

    September 24, 2010 at 10:19 am

    [b]gud afternun sir,aapki sachhai sun aankhe bhar aai..mere paas paise nai hain,nahi to mai aapki jarur madad karta…aaj ke samay mai aapke jaiso ka milna namumkin hain…itna sach aaj ke jmane mai..sambhav nahi,aap hmare liye bhagwaan ho aur rahoge..hmesha..[/b]

  26. Abhishek Anand

    September 24, 2010 at 10:36 am

    आपकी तमाम बातों से एक समय बहुत सहमत हो जाता हूँ, पर दूसरे ही पल कुछ और सोचता हूँ, आपकी इस बात पर मैं ऊपर दी गयी पर्तिक्रियाओं को पहले पढ़ा, तो कुछ जैसे समझ में नहीं आता हैं, भड़ास क्राइसिस वाली खबर भी पढ़ी. एक सवाल जो प्रारंभिक रूप से मेरे मन में उठता हैं वो यह की, आप कितने सही लिख रहे है? या अपने बारे में कितनी सही सूचना प्रकाशित कर रहे हैं, आप ऐसे क्यों हैं? क्या आपके सिद्धांत पर चलाना चाहिए या उस पर जिस पर औसतन लोग चलते हैं, मैं यह भी मान रहा हूँ कि शायद मैं अपनी भावनाओं को यहाँ सही से नहीं लिख पा रहा हूँ…

  27. sanjay srivastava

    September 24, 2010 at 11:07 am

    Why don’t you use google adsense on your website. You will make good money from that.

    Thanks

  28. m aslam

    September 24, 2010 at 11:53 am

    Dear yasvant ji mai aap ke sath hoi and aapko advt mai sgyog kruga
    m aslam mawana, meerut 09897548066,9368218088

  29. Dinesh Choudhary

    September 24, 2010 at 11:59 am

    Bhai, Aap apna account No. den taki usme apni oukat ke hisab se kuch paise jama kiye ja saken. Jarurat padi to mitron se chanda vasula jayega. Blog ka ganit main aaj tak samajh nahi paya ki inka karcha-pani kahan se nikalta hai. Duniya men muft kuch nahi milata to log bhadas ka bhi aanand muft men kyo len? Kya varshik sadasyata jaisa koi abhiyan chalaya ja sakata hai? Yaa phouri tour par is sankat se nikalne ke liye aapke pas koi aur yojana hai, Jo bhi ho suchit karen…

  30. Kamta Prasad

    September 24, 2010 at 12:08 pm

    अपने किसी कनविक्‍शन के लिए जनसहयोग जुटाना गौरव की बात होती है नंबर दो संस्‍थागत मदद की बजाय साथी पत्रकारों व अन्‍य एलाइड साथियों पर लेवी लगाना ज्‍यादा सुंदर विकल्‍प है।
    ठोस तरह से क्‍या मदद हो सकती है थोड़ा सोचने दें। अभी-अभी तो सूचना मिली है अब सभी तरफ इस पर विचार मंथन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
    इस आशय की अपील पोर्टल पर विजिबल तरीके से लगा दें पर थोडे शब्‍दों में।

  31. Amutabh Thakur

    September 24, 2010 at 1:02 pm

    सर जी और मेरे प्यारे छोटे भाई,

    चौबीस घंटे आपके जैसे शानदार और जानदार शख्सियत के लिए और आपके अभूतपूर्व कार्यों के लिए आपके तमाम मित्रों और शुभचिंतकों की भांति अमिताभ ठाकुर नामक ये नाचीज़ भी सदैव तैयार है.

    अमिताभ ठाकुर
    लखनऊ

  32. BRIJESH UJJAIN

    September 24, 2010 at 1:53 pm

    YASHWANT JI;
    MANZILE UNHE MILTE HIA JINKE HONSLO ME JAN HOTI HAI ‘ AAP KE KADMO KO JARUR RAH MILEGE. MARE SHUBHKAMNA AVEM SHYOG AAP KI SAATH HAI.

  33. vijay singh

    September 24, 2010 at 3:05 pm

    yasvant ji, hum aap ke sath hai. jald hi sampark karenge………..

  34. Pradeep Kumar Rawat

    September 24, 2010 at 4:33 pm

    Yashwant Bhai,
    Aaj Ap Ke Ye Apeel Padkar Aakhey Bhar Aaye……!!! Ap Nischint Rahey… Jab Tak Ap JAISEY Sacheey Kalam K Pujaare hai Tab Tak Ye Patrakarita Jinda Raheyge….!! Mai Ap K Saath Hu…!!!! Yashwant Je Ano Sey Sahayog Leyna Bheek Nahe Hote….!!!!

    Pradeep Kumar

  35. Dr.Hari Ram Tripathi

    September 24, 2010 at 6:44 pm

    Dear yashwantji,
    Please include me in the list of financial supporters to B4M.Please let me know the mode of payment.It is not clear in your article.
    Good wishes to your effort to keep B4M going.
    DR. Hari Ram Tripathi. Mob. 09415020402. e-mail:[email protected]

  36. vikram bajpeyee

    September 24, 2010 at 10:35 pm

    yashvant ji…
    namskar…
    mera nam vikram bajpeyee hai. age 18 hai. mai bhi ek junun ke sath patrkrita ki dunia me aya tha. mera sirf ek sapna tha ki mai is chhetra me kafi nam kamau. paisa to hath ki mail hai. magar, is press ki dunia me akar yanha ki haqiqat pata chali to mai dang rah gaya 16 sal ki umra se is line me hu. magar aaj tak sacchai ko kabul karne wala ptrkar nahi dekha tha. aur apke is housle ki kimat mai janta hu jab mehanat se mukam tak pahunchaya gai chij mushkil me pad jaye to us vaqt ka gam mai janta hu.

    yashvant ji sayad apko mera bhi ye mail padhne ka avsar prapt ho… mai abhi arthik rup se to prabal nahi hu… magar mai apko vishvas dilata hu ki agar apko kisi bhi prakar ke sahyog ki avshykta hogi mai apke liye hamesha uplabdh rahunga. aur mai us avsar ka intjar karunga jab aap jaise ptrakar ke sath mujhe kam karne ka avsar prapt hoga.
    filhal mai chhattishgarh ke rajnandgaon jile ke sthaniy samchar patra me reporting, page editing, marketing aur jo bhi kam hote hai lagbhag sabhi karta hu… kyunki darkar is hod me bane rahne ki… to bhagvan ka diya hua aur ap jaise prernasrot ptrakaro ke sahyog se nikhar kar is hunar ko puri tarah se is junun me jhok raha hu.

    baharhal mai janta hu ki b4m ke upar aai ye samsya bhi jald hi hal ho jayegi aur b4m apne jane pahchane tevar ke sath jari rahega.

    mangal kamnayo sahit…

    vikram bajpeyee, 09993051206, [email protected]

  37. भड़ास का भिखारी-यशवंत दल्ला

    September 24, 2010 at 11:48 pm

    एक बात तो है कि इस साईट के संपादक महोदय दुसरों को पूरी तरह से चुतिया समझते हैं. ये महाशाय खुद बहुत बड़े बाजारू हैं लेकिन अपने हर आर्टिकल में दुसरों बाजारू बताने से नहीं चुकते.
    सही है बॉस लगे रहो……
    मुझे तो लगता है कि जब साईट पर हिट कम होने लगता है तब यह महा चोर संपादक अपने एक टुच्चे से लेख के साथ आ जाता है. इसके लेख में केवल शब्द अच्छे होते हैं लेकिन बातें बिल्कुल ही वाहियात होती हैं.
    जो भी इस चुतिए से एक बार मिल लेगा….नहीं…नहीं एक बार में तो इस गंहीर आदमी को पहचानना मुश्किल होगा….कम से कम दो चार बार मिलना होगा. इसकी असली नश को पहचानने के लिए.
    मेरा दावा है कि जो लोग इस लेख के नीचे इसकी मदद करने की बात कह रहे हैं वो अगर एक बार इस महा पाखंडी से मिल लेंगे तब केवल साईट को पढ़ेगे इसके फालतू लेखों को नहीं(अगर समझदार होंगे तब)
    वैसे एक बात का दुख हो रहा है. क्या हालत हो गई है आपकी?
    ऐसा लग रहा है कि ये महान संपादक(अपने आप को मानता है) किसी सड़क किनारे कटोरा ले कर बैठा है और लोग अपनी अपनी तरफ से कुछ चिल्लर फेंक रहे हैं. एक दम भिखाड़ी लग रहे हो.

