बस्ती में इलेक्ट्रानिक मीडिया के दो पत्रकार अक्सर जिले में अपने कारनामों से चर्चा में रहने के लिये जाने जाते हैं। अभी हाल ही में बोर्ड परीक्षा के दौरान एक विद्यालय में नकल होने का हवाला देकर वसूली करने गये इन्ही पत्रकारों को स्कुल प्रबंधन ने बीच सड़क पर दौडा-दौड़ा कर पीटा था। अब दलाल पत्रकार के इसी ग्रुप ने हमारी कौम को बदनाम करने का नया अजूबा कर दिखाया। बस्ती नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आरपी श्रीवास्तव के घर दो दिन पूर्व एक सनसनीखेज वारदात हुई, जहां कुछ ठेकेदार अपने आधा दर्जन समर्थकों के साथ एक फाईल पर जबरन साईन कराने पहुंचे। असलहों से लैस इन दो ठेकेदारों के साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया के वही दोनो पत्रकार भी अपने कैमरे के साथ पहुंच गये।
योजनाबद्ध तरीके से पहुंचे पत्रकारों और ठेकेदारों के इस गैंग ने ईओ के आवास में घुसकर जबरन उन्हे घुस देने की कोशिश की और न लेने पर हंगामा भी काटा। ईओ को धमकाते हुये सारी तस्वीरें कैमरे में कैद भी करवाई। ताकि ईओ पर मीडिया का भी दबाव बनाया जा सके और उनका काम हो जाये। मगर ईओ किसी तरह से अपने घर के अंदर गये और डीएम को घटना की जानकारी दी। तत्काल डीएम ने एसपी को उक्त ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अब तो हंगामा काटने वाले दोनों ठेकेदारों पर कोतवाली में मुकदमा दर्ज हो गया है। मगर आश्चर्य की बात यह रही कि जब कुछ पत्रकारों ने डीएम से इस बारे में जानकारी मांगी तो उन्होने बाकायदा कैमरे पर यह बयान दिया कि इस घटना में कुछ टीवी के पत्रकार भी शामिल है। जिन्होनें योजना बनाकर इस घटना को अंजाम दिया है।
इस घटना से ईओ डरे सहमे हुये हैं और पत्रकार की संलिप्तता होने से हतप्रभ भी हैं। बहरहाल कुछ भी हो मीडिया सेन्टर के नाम से कुछ इलैक्ट्रॉनिक न्यूज़ चैनलों का एक गिरोह है जिसने जिले में पत्रकारिता के नाम पर वसूली करने में खुद को नबंर वन साबित कर लिया है। हम सबके लिये शर्म की बात यह है कि जिले का जिलाधिकारी मीडिया के कैमरों पर दलाल पत्रकारों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। इस आर्टिकल को लिखने मेरा यह मकसद नहीं है कि किसी पत्रकार को ठेस पहुंचे। मेरा सिर्फ इतना उद्देश्य है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के ये दलाल पत्रकार अपने कार्यप्रणाली में सुधार लाये जिससे हमें कहीं सर न झुकाना पड़े।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गये पत्र पर आधारित।