मेरे लिए आपको यह ई-मेल लिखना बेहद तकलीफदेह है। जो बात मैं कहने जा रही हूं उसे कैसे सरल ढंग से कहा जाए, यह सोचने में लगी हुई थी, लेकिन अब मुझे यही एक रास्ता समझ आ रहा है। पिछले सप्ताह तहलका के मुख्य संपादक तरुण तेजपाल ने 'थिंक फेस्ट' के दौरान दो बार मेरा यौन उत्पीड़न किया। जब उन्होंने पहली बार यह हरकत की तो मैं आपको फौरन फोन कर बताना चाहती थी, लेकिन आप बुरी तरह व्यस्त थीं।
मुझे पता था कि उस वक्त एक मिनट के लिए भी यह मुमकिन नहीं था कि मैं अकेले में आपको इस हरकत के बारे में बता पाती। इसके अलावा मैं इस बात को लेकर हैरान भी थी कि तरुण ने ऐसी घिनौनी हरकत की, जो मेरे पिता के साथ काम कर चुके हैं और उनके दोस्त हैं। तरुण की बेटी भी मेरी दोस्त है।
मैं काम की वजह से तरुण की बहुत इज्जत करती रही हूं। तरुण ने दो बार मेरा यौन शोषण किया। हर बार मैं बुरी तरह हताश और पस्त होकर अपने कमरे में लौटी और कांपते हुए रोती रही। इसके बाद मैं अपने सहकर्मियों के कमरे में गई और एक वरिष्ठ सहकर्मी को फोन कर सारी बात बताई। जब दूसरी बार तरुण ने मेरा यौन उत्पीड़न किया तो मैंने उनकी बेटी को इस बारे में शिकायत की। जब उनकी बेटी ने तरुण से इस बाबत सवाल किया तो वह मुझ पर चीखते हुए गुस्साने लगे। पूरे फेस्टिवल के दौरान मैं तरुण से बचती रही। सिर्फ तभी उनके सामने आई, जब आसपास कई लोग मौजूद रहे। यह सिलसिला तब तक चला, जब तक यह फेस्ट खत्म नहीं हो गया।
शनिवार शाम उन्होंने मुझे एक एसएमएस किया, जिसमें लिखा कि मैंने एक नशेबाज की दिल्लगी का उलटा ही अर्थ निकाल लिया, लेकिन यह सच नहीं है। दिल्लगी के दौरान कोई किसी पर यौन हमला नहीं करता। मैं उनकी हरकत का हर ब्योरा आपको भेज रही हूं ताकि आपको समझ आए कि मेरे लिए यह कितना तकलीफदेह रहा होगा। मैं चाहती हूं कि विशाखा मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देशों के मुताबिक, एक एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट सेल बनाया जाए और वही इस मसले की जांच करे। आखिर में मैं तरुण तेजपाल से लिखित माफी चाहती हूं। यह माफीनामा तहलका में काम करने वाले हर कर्मचारी से साझा किया जाना चाहिए। उन्होंने जिस तरह एक महिला कर्मचारी के साथ बर्ताव किया उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
(पीड़ित पत्रकार का खत)