न्यूज चैनलों के संपादक आजकल बूमबूम मूड में हैं. न रंग लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा. न आइडिया जनरेट करने कराने की मेहनत, न प्रोग्राम बनाने की मेहनत, न एडिटिंग व प्रजेंटेशन की मुश्किल…. सब बना बनाया और रेडीमेड, और इसके बदले पैसे देने की नहीं बल्कि लेने की जरूरत पड़ती है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन सी चमत्कार की डिबिया इन टीवी संपादकों के हाथ लग गई? जी हां, निर्मल बाबा वही चमत्कारिक डिबिया हैं. ये बाबा अपने कार्यक्रम की सीडी न्यूज चैनलों को भिजवा देते हैं और चैनल आंख मूंद कर बाबा के फ्राड का प्रसारण इसलिए करने लगते हैं क्योंकि इन चैलनों के पास बाबा अलग से भरपूर पैसे भी भिजवाते हैं.
पैसा पाकर मैनेजमेंट खुश. और, बाबा के कार्यक्रम की वो टीआरपी आ रही है कि संपादक और मालिक दोनों आंख फाड़ें बाबा की किरपा में मगन हैं. भांड़ में जाए मीडिया का दायित्व, भांड़ में जाए अंधविश्वास को बढ़ावा देने जैसे आरोप, भांड़ में जाए सरोकार और सोच, भांड़ में जाए नैतिकता और मीडिया के मूलभूत कर्तव्य… यहां तो बबवा पैसा, टीआरपी और बना बनाया प्रोग्राम दे जा रहा है, किसी को क्या चाहिेए, देने वाला जब इस तरह छप्पड़ फाड़ के देता है तो औरों को तो जलन होगी ही, सो वही जलनशील टाइप ज्वलनशील लोग चिल्ला रहे हैं बाबा और संपादकों पर…. पर कोई बात नहीं, एक तो सेलरी में इतना पैसा हम संपादक ले लेते हैं कि वैसी नौकरी अब कहीं मिलनी नहीं, इसलिए भरपूर सेलरी देने वाला मालिक बाबा से हरा हरा भरा भरा ढेर सारा नोट ले रहा है तो क्या गुनाह कर रहा है…
….संपादकों का आपस में बतियाना-चुहलियाना जारी आहे…
कुछ दिन के लिए ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन उर्फ बीइए जैसी बातें भूल जाते हैं, ध्यान नहीं देते हैं इस पर, जब तक बाबा की दुकान जमी है, चलने दिया जाए क्योंकि हर एपीसोड का भरपूर नोट देता है, बीइए की मीटिंग तो बाद में कर लेंगे, बाबा की दुकान जब गड़बड़ा जाएगी तब बीइए की मीटिंग करके आत्ममंथन कर लेंगे और आगे के लिए आपस में एक एडवाइजरी इसलिए बांट लेंगे ताकि इस वक्त हुआं हुआं करने वाले लोग उस वक्त एडवाइजरी की बात देखकर शांत हो जाएं. चलिए, बोला जाए निर्मल बाबा की जय… थर्ड आई की जय… हरे भरे नोटों की जय…. बाबा के नोटों की जय…. अपनी भरपूर लाखों की सेलरी की जय…. ये देखिए टैम के टामियों की तरफ से जारी वीक14 के टाप101 प्रोग्राम्स की सूची…. देखिए और बोलिए… निर्मल बाबा और महान संपादकों की जय….
जिस निर्मल बाबा के शो की तुलना निरमा सर्फ के विज्ञापन से होनी चाहिए, उसकी तुलना न्यूज कैटगरी के प्रोग्राम्स से हो रही है…. लगता है टैम पर भी किरपा हो गई है, बोलिए टामियों की भी जय…. स्टार न्यूज वाले समेत कई न्यूज चैनल टीम अन्ना के सदस्यों के चोर की दाढ़ी में तिनका के बयान पर डिस्क्लेमर दिखा रहे थे कि ये हमारे विचार नहीं, हम इससे सहमत नहीं हैं, हम केवल रिपोर्ट कर रहे हैं, हम सांसदों का सम्मान करते हैं आदि आदि… बड़े नैतिक बन रहे थे, लेकिन अब चोट्टे चुप हैं, बाबा निर्मल पूरे देश को चूतिया बना रहा है, पैसे लेकर कोकाकोला पीने को कह रहा है… पर ये संपादक और चैनल वाले चुप्पी मारे हैं, कोई डिस्क्लेमर नहीं दिखा रहे कि ये प्रोग्राम विज्ञापन है, हमारा कोई इससे संबंध नहीं है टाइप का कोई डिस्क्लेमर नहीं आ रहा… ये कठपुतली सदृश्य रीढ़विहीन संपादक पूरे बौद्धिक जगत को उसी तरह अपनी बौद्धिक जुगाली से भरमाते रहते हैं जिस तरह इन दिनों निर्मल बबवा अपनी चिरकुट किस्म की बकवास से धर्मभीरू लोगों को डरा-समझा रहा है…. देखिए देखिए टाप101 प्रोग्राम की लिस्ट और बोलिए बबवा की जय, संपदकवा की जय…
(नीचे के ग्राफ आंकड़े को पढ़ पाने में तभी सक्षम होंगे जब उस पर एक बार क्लिक कर देंगे, एक नए विंडो में पूरा मैटर खुल जाएगा, और वहां एक बार क्लिक कर जूम कर देंगे तो सब बड़ा बड़ा हरा भरा दिखने लगेगा, बबवा की किरपा से… 🙂
उपर जो शाब्दिक भड़ास निकाली गई है, उसके सृजन का कार्य यशवंत ने किया है, और उन्हें इस मुद्दे पर [email protected] के जरिए गरिया-गपिया सकते हैं. भड़ास वह नहीं जो हम दूसरों के खिलाफ निकाले, असली भड़ास तो वह जो दूसरे हम लोगों के खिलाफ निकालें. पक्ष-विपक्ष-निरपेक्ष, हर तरह की भड़ास आमंत्रित है. ट्रांसपैरेंसी के इस दौर में भड़ास की कोशिश है कि हर संस्था, हर शख्स ट्रांसपैरेंट बने ताकि वह करप्शन-कुंठाओं से मुक्त होकर अपना बेस्ट खुद को, जनता को, देश को और विश्व-ब्रह्मांड को दे सके.
सीरिज की अन्य खबरें, आलेख व खुलासे पढ़ने के लिए क्लिक करें-
बाबा की ''महिमा'' जानने के लिए यहां जाएं-