Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

आवाजाही, कानाफूसी...

गमछा 36, पत्रकार 72 : ये तो बनारसियों के साथ बहुत नाइंसाफी है सिद्ध माता

बनारस के पत्रकार अपने हक की लड़ाई भले ही नहीं लड़ते हों, इसके लिए भले ही दूसरों पर निर्भर रहते हों, लेकिन जब डग्‍गा और गिफ्ट की बारी आती है तो ये लड़ने-झपटने में पीछे नहीं रहते. मंगलवार को बनारस का पराड़कर भवन भी पत्रकारों की ऐसी ही हरकतों का गवाह बना. जब एक प्रेस कांफ्रेंस में गमछा पाने के लिए पत्रकार से मोहपात्र ब्राह्मण बन गए. इन पत्रकारों की हरकतों से संभ्रांत पत्रकार खुद को शार्मिंदा महसूस कर रहे हैं.

बनारस के पत्रकार अपने हक की लड़ाई भले ही नहीं लड़ते हों, इसके लिए भले ही दूसरों पर निर्भर रहते हों, लेकिन जब डग्‍गा और गिफ्ट की बारी आती है तो ये लड़ने-झपटने में पीछे नहीं रहते. मंगलवार को बनारस का पराड़कर भवन भी पत्रकारों की ऐसी ही हरकतों का गवाह बना. जब एक प्रेस कांफ्रेंस में गमछा पाने के लिए पत्रकार से मोहपात्र ब्राह्मण बन गए. इन पत्रकारों की हरकतों से संभ्रांत पत्रकार खुद को शार्मिंदा महसूस कर रहे हैं.

मंगलवार को बनारस के पराड़कर भवन में दिल्‍ली की किसी परम पूज्‍यश्री सिद्ध सिद्धशक्ति माता का प्रेस कांफ्रेंस आयोजित था. श्री सिद्ध शक्ति दरबार बनारस में आठ से दस जून के बीच तीन दिवसीय टेक्‍नो-स्‍प्रीचुअल वर्कशाप आयोजित करने जा रहा है. इस संदर्भ में जानकारी देने के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलाया गया था. जितने पत्रकारों को बुलाया गया था, उसके हिसाब से गिफ्ट लाया गया था, पर उससे कहीं ज्‍यादा पत्रकार पहुंच गए. कुछ तो ऐसे पत्रकार भी थे, जिनका अखबार, चैनल कहां से प्रकाशित या प्रसारित होता है किसी को पता नहीं है और लोग कहते हैं कि इन्‍हें खुद पता नहीं है. 

इनमें पत्रकारों की संख्‍या कम और बटोरूओं की संख्‍या ज्‍यादा थी. प्रेस कांफ्रेंस में आयोजक ने सभी पत्रकारों को गमछा वितरित किया, लेकिन गमछा कम पड़ गया. गमछा 36 और पत्रकार 72, ये तो बहुत नाइंसाफी हो गई. फिर क्‍या था गमछा पाने के लिए बनारसी पत्रकार संघर्ष पर उतर गए. एक बारगी प्रेस कांफ्रेंस कराने वाले भी भौचक्‍क रह गए कि बनारस में बड़े ही संघर्षशील पत्रकार विराजते हैं. पत्रकारों की संषर्घशीलता देखकर उन लोगों के चेहरे पर भी मंद मंद मुस्‍कराहट आ गई. बनारस के ये पत्रकार वास्‍तव में इतने संघर्षशील हैं कि अपने वेतन और हक की लड़ाई भले ही ना लड़ें, परन्‍तु गमछा-चप्‍पल-कचौड़ी की लड़ाई हल्‍दी घाटी की तर्ज पर जरूर लड़ जाएंगे.

खैर, जो संघर्षशील निकला, उसके हाथ गमछा लगा. जो पिछड़ गया या अपनी कुर्सी से नीं उठा वो खाली हाथ रह गया. ये दौर खतम हुआ तो खाने में कचौड़ी-सब्‍जी का दौर चल पड़ा. वहां भी पहले चाभने के लिए भगदड़ जैसी स्थिति मची. आयोजक भी समझ गए कि ये मोहपात्र पत्रकार हैं, इनसे नियंत्रित कर पर मुश्किल है, लिहाजा उन लोगों ने व्‍यवस्‍था को संचालित करने से हाथ खड़ा कर दिया, जिससे बाद वहां की व्‍यवस्‍था बिल्‍कुल आर्थिक उदारवाद की तरह हो गई, कहीं कोई नियंत्रण नहीं. जिसके हाथ जो लगा, जमकर खाया, जिसने हिम्‍मत दिखाई भर पेट खाया, जो संकोच के साथ पहुंचे वे कचौड़ी का केवल स्‍वाद ले पाए, पर जो पिछड़ गए वे हाथ के साथ मुंह भी मलते रह गए.

हालांकि इन बनारसी पत्रकारों की दो संघर्षों को देखने के बाद माताजी भी हतप्रभ थीं. उन्‍होंने पत्रकारों की जमकर क्‍लास भी ली. उपदेश भी दिया. संदेश भी दिया. पत्रकारों में चुप्‍पी छा गई. किसी ने कुछ नही बोला. जो दोनों लड़ाइयां जीत सके थे, उनको इस भाषणबाजी का कोई फर्क नहीं पड़ा, जो एक लड़ाई में जीत हासिल किया वो उभ-चूभ करता रहा. पर दोनों लड़ाई हार जाने वाले पत्रकार मन मसोस कर रह गए. एक तो हाथ-मुंह कुछ नहीं आया, दूसरे भाषणबाजी भी सुनने को मिल गई. बहरहाल, बनारसी पत्रकारों के मोहपात्री संघर्ष की गाथाएं पूरे बनारस में चर्चा का विषय बनी रही. 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement