एक हिंदी अखबार है ‘युनाइटेड भारत’. कई जगहों से निकलता है. लखनऊ से भी छपता है. कभी इसके जलवे हुआ करते थे. आजकल इसकी गाड़ी किसी तरह सरक रही है. लखनऊ में इस अखबार के संस्करण प्रभारी हैं एसपी सिंह. उन्होंने संपादकीय विभाग की टीम को पंद्रह अगस्त के दिन के अखबार के लिए विज्ञापन लाने का टारगेट सौंपा है. इसके लिए उन्होंने सभी लोगों को लिखित आदेश जारी किया है. भड़ास4मीडिया से बातचीत में एसपी सिंह ने टारगेट देने की पुष्टि की. संपादकीय विभाग के लोगों को विज्ञापन लाने का काम सौंपे जाने के सवाल पर एसपी सिंह का कहना था कि ऐसा तो हर अखबार में होने लगा है. एसपी के मुताबिक पंद्रह अगस्त का दिन खास होता है. हमारे लोग इस दिन के लिए विशेष खबर देने के साथ राजनीतिक पार्टीज से विज्ञापन लाने का भी प्रयास करेंगे.
संपादक एसपी सिंह का मानना है कि सभी लोगों की जीविका इस अखबार से चल रही है इसलिए अखबार को आर्थिक रूप से मजबूत रखना हम सबका कर्तव्य है. इसीलिए ये रास्ता निकाला गया है. विज्ञापन लाने पर अपने पत्रकारों को कितना कमीशन देंगे, इस सवाल पर एसपी सिंह कहते हैं कि पंद्रह, बीस या पचीस प्रतिशत. इतना ही दिया जाता है. इसी के बीच में कमीशन होता है. आइए, देखें, यूनाइटेड भारत, लखनऊ के किस मीडियाकर्मी को कितने रुपये का विज्ञापन पंद्रह अगस्त के दिन लाने का टारगेट मिला है-
15 अगस्त के दिन के लिए कौन कितना लाएगा विज्ञापन
नाम: एसपी सिंह पदः संस्करण प्रभारी प्रतिमाह वेतनः रुपये 13 हजार विज्ञापन लक्ष्यः रु. 70 हजार
नाम: हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर पदः विशेष संवाददाता प्रतिमाह वेतनः रुपये 10 हजार विज्ञापन लक्ष्यः रु. 50 हजार
नाम: शिवराम पांडेय पदः डेस्क प्रभारी प्रतिमाह वेतनः रुपये 6,500 विज्ञापन लक्ष्यः रु. 32 हजार
नामः राकेश मिश्र पदः प्रभारी संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 4500/- विज्ञापन लक्ष्यः रु. 20 हजार
नामः प्रेम शर्मा पदः प्रमुख संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 4000/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 20 हजार
नामः धनंजय सिंह पदः वरिष्ठ संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 4000/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 20 हजार
नामः बिंदिया त्रिपाठी पदः वरिष्ठ संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 4000/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 20 हजार
नामः सतीश सिंह पदः वरिष्ठ संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 4000/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 20 हजार
नामः जगदीश शरण शर्मा पदः वरिष्ठ संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 3000/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 15 हजार
नामः विवेक वर्मा पदः वरिष्ठ संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 3500/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 20 हजार
नामः दिलीप यादव पदः जूनियर सब एडीटर प्रतिमाह वेतनः 3500/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 15 हजार
नामः पंकज अवस्थी पदः अपराध संवाददाता प्रतिमाह वेतनः 2500/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 15 हजार
नामः कुमारी रितेश सिंह पदः फोटोग्राफर प्रतिमाह वेतनः 3000/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 15 हजार
नामः अनिल वर्मा पदः फोटोग्राफर प्रतिमाह वेतनः 2500/- विज्ञापन लक्ष्यः रू. 13 हजार
अभी दो-चार दिन पहले यही टारगेट वाला काम ’युनाइटेड भारत’ के इलाहाबाद में बैठे मैनेजमेंट की ओर से पत्रकारों को पकड़ाए गए हैं. गुलाटी परिवार ’युनाइटेड भारत’ चला रहा है लेकिन इसने अपने पत्रकरों को औकात दो कौड़ी की बनाकर रख दी है. इसके पहले जुलाई में युनाइटेड समूह के सर्वेसर्वा (चेयरमैन) गिरधर गोपाल गुलाटी ने वरिष्ठों की मीटिंग में एक पत्रकार को डपटते हुए कहा कि उन्हें शर्म इस बात की अब नहीं है कि वह अखबार एक अच्छे ऑफिस में चलाएं या फिर एक कमरे की दुकान में। (यह बात उन्होंने उस पत्रकार के सवाल पर कही कि डालीबाग के शानदार मकान में चल रहे इस अखबार के दफ्तर को खाली करने या फिर किराया बढ़ाने का नोटिस मकान मालिक दे चुका है, तो क्या किया जाए?)
