प्रिय यशवंत जी, अब सलीम जी को संबोधित करके प्रिय नहीं लिख सकता हूं, क्योंकि ऐसी मानसिकता के लोग प्रिय नहीं होते। इसमें शायद उनका दोष नहीं है। दरअसल, भारत में जितने मुस्लिम हैं, वो पहले हिन्दू थे। इस बात को परिभाषित करने की जरूरत नहीं है। ये लोग किन कारणों से मुस्लिम बने, इसका उदाहरण हरियाणा के चांद-फिजा काण्ड को मान सकते हैं। ‘मेरी भाषा संघी है….’ इस आरोप के जवाब में कहना चाहूंगा कि ना तो मैं संघ का सेवक रहा हूं, और ना कभी संघी विचारधारा को माना है। दस साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। हरिवंश जी, ओम प्रकाश अश्क जी, गिरीश मिश्र जी, महेश खरे… इन सभी के साथ मैंने काम किया।
पर किसी ने कभी नहीं कहा कि मैं हिंदुत्व के विचार को लेकर पत्रकारिता करता हूं। जिस अखबार में हूं, उसके चीफ एडिटर और ग्रुप एडिटर भी ये नहीं कहते कि मैं किसी खास विचारधारा से अखबार निकाल रहा हूं। सलीम साहब ने बी4एम पर अपनी बात कह दी। दरअसल ये उनकी झुंझलाहट है। उन्हें बर्दाश्त नहीं कि कोई सच बात क्यों बोल रहा है। मुंबई कांड के आरोपी अगर इंसानियत के दुश्मन थे तो फिर बाबर कौन सा अच्छा इन्सान था, जिसके लिए भारत के मुसलमान मरे जा रहे हैं। भारत की धरती पर अल्लाह के लिए जगह किसने दी? जाहिर सी बात है कि हिन्दुओं ने दी। सलीम साहब, भारत के किसी कोने में चले जाएं और एक हिन्दू बच्चे से पूछें की उनका दुश्मन कौन है? उसके जवाब को सुनिए और फिर एक मुस्लिम बच्चे से पूछिए की दुश्मन कौन है तो वो कहेगा कि अमेरिका और इजराइल है उनका दुश्मन। ये सच्चाई है। एक घटना बता रहा हूं। मैं 2004 में झारखण्ड के गोड्डा जिले का प्रभात खबर का इंचार्ज था। जिले से तक़रीबन 25-30 किमी की दूरी पर है सुन्दर पहाड़ी। आप अंदाजा नहीं लगा सकते है कि वहां के सुदूर इलाके में रहने वाले मुस्लिम लोगों को ये नहीं पता है की देश का पीएम कौन है, उसके जिले का डीएम कौन है, हां, लेकिन ये पता है कि मुसलमानों का दुश्मन अमेरिका है। बड़ी विचित्र बात है कि जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक हर मुस्लिम यही बात सोचता है, और उदय शंकर अगर सही बात कहता है तो कहते हैं कि उदय संघी है…वाह…
चलिए, मैं कुछ सवाल आपसे पूछता हूं…
- देश में आतंकवादियों की संख्या में 90% से ज्यादा मुस्लिम क्यों?
- देश में बलात्कार करने वालों की संख्या में 85% मुस्लिम क्यों?
- हिन्दू लड़की से भगा कर विवाह करने की संख्या में 94% मुस्लिम क्यों?
इन सब बातों का सलीम साहब समेत कोई जवाब देगा…. अगर है देश में कोई इन बातों का जवाब देने वाला तो सामने आए। सलीम साहब ये भी भूल रहे हैं कि मोदी कोई व्यक्ति नहीं, राज्य है। जब तक मोदी सीएम हैं तब तक वो व्यक्ति नहीं है। मोदी को शर्म आने का मतलब गुजरात को शर्म आना है। क्या ये संभव है? नहीं। वैसे ही जैसे शाहरुख़ को अमेरिका में रोका जाता है तो कहते हैं कि ये शाहरुख़ नहीं, मुसलमानों का अपमान है. मीडिया ने तो इसे राष्ट्र के भी साथ जोड़ दिया। तो फिर सलीम साहब… गुजरात की जनता जानती है की मोदी मुसलमानों को मरवा रहे हैं या फिर क्या कर रहे हैं। हम-आप उनके घर में दखल देने वाले कोई नहीं होते। जिनको उस घर में परेशानी है, वो दूसरे घर चले जाएं।
-उदय शंकर खवारे
न्यूज़ एडिटर, डेली अभी अभी, रोहतक
Ravindra Nath
October 14, 2010 at 8:11 am
Very good sir ji