न्यूज चैनलों की दुनिया से दो सूचनाएं आई हैं. पहली खबर दिल्ली से चलने वाले चैनल मैजिक टीवी को लेकर है. सूत्रों का कहना है कि यह चैनल बंद हो गया है. कई तरह की दिक्कतों और उठापटक से जूझ रहे इस चैनल की हालत कई महीनों से खराब थी. गिने चुने लड़के इस चैनल को चला रहा थे. ज्यादातर समय यह चैनल रिकार्डेड मोड पर ही रहता था. बाद में चैनल के मालिक ने चैनल में निवेश के लिहाज से कई प्रयोग व प्रयास किए पर उनका कोई दाव काम नहीं आया.
उन्होंने चैनल को कई बार बेचने की भी कोशिश की लेकिन हर बार अंतिम समय में बात बिगड़ जाया करती थी. सूत्रों के मुताबिक इस चैनल के मालिक ने चैनल की लांचिंग तुरत-फुरत मुनाफा कमाने की मंशा से की थी लेकिन उन्होंने कभी कंटेंट के लिहाज से कोई प्रयोग नहीं होने दिया. प्रसून शुक्ला के चैनल हेड रहने के दौरान इस चैनल को सिस्टमेटिक और कंटेंट ओरियेंटेड बनाने की कोशिश की गई लेकिन मैनेजमेंट में बैठे नान-जर्नलिस्टिक एप्रोच के लोगों ने चैनल को कंटेंट के लेवल पर जमने नहीं दिया. प्रसून शुक्ला के इस्तीफे के बाद धीरे धीरे हालात बिगड़ते गए और अब खबर है कि चैनल पूरी तरह बंद हो चुका है. इस बारे में चैनल के प्रबंधन से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर संपर्क नहीं हो सका.
उधर देहरादून से खबर है कि नेटवर्क10 चैनल बंदी के कगार पर है. करीब चार महीने से यहां काम कर रहे लोगों को सेलरी नहीं मिली है. अशोक पांडेय के संपादकत्व में चल रहे इस चैनल को एक बार बेचने की कोशिश भी की गई थी. पर यह प्रयास नाकाम रहा. पर मार्केट में यही फैला कर रखा गया कि चैनल बिक गया है ताकि उधारी और देनदारी के लिए चैनल पर दबाव बनाने में जुटे लोगों को शांत कराया जा सके. सूत्रों के मुताबिक यूपी के किन्हीं रामानंद यादव ने शुरुआती एग्रीमेंट करके पांच लाख रुपये एडवांस दे दिया था लेकिन उन्होंने चैनल लिया नही. फिलहाल चैनल के मालिक राजीव गर्ग ही हैं.
राजीव गर्ग ने भी चैनल को संचालित करने के लिए पैसा देने से मना कर दिया है और चैनल के संपादक अशोक पांडेय को खुद कमाओ, खुद खाओ, खुद चलाओ के तर्ज पर काम करने का निर्देश दे दिया है. इस कारण अशोक पांडेय कई महीनों से अपनी टीम के लोगों के जरिए मार्केट से पैसा उगाहने में लगे हुए हैं. बावजूद इसके अभी नेटवर्क10 के सभी कर्मियों को सेलरी नहीं मिल पाई है. सूत्र बताते हैं कि अशोक पांडेय और उनके कुछ खास लोगों की चांदी है, बाकी लोगों को पैसे न होने की बात समझा कर कार्य करो, इंतजार करो का फार्मूला थमाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि प्रबंधन चैनल चलाने का इच्छुक नहीं है. देर-सबेर इस चैनल को बंद हो जाना है. इस बारे में जब अशोक पांडेय से बात की गई तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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