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ढाई दर्जन पत्रकारों की रोज़ी छीनने वाले प्रभात रंजन दीन पत्रकारों के हितैषी कैसे?

लखनऊ: खासकर ब्यूरोक्रेसी पर भण्डा-फोड़ी खबरों के लिए शुरू हुए नये पोर्टल हल्लाबोल4यू के विमोचन समारोह पर बात क्या शुरू हुई कि सवालों की बौछारें शुरू हो गईं। पत्रकारिता पर बाहरी और भीतरी दबावों और खतरों को सूंघने और पत्रकारिता के भीतर पनप रहे दावों और उनके खोखलेपन पर खुलकर बातचीत शुरू हो गयी। गनीमत है कि मामला हल्की गर्मी से ज्यादा नहीं भड़क सका। इसी के साथ नये तेवर के साथ ताजा और विश्‍लेषणात्मक खबरों की एक नयी दुनिया शुरू करने का संकल्प लिया गया।

लखनऊ: खासकर ब्यूरोक्रेसी पर भण्डा-फोड़ी खबरों के लिए शुरू हुए नये पोर्टल हल्लाबोल4यू के विमोचन समारोह पर बात क्या शुरू हुई कि सवालों की बौछारें शुरू हो गईं। पत्रकारिता पर बाहरी और भीतरी दबावों और खतरों को सूंघने और पत्रकारिता के भीतर पनप रहे दावों और उनके खोखलेपन पर खुलकर बातचीत शुरू हो गयी। गनीमत है कि मामला हल्की गर्मी से ज्यादा नहीं भड़क सका। इसी के साथ नये तेवर के साथ ताजा और विश्‍लेषणात्मक खबरों की एक नयी दुनिया शुरू करने का संकल्प लिया गया।

दमदार खबरों के जगत में हस्ताक्षर बन चुके प्रभात रंजन दीन ने जैसे ही इस समारोह में ऐलान किया कि ज्यूडिशियरी और ब्यूरोक्रेसी के साथ ही साथ राजनीति आज आकण्ठ बेईमानी और भ्रष्टाचार सनी-डुबी हुई है, ऐसे में केवल पत्रकारिता ही इकलौती किरण है जहां उम्मीद और आस्था रखी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि आज पत्रकारिता में सांगठनिक और जुझारूपन की जरूरत है, और इसी के साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ी जा सकती है।

बस, फिर क्या था, हंगामा खड़ा हो गया। दरअसल, इसके ठीक बाद समारोह में बोलने के लिए आमंत्रित किये गये बेबाक व वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर ने दीन को हाथों-हाथ लपक लिया। बोले:- प्रभात रंजन दीन को अपने कहने और करने में फर्क के बीच का अंतर आम पत्रकारों तक समझना और समझाना चाहिए। कुमार सौवीर ने सवाल उठाया कि कैनविज टाइम्स से एक साथ ढाई दर्जन पत्रकारों को लेकर दीन ने अपनी नेतृत्वकारी ताकत का प्रदर्शन किया है। लेकिन सवाल-दर-सवाल तो यही उठने लगे हैं कि वायस ऑफ मूवमेंट नामक अखबार के सारे पुराने ढाई दर्जन से ज्यादा पुराने पत्रकारों को नौकरी से निकाल कर उन्हें बाहर का रास्‍ता दिखाया गया। उन्होंने दीन ने सवाल किया कि इतने पत्रकारों की रोजी छीन लेने वाले प्रभात रंजन दीन को कैसे पत्रकारों का हितैषी करार दिया जा सकता है।

समारोह के अध्यक्ष, पूर्व-न्‍यायाधीश व अधिवक्ता ने पत्रकारिता के जोश-होश की सराहना की और कहा कि हल्लाबोली खबरों ने पत्रकारिता जगत ज्यादा समृद्ध होगा। उनका कहना था कि इस समारोह में ऐसी बहस का शुरू होना ही इस हल्लाबोल4यू पोर्टल की सफलता का पैमाना है। उन्होंने इसी के साथ ही साथ राजनीति और नौकरशाही के साथ ही साथ न्यायिक-संस्‍था पर भी विस्तार से चर्चा की। हल्लाबोल के संपादक अनूप गुप्ता ने अपना संकल्प दोहराया कि उनकी कलम किसी भी कीमत पर नहीं झुकेगी। उनका कहना था कि हर व्यक्ति या संस्था का अपना एक मकसद होता है, इसी तरह मैं भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जेहाद में जुटा हुआ हूं।

निरालानगर में आयोजित इस खचाखच समारोह में पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक और खोजी इतिहासकार राकेश तिवारी, अपर स्थानीय निर्वाचन आयुक्त जयप्रकाश सिंह समेत अनेक वरिष्ठ अधिकारी, पत्रकार और राजनीतिज्ञ भी मौजूद थे।

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