सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के बाद मजीठिया वेज बोर्ड लागू करना अखबार मालिकों की मजबूरी है। लेकिन इससे बचने की जुगत सभी अखबार मालिक पहले से ही कर रहे हैं। मजीठिया से बचने के लिए जागरण प्रबंधन ने इनपुट, आउटपुट तथा प्रोडक्शन डेस्क के अंतर्गत सभी कर्मचारियों को बांटना पहले ही शुरू कर दिया था। अब खबर है कि मजीठिया से बचने के लिए हिन्दुस्तान प्रबंधन भी सभी पत्रकारों से एक समझौता-पत्र साइन करवा कर उन्हे 'शौकिया पत्रकार' बना रहा है।
समझौता-पत्र में पत्रकार से यह कहलवाया जा रहा है कि 'मैं हिंदी हिन्दुस्तान के पब्लिकेशनों में कभी-कभी न्यूज़ रिपोर्ट्स/ स्टोरी छपने के लिए देना चाहता हूं। मैं ये काम एक हॉबी(शौक) के तौर पर करुंगा औऱ पत्रकारिता मेरी आजीविका का पूर्णकालिक साधन नहीं है।' फार्म में सभी को अपनी मुख्य आजीविका लिखने के लिए भी कहा गया है। इस फार्म से स्पष्ट है कि जो भी इसे भरेगा वो हिन्दुस्तान का रेगुलर एम्प्लॉइ नहीं रह जाएगा और मजीठिया वेज बोर्ड के लाभों को नहीं पा सकेगा।
हिन्दुस्तान के एक पत्रकार ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए मेल लिखा है कि 'मैं एक पत्रकार हूँ और पिछले तीन वर्षों से हिंदुस्तान हिंदी अख़बार के साथ काम कर रहा हूँ। तन्ख्वाह के नाम पर मात्र 5000 रुपये मिलते हैं। कंपनी हर साल परमानेंट करने के नाम पर धोखा देती है। और अब मजीठ आयोग से बचने के लिए हमसे जबरदस्ती ये फॉर्म साइन करवाए जा रहे हैं।'
देखें हिन्दुस्तान द्वारा भरवाया जा रहा फार्मः
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
इसे भी पढ़ें…
जिला प्रशासन ने गाजीपुर के पत्रकारों को दिलाई पेडन्यूज से विरत रहने की शपथ। तमाम कवायदों के बावजूद पेडन्यूज पर…
जनसंदेश टाइम्स गाजीपुर के ब्यूरोचीफ समेत कई कर्मचारियों ने दिया इस्तीफा। लम्बे समय से अनुपस्थित चल रहे राजकमल राय के…
पेड न्यूज पर अंकुश लगाने की भारतीय प्रेस परिषद और चुनाव आयोग की कोशिश पर सोनभद्र के जिला निर्वाचन अधिकारी…
Who does Narendra Modi represent and what does his rise in Indian politics signify? Given the burden he carries of…
पहली बार चुनाव हमने 1967 में देखा था. तेरह साल की उम्र में. और अब पहली बार ऐसा चुनाव देख…
नवभारत, मुंबई के प्रमुख संवाददाता सुरेंद्र मिश्र ने संस्थान से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपनी नई पारी अमर उजाला…