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सुख-दुख...

मोदी के मंच से बोले सुभाष चंद्राः ‘यो ज़ी चैनल भी समझो थारा ही सै’

कुरुक्षेत्र, हरियाणा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली में 'ज़ी न्‍यूज' के मालि‍क सुभाष चंद्रा मोदी के साथ मंच पर बैठे। उन्‍होंने ठीक उस शहर में मोदी के साथ मंच साझा कि‍या, जो उनके वि‍रोधी कांग्रेस सांसद व उद़योगपति नवीन जिंदल का लोकसभा क्षेत्र है। इस बहाने सुभाष चंद्रा ने अपना रोना रोया कि कैसे उन्‍हे झूठे मामले में एक सेठ और राजनेता ने फंसाया है। ऊपर से ये भी कहा भाइयों कुछ और मत समझना, मैं कोई राजनीति‍क आदमी नहीं हूं।

कुरुक्षेत्र, हरियाणा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली में 'ज़ी न्‍यूज' के मालि‍क सुभाष चंद्रा मोदी के साथ मंच पर बैठे। उन्‍होंने ठीक उस शहर में मोदी के साथ मंच साझा कि‍या, जो उनके वि‍रोधी कांग्रेस सांसद व उद़योगपति नवीन जिंदल का लोकसभा क्षेत्र है। इस बहाने सुभाष चंद्रा ने अपना रोना रोया कि कैसे उन्‍हे झूठे मामले में एक सेठ और राजनेता ने फंसाया है। ऊपर से ये भी कहा भाइयों कुछ और मत समझना, मैं कोई राजनीति‍क आदमी नहीं हूं।

 मोदी को मंच पर बैठे सुभाष चंद्रा(बांए से प्रथम)

चंद्रा ने मंच से हरि‍याणवी बोली में कहा भाइयों 'मैं भी हरि‍याणा का सूं, यो ज़ी चैनल भी समझो थारा ही सै।' बोले 'मेरे भाइयों मैंने तो हरि‍याणा का नाम पूरे संसार में रोशन कि‍या है। लेकि‍न एक षडयंत्र के तहत कांग्रेस सांसद नवीन जि‍दल ने मेरे खि‍लाफ झूठी एफआईआर दर्ज करा दी और कांग्रेस ने उसका साथ दि‍या। ये मत समझना कि मैं कोई राजनीति‍क आदमी हूं जो आज इस मंच पर बैठने आ गया। दरअसल मैं भ्रष्‍टाचार का सताया हुआ था और आहत था इसलि‍ए एक उम्‍मीद की कि‍रण देख इस मंच पर आ गया।
 
अब मोदी को देखने आए दर्शक तो उखड़ गए, वो कहने लगे कि आए तो थे बंसत राग सुनने, ये राग भैरवी कहां चल पड़ा। लोग चि‍ल्‍लाए तो चंद्रा समझ गए और बोले बस केवल दो मि‍नट दि‍ल का दर्द हरि‍याणा वालों के साथ सांझा कर लेने देा, फि‍र चला जाउंगा। आखि‍री गीत दर्द का सुनालूं तो चलूं।
 
जनता देख रही थी कि एक मीडि‍या मालि‍क दबी जुबान से मोदी मंच पर बैठा था और दूसरी तरफ पंजाब केसरी के मालि‍क अश्विनी तो उनके लोकसभा प्रत्‍याशी खुले रूप से ही बैठे थे। बाबू ये पब्‍लि‍क थी जो कह रही थी कि यार मीडि‍या मालि‍क अब तो खुलकर ही राजनेताओं के मंच पर आ गए। मैच फि‍क्‍स है। अब इसका ज्‍यादा प्रमाण लेने की जरूरत नहीं। और हास्‍यपद स्थिति तब हुई जब दैनि‍क जागरण ने रैली में अपना भाजपा प्रेम दि‍खाने के लि‍ए चंडीगढ से कई लोग भेज दि‍ए वो भी बहुत सीनि‍यर।
 
और अंत में रैली में पत्रकारों के साथ भी बुरी बनी। मोदी को देखने आई भीड़ बेकाबू हो गई। मोदी के भाषण से कि‍सी को कुछ नहीं लेना देना था। हजारों लोग मोदी की नजदीक से अपने मोबाइल में फोटो खींचने भाग खड़े हुए। आगे बैठे थे बेचारे पत्रकार। लोगों ने पत्रकारों की कुर्सियां तक फेंक डालीं। पत्रकारों के कंधो पर पांव रख दि‍ए। नौबत ये आ गई एक दल पत्रकारों के बड़े टेबल पर खड़ा हो गया। उधर कांग्रेस राज में पुलि‍स ने मोदी की रैली में व्‍यस्‍था न रखने की कसम खाई थी। भीड पंडाल के उपर चढ़ गई। आखि‍र पत्रकारों ने भाग कर जान बचाई। मजबूरी कवरेज की भी थी। बेचारे पत्रकार भाग कर पंडाल के बाहर वाले पल्‍लू में छुपे और वहां बैठकर खबर लि‍खी।

 

भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।

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