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कुत्ते भी डांस देखने आए थे

गांव से लौटा (4) : गांव के लोग नाचते कैसे होंगे? मैं भी तो गांव का ही हूं. शहर में अब ज्यादा वक्त गुजरता है, टीवी देख लेता हूं, फिल्में देखता हूं, सो मटकने के कुछ दांव-पेंच दिमाग में घुस जाते हैं और मौका मिलने पर उन दांव-पेचों का मुजाहरा कर देता हूं. लेकिन प्रोफेशनल डांसर तो हम लोग हैं नहीं. सो, सिवाय कमर मटका कर हाथ पांव लहराने के, और कुछ नहीं आ पाता. परिवार में एक बच्चे के मुंडन का समारोह था. खाने-पिलाने के बाद लोगों ने नाच की व्यवस्था कर रखी थी.

<p style="text-align: justify;"><strong>गांव से लौटा (4) : </strong>गांव के लोग नाचते कैसे होंगे? मैं भी तो गांव का ही हूं. शहर में अब ज्यादा वक्त गुजरता है, टीवी देख लेता हूं, फिल्में देखता हूं, सो मटकने के कुछ दांव-पेंच दिमाग में घुस जाते हैं और मौका मिलने पर उन दांव-पेचों का मुजाहरा कर देता हूं. लेकिन प्रोफेशनल डांसर तो हम लोग हैं नहीं. सो, सिवाय कमर मटका कर हाथ पांव लहराने के, और कुछ नहीं आ पाता. परिवार में एक बच्चे के मुंडन का समारोह था. खाने-पिलाने के बाद लोगों ने नाच की व्यवस्था कर रखी थी.</p>

गांव से लौटा (4) : गांव के लोग नाचते कैसे होंगे? मैं भी तो गांव का ही हूं. शहर में अब ज्यादा वक्त गुजरता है, टीवी देख लेता हूं, फिल्में देखता हूं, सो मटकने के कुछ दांव-पेंच दिमाग में घुस जाते हैं और मौका मिलने पर उन दांव-पेचों का मुजाहरा कर देता हूं. लेकिन प्रोफेशनल डांसर तो हम लोग हैं नहीं. सो, सिवाय कमर मटका कर हाथ पांव लहराने के, और कुछ नहीं आ पाता. परिवार में एक बच्चे के मुंडन का समारोह था. खाने-पिलाने के बाद लोगों ने नाच की व्यवस्था कर रखी थी.

डीजे और डांसर आए. पहले नाच में नचनिया गाने गाकर नाचते थे पर अब तो प्री रिकार्डेड गाने चलते हैं और उस पर नाचने वाले सारे दांव-पेंच दिखाते हैं. देर रात शुरू हुए नाच के कार्यक्रम में नशेड़ी बाबूसाहब लोगों ने जमकर जलवा दिखाया. कोई लुंगी में तो कोई पैंटशर्ट में तो कोई गंजी-धोती में. विशुद्ध गंवई मनोरंजन. बीच-बीच में फायरिंग. नाचने वालों को रुपये का पुरस्कार. भोजपुरी के गानों पर नाच का यह कार्यक्रम पूरी रात चला. खटिया पर लेता मैं भी सुनता-देखता और मोबाइल पर रिकार्ड करता रहा. देखिए इन वीडियो को, शहर के एलीट जिस तरह डिस्कोथे में नाचते हैं, उससे कमतर इन भाइयों का अंदाज नहीं है.

और तो और, गांव के कुत्ते भी इस डांस को देखने के लिए पहुंचे थे. डांस देखते देखते एक कुत्ते को तो नींद भी आ गई. गांव के भाई-बंधुओं ने मेरे पर भी दया नहीं की. लुंगी पहने मुझे भी एक मिनट के लिए कमर मटकाना पड़ा. नाचने वाले बंदे 16 से 20 साल के दलित-पिछड़े घरों के नवयुवक थे. इन नवयुवकों ने लड़के से लड़की का रुपांतरण पर्दे के पीछे नहीं बल्कि सबके सामने किया. नकली स्तन लगाने से लेकर कपड़े बदलने तक का काम सबके सामने किया. और लोगों की तरह मैं भी जेंडर चेंज के इस लाइव कार्यक्रम को देखता रहा. किसी ने बताया कि ये लड़के मुफ्त में आए हैं, ब्याज पर लिए गए पैसे का ब्याज माफ करने के आश्वासन पर.

पूरे आयोजन के दौरान मन में तरह-तरह के भाव आए. कभी अफसोस हुआ. कभी माहौल के अनुसार ढलने की कोशिश की. कभी गांव और शहर के बीच फासले पर सोचता रहा. आखिरकार कार्यक्रम के बीच में ही करीब तीन बजे रात मुंह ढंक कर सो गया. मुंह ढंक कर सोना ढेर सारे समस्याओं का ‘समाधान’ लगा…

नीचे दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिए….

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0 Comments

  1. Abhay Kumar

    June 15, 2010 at 4:18 am

    Yashwant by posting these vulgar pictures on this site U showed your true colour. We come to know regarding U from different sources & that comes true. This website is for educated, civilised & elite section of society.From now this website will loose its credibility.

    Abhay Kumar
    09031792498

  2. यशवंत सिंह

    June 15, 2010 at 5:26 am

    अभय जी,
    आप श्लील बन रहें.
    मैं अश्लील था, हूं और रहूंगा.
    आपने मेरे बारे में जो पुख्ता जानकारियां हासिल की हैं, वो अभी कम होंगी. थोड़े सूत्र और दौड़ाइए, कई नए खुलासे मेरे बारे में आपको और जानने को मिल सकते हैं.
    आपको मेरे पर तरस आ रहा होगा और मुझे आपकी सोच पर तरस आ रहा है. यही ट्रेजडी है जनाब. वल्गरिटी तस्वीरों में नहीं है, ये वीडियो और स्टोरी तो अपने समय के समाज और गांव और संस्कृति को बताती हैं कि हम कहां खड़े हैं. किस तरह हमारे गांव के सवर्ण मनोरंजन करते हैं. ये एक डाक्यूमेंट है जिसके आधार पर बहस को आगे बढ़ाया जाना चाहिए पर आप की जो बुद्धिदानी है उसमें यशवंत में गल्तियां दिख रही हैं. आप जैसे पाखंडियों, हिप्पोक्रेटों से मुझे सख्त नफरत है. अपनी निष्क्रियता, नपुंसकता की खोल में रहते हुए दूसरों के बारे में अच्छा-बुरा सोचने के अलावा ये पाखंडी और कुछ नहीं करते.
    चल, मुझे बुरा ही रहने दो. तू कहीं छिप कर बनता रह अच्छा. जो सक्रिय होगा, जो चलेगा, दौड़ेगा, उसी के पांव में धूल और कीचड़ लगेंगे. जो पलंग से नीचे नहीं उतरेंगे उनके पैर तो हमेशा गोरे रहेंगे.
    आभार
    यशवंत
    09999330099

  3. Abhay Kumar

    June 16, 2010 at 5:03 am

    By such kind of mud slinging U cannot escape you guilty. A person should admit one’s conduct. I m not going to bracket U in such kind of comments. Even I m not in for such kind of character assassination as U thought about yourself.But U r deeply hurted, so even I m sorry . If I have to go into depth to know about the personalities then even some persons who are more acknowledged than U in this world.One thing I must acknowledge that I got a lot of inputs & knowledge from this website.

    Thanx

    Awaiting Your Response

    Abhay Kumar

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