नई दिल्ली। चलती बस में फिजियोथेरेपिस्ट युवती के साथ हुई दरिंदगी के विरोध में जिस तरह दिल्ली में लोगों का हुजूम सड़कों पर उतरा था, कुछ उसी तरह शुक्रवार को पांच साल की बच्ची गुड़िया (बदला हुआ नाम) से रेप के बाद एक बार फिर दिल्ली दहल गई है। मामले के आरोपी मनोज को देर रात मुजफ्फरपुर (बिहार) के चिकनौटा गांव से गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी ने अपना जुर्म भी कबूल लिया है।
वहीं, जिंदगी और मौत से लड़ रही बच्ची का एम्स में इलाज चल रहा है। बच्ची की हालत नाजुक बताई जा रही है। डाक्टरों ने बताया कि बच्ची के शरीर में इतने जख्म है कि उसकी सर्जरी करने की जरूरत पड़ सकती है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से मामले की रिपोर्ट तलब की है।
शुक्रवार को जब ये मामले सामने आया तब अस्पताल में इंसाफ की आवाज उठाने वालों का तांता लग गया। ऐसे में जब अस्पताल के बाहर एक युवती बच्ची को एम्स भेजने की मांग कर रही थी तो अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने उसे थप्पड़ जड़ दिया। इससे युवती के कान से खून निकलने लगा। एसीपी बीएस अहलावत को तत्काल निलंबित कर दिया गया, लेकिन लोगों का गुस्सा कायम रहा। जांच में लापरवाही बरतने पर थाना प्रभारी व विवेचनाधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कोई टिप्पणी करने से इन्कार करते हुए पुलिस आयुक्त नीरज कुमार से रिपोर्ट तलब की। मामले को तूल पकड़ता देख प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी मामले में दखल दिया। घटना से आहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वे इस घटना से बहुत विचलित हुए हैं। उन्होंने कहा कि सभी को अपने अंदर झांकना चाहिए। इस बुराई को जड़ से उखाड़ने की जरूरत है। वहीं विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी इस मामले पर कहा, ''बच्ची के साथ जिस तरह का सुलूक किया गया, उसे सुनकर मैं बहुत हैरान हूं। प्रदर्शनकारी युवती को थप्पड़ मारने वाले पुलिस अधिकारी को अपनी वर्दी पर शर्म आनी चाहिए।''
गौरतलब है कि मजदूरी करने वाले माता-पिता की यह बच्ची 15 अप्रैल को लापता हो गई थी। परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, लेकिन पुलिस ने लापरवाही बरतते हुए मामले की जांच करने की जहमत नहीं उठाई। 17 अप्रैल को परिजनों को पास में भूतल पर स्थित एक कमरे से रोने की आवाज सुनाई दी। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने ताला तोड़ा तो वहां गुड़िया को खून से लथपथ पाया। उसे गंभीर हालत में स्वामी दयानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। लोगों को जब इस दरिंदगी की जानकारी मिली तो वे बड़ी संख्या में दयानंद अस्पताल के बाहर विरोध जताने लगे। इसमें अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' के भी कार्यकर्ता शामिल थे। जब बच्ची का हालचाल लेने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री एके वालिया व सांसद संदीप दीक्षित अस्पताल पहुंचे तो उन्हें आक्रोशित भीड़ की धक्कामुक्की का शिकार होना पड़ा। बच्ची के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें दो हजार रुपये देकर अपना मुंह बंद करने के लिए कहा था।
इस बच्ची के साथ भी रोंगटे खड़े कर देने वाली बर्बरता हुई। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके बच्ची के यौनांग से दो मोमबत्ती और प्लास्टिक की एक छोटी बोतल निकाली है। दयानंद अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक आर के बंसल ने बताया कि मासूम के गाल, होंठ और गले पर नोचने के निशान हैं। शायद गला दबाकर उसे मारने की कोशिश की गई। पीड़ा से तड़प रही बच्ची का ब्लड प्रेशर सामान्य से काफी कम है। उसके पेट में संक्रमण है, इसलिए उसे अभी कुछ खाने-पीने को नहीं दिया जा सकता। (जागरण)