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हिन्दुस्तान, कानपुर प्रबंधन कर रहा जांच की नौटंकी, अपने ही लोगों को बनाया जांच अधिकारी

हिन्दुस्तान, कानपुर प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से निकाले गए कर्मचारियों संजय दूबे, नवीन कुमार, पारस नाथ साह एवं अंजनी प्रसाद को 7 जनवरी को आंतरिक जांच के लिए ऑफिस बुलाया गया था। जांच के दौरान कर्मचारियौं ने आरोपपत्र की मांग की लेकिन मैनेजमैन्ट ने आरोपपत्र नहीं दिया। मैनेजमैन्ट ने कर्मचारियों पर सीटीसी योजना के प्रारूप पर हस्ताक्षर करनें का दवाब बनाया। कर्मचारियों ने ऐसा करने से मना किया तो जीएम नरेश पाण्डेय और एचआर हेड संजीव सिंह आपे से बाहर हो गए और उन्होने चारों कर्मचारियों को बाहर जाने के लिए कह दिया और अपने जांच अधिकारी सुनील कुमार जैन को एक पक्षीय कार्यवाही करने का आदेश दे दिया। चारों कर्मचारियों ने इस संबंध में अपर श्रम आयुक्त(अभिनिर्णय) उत्तर प्रदेश को एक पत्र भी भेजा है।

हिन्दुस्तान, कानपुर प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से निकाले गए कर्मचारियों संजय दूबे, नवीन कुमार, पारस नाथ साह एवं अंजनी प्रसाद को 7 जनवरी को आंतरिक जांच के लिए ऑफिस बुलाया गया था। जांच के दौरान कर्मचारियौं ने आरोपपत्र की मांग की लेकिन मैनेजमैन्ट ने आरोपपत्र नहीं दिया। मैनेजमैन्ट ने कर्मचारियों पर सीटीसी योजना के प्रारूप पर हस्ताक्षर करनें का दवाब बनाया। कर्मचारियों ने ऐसा करने से मना किया तो जीएम नरेश पाण्डेय और एचआर हेड संजीव सिंह आपे से बाहर हो गए और उन्होने चारों कर्मचारियों को बाहर जाने के लिए कह दिया और अपने जांच अधिकारी सुनील कुमार जैन को एक पक्षीय कार्यवाही करने का आदेश दे दिया। चारों कर्मचारियों ने इस संबंध में अपर श्रम आयुक्त(अभिनिर्णय) उत्तर प्रदेश को एक पत्र भी भेजा है।

                              पीड़ित कर्मियों द्वारा अपर श्रम आयुक्त(उ.प्र.) को प्रेषित पत्र

हिन्दुस्तान कानपुर प्रबंधन द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी सुनील कुमार जैन प्रबंधन के मालिकान के वकील के तौर पर काम करते हैं। 27 दिसम्बर 2013 को हुयी आन्तरिक जांच की कार्यवाही के दौरान ही पीड़ित कर्मचारियों ने उनकी नियुक्ति पर आपत्ती की थी क्योंकि दूसरे जांच अधिकारी एचआर हेड संजीव सिंह हैं। पीड़ित कर्मचारियों का कहना था कि जिसके विरुद्ध वे लड़ रहे हैं वो ही उनका जांच अधिकारी कैसे हो सकता है। इस पर सुनील कुमार जैन ने कर्मचारियों से कुछ रुपया ले कर मामले को रफा-दफा करने को कहा। पीड़ित कर्मचारी सुनील कुमार जैन की इस बात से सहमत नहीं थे उनका कहना था कि वे पूरा हिसाब लेने पर ही किसी समझौते पर राज़ी हो सकते हैं। इस जांच के दौरान भी पीड़ित कर्मचारियों ने आरोपपत्र की मांग की थी, लेकिन जांच अधिकारियों ने आरोपपत्र नहीं दिया।

                                               पीड़ित कर्मियों द्वारा जीएम नरेश पाण्डेय को प्रेषित पत्र

पीड़ित कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन के पास उनके खिलाफ कोई ठोस मुद्दा नहीं है, प्रबंधन उनका मनोबल तोड़ना चाहता है इसलिए अपने ही आदमियों से जांच का ड्रामा करा कर उन्हे बेवजह परेशान किया जा रहा है। एचआर हेड जांच की कार्यवाही रिपोर्ट देने को तैयार नहीं थे। पीड़ित कर्मचारियों ने जब वकील साहब को श्रम कानून का हवाला दिया तब उनके कहने पर एचआर हेड रिपोर्ट देने को तैयार हुए। इस फर्ज़ी जांच में एचआर हेड भी अपनी गर्दन नहीं फंसाना चाहते इसालिए कर्मचारियों को दी गई कार्यवाही रिपोर्ट की कॉपी पर उन्होने अपने बदले हुए हस्ताक्षर किए।

जांच को ले कर पीड़ित कर्मचारियों की आपत्तियां ये हैं कि प्रबंधन द्वारा निर्धारित विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रबंधन द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी सुनील कुमार जैन किसी भी प्रतिष्ठान में नियोजन में नहीं रहे हैं। जब तक पीड़ित कर्मचारियों का मामला उत्तर प्रदेश श्रम आयुक्त के यहां विचाराधीन था तब एक तारीख को छोड़ कर अन्य किसी भी तारीख पर प्रबंधन की ओर से काई भी वहां उपस्थित नहीं हुआ था। जब मामला श्रम आयुक्त के यहां विचारीधीन था उस दौरान ही पीड़ित कर्मचारियों को आरोपित करके सुनील कुमार जैन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था पर सुनील कुमार जैन द्वारा आज तक कोई भी पत्र पीड़ित कर्मचारियों को नहीं दिया गया है।

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