रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि अवैध चिटफंड कंपनियों को राज्य में किसी भी हालत में पैर पसारने नहीं दिया जायेगा. एचबीएन डेयरी एंड एलाइड लिमिटेड एवं एचबीएन फूड्स लिमिटेड की शिकायत लेकर गये पीड़ितों और प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री ने कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री ने एचबीएन के जमाकर्ताओं की शिकायतें सुनी.
प्रतिनिधिमंडल में पीड़ितों के साथ गये छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग संगठन के लोगों ने एचबीएन कंपनी के बारे में बताते हुए कहा कि जमाकर्ताओं ने खून-पसीने की कमाई इस कंपनी में लगाई है. पॉलिसी मैच्योर होने के बाद भी कंपनी के लोग जमा रकम वापिस नहीं कर रहे हैं. आशंका है कि कंपनी के लोग गाढ़े पसीने की कमाई लेकर फरार हो गये हैं. राजेन्द्रनगर थाने में पीड़ित लोगों ने शिकायत की है. एफआईआर दर्ज करने के बाद भी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है.
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को विश्वास दिलाते हुये कहा कि राज्य पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. पुलिस अधीक्षक को इस प्रकरण में और ज्यादा तत्परता से जांच करने के निर्देश दिये गये हैं. उन्होंने कहा कि अवैध चिटफंड कंपनियों के बारे में मिल रही शिकायतों की गंभीरता से जांच होगी और किसी भी दोषी व्यक्ति को बख्शा नहीं जायेगा.
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एचबीएन के इन निदेशकों की तलाश छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुरू कर दी है.. सुखजीत कौर Sukhjeet Kaur – Director, हरमेंदर सिंह सरान Harmender Singh Sran – Director, सतनाम सिंह रंधावा Satnam Singh Randhawa – Director, अमनदीप सिंह सरान Amandeep Singh Sran – Director, गजरात सिंह चौहान Gajraj Singh Chauhan – Director, मनजीत कौर सरान Manjeet Kaur Sran – Director, जसबीर कौर Jasbeer Kaur – Director, राकेश कुमार तोमर Rakesh Kumar Tomar – Director, सुखदेव सिंह ढिल्लन Sukhdev Singh Dhillon – Director
उल्लेखनीय है कि ये वही ग्रुप है जिसने एक जमाने में सीएनईबी न्यूज चैनल शुरू किया था. बाद में चैनल को बंद करके भोजपुरी म्जूकि चैनल शुरू कर दिया जो आज भी चल रहा है. साथ ही पंजाबी व अन्य कई चैनल भी चलते हैं. अमनदीप सरान इसके हेड हैं.
रायपुर में एचबीएन कंपनी के डायरेक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद राज्य के दूसरे शहरों में भी जमाकर्ताओं में हड़कंप मच गया है. अन्य शहरों में भी कंपनी की ओर से मैच्योर पालिसी धारकों को भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है. ऐेसे में जमाकर्ता अपनी रकम वापस लेने के लिये चक्कर काट रहे हैं. कंपनी के कई शहरों के ब्रांच कार्यालयों में जिम्मेदार अधिकारियों के नहीं मिलने से लोगों को आशंका है कि कहीं कंपनी भाग न जाये. खबर है कि पुलिस और प्रशासन ने रायपुर में दफ्तर सील किये जाने के पश्चात महेन्द्रगढ़ और महासमुंद में भी कार्रवाई शुरू कर दी है. वहां के दफ्तर सील कर दिये गये हैं. कंपनी से जुड़े लोगों और जमाकर्ताओं के बारे में पूरी जानकारी मांगी गई है. रायपुर में बैंक खातों का भी पता लगाया जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में पुलिस और प्रशासन को ऐसी कंपनियों पर पैनी निगाह रखने के निर्देश दिये गये हैं. प्रतिनिधि मंडल में कुबेर सपहा, नवरतन जैन, चरणजीत सिंह सलूजा, विजय चंद्राकर के अलावा एचबीएन कंपनी के कई पीड़ित शामिल थे.
एचबीएन डेयरी एंड एलाइड के खिलाफ भले ही रायपुर पुलिस ने जालसाजी, धोखाधड़ी और गबन के मामले में जुर्म दर्ज कर लिया है लेकिन अब भी कई और कंपनियों के जमाकर्ता अपने रुपये वापस पाने के लिये भटक रहे हैं. पॉलिसी मैच्योर होने के बाद भी कई महीने तक जमाकर्ताओं को इंतजार करना पड़ रहा है. तीन महीने पहले पुलिस मुख्यालय ने निर्देश जारी किये थे कि आम लोगों से विभिन्न स्कीमों के नाम पर नकद रकम जमा कराने वाली कंपनियों के बारे में थानेवार जानकारियां एकत्रित की जायें. इन कंपनियों के कर्मचारी व अधिकारी से लेकर उनके कर्ताधर्ता का पूरा रिकॉर्ड रखा जाये. यदि ऐसी कंपनियों के खिलाफ कोई भी शिकायत मिलती है तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाये. कंपनियों के बारे में आरबीआई और उनका पंजीयन करने वाली संस्थाओं से भी जानकारी हासिल की जाये.
मुख्यालय के इस निर्देश के बाद भी पुलिस ने सक्रियता नहीं दिखाई है. रायपुर में तो हालात और भी खराब है. यहां की पुलिस तो पीड़ितों की शिकायत के बाद भी त्वरित कार्रवाई नहीं कर रही है. कंपनियों के बारे में खुद जानकारी जुटाकर कानूनी कार्रवाई हेतु राय पहले ही लेकर रखने की बजाय शिकायत मिलने के बाद नियमों का परीक्षण रायपुर में किया जा रहा है. डीजीपी की नाराजगी के बाद रायपुर पुलिस ने एक कंपनी के खिलाफ जुर्म दर्ज किया है. जमाकर्ताओं को कई-कई महीने से चक्कर लगा रही संदेह के दायरे में आ चुकी राजेन्द्रनगर, तेलीबांधा, पंडरी, शैलेन्द्रनगर, टिकरापारा और डीडी नगर इलाके की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है. बल्कि पीड़ितों से कहा जा रहा है कि वे कार्रवाई के लिये कोर्ट में जायें.
पीड़ितों को उम्मीद रहती है कि उन्हें कुछ समय भटकने के बाद जमापूंजी वापस मिल जायेगी. जबकि रिपोर्ट लिखाने पर उन्हें भुगतान नहीं होगा. इसी उम्मीद में वे रिपोर्ट लिखाने से बचते रहते हैं. बड़ी रकम फंस जाने पर आम लोग चाहते हैं कि किसी भी तरह उन्हें जमापूंजी मिल जाये. लोगों की इसी मानसिकता का फायदा भी चिटफंड कंपनियां और पुलिस भी उठाती है.
Parshuram chaudhari
May 28, 2018 at 11:51 am
Sir 5 sal se koi returned nahi mil raha agent ne Gujarat she sirf Baroda we 5 crore ka policy bana hi hai jalad paisa mile aisa karna chahiyr aur police aur customers pareshan karte mera sab kutch been k gaya hai ghar dukan sale kar due ya log pateshan karte hai please jald kare
Digvijay
May 28, 2018 at 11:57 am
Sebi ne bhi bahut time le liya .Company ki bahut property hone ke bavjud logo ko paisa ku nahi Silva rahi he sebi…Sebi ke officers bhi rishwat lekar time pas kar rahe he…esa lag raha he…Only timewest