: गोविंदाचार्य ने काशी में भरी हुंकार… : देंगे देश को नया राजनीतिक विकल्प : सोनिया प्रकरण पर पूर्व राष्ट्रपति देश को सच बताएं : अब्दुल कलाम साहब का लेखन अनैतिक : धूर्त नौकरशाहों ने राहुल की राह आसान की : न्यायिक सुधार के लिए 7 हजार करोड़ नहीं, ड्रीम लाइनर के लिए हैं ३० हजार करोड़ : केन्द्रीय बजट का ७ प्रतिशत पंचायतों को मिले : सत्ता नहीं, व्यवस्था परिवर्तन है समाधान : पाकिस्तान शत्रु देश घोषित हो : सभी नीतियां माँ गंगा के परिप्रेक्ष्य में बने :
गोविन्दजी एक बार फिर आधुनिक भारत के चाणक्य की मुखर भूमिका में आ गए हैं. देश की जिस युवा शक्ति ने वर्तमान सियासत को चुनौती दी है, उसे गोविन्दाचार्य ने स्वीकार करते हुए नया राजनीतिक विकल्प देने की हुंकार भरी. शुक्रवार को स्थानीय पटेल धर्मशाला संपन्न राष्ट्रीय स्वाभिमान आन्दोलन के काशी-गोरखपुर के कार्यकर्ता सम्मलेन में किसी गुरुकुल के आचार्य सरीखी मुद्रा में राष्ट्र विकास-सुशासन के प्रत्येक पहलू पर एक के बाद एक प्रकाश डालते हुए आन्दोलन के संस्थापक संयोजक गोविन्दाचार्य ने कहा कि वह खामोश नहीं बैठे हैं. क्या अन्ना, क्या अरविन्द और क्या रामदेव सभी समान विचारधारा के लोग संपर्क में हैं. ऐसे कुल 56 समूहों का एक महा गठबंधन मार्च में आकार ले लेगा और व्यवस्था परिवर्तन के सम्पूर्ण ब्लूप्रिंट के साथ ही नए राजनीतिक विकल्प का खाका भी देश के सामने इसी मंच से रखा जाएगा. विश्वसनीयता खो चुके वर्तमान राजनीतिक दलों से हुई ऊब ने ही देश के भविष्य को सड़कों पर उतारा है. यह महागठबंधन उसे नेतृत्व देने का प्रयास करेगा.
देश का विकास-सुशासन ही एकमात्र संकल्प होगा. इस बार लक्ष्य सत्ता नहीं व्यवस्था परिवर्तन होगा और विकास आम आदमी का कैसे हो, कैसे ग्राम पंचायतों से इसकी शुरुआत की जाए, इसका भी गोविन्दजी ने खाका रखा. सोनिया गाँधी के प्रकरण पर एक सवाल के जवाब में गोविन्दजी ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब ने अपनी पुस्तक में सच्चाई छुपाई. उनका लेखन मै अनैतिक मानता हूँ. २००४ में सर्कार गठन के समय उस दिन ११ बजे से शाम आठ बजे तक उनसे किन-किन लोगों ने मुलाकात की और उनसे क्या बात हुई, बस इतना भर बता दें, सच सामने आ जाएगा कि श्रीमती सोनिया गाँधी ने प्रधान मंत्री पद का त्याग नहीं किया था, बल्कि उन्हें इस पद के लिए संवैधानिक दृष्टि से अयोग्य ठहरा दिया था तत्कालीन राष्ट्रपति जी ने.यह पूछे जाने पर कि राहुल क्या इस पद के योग्य हो चुके हैं, गोविन्दाचार्य का कहना था, ” हाँ भी और ना भी. असल में इटली के संविधान में यह प्रावधान है कि यदि उसके देश में जन्मा दुसरे देश की नागरिकता ले लेता है, तब भी वह उस देश के प्रधानमंत्री पद के योग्य नहीं है. लेकिन हुआ क्या कि सन २००३ में कुछ अफसरशाहों की धूर्तता से एक ऐसा विधेयक पारित हो गया जिसमे राहुल इस पद के योग्य हो सकते हैं. यह अंश अफसरों ने गृहमंत्री से छिपा लिया था.
गोविन्द जी ने वर्तमान हालातों पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि आज जो परिदृश्य है, वह वर्तमान व्यवस्था की ही तो देन है. सभी राजनीतिक दल लूट में आकंठ डूबे हैं. आप देखिये कि न्यायिक सुधर के लिए सिर्फ सात हज़ार करोड़ की जरूरत है लेकिन सरकार के पास नहीं है. हाँ आलीशान विमान ड्रीम लाइनर खरीदने के लिए ३० हज़ार करोड़ हैं. नए राजनीतिक विकल्प की वरीयता आम आदमी के लिए तो होगी मगर सभी नीतियां गौ और गंगा माता के परिप्रेक्ष्य में ही बनेगी.”हिंदुस्तान गाँवों में बसता है” …..इस कोरे नारे को यथार्थ के धरातल पर लाना है और यह तब संभव होगा जब देश के केन्द्रीय बज़ट का सात फीसदी सीधे पंचायतों को पहुंचे और जो लगभग ४० लाख के आसपास की राशि होगी.
पड़ोसियों के साथ व्यावहारिक संबंधो पर गोविन्दजी कुछ ज्यादा ही मुखर थे. उनका मानना है कि पाकिस्तान से अभी तक देश को धोखा ही तो मिला है. हम उनसे प्यार की पींग बढ़ाते हैं और वे हम पर पीछे से वार करते हैं, हमने दस साल पहले उन्हें ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ यानी सबसे चहेते राष्ट्र का दर्ज दिया. क्यों,,,? समय आ गया है कि हम पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित करें और ऐसा अभी तक क्यों नहीं किया गया, यह आश्चर्य का विषय है. कभी भाजपा के थिंक टैक माने जाने वाले चिन्तक-विचारक गोविन्दाचार्य ने महा गठबंधन की अवधारणा से नयी उम्मीद जगाई है. देश भी चाहता है असली लोकशाही के लिए संघर्षरत सभी समूह एक मंच से अपनी आवाज़ बुलंद करें. हम सभी को बेसब्री से इंतजार रहेगा मार्च का.
लेखक पदमपति शर्मा जाने-माने खेल पत्रकार हैं. वे कई चैनलों और अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं. इन दिनों बनारस में रहकर वह विभिन्न मोर्चों पर सक्रिय हैं. उनका यह लिखा उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है.