गुवाहाटी। उग्रवादी संगठनों की धमकियों को दरकिनार करते हुए अन्य संगठनों और सरकारी संस्थानों के साथ गुवाहाटी प्रेस क्लब में भी 65वां गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजित किया गया। समारोह में प्रेस क्लब के सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक और बच्चे शामिल हुए।
इस मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद पत्रकारों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ स्कूली बच्चों ने आमबाड़ी इलाके में एक जुलूस निकाला। इससे पहले राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हुए वरिष्ठ पत्रकार दयानाथ सिंह ने गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उग्रवादियों की धमकियों को दरकिनार कर, राष्ट्रीय पर्व को उत्साह और उमंग के साथ मनाने की लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि यह दो दिन देश के प्रत्येक नागरिक के लिए अहम है। क्योंकि यह आज़ादी हमें यूं ही नहीं मिली है, इसके लिए हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों की आहूती दी है।
दयानाथ सिंह ने इस मौके पर उपस्थित लोगों को अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानी रहे उनके पिता के घर को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान तहस-नहस कर दिया गया था। उसके बाद उनका पूरा परिवार उत्तर प्रदेश से भाग कर पश्चिम बंगाल चला गया था।
वरिष्ठ पत्रकार रूपम बरुवा ने बताया कि किस प्रकार वर्ष 1998 से पत्रकारों ने उग्रवादियों की धमकियों को नजरअंदाज कर गणतंत्र दिवस समारोह आयोजन शुरू किया था और उसके बाद किस तरह से कुछ पत्रकारों को उग्रवादियों के गुस्से को सहना पड़ा था। ध्वजारोहन के बाद निकाले गए जुलूस में वरिष्ठ पत्रकार हितेन महंत, अजीत पटवारी, नव ठाकुरिया और रणेन कुमार गोस्वामी, राजीव भट्टाचार्य, डॉ. जगदीन्द्र रायचौधरी, प्रमोद कलिता, गिरीन काजी, पुरबी बरुवा, प्रदीप ठाकुरिया, काजी नेकीब अहमद और कैलाश शर्मा सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
गुवाहाटी से नीरज झा की रिपोर्ट।