अखबारों एवं समाचार एजेंसियों के पत्रकार एवं गैर-पत्रकार कर्मियों के लिए मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशें अविलंब लागू करने की मांग को लेकर देश की अग्रणी समाचार एजेंसी पीटीआई में कर्मचारी यूनियन का हड़ताल शनिवार को सुबह समाप्त हो गया. हालांकि इस हडताल के कारण देश में पीटीआई-भाषा के सभी कार्यालयों में समाचार एवं फोटो सेवाएं बाधित रही. इसका असर पीटीआई-भाषा की सेवा लेने वाले अखबारों पर भी पड़ा.
पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार पीटीआई-भाषा के कर्मचारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया. इस दौरान कार्यालयों कम्प्यूटर तथा टेलीफोन लाइन को बिल्कुल बंद कर दिया गया था. फेडरेशन ऑफ पीटीआई एम्प्लाइज यूनियन के महासचिव एमएस यादव ने बताया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा न्यायमूर्ति मजीठिया की अध्यक्षता वाले वेतन बोर्ड की सिफारिशों को मंजूर करने तथा केन्द्र सरकार की अधिसूचना जारी होने के काफी समय बीत जाने के बावजूद प्रबंधन द्वारा इस दिशा में सकारात्मक पहल करने में विफल रहने पर फेडरेशन को हडताल के फैसले पर मजबूर होना पड़ा.
उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीटीआई बोर्ड के निर्देश पर एजेंसी प्रबंधन ने कर्मचारी विरोधी रवैया अख्तियार कर रखा है. अब फेडरेशन इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं करेगी. हमलोग 1 जनवरी 1998 के बाद से चले आ रहे वेतनमान की जगह नए वेतनमान को लागू कराने के लिए लंबा संघर्ष करेंगे. उन्होंने कहा कि देश के बड़े-बड़े अखबार समूहों के मालिक पीटीआई के मालिक भी हैं और यही लोग सब्सक्रिप्शन रेट तय करते हैं और इन दरों को जान-बूझकर इतना कम रखते हैं ताकि उनके आर्थिक हित प्रभावित न हों.
यादव ने यह भी बताया कि यह आंदोलन अभी लंबा चलेगा. उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को मनवाने के लिए देश भर के समाचार-पत्रों और संवाद समितियों के लाखों कर्मचारी 18 मई को पूरे देश में एक दिन की हडताल करेंगे. अगर जरूरत पड़ी से इस आंदोलन का और अधिक विस्तार किया जाएगा. पीटीआई के गेट पर धरनारत लोगों में संजय कुमार सिन्हा, राजवीर सिंह, नंद किशोर त्रिखा, संतोष गंगवार, मदन तलावार, अरविंद सिंह, एसएन सिन्हा आदि शामिल रहे.