  38. यशवंत

    September 25, 2010 at 1:19 am

    यह लेख लिखने के बाद करीब 15 घंटे तक मोबाइल व मेल से दूर रहा. रिस्पांस गजब का है. लगने लगा है कि एक बड़ी संख्या भड़ास4मीडिया के आसपास है जो इसे इसके तेवर के साथ जिंदा रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. मेरे तमाम प्रयोगों में यह प्रयोग कि जिनके लिए पत्रकारिता करें, मुश्किल में उन्हीं के बीच जाएं, वाकई गजब अनुभव देने वाला रहा. इससे मेरा हौसला बढ़ा है कि सच्ची व जनपक्षधर पत्रकारिता करने वालों के लिए काम करने की बहुत गुंजाइश है, बस थोड़ा शुरुआती धैर्य धारण करें. शुरुआत के दो वर्षों तक इस साइट के येन-केन प्रकारेण संचालन के बाद अब जनता के बीच जाने के फैसले को जनता-जनार्दन व पाठक वर्ग ने हाथोंहाथ लिया. उन्हें न सिर्फ मेरे पर भरोसा है बल्कि उनकी कामना है कि भड़ास4मीडिया इसी तेवर अंदाज में चलता रहे, इस कामना के पीछे पूरा समर्थन देने का भरोसा भी है. कई साथियों ने फोन कर लाख दो लाख रुपये तुरंत देने की बात कह डाली. मैं हैरत में हूं. उन्नाव से लेकर मुंबई और बिहार से लेकर जम्मू-कश्मीर, भारत से लेकर आस्ट्रेलिया, हर जगह से मेल एसएमएस व फोन काल्स आए. सबने एकाउंट नंबर मांगा. लेकिन एकाध-दो को छोड़कर और किसी को एकाउंट नंबर नहीं दे रहा क्योंकि मकसद पैसे इकट्ठा करना नहीं बल्कि भड़ास के पीछे के आर्थिक तंत्र के बारे में अवगत कराना था जिससे लोग जान सकें कि भड़ास को लेकर कायम मिथ व वास्तविकता में कितना फर्क है. साथ ही पारदर्शिता कायम रखना है जिससे भरोसे की खेती और फूले फले. अच्छी खबर ये है कि कल शाम डेडीकेटेड सर्वर फाइनल कर दिया. साढ़े तेरह हजार रुपये महीने के हिसाब से तीन महीने का 39 हजार रुपये, कुछ छूट के बाद, सर्वर वाले को सौंप दिए. अगले दो-चार दिनों में साइट के डेडीकेटेड सर्वर पर मूव कर जाने के बाद मजा आने की उम्मीद है क्योंकि इस बार बैंडविथ 1200 जीबी प्रति महीने के हिसाब से मिला है और इस बैंडविथ में गाने, वीडियो भी इसी सर्वर पर अपलोड किये जा सकते हैं. इस बार भी ऐसे लोग मदद के लिए सामने आए हैं, जिनसे मुझे कोई उम्मीद न थी. सच कहूं तो इस बार की अपील से मुझे दोस्तों शुभचिंतकों की एक बड़ी और नई फौज मिली है, जिनके दम पर आगे बहुत कुछ किया जा सकता है. हां, केवल एक दुखी आत्मा वाले साथी मिले हैं जिनके कमेंट को भी पब्लिश करा दिया है ताकि भड़ास4मीडिया की डेमोक्रेटिक आत्मा की रक्षा की जा सके. इन दुखी आत्मा वाले भाई से, जिन्हें मेरी वजह से कभी दुख पहुंचा हुआ होगा, सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि मोहनदास के गांधीजी बन जाने के बावजूद उन्हें गोली मारने वाला पैदा हो गया, मैं तो न मोहनदास हूं न गांधी जी, ऐसे में अगर सिर्फ गाली मिल रही है, गोली नहीं, तो बड़ी बात है दोस्त. आपका एहसानमंद हूं कि आपने अपने विचार भाव प्रकट कर अपने गुस्से को थूक दिया है, उगल दिया है, जिससे आपका मन अब हलका महसूस हो रहा होगा. आपकी जिद मेरा विरोध करना है और मेरी जिद आपके विरोध को प्यार से स्वीकार करना है. देखते हैं कौन हारता है.
    एक बार फिर उपर सभी कमेंट करने वाले साथियों, मेल, एसएमएस व फोन करने वाले साथियों का दिल से आभार बोलता हूं. आप लोगों के प्यार ने मुझे खरीद लिया है. इस बिकने का जो सुख है, उसे केवल मैं ही महसूस कर सकता हूं.
    आभार
    यशवंत
    [email protected]
    09999330099