सूत्रों का कहना है कि मालिकानों के भीषण षोषण करने के रवैये का अंदाजा इससे भी लग सकता है कि अब पत्रकारों से पूछा जाने लगा है कि उन लोगों ने अखबार के लिए आज तक कितने विज्ञापन दिलाए? जिनकी संतोषजनक रिपोर्ट नहीं मिली उनकी तनख्वाह आधी कर दी जाएगी। ट्रकों से होने वाले कर अपवंचन से लेकर गुलाटी लोगों के आठ नौ इंजीनयरिंग-मैनेजमेंट कालेजों के काम में यही पत्रकार लोग व्यापार कर विभाग से लेकर यूपीटीयू तक जूझते नजर आते हैं। अब उसके बाद अखबार के लिए विज्ञापन लाने की जिम्मेदारी ने इन पत्रकारों को झकझोर दिया है।
इस ’महान’ अखबार में शायद ही खबरों पर अब चर्चा होती हो लेकिन ’बिजनेस’ लाने के नाम पर चौबीस घंटे चर्चा होती ही रहती है। सूत्रों का कहना है कि एक बार मीटिंग में मालिक ने कहा कि मैं इस तरह से तुम लोगों के साथ लखनऊ संस्करण नहीं चला सकता, इसलिए इसे 10 लाख रूपए सिक्योरिटी एमांउट लेकर किसी को फ्रेंचाइजी दिला दो। मालिक ने विज्ञापन में शेयरिंग का फार्मूला भी दिया। तब से लेकर आज तक यहां के पत्रकार फ्रेंचाइजी और विज्ञापन की खोज में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए दिख रहे हैं। पत्रकारों को तो अपना और अपने परिवार का पेट पालना है, इसलिए वे सब बेचारे मरें क्या न करें, के अंदाज में लगे हुए हैं।
Comments on “15 अगस्त के लिए पत्रकार लाएंगे विज्ञापन”
koi nai bat nahi appne to yese likha hai jaise koi bahut nai bat hai bade media sansthan ke log chunavo paisi lekar khabar chapate us piad news ke mukabale kuch bhi nahi hai yesi bate likhe jo nayee ho
en patrakaro ko ab rajmistiri ka kam sikhna chahiye
ye hi din dekhne ko rah gye the.
बेहद दुख भरी बात है पर क्या किया जा सकता है हो सकता है ये अख़बार तो कम बजट का होगा यह तो सहारा जेसा बड़ा संस्थान जो खेलो और अन्य कामो में रूपये कि परवाह नही करता वो ही 15 अगस्त के विज्ञापनों के लिए अपने स्टिंगरो को भगाए हुए है सभी ने अपने सम्बन्धो को टटोलना शुरू कर दिया है कि कही से कोई पर्ची कट जाये और जान बच जाये
मीडीया में विज्ञापन लाना अब कोई नई बात नही रही। प्रत्येक संस्थान में इसके लिए माथापच्ची होती रहती है, लेकिन हद तो अब यह हो गई है कि पत्रकारों के लिए अब यह मजबूरी हो गई है। इस विज्ञापन के चक्कर में अब पत्रकारिता में अब ब्लेकमेलर आ गए हैं। कभी कभी लगता है कि पत्रकारिता अब व्यवसायिकता हो गई है।
mujhe bhi kuch kahen na hay par chota hu kuch waqt aur intjar karlu
patrkaron ki aukat ab do kadi ki ho gayi hai.grameen ilaqon mein halat aur bhi badtar hai.bade bade akhbar wale patrkaron ko footi kaudi bhi nahein dena chahte.jo patrakar bhikharion ki tarah logon se gidgidakar vigyapn mangega.kaise bhala wah nispaksh patrkarita kar payega. kitni badi vidambna doosron ko shoshan se bachane wala patrkar apne hi akhbar mein har roz shoshan ka shikar hota hai.kahna nahein chahiye grameen patrkaron ki halt qutton se bhi badtar ho gyi hai.
Koi nain baat nahin. Vahan Sanskaran Prabhari 13 hajar pakar 70 hajar la rahe hain yehan to 13 so pane wale reporter do-do lakh ka vigyapan jetate hain. Ha reporters ko pressurise karna chintit jarur karta hain chahe baat kahin ki ho. Aese akhbaron ko chahiye ki patrkarita ke bade bade adarshon ki lambi chowri baten nahin chhapen.
jharkhand aa jaiye yhaan bhi kai akhabaron ka yahi haal hai. hindustan, pk adi sabhi yahi karte hain.
written by aditya August 10, 2010
sansthan ke malikan ne bigaypan ke liye kha hai tho koi nai bat nahi malik ko sab pata hai ki aaj ke ptrkar paisa lekar news chapte hai. us ped news ke badle me kuch to sansthan ke malik ko tho do.
aisa sabhiakhbaronmein horahahai. patrakar sathi majburi meinaisa kar rahen hain.
haramkorhan salee kammenakahika.
suvar.