रामगढ़ में कोयला तस्करी कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार अलग यह है कि सीधे एसपी के संरक्षण में होने वाला यह काला धंधा मीडिया वालो में आपसे कलह का कारण बना गया है। पिछले एक सप्ताह से अखबारों की सुर्खियों में कोयला तस्करी के धंधे में मीडिया कर्मियों की संलिप्तता की खबर बनी हुई है। इस मामले में कई प्रमुख हिन्दी दैनिकों के पत्रकारों का नाम सामने आया है। दरअसल कोयला लदा एक ट्रक वन विभाग ने पकड़ा, जिसमें हिरासत में लिए गए आरोपी को तीन अखबारों के प्रभारियों ने हाज़त कटवा कर भगवा दिया। इन्हें इस बात की चिंता हो गई कि उन लोगों का नाम कोयला तस्करी में सामने न आ जाये।
यह मामला स्थानीय दैनिको में प्रमुखता से छपा है। इसमें एक पत्रकार का नाम भी एक प्रमुख दैनिक में छापा गया बाद में उस पत्रकार का पक्ष भी छापा गया कि कोयला चोरी में वह संलिप्त नहीं है। एक हिन्दी दैनिक में 'तीन मीडिया कर्मियो को खोज रही है पुलिस' शीर्षक से खबर भी छपी है। इस मामले के बाद एक कोयला तस्कर दीपक ने इन तीनों प्रभारियों के अलावा साभी दैनिको समाचार पत्रों के ऑफिस में जाकर तीन दिन पहले कोयला तस्करी का पैसा पहुँचाया, यह खबर भी अख़बारों में छापी गई है। फेसबुक पर भी इससे सम्बंधित खबरें लगातार आ रही है आखिर रामगढ़ में पत्रकारिता अपनी कौन सी हद पर कर रही है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।