मिस्र में सरकारी वकीलों का कहना है कि 16 पत्रकार 'चरमपंथी संगठनों से संबंध रखने' और चार पत्रकार उनकी मदद करने या झूठी ख़बरें फैलाने संबंधी आरोपों का सामना कर रहे हैं. इन कुल बीस पत्रकारों में से दो ब्रिटेन, एक हालैंड और एक ऑस्ट्रेलिया का पत्रकार है. समझा जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के वो पत्रकार पीटर ग्रेस्ट हैं, जो अल-जज़ीरा के संवाददाता हैं.
इससे पहले, बीबीसी समेत अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ नेटवर्क्स ने अल-जज़ीरा के पांच पत्रकारों की रिहाई की मांग की थी. बाकी 16 पत्रकार मिस्र के ही हैं जिन पर एक चरमपंथी संगठन से संबंध रखने, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक शांति को नुक़सान पहुंचाने तथा अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए चरमपंथ को एक औज़ार की तरह इस्तेमाल करने जैसे कई आरोप हैं.
चार विदेशी पत्रकारों पर मिस्र के पत्रकारों के साथ सूचना, उपकरण, धन संबंधी सहयोगी करने, ग़लत सूचना प्रसारित करने और ऐसी अफ़वाहें फैलाने का आरोप है जिनसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में यह संदेश जाए कि मिस्र में गृह युद्ध के हालात हैं. सरकारी वकीलों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन बीस में से आठ पत्रकार हिरासत में हैं जबकि 12 अन्य गिरफ़्तारी वॉरंट जारी होने के बावजूद फ़रार हैं.
बयान में किसी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन इतना अवश्य कहा गया है कि चार विदेशी संवाददाता क़तर के अल-जज़ीरा नेटवर्क के लिए काम करते थे. वहीं अल-जज़ीरा के समाचार संकलन विभाग की प्रमुख हेदर एलन का कहना है, ''हम केवल इतना जानते हैं कि पांच लोग जेल में हैं. हमें नहीं पता कि आरोप क्या हैं. इस समय चीजें स्पष्ट नहीं हैं. हम अब भी बातें स्पष्ट होने का इंतज़ार कर रहे हैं.''
ग़ौरतलब है कि पीटर ग्रेस्ट ने उन्हें बिना किसी आरोप के हिरासत में रखे जाने के ख़िलाफ़ अपील की थी जिसे काहिरा की एक अदालत ने बुधवार को ख़ारिज़ कर दिया था. एक होटल के कमरे से अवैध तरीक़े से प्रसारण करने के आरोप में मिस्र के गृह मंत्रालय ने बीते साल दिसम्बर में अल-जज़ीरा के पत्रकारों और कर्मचारियों को गिरफ़्तार किया था. इस पर अल-जज़ीरा की ओर से कहा गया था कि उसके पत्रकार महज़ मिस्र के हालात पर रिपोर्टिंग कर रहे थे.
एक महीने पहले जिन तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया था, उनमें ऑस्ट्रेलिया के पत्रकार पीटर ग्रेस्ट भी शामिल थे. उन पर मुस्लिम ब्रदरहुड के सदस्यों से बात करके 'चरमपंथियों' के साथ सहयोग करने का आरोप है. मुस्लिम ब्रदरहुड पर सैन्य समर्थित सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है. अल-जज़ीरा के काहिरा ब्यूरो प्रमुख मोहम्मद फ़ाहमी और मिस्र के प्रोड्यूसर बहर मोहम्मद पर मुस्लिम ब्रदरहुड की सदस्यता का कहीं अधिक गंभीर आरोप है.
अल-जज़ीरा नेटवर्क का कहना है कि मिस्र के अधिकारियों ने जब उसके संवाददाताओं को गिरफ़्तार किया तो उसे बड़ी 'हैरानी' हुई. उसके दो अन्य कर्मचारी- पत्रकार अब्दुल्लाह अल-शमी और कैमरामैन मोहम्मद बद्र को बीते साल जुलाई-अगस्त में गिरफ़्तार किया गया था. बीबीसी, स्काई और डेली टेलीग्राफ़ अख़बार सहित अन्य समाचार संगठनों ने बुधवार को एक न्यूज़ कॉन्फ्रेंस करके मिस्र में पकड़े गए सभी पत्रकारों को फ़ौरन रिहा किए जाने की मांग की है. (बीबीसी)