समाजिक कार्यकर्ता डा. नूतन ठाकुर ने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, यूपी में लगभग 1401.37 करोड रुपये सरकारी धन के अपव्यय के संबंध में वर्ष 2007-12 की अवधि में सभी स्थापित मापकों, मानकों, नियमों का मनमर्जी से खुला उल्लंघन करने, ज्यादातर मामलों में टेंडर (निविदा) की स्थापित प्रक्रियाओं तथा नियमों का खुला उल्लंघन होने और भौतिक सत्यापन में कैग द्वारा कई सारी कमियां, खामियां और अनियमितताएं दिखने के बारे में थाना गोमतीनगर में एफआईआर दिया. एफआईआर दर्ज नहीं होने पर उन्होंने एसएसपी लखनऊ को प्रार्थनापत्र दिया.
एसएसपी के यहां से भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया था. सीजेएम ने प्रस्तुत प्रार्थनापत्र को कैग रिपोर्ट पर आधारित होने और अधीनस्थ न्यायालयों को कैग रिपोर्ट के आधार पर मुक़दमा दर्ज करने का अधिकार नहीं होने के आधार पर यह याचिका खारिज कर दिया. कोर्ट के अनुसार कैग रिपोर्ट पर कार्यवाही करने का अधिकार केन्द्र और राज्य सरकार को ही है.
इसके बाद डा. नूतन ठाकुर ने श्री पी एन श्रीवास्तव, अपर सत्र न्यायाधीश, लखनऊ के सामने पुनरीक्षण याचिका दायर किया. अपर सत्र न्यायाधीश अब ने आदेशित किया है कि प्रार्थनापत्र के अनुसार ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में 1401.37 करोड रुपये का घोटाला हुआ दिखता है, अतः इसकी तफ्तीश आर्थिक अनुसन्धान शाखा (ईओडब्ल्यू), उत्तर प्रदेश द्वारा की जानी चाहिए. लेकिन चूँकि उन्हें ईओडब्ल्यू को विवेचना करने के आदेश देने का अधिकार नहीं है, अतः इस सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है.
इस प्रकार थाने से लेकर अपर सत्र न्यायाधीश तक सभी मान रहे हैं कि रु० 1401.37 करोड का घोटाला हुआ है, पर पिछले चार महीने में किसी स्तर पर एफआईआर अथवा अग्रिम कार्यवाही नहीं हुई है. अब डा. नूतन ठाकुर इस प्रकरण को लेकर हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर रही हैं. उनका कहना है कि जब कोई इस घोटाले से इनकार नहीं कर रहा है तो फिर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है.