समाजवादी जन परिषद के महासचिव सुनील को ब्रेन हैमरेज होने की खबर है. कल ब्रेन हैमरेज के बाद बेहोशी और शरीर के बाएँ हिस्से के पक्षाघात के चलते इटारसी से भोपाल ले जाया गया. देर रात ऑपरेशन हुआ. मध्य प्रदेश के कई इलाकों में गरीबों की लड़ाई लड़ने वाले सुनील के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना उनके जानने वाले, परिचितों और शुभचिंतकों ने की है.
समाजवादी जन परिषद के नेता अफलातून अफलू ने खबर दी है कि ब्रेन हैमरेज से सुनील के मस्तिष्क को बहुत नुकसान पहुँचा है. आगे के 2-3 दिन संगीन हैं. आपरेशन के बाद उन्हें अभी तक होश नहीं आया है. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर अपने फेसबुक वॉल पर लिखते हैं: ''अपनी जिंदगी में बहुत कम लोगों का व्यक्तित्व इतना बड़ा पाया कि वैचारिक असहमतियों के बावजूद उनका सम्मान करता रहूँ. समाजवादी जन परिषद के महासचिव सुनील जी उन्हीं में से एक हैं जिनका सम्मान हर मुलाकात के बाद बढ़ता ही गया. Aflatoon भाई से खबर मिली कि उन्हें कल बेहोशी और शरीर के बाएँ हिस्से के पक्षाघात के चलते इटारसी से भोपाल ले जाया गया है. ब्रेन हैमरेज की भी खबर है. देर रात ऑपरेशन हुआ। यकीन नहीं हो रहा कि अभी पिछली जुलाई में तो सुखतवा, होशंगाबाद में एकदम स्वस्थ दिखा साथी ऐसी लड़ाई लड़ रहा है पर यह जानता हूँ कि आजीवन जनसंघर्षों का नायक रहा यह लड़ाकू जीवन की यह लड़ाई भी जीत ही लेगा.''
सोशल एक्टिविस्ट संदीप नाइक लिखते हैं : ''सुनील भाई से यूँ तो बहुत पुरानी दोस्ती है होशंगाबाद में था तो अक्सर मुलाक़ात हो जाती थी सामयिक वार्ता के लिए और इटारसी में डा काश्मीर उप्पल कोई कार्यक्रम करते तो मै, सुशील जोशी के साथ चला जाता. बहुत परिश्रमी आदमी है, इतना साहस है कि यकीन नहीं होता. सुनील भाई ने अपने भाई को एक किडनी दी है अभी दो वर्ष पूर्व और उसके बाद भी लेखन और केसला में आदिवासियों के साथ फील्ड में काम जारी है. सोने के उछाल को लेकर उनके लिखे लेख से समझा था कि सोना क्या है और इसके पीछे की राजनीती क्या है. तवा में केवट समुदाय के साथ जो काम किया है वह विकास के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए एक बड़ा सबक है. इसके साथ समाजवादी जन परिषद् के सांगठनिक काम को कौन नकार सकता है भला. कल सुनील भाई की तबियत का हाल अफलातून जी ने दिया तो चिंता हो आई है, भोपाल के नॅशनल अस्पताल में दिमाग की सर्जरी के बाद भी वो अभी होश में नहीं है उनकी सलामती के लिए हम सब दोस्त लोग प्रार्थना कर रहे है ताकि वे लौट सके उसी केसला में जहां से उन्होंने जिंदगीभर कडा संघर्ष करके काम किया. होशंगाबाद के साथी डा. सुशील जोशी, गोपाल राठी, बाबा मायाराम, लारी बेंजामिन, सुरेश दीवान, योगेश एवं राकेश दीवान, चाचा, कमलेश दीवान, और भी ढेरो संघर्षशील साथी, मित्रों ये वो लोग है जिन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया है और लगातार काम करते रहे है. अनुपम मिश्र से लेकर और भी दिग्गज साथी इसी जमीन के है. सुनील भाई जल्दी ठीक हो जाओ हम सब आपकी बातें सुनने को बेताब है.''
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