  39. प्रभात त्रिपाठी

    September 25, 2010 at 2:15 am

    [b]भड़ास पोर्टल आपकी कड़ी मेहनत है, हिम्मत रखें मेहनत कभी हारती नहीं है
    [/b]प्रिय यसवंत जी आप सदैव पोर्टल की दुनिया में चमकते रहें क्योंकि आपने बिना स्वार्थ के उन पत्रकारों की आवाज को अपने पोर्टल के द्वारा हमेशा निष्पक्ष रूप से प्रकाशित किया है जो पत्रकार समाज के लिये कुछ करने की चाहत रखते हैं। आज मैंने आपके द्वारा प्रकाशित किये गये लेख को पढ़ा तो मुझे काफी दुख पहुंचा है। आप जैसे हिम्मतदार इंसान को अपनी बात बेबाकी से रखने का पूरा अधिकार है। आपने अपनी परेशानी को पूरे पत्रकार बिरादरी के सामने रखकर मेरा दिल जीत लिया है। क्योकि जो सच है उसे ईमानदार व्यक्ति ही पूरी तरह से सच के रूप में सामने लाता है। आपने जिस कम समय में पोर्टल की दुनिया में एक तहलका मचाया है वह काम कोई ईमानदार व्यक्ति ही कर सकता है। मुझे खुशी है कि आपने जिस साहस से अपने पोर्टल को किसी पूंजीपति के हाथों गिरवीं नहीं रखा है उससे मैं आपकी इस महानता पर गर्व महसूस कर रहा हूं। यह सत्य की आज ईमानदारी से चलना अब काफी दूबर हो गया है। रास्ते में कई कठिनाईयां आती है। लेकिन आप कतई हिम्मत नहीं हारे। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपका पोर्टल कभी बंद नहीं होगा। मैं आज से 25 वर्ष पूर्व ईमानदारी से पत्रकारिता में प्रवेश करने के लिये मात्र 50 रूपये से शुरूआत की थी। आज मेरे दो दैनिक समाचार पत्र लखनऊ से प्रकाशित हो रहे हैं। लेकिन मैंने भी पत्रकारिता में अपनी पवित्रता को बनाये रखा है। मैंने अपनी संपत्ति का भी एलान किया था। आज लखनऊ में कई पत्रकार कम समय में करोड़पति बन चुके हैं। मैं उनके नाम नहीं लेना चाहता लेकिन उन पत्रकारों ने जो किया है वह न मैं कर सकता था और न आप कर सकते हैं। आपने अपनी बातें जो लिखी हैं वह पूरी तरह से मेरे संघर्ष की कहानी को बयां कर रही हैं। लेकन मुझे खुशी है कि आपभी उसी राह पर चल रहे हैं जिस राह पर मैं पिछले 25 वर्षों से चल रहा हूं। मैं आज आपकी कोई आर्थिक मदद इतनी बड़ी नहीं कर पा रहा हूं जो करनी चाहिये लेकिन आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर मुझे कुछ भी करना पड़ेगा मैं आपके लिये करूंगा। आपके पोर्टल को किसी भी सूरत में बंद नहीं होने दूंगा। मेरी पूरे देश के पत्रकारों से अपील है कि वह इस पोर्टल के लिये कुछ न कुछ आर्थिक मदद अवश्य करें जिससे उनके उस प्लेटफार्म को बरकरार रखा जा सके जिसके लिये यशवंत जी आपने दिल्ली जाकर अथक मेहनत की है। मैं आपको फिर विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आप हिम्मत रखें और अपने काम को उसी तरह से जारी रखें। मुसीबतें आती हैं लेकिन दूर भी हो जाती हैं। मेरा मानना है कि अपनी परेशानी को अपने बिरादरी में बेबाक पूर्वक रखना और मदद ईमानदारी से मांगना भीख नहीं है। यशवंत जी मैं जल्द ही कुछ न कुछ धनराशि आपके पोर्टल को चैक द्वारा भेज रहा हूं। बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। आप हिम्मत न हारें। मेरी सभी से अपील है कि वह कुछ न कुछ मदद भड़ास4मीडिया डॉट कॉम को अवश्य चैक या नगद मनीआर्डर द्वारा भेजें जिससे पत्रकारों के फोरम को बंद होने से बचाया जा सके। आप कतई चिन्ता न करें। मैं आपके लिये अपने कई मित्रगणों से बातचीत करके जो भी संभव होगा मदद करने की गुहार करूंगा।
    आपका शुभचिंतक पत्रकार
    प्रभात त्रिपाठी
    ब्यूरो चीफ
    दैनिक समाजवाद का उदय
    लखनऊ
    मो. 9450410050

