राजीव गर्ग चेयरमैन हैं उस कंपनी के जो नेटवर्क10 न्यूज चैनल का संचालन करती है. ये महोदय आजकल चैनल के मुद्दे पर किसी से बात करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि इन्होंने अब चैनल के संचालन का सारा काम किन्हीं विवेक गुप्ता को सौंप रखा है. विवेक गुप्ता को बसंत निगम के नाम से खुन्नस आती है क्योंकि इनका मानना है कि बसंत निगम ने करोड़ों रुपये का चूना लगाकर चैनल को अधर में लटका दिया. फिलवक्त बसंत निगम चैनल से आउट किए जा चुके हैं. कुछ लोगों का कहना है कि बसंत निगम ने अपनी दुकान अब वायस आफ नेशन में जमा ली है.
नेटवर्क10 के पास अपने इंप्लाइज को देने के लिए पैसा नहीं है. तीन तीन महीने की सेलरी रुकी हुई है. संपादक बनकर आए अशोक पांडेय खुद को लाचार पा रहे हैं. कई महीनों तक नेटवर्क10 में कार्यरत रहीं रुबी अरुण के बारे में पता चला है कि चैनल ने उनकी डेढ़ लाख रुपये के करीब सेलरी मार ली है और अब देने का नाम नहीं ले रहा. राजीव गर्ग फोन तक नहीं उठा रहे. कई और लोगों, फर्मों के लाखों रुपये नेटवर्क10 पर बकाया है पर देनदारी चुकता करने की किसी के पास फुर्सत नहीं. पहाड़ के लोगों को उम्मीद थी कि नेटवर्क10 के आने से उत्तराखंड में टीवी मीडिया के नए दौर का शुरुआत होगा लेकिन यह चैनल भी बाकी चैनलों की तरह झोला छाप निकला.
उधर, बसंत निगम का कहना है कि करोड़ों का चूना लगाने की बात कहने वाले खुद चोर हैं. चैनल मैनेजमेंट को अच्छी तरह पता है कि उसने कितने रुपये किस मद में खर्च किए. बसंत निगम कहते हैं कि उन्होंने न्यूनतम खर्च में अधिकतम काम कराया है. चैनल के मालिकान किसी अन्य चैनल से तुलना करके देख लें कि उनका खर्च कितना कम रहा है. बसंत निगम बताते हैं कि आंतरिक राजनीति की वजह से उन पर निशाना साधा जा रहा है. बसंत ने खुद के कहीं ज्वाइन करने से इनकार किया और बताया कि वे नौकरी की तलाश में जुटे हुए हैं.
अगर आपके पास भी नेटवर्क10 से जुड़े किस्से-कहानियां, अनुभव, संस्मरण, सूचना, जानकारी है तो भड़ास तक पहुंचाएं, [email protected] पर मेल करके.