देश की अग्रणी न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा के कर्मचारी 20 अप्रैल को चौबीस घंटे की हड़ताल पर रहेंगे. इस दौरान कोई भी खबर एजेंसी को नहीं भेजी जाएगी. पीटीआई-भाषा के स्थाई तथा अस्थाई कर्मचारियों ने मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की मांग को लेकर हड़ताल करने का निर्णय लिया है. एजेंसी के कर्मचारी लम्बे समय से वेज बोर्ड लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं. इस एजेंसी से जुड़े कर्मचारी अब तक सरकार तथा सरकारी संस्थानों के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लिया है. अब इन्होंने एजेंसी प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है.
पीटीआई-भाषा के कर्मचारी लम्बे अरसे से वेज बोर्ड लागू करने की मांग करते आ रहे हैं. परन्तु प्रबंधन ने अब तक इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है. एजेंसी के कर्मचारियों का संगठन लम्बे समय से मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की मांग करता रहा है. सरकार ने भी मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की सिफारिश कर दिया है, इसके बावजूद कोई संस्थान इसको लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. देश में केवल असम ट्रिब्यून प्रबंधन ने अपने यहां मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू की हैं. जबकि आनंद बाजार पत्रिका और राजस्थान पत्रिका समेत कई संस्थान वेज बोर्ड की सिफारिशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं.
हर तरह से मायूस हो चुके कर्मचारी अब अपने संस्थानों से सीधी लड़ाई लड़ने को तैयार हो रहे हैं. निजी संस्थानों में तो ये संभव नहीं है, परन्तु पीटीआई-भाषा जैसे सरकारी संस्थानों के कर्मचारी अब प्रबंधन से ही सीधी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर चुके हैं. इसी क्रम में एजेंसी के कर्मचारी बीस अप्रैल को चौबीस घंटे का हड़ताल करेंगे. इसके लिए सभी कर्मचारियों को सूचनाएं दी जा चुकी हैं. देश भर में एजेंसी के लिए काम करने वाले पत्रकारों को इस लड़ाई में साथ देने को कहा गया है. सूत्रों का कहना है कि इस दौरान कोई भी पत्रकार एजेंसी को खबरें नहीं भेजेगा. संभावना जताई जा रही है कि एजेंसी के भरोसे रहने वाले अखबारों को बीस को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
हालांकि पीटीआई-भाषा के कर्मचारियों का कहना है कि यह हड़ताल सांकेतिक होगा. इस दौरान किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. यह हड़ताल पूर्ण रूप से शांतिपूर्ण तरीके से होगा. वे केवल अपनी खबरों को रोकेंगे ताकि प्रबंधन उनकी मजबूरियों तथा अहमियत को समझे. अगर इसके बाद भी प्रबंधन हम लोगों की मांगों पर गंभीर नहीं होगा तो ये आंदोलन फिर चरणवद्ध तरीके से लम्बा होता जाएगा. उल्लेखनीय है कि मजीठिया वेज बोर्ड में प्रिंट मीडिया तथा एजेंसी के पत्रकारों की सैलरी एवं भत्ता बढ़ाने की सिफारिश की गई है, जिसको लेकर कोई भी निजी संस्थान दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. जागरण ने तो बाकायदा अपने कर्मचारियों से इसके खिलाफ हस्ताक्षर करवाया है.