  40. शशिकान्‍त अवस्‍थी -कानपुर

    September 25, 2010 at 11:15 am

    बडे भाई, कानपुर से बिना मिले ही चले गये इसका शिकवा है । खैर हमारे लिये जो भी आदेश हो मोबाईल पर दे दीजियेगा पूरा पालन किया जायेगा ।

  41. Shravan Shukla

    September 25, 2010 at 12:17 pm

    Namaskaar sir ji…

    Mai Aapki saari baato se sahmat hu. mai BHADAS4MEDIA ka dainik pathak hu..ek nasha sa hai mere andar B4M padhne ka….abhi mai khud muskil me hu. KUCH had tak mai muskil se ubar raha hu..jo kuch ubra bhi hu SIRF OR SIRF aapki kripa se….YASHWANT sir agar aap mere saath nahi khade hote to jo problem aaj 40% solv ho gai hai wo bhi solv nahi ho paati..AAPKA sadaiv AABHARI rahunga…mai abhi to kuch kar nahi sakta LEKIN agli salary jo ki 1 tareekh ko milegi usme se har maheene 1000 rs meri taraf se har maheene kripa karke swakaar kariye…mai apne aapko BHAGYASHALI samjhoonga…
    sir ji ne meri madad ke liye jo hausla dikhaya or mere liye sabse apeel ki ..wo har lihaaz se atulneey raha hai…sabke dukho me saath rahne waale or sabki dukho ko apna samajhne waae jinhe mai DIL se GURU maan chuka hu .unke liye adhik se adhik ansdaan ke apeksha mai M4M ke HAR PATHAK se rakhta hu…sir ji dwara mere MADAD ke liye wo aaplogo ke saamne rakhta hu..PADHIYE OR KHUD SOCHIYE is MAHAAN AATMA KI NEK aPeEle ke baare me.. http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6564-journalist-help.html ..padhiye or jaaniye YASHWANT ji ki dariyadilee ko..or dilkholkar saamne aaiye
    AAPKI KRIPA SE HAMESHA AAPKE SAATH CHALTE RAHNE KO AATUR
    SHRAVAN SHUKLA – 9716687283

  42. Ramesh Kumar Sirfiraa

    September 25, 2010 at 12:24 pm

    आज पहली बार आपकी वेबसाइट पर आया हूँ. आपके 23 सितम्बर के लेख से सहमत हूँ. आज हमारे देश को ईमानदार व्यक्ति की जरूरत नहीं है. ईमानदार व्यक्ति अगर पेशे से पत्रकार हो तो उसको हर रोज मरना पड़ता है और रोज जन्म लेना पड़ता है. आज मैं भी अपनी ईमानदारी की सजा भुगत रहा हूँ. आपको एक ईमेल भेजकर अपनी स्थिति से अवगत करा रहा हूँ. मुझे आज पैसों की जरूरत तो है मगर भूख नहीं है. अगर आज मैं किसी से पैसे भी लूँगा तो इस शर्त पर उसे मेरे समाचार पत्र ” जीवन का लक्ष्य” की एक साल की सदस्यता स्वीकार करनी होगी और जिसकी सदस्यता मात्र पचास रूपये सालाना है. एक व्यक्ति से पचास रूपये से ज्यादा की राशी स्वीकार नहीं करूँगा.
    इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें जाने हेतु और आम आदमियों की परेशानियों को लेकर क़ानूनी समाचारों पर बेबाक टिप्पणियाँ पढ़ें. उच्चतम व दिल्ली उच्च न्यायालय को भेजें बहुमूल्य सुझाव पर अपने विचार प्रकट करने हेतु मेरे ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com & http://sirfiraa.blogspot.com देखें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें.

    # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ “सिरफिरा” फ़ोन: 09868262751, 09910350461 email: [email protected], महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

  43. arsh

    December 6, 2010 at 5:38 am

    cha gay guru cha gay

  44. govind goyal sriganganagar

    December 14, 2010 at 3:52 pm

    narayan narayan

  45. rajendra gupta

    March 4, 2011 at 8:12 am

    I READ YOUR ARTICLE. I LIKED IT VERY MUCH. I SUGGEST YOU THAT YOU SHOULD MAKE A ORGINATION LIKE FAN’S CLUB OF BHADAS4MEDIA. AND ALL WORRIES AND LIABILITIES SHOULD DEPEND ON THIS CLUB. YOURS- RAJENDRA GUPTA.

  46. rajendra gupta

    March 4, 2011 at 8:16 am

    YASHWANT JI DON’T WOORY. WE ARE WITH YOU. WE WANT TO MAKE A FRIEND’S CLUB. IF YOU ARE AGREE THEN PL.INFORM.
    YOURS RAJENDRA GUPTA.

  47. asif mirza dna/pioneer

    April 9, 2011 at 2:28 pm

    dear yaswant
    hum ap ke sath h kabhi koi jarorat ho to ades kariyega 09452753087

  48. cms chauhan

    April 24, 2011 at 1:44 pm

    You can chose to host your site at yahoo servers where bandwidth and storage is not limited.

  49. एक पत्रकार

    October 14, 2011 at 11:07 pm

    वैसे भड़ास कभी संकट में नही फंस सकता है यशवंत जी।
    भड़ास को संकट में फसाने वाले खुद ही संकट में फंस जाएगे।

  50. akhilesh shukla

    February 29, 2012 at 7:20 am

    yashvant bhaiya
    meri jindagi aapki di hui amanat hai agar mujhe maut bhi ati rahegi aur aapne mujhe kisi kabil samjha aur apne mujhe koi bhinirdesh diye to mai shayad maut se yahi kahuga tu ruk mujhe mera bhai bula raha hai phir chalta hu tera sath aur doosari bat ye ki yashwant bhaiya ko harane wala koi hua hi nahi hai aur na hi koi hoga aur jiski security yashwant bhaiya kar rahe ho chahe wah bhadas4media ho ya mujh jaisa chhota bala akhilesh ya phir koi aur uska kuchh bhi bura nahi ho sakta himmat mat harna bhaiya kabhi bhi aap ye samajh leejiye ki above blog dekhte huye jis tarah ki TRP hai aapki to ham sab aapko follow karte hai aapke adarsho per chalna chahte hai aapko sirf instruction dene ki jarurat hai aapki team ka ek-ek sadasya badi hi asani se aapke bharose per khara utrega.mai aapka bishwash nahi tutne dunga chahe khud toot jau.

    Your’s

    Akhilesh Kumar Shukla

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