जनसंदेश टाइम्‍स की हालत पतली, तीन दिन बंद रही सीयूजी की आउटगोइंग

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बनारस। जनसंदेश टाइम्‍स की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. प्रबंधन ने डाक्‍टर बदला, इलाज बदला, फिर भी इस अखबार की सांसें उखड़ती जा रही हैं. कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. ताजा सूचना है कि अखबार के उपर मोबाइल फोन का लाखों रुपए बकाया होने और पेमेंट न करने के कारण कंपनी की सीयूजी मोबाइल की आउटगोइंग तीन दिन तक बंद रही. किसी तरह पैसा जमा कराकर प्रबंधन ने रविवार से आउटगोइंग शुरू कराया है.

जब धूम धड़ाके के साथ जनसंदेश टाइम्‍स की लांचिंग हुई थी, तब कंपनी ने अधिकांश मीडियाकर्मियों को सीयूजी नंबर उपलब्‍ध करवाया था. पत्रकारों को एक तय सीमा तक कॉल करने की छूट थी. इससे ऊपर पैसा खर्च होने पर पत्रकारों की सैलरी से कटती थी. अब तक पत्रकारों का सीयूजी नंबर ठीक ढंग से काम कर रहा था. पर खबर है कि बीते 27 मार्च से मोबाइल कंपनी ने सभी सीयूजी नंबरों की आउटगोइंग सुविधा बंद कर दी है. सभी के नंबर पर मैसेज भी भेज दिया गया कि बिल पेमेंट नहीं होने के कारण आउटगो‍इंग सुविधा बंद की जाती है.

और यह केवल बनारस यूनिट का ही हाल नहीं है बल्कि सारे यूनिटों के सीयूजी नंबर का था. कंपनी की मु‍फलिसी का आलम यह है कि बनारस के कर्मचारियों को होली पर भी वेतन नसीब नहीं हुआ. काफी हो हल्‍ला के बाद कर्मचारियों को थोड़ी-बहुत नकदी देकर शांत किया गया. हालांकि होली फिर भी फीकी रही. अब सैलरी कब मिलेगी इसका भी अता पता नहीं है. इधर तेजी से चर्चा भी उड़ने लगी है कि जनसंदेश टाइम्‍स चुनाव बाद केवल फाइल काफी के रूप में ही छपेगा. कर्मचारी इससे काफी सहमे हुए हैं.

अखबार के कर्मचारियों का कहना है कि ये हालत तब से और ज्‍यादा बिगड़े हैं, जबसे आरपी सिंह को सीईओ बनाकर लाया गया है. उनके सुधार कार्यक्रम अखबार के साथ कर्मचारियों के सेहत को भी बिगाड़ रहा है. उन्‍होंने कई जिलों के ब्‍यूरो बंद कराए, कई लोगों को बेरोजगार किया उसके बावजूद कंपनी और अखबार की हालत में सकारात्‍मक बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. कर्मियों का कहना है कि कंपनी ने तीन दिन बाद मोबाइल की आउटगोइंग तो शुरू करा दी है, लेकिन यह कब तक चालू रहेगा कहना मुश्किल है. 

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