लखनऊ। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने आज उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग से फ़िरोजाबाद की घटना की तत्काल जांच करा कर दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मुक़दमा दर्ज कराये जाने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि इस घटना से सम्बंधित वीडियो- फूटेज स्पष्ट कर देते हैं कि पुलिस द्वारा बिना कारण निरीह महिलाओं के साथ आपराधिक कृत्य किया गया. यद्यपि एसपी राकेश सिंह ने एसओ मठसेना सहित तीन सिपाही को निलंबित किया है पर आपराधिक दुष्कृत्य के मामले में मात्र निलंबन पर्याप्त नहीं है.
अतः डॉ ठाकुर ने पूरे प्रकरण की जांच करा कर सम्बंधित पुलिसकर्मियों का आपराधिक उत्तरदायित्व नियत करने की मांग की है. साथ ही डीजीपी यूपी को निर्देशित करने की मांग की है कि ऐसे प्रत्येक क़ानून-व्यवस्था विषयक प्रकरण, जिसमे महिलाओं की सहभागिता हो अथवा संभावित हो, में निश्चित तौर पर महिला पुलिसकर्मी तैनात किये जाएँ और मौके पर महिला पुलिसकर्मी नियुक्त नहीं होने पर जिले के एसपी को व्यक्तिगत रूप से इसके लिए उत्तरदायी माना जाये.
पत्र की प्रति
सेवा में,
अध्यक्ष,
उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग,
लखनऊ।
विषय- फ़िरोजाबाद की पुलिस बर्बरता से जुड़े प्रकरण
महोदय,
आप जनपद फ़िरोजाबाद के थाना मठसेना में पिथनी चौराहे पर ट्रैक्टर चालाक द्वारा तेजी व लापरवाही से ट्रैक्टर चला कर टैम्पो में टक्कर मारे जाने और उससे टैम्पो सवार श्री सुभाष और श्री मनोज की मौके पर मौत हो जाने के बाद मृतकों और घायलों के परिजनों की तरफ से सुभाष तिराहा, फिरोजाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगने और उसके उपरांत पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण पुलिसिया कार्यवाही के दौरान कई महिलाओं से अभद्रतापूर्ण आचरण, लातों, घूंसों, जूतों और लाठियों से मारने-पीटने और उसके बाद उत्पन्न हुए जन-आक्रोश से अवश्य ही अवगत होंगे.
मैं, मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्यरत लखनऊ स्थित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर इस सम्बन्ध में कुछ समाचारपत्रों में छपी खबरें तथ्यों को प्रस्तुत करने की दृष्टि से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ.
उपरोक्त घटना से यह बात एक बार पुनः स्पष्ट हो गयी है कि पुलिस में मानवाधिकार संरक्षण को ले कर किसी भी प्रकार की अपेक्षित संवेदनशीलता नहीं है. मैंने स्वयं इस घटना से सम्बंधित वीडियो- फुटेज देखे हैं जो यह पूरी तरह स्पष्ट कर देते हैं कि पुलिस द्वारा बिना किसी आवश्यकता और जरूरत के निरीह महिलाओं के साथ अत्यंत ही निंदनीय आचरण किया गया जो सीधी तरह आपराधिक दुष्कृत्य की श्रेणी में आता है. घटना का वीडियो-फूटेज यह दर्शाता है कि वे महिलायें कोई ऐसा कार्य नहीं कर रही थीं जिससे उन पर पुलिस द्वारा मारपीट की जाए जबकि इसके विपरीत पुलिस से अकारण खुल कर उनसे मारपीट की, लातों और घूंसों के साथ लाठियों का प्रयोग किया जो देखने से ही जाहिर कर देता है कि उन पुलिसकर्मियों का कार्य आपराधिक श्रेणी का है.
यह सही है कि इस घटना के बाद पुलिस अधीक्षक श्री राकेश सिंह ने क्षेत्राधिकारी नगर, फ़िरोजाबाद की जांच के उपरांत थाना अध्यक्ष श्री श्रीप्रकाश यादव तथा तीन आरक्षी सर्वश्री संजीव, नीरज और गिरिराज को महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने और मारपीट करने के आरोप में चिन्हित कर निलंबित कर दिया है.
किन्तु आप सहमत होंगे कि जब प्रकरण आपराधिक दुष्कृत्य का है तो ऐसे में मात्र निलंबन कर प्रकरण का पटाक्षेप किया जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है. ऐसे में आवश्यक है कि इस पूरे प्रकरण की जांच की जाए और जांच के अनुसार सम्बंधित पुलिसकर्मियों का आपराधिक उत्तरदायित्व नियत करते हुए उनके विरुद्ध आईपीसी के अंतर्गत अग्रिम विधिक कार्यवाही की जाए.
इसके अतिरिक्त इस प्रकरण में एक यह तथ्य भी काबिलेगौर हैं कि इस धरना-प्रदर्शन पर नियंत्रण हेतु भेजे गए पुलिस बल के साथ कोई भी महिला पुलिस कर्मी नहीं थी जबकि धरना में महिलायें भारी संख्या में सम्मिलिति थीं. स्पष्ट है कि यह पुलिस नेतृत्व की लापरवाही है. अतः मैं आपसे यह निवेदन करुँगी कि इस आयाम की भी जांच करायी जाए, साथ ही इस हेतु भी पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश को निर्देशित किया जाए कि ऐसे प्रत्येक क़ानून-व्यवस्था विषयक प्रकरण, जिसमे महिलाओं की सहभागिता हो अथवा संभावित हो, उसमे निश्चित तौर पर महिला पुलिसकर्मी तैनात किये जाएँ और मौके पर महिला पुलिसजर्मी नियुक्त नहीं होने के लिए जनपदीय पुलिस अधीक्षक कर्तव्य पालन में उदासीनता और घटित घटना के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माने जाएँ.
पत्र संख्या- NT/Firoz/Police
दिनांक-15/01/2014
भवदीय,
(डॉ नूतन ठाकुर )
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
# 94155